बिहार के सरकारी विद्यालय के कक्षा 1 एवं 2 के छात्रों की मानसिक स्थिति(Mental Status of Class 1 & 2 students of Government School of Bihar)

बिहार के सरकारी विद्यालय के कक्षा 1 एवं 2 के छात्रों की मानसिक स्थिति (Mental Status of Class 1 & 2 students of Government School of Bihar)

बिहार के सरकारी विद्यालय के कक्षा 1 एवं 2 के छात्रों की मानसिक स्थिति(Mental Status of Class 1 & 2 students of Government School of Bihar) पर विचार करना जरुरी हैै। उन छात्रों का उम्र महज 5 से 7 साल के बीच होता है।

जो बच्चे अपने माँ के आँचल में रहा या एक ऐसे वातावरण में रहा हो। जिसे उसे किसी भी बात के लिए माँँ - माँँ कह कर पुकारता हो। एक डर लगने वाले स्थान पर यानी सभी बच्चों को विद्यालय के नाम से डर लगता है। उसका नामांकन विद्यालय में करा दिया जाता है।

अब कक्षा 1 एवं 2 के छात्रों को भी 9:00 बजे से 4:00 बजे तक विद्यालय में रहना होता है। जब उन बच्चों का विद्यालय में नामांकन नहीं हुआ था। तो उन बच्चों की मानसिक स्थिति बिल्कुल सामान्य स्थिति में रहता था। क्योंकि वह अपने मन के अनुसार कभी अपने माँँ के साथ, तो कभी अपने दादी के साथ रहा करते हैं। लेेेकिन नामांकन के बाद वही बालक को  9:00 बजे से 4:00 बजे तक विद्यालय रहना पड़ता है।


कक्षा 1 एवं 2 के छात्रों की स्थिति - अगर कभी उनकी कक्षाओं में, मैं जाता हूँँ। तो एक अलग तस्वीर देखने को मिलता है। तो कभी हंँसी तो कभी गुस्सा आता है। लेकिन उनकी उम्र एवं मानसिकता को देखकर सारा गुस्सा प्यार में बदल जाता है। मैं उनकी मानसिक स्थितियों को समझा ।क्योंकि वह सुबह 9:00 बजे से 4:00 बजे तक विद्यालय में रहते हैं।

निष्कर्ष -: बिहार के सरकारी विद्यालय के कक्षा 1 एवं 2 के छात्रों की मानसिक स्थिति(Mental Status of Class 1 & 2 students of Government School of Bihar) विद्यालय खुलने का समय 9:00 बजे एवं बंद होने का समय 4:00 बजे तक रहता है। जिसमें 8 घंटा होता है। जिस बच्चे या किसी भी व्यक्ति को कहीं जाना हो तो एक घंटा पहले तैयार होते हैं। यह नियम बच्चों पर भी लागू होता है। बच्चे स्कूल जाने के लिए 8:00 बजे से ही तैयार होते हैं। तथा वह 4:00 बजे तक रहते हैं। इसमें 9 घंटे का समय होता है। उतने समय तक रहने के बाद उनकी मानसिक स्थिति पर विचार करना अति आवश्यक है।
















भारत को विकसित देश बनाने में नागरिकों का योगदान (Citizens' contribution to making India a developed country)

भारत को विकसित देश बनाने में नागरिकों का योगदान (Citizens' contribution to making India a developed country)




भारत को विकसित देश बनाने में नागरिकों का योगदान (Citizens' contribution to making India a developed country) महत्वपूर्ण है। अगर जनमानस का साथ रहा तो भारत को विकसित देश बनाने से कोई नहीं रोक सकता है।

वैसे विकसित देशों के इतिहास उठाकर देखें तो पता चलता है कि प्रत्येक जनता देश को विकसित करने के लिए अपना पूरा सहयोग एवं बहुमूल्य समय देते हैं। प्रत्येक नागरिक सदैव तत्पर रहते हैं कि उनका देश कैसे विकसित हो।


भारत को विकसित देश बनाने में नागरिकों का योगदान (Citizens' contribution to making India a developed country)


पढ़े लिखे समझदार लोग अपनी पढ़े-लिखे होने का सबूत देते हैं। कहां तो मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा, में जाकर अपनी मनोकामना पूर्ण करते या लाखो के दान करते है।

पढ़े लिखे लोग ही ये सब अंधविश्वास का बढ़ावा देते हैं।     अनपढ़ लोगों के पास इन पढे़ लिखें लोगो जैसे संसाधन नहीं होने के कारण भी देश के विकास में गति प्रदान करते हैं।


ऐसे विकसित देशो के इतिहास देखा जाय तो वहां पर धर्म के नामोनिशान नहीं हैं। धर्म के अनुसार कोई भी देश विकसित नहीं हुआ है।

अगर आप समझते हैं कि कोई राजनीतिक दल आगे आकर देश को विकसित करेगा। तो यह संभव नहीं। क्योंकि देश को आजादी मिले 71वर्ष हो गया। लेकिन आज तक देश विकसित नहीं सका।


अब भारत के प्रत्येक नागरिक चाहे तो देश को विकसित कर सकते है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च आदि में इतने धन है कि भारत के लोगों को विकसित किया जा सकता है। लेकिन फिर भी भारत को एक पिछडी़ देशो में गिनती होता है।


एक बार जापान के प्रधानमंत्री भारत के यात्रा पर आए। वह बोले कि भारत के जनता या आपके पास पूजा पाठ के लिए इतना समय है तो आपको बुलेट ट्रेन की आवश्यकता ही नहीं है। आप लोगो के पास समय ही समय है।


यहाँ के पढ़े लिखे जनता सोशल मीडिया या धर्म को लेकर अपना समय बर्बाद करते रहते है। लेकिन यहाँ के जनता कुछ नहीं सोचते कि भारत को विकसित देश कैसे बनायें ?


भारत को विकसित देश बनाने में नागरिकों का योगदान (Citizens' contribution to making India a develope country)        



अगर भारत के प्रत्येक नागरिक यह सोच ले कि देश को विकसित कर देना है, तो यह जरूर हो जाएगा। इसके लिए भारतीय जनता एवं  जितनी भी राजनीतिक दल हैं। उनको पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी पूर्वक भारत को विकसित देश बनाने में योगदान (contribution to making India a developed country) देना होगा।


शिक्षा प्रणाली - भारतीय शिक्षा प्रणाली दोषपूर्ण है। इसे सुधार करना अति आवश्यक है। इस शिक्षा प्रणाली से  वास्तविक जीवन में कोई लाभ नहीं होता है। शिक्षा व्यवस्था ऐसा होना चाहिए कि जनता के विकास एवं भलाई हो। जब  जनता का विकास होगा। तब देश का विकास दर बढेे़ेगा और जब विकास दर बढेे़गा तो देश विकसित होगा।


कालेधन की वापसी -  विदेशों में जितने कालेधन हैं। उनको वापस लाना। उस कालेधन को देश की संपत्ति घोषित करना  तथा देश को विकसित करने में इस धन का प्रयोग करना होगा।


विदेशी कंपनी - विदेशी कंपनियों के सामानों का बहिष्कार करना एवं आयात शुल्क बिल्कुल कम कर देना होगा। स्वदेशी कंपनियों को बढ़ावा देना एवं अधिक से अधिक स्वदेशी कंपनियों के माल का उत्पादन करा कर। बाजारों में उत्पादित माल अधिक से अधिक लाना होगा। जिस से देश का विकास दर बढ़ें और भारत विकसित हो सकें।


कृषि एवं उद्योग धंधे - भारत के प्रत्येक नागरिक को चाहिए कि कृषि कार्य एवं उद्योग धंधे को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दें।क्योंकि कृषि एवं उद्योग से ही देश का विकास दर अधिक होता है। वैैैसे हर इंसान के लिए भोजन अत्यंत जरूरी है। इसलिए कृषि कार्य एवं उद्योग धंधे बहुत हीं महत्वपूर्ण है। इसके अलावा स्वास्थ्य भी बहुत जरूरी है। जिस कारण देश को विकसित किया जा सकता है। 


कर व्यवस्था - भारत के कर व्यवस्था ऐसा हो कि कोई भी व्यक्ति कर की चोरी न कर सके। आसानी से कर जमा भी हो जाए। जिसे देश को विकसित करना आसान हो जाएगा।


मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर एवं चर्च के धनों का सही उपयोग - मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, एवं चर्च में इतने धन आते हैं कि इन धनों का प्रयोग करके एक विकसित भारत का निर्माण किया जा सकता है। जिससे आम जनता एवं देश को लाभ हो सके।


जिस प्रकार आम कर्मचारियों का पेशन बंद हो गया है। उसी तरह राजनीतिक नेताओं का पेंशन एवं अन्य सुविधाएं बंद हो। तब जा कर भारत विकसित देशों के श्रेणी में आ सकता है।


निष्कर्ष- पढ़े - लिखें लोग को आगे आकर केवल इतना ही करें कि देश के प्रत्येक नागरिक एक दूसरे से मिल जुल कर एवं सहयोगात्मक रहें। प्रत्येक व्यक्ति देश को विकसित करने में अपना भर पूूूर सहयोग दें।भारत को विकसित देश बनाने में नागरिकों का योगदान (Citizens'  contribution to making India a developed country) अत्यंत जरूरी है। तब जाकर भारत विकसित देशों की श्रेणी में आ सकता है।

गरीबी एवं भुखमरी के रोकथाम के उपाय(Poverty and hunger prevention measures)

गरीबी एवं भुखमरी के रोकथाम के उपाय (Poverty and hunger prevention measures)


हमारे देश के गरीब जनता 19.4 करोड़ लोग आज भी भुखमरी के शिकार हैं। वह प्रतिदिन भूखे सोते हैं। ऐसे भी भूखे सोना उनकी आदत नहीं, मजबूरी है। क्योंकि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या काफी मात्रा में हैं।

ऐसे उन गरीबोंं पर न सरकार और न उन अमीर का ही ध्यान है। ऐसे उन गरीबों के लिए कई योजनाओं की शुरुआत तो किया गया। लेकिन इन योजनाएं में कुछ योजनाएं चल रही है। और कुछ योजनाएं बंद हो गई। फिर भी जो योजना चल रहीं है, उससे कोई लाभ नहीं है। सारी योजनाएं फेल साबित हुई। यह कह लीजिए कि गरीबों तक इन योजना का लाभ पहुंचना मुश्किल है।


इन गरीब एवं भूखे व्यक्तियों के लिए एक ठोस कदम उठाना होगा। ऐसे एक संस्था का निर्माण किया जाना चाहिए जिसमें 19.4 करोड़ गरीबों में से 10 करोड़ गरीबों को कोई ना कोई काम दिया जाना चाहिए। उनसे मेहनत का काम करना चाहिए। जो जैसा हो उस प्रकार का काम करना चाहिए। तब तो उसे दो वक्त की रोटी मिल सकता है। ऐसे भी बहुत सारे काम है। जैसे रस्सी बनाना, दूध उत्पादन, कृषि कार्य आदि बहुत सारा काम है।


जो करके उन के लिए दो वक्त के खाने का इंतजाम करना  सरकार के लिए कोई मुश्किल का काम नहीं है। उन गरीबों के लिए सरकार के साथ-साथ प्रत्येक जनता को भी चाहिए कि उन गरीबों के लिए कुछ सहयोग करें। ताकि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले को कुछ सहायता प्राप्त हो सके।


गरीबी एवं भुखमरी के रोकथाम के उपाय (Poverty and hunger prevention measures) के ठोस कदम



शादी विवाह एवं अन्य कई समारोह या पार्टियां मनाया जाता है:-



शादी विवाह में बहुत सारे लोगो के लिए खाना बनता है। उन खाना में से बहुत से खाने बच जाता है। जो बर्बाद हो जाता है।ऐसे कई संस्थाएं हैं। जो गरीबों के लिए काम करते हैं उन संस्थाओं वालों को बुलाकर, जो खाना बच जाए। तो उन्हें दे देना चाहिए। ताकि भूखे एवं गरीबों में बांट दे। जिसे खाना बर्बाद भी नहीं होगा। गरीब एवं भूखे लोगो की मदद भी हो जाएगा।


ऐसे भी बहुत सारे पार्टियां मनाया जाता है। जिसमेें बहुत सा खाना बर्बाद होता है। इससे खाना भी बर्बाद नहीं होगा। और गरीबों एवं भूखे व्यक्तियों के लिए कुछ सहायता भी हो जाएगा।


 ऐसे बहुत सारे अमीर लोग बड़े बड़े होटलों में खाना खाने जाते हैं। और किसी कारण से खाना नहीं खा पाते है। तो उन खाने को फेकने से अच्छा है कि पैक करवा कर गरीबों में बांट देना चाहिए। ताकि गरीबों को खाना मिल सके।


प्रत्येक घर से केवल प्रतिदिन एक मुट्ठी अनाज देने का निर्णय स्वयं करना चाहिए। जिससे कि गरीबों के कुछ सहायता हो सके।


ऐसा ही Articles पढ़ना चाहते हैं तो एक बार मेरे बेबसाइड www.webhindiduniya.blogspot.com पर जाकर पढ़ सकते हैं।

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हवा को स्वच्छ कैसे करें,7 प्रभावी तरीके।(How to Clean the Air, 7 Effective Methods)

हवा को स्वच्छ कैसे करें,7 प्रभावी तरीके (How to Clean the Air,7 Effective Method)


प्रदूषित हवा को स्वच्छ करना नितांत आवश्यक है। क्योंकि मानव के लिए प्रदूषित हवा हानिकारक होता, और शुद्ध हवा लाभदायक होता है। हमारे जीवन को खुशहाल एवं स्वस्थ रहने के लिए, हवा को स्वच्छ रखना होगा। हवा स्वच्छ नहीं होगा, तो मानवीय जीवन पर संकट हमेशा बना रहेगा। अगर
मानव जीवन पर खतरा तो, सब बेकार है। इसलिए हमें हवा को स्वच्छ करने पर ध्यान आकृष्ट करना होगा।

अगर हवा को स्वच्छ बनाना है, तो हमें मिल जुलकर एक दूसरे के सहयोग के साथ, हवा को स्वच्छ बना सकते हैं। इसके लिए हमें कुछ ठोस कदम उठाने होंगेंं।

हवा को स्वच्छ कैसे करें,7 प्रभावी तरीके। (How to Clean the Air, 7 Effective Methods)
हवा को स्वच्छ कैसे करें,7 प्रभावी तरीके। (How to Clean the Air, 7 Effective Methods)


अधिकांशतः देखा जाता है कि हर बात पर रोड जाम, भारत बंद, बिहार बंद, जिला बंद, आदि। की स्थिति में टायर जलाना यह एक आम बात हो गया है। लेकिन टायर जलाने से हवा प्रदूषित हो जाता है। प्रायः खेती करने के बाद खेतों को जलाना एक परंपरा सा हो गया है। इसे भी हवा प्रदूषित होता है। कचरा जलाना, पानी की बर्बादी, मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआँ,  लकड़ी या कोयला से खाना बनाना,चीमनी, ice mil इससे भी हवा प्रदूषित होता है।


हवा को स्वच्छ कैसे करें,7 प्रभावी तरीके। (How to Clean the Air, 7 Effective Methods)


➡️अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं।

➡️पानी बचाएं।

➡️कागज की बर्बादी न करें।

➡️पॉलिथीन का प्रयोग न करें।

➡️कचरा न जलाएं।

➡️विद्युत उत्पन्न करना।

अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं -: हवा एवं पर्यावरण को स्वच्छ रहने के लिए, हमें अधिक से अधिक मात्रा में वृक्षारोपण करना होगा। ताकि पृथ्वी हरा भरा एवं पृथ्वी का ताप नियंत्रित रहें। इसके लिए हमें पेड़ों की देखभाल करना होगा। तब हमें स्वच्छ हवा मिल पाएगा।

पानी बचाएं- पानी की बर्बादी को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगें। अगर पेड़ों की कटाई नहीं हो, और अधिक मात्रा में पेड़ों को लगाया जाए, तो बरसा अधिक होगा। तो पानी की समस्या कुछ हद तक ठीक हो जाएगा। 

कागज की बर्बादी- कागज बनाने के लिए पेड़ों की कटाई करना आवश्यक हो जाता है। इसलिए कागज की बर्बादी को रोकना अति आवश्यक है। क्योंकि कागज का कम से कम प्रयोग करें। ताकि पेड़ो को कटने से बचाया जा सके। हमेें स्वच्छ हवा मिले।

पॉलिथीन का प्रयोग न करें -: यदि प्रदूषित हवा को स्वच्छ रखने के लिए, हमें पॉलिथीन का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। हम आज से ही शपथ ले की हम कभी भी पॉलिथीन का प्रयोग नहीं करेंगें। क्योंकि सबसे अधिक नुकसान दायक  हैै पॉलिथीन। पॉलिथीन का प्रयोग कर के लोग फेक देते या जला देते हैं। दोनों ही सूरत में हानिकारक है। फेकने के बाद  खेतों को बंजर, नाली को जाम और जलाने के बाद हानिकारक गैस निकलता है। जिसे हवा को प्रदूषित कर देता है।

कचड़ा न जलाएं -: गीला कचड़ा एवं सूूूखा कचड़ा को अलग-अलग रखें। सूूूखा कचड़ा को मिट्टी के गड्डे करके उसमें सूखा कचड़ा डाल कर ऊपर से मिट्टी से भर दे। कचड़े को जलाएँ नहीं। इससे भी हवा स्वच्छ रहता हैं।

विद्युत उत्पन्न करना -: अधिकांश विद्युत उत्पन्न कोयले से ही किया जाता है। जिसे तापिय विद्युुुत कहतेे हैं। इससे भी
हवा प्रदूषित होता है। इसके लिए पनबिजली, सौर विद्युत पवन विद्युत, यूरेनियम विद्युत का प्रयोग किया जाए। ताकि हवा को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।

निष्कर्ष -: प्रदूषित हवा को स्वच्छ करने के लिए उपरोक्त बातों पर ध्यान देना होगा। इसके लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण, पानी बचाएं, कागज की बर्बादी, विद्युत उत्पन्न करने के लिए पवन विद्युत, पनबिजली, यूरेनियम विद्युत, कचड़ा न जलाएँ, पॉलिथीन का प्रयोग न करें। तब हम प्रदूषित हवा को स्वच्छ कर सकते है।

हवा को स्वच्छ कैसे करें,7 प्रभावी तरीके। (How to Clean the Air, 7 Effective Methods)





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धन्यवाद।

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program)

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program) 

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम (Chief Minister School Safety Program) के अंतर्गत मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए समाज सेवा के प्रति समर्पण एवं सर्वांगीण विकास ही शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्धेश्य है। विद्यालय की शिक्षा से ही देश के जिम्मेदार नागरिकों का निर्माण होता है। केवल देश सुरक्षित करना ही समाज सेवा नहीं है, अपितु जन सुरक्षा अति महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program)

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program) 


इसके लिए मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम (Chief Minister School Safety Program) प्रत्येक शनिवार को शुरुआत की गई है। जिसे मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम सुरक्षित शनिवार नाम दिया गया है। जिसमें अनेक प्राकृतिक एवं मानव जनित आपदाएं हैं। जिससे हमें अपने समाज, गांव, राज्य एवं देश को बचाने की आवश्यकता है। इसके लिए विद्यालय के छात्र-छात्राओं को उपयुक्त वातावरण तैयार कर के ही मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम (Chief Minister School Safety Program) को सहायक सिद्ध करना होगा।


मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program) में विद्यालयी बच्चों को आपदाओं के प्रति सजग एवं जागरूक करके न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है, बल्कि उन के माध्यम से परिवार एवं समाज तक पहुंचाया जा सकता है। बच्चों की शिक्षा में ही आपदाओं से संबंधित जागरूकता एवं आपदाओं का सामना करने के लिए विद्यालय के छात्र-छात्राओं को तैयार करना होगा।


बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा शिक्षा विभाग, बिहार सरकार एवं बिहार शिक्षा परियोजना के तहत विद्यालय सुरक्षा की व्यापक कार्यक्रम तैयार किया गया है।

इसके अंतर्गत प्रत्येक शनिवार को प्रत्येक विद्यालय में प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित एवं मानव जनित आपदाओ के बारे में क्या करें, क्या ना करें की जानकारी प्रदान करते हुए। बच्चों,अध्यापक एवं अभिभावकों को किसी भी प्रकार का कोई आपदा हो उससे लड़ने के लिए तैयार किया जाए।

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम (Chief Minister School Safety Program) के  अंतर्गत  प्राकृतिक एवं मानव जनित आपदाएं निम्न है

प्राकृतिक आपदाओं - बाढ़, भूकम्प, आग- लगी, ठनका/ वज्रपात, चक्रवाती तूफान/ तेज आंधी, लू/ गर्म हवाएं, शीतलहर, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन आदि प्रमुख है।

मानव जनित आपदाओं- सड़क/रेल दुर्घटना, नाव  दुर्घटना,भगदड़,बिजली से घात आदि।

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम (Chief Minister School Safety Program) के तहत प्राकृतिक आपदाओं एवं मानव जनित आपदाओं में क्या करें? क्या न करें?

भूकंप के दौरान-

घर से बाहर किसी खुले मैदान या खुली जगह हो तो वहां पर जाना चाहिए।

अगर घर में से निकल नहीं पायें, तो किसी मजबूत फर्नीचर जैसे- मजबूत टेबल, चौकी या बेंच डेस्क के नीचे छुप जायें। अगर टेबल, चौकी, बेंच डेस्क न हो तो कमरे के किसी ऐसे कोने में जाकर बैठ जाएं। जहां पिलर हो।

बिजली से जुड़ी उपकरणों से दूर रहें, यथा संभव हो तो बिजली आपूर्ति को शीघ्र ही बंद कर दें।

ऐसा पूरा प्रयास करें कि घर से बाहर निकल जाएं। बाहर भी ऐसे जगह न खड़े हो, जहां बिजली के खंभे या तार हो।

चलते हुए वाहन में हैं तो यथासंभव जल्द से जल्द रुक जाय एवं वाहन में बैठे रहे। किसी मकान,पेड़, रास्ते पार करने वाले जगह, बिजली के तार के नजदीक या उसके नीचे रुकने से बचें।

बाढ़ के दौरान- 

एक लम्बी लाठी एवं मजबूत रस्सी हमेशा साथ रखें।

मकान हमेशा ऊंची जगह, ऊंंची पिलिन्थ पर ही बनवाएं।

बाढ़ के दौरान खाना ढक कर रखें। हल्का भोजन करें एवं उबला हुआ पानी पियें।

बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री बांटने में मदद करें।

वाटरप्रूफ बैग या आपातकालीन कीट हमेशा अपने पास रखें, जिसमें एक छोटा रेडियो, टॉर्च, बैटरी, मजबूत रस्सी, माचिस, मोमबत्ती, पानी, सुखा भोजन एवं अन्य जरूरी कागजात, महंगे समान, जरूरी दस्तावेज, चीनी और नमक अपने साथ रखें।

ठनका/ वज्रपात से बचाव के उपाय 

यदि आप खुले में हैं तो शीघ्र ही मकान में ही आश्रय लें।

ऊंचे वृक्ष या ऊंचे टॉवर आदि के नीचे न खड़े रहें।

सफर के दौरान गाड़ी में ही रहें।

अगर खुले स्थान पर हैं और आसपास घर नहीं है तो जमीन पर दोनों पैरों को आपस में सटा लें और दोनों हाथों को घुटने पर रखकर अपने सिर को जमीन के तरफ यथासंभव झुका लें। तथा सिर को जमीन से न सटाएंं।

लू एवं गर्म हवाएंँ से बचने के उपाय

गर्मी के दिनों में पानी भरपूर पीयें। अगर प्यास नहीं भी लगा है तब भी पानी अवश्य पीयें। इससे लू लगने की संभावना नहीं होता है।

हल्के रंग के कपड़े पहने चाहिए।

हल्के भोजन करना चाहिए।

कठिन कार्यों से बचें।

विद्यालय के बच्चों को 11:30 में छुट्टी हो जाना चाहिए। ताकि 12:00 बजे तक बच्चे अपने घर पहुंच जाएं।

आगलगी से बचाव हेतु उपाय

आग लगने पर ग्रामीण समाज के लोगों का सहयोग से आग बुझाने का प्रयास करना चाहिए।

आग बुझाने के लिए दो बोरी बालू या सुखी मिटटी बोरे में भरकर विद्यालय के किचन के बाहर रखा रहना चाहिए।

गैस में आग लगा है तो सर्फ के पानी आग लगे गैस पर फेंकने से बुझ जाता है।

शीतलहर/ ठंड से बचाव के उपाय 

विद्यालय के सभी बच्चों को गर्म कपड़े पहन कर आने के लिए कहा जाना चाहिए।

लंच के समय बच्चे को अधिक समय तक बाहर खेलने के लिए अनुमति नहीं देना चाहिए।

शरीर में ऊष्मा के प्रवाह को बनाए रखने के लिए पौष्टिक आहार एवं गर्म पेय पदार्थों का सेवन करें।

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program) 


स्त्रोत- बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के द्वारा मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program) 
(सुरक्षित शनिवार)



बैंक प्रोबेशनरी ऑफिसर की तैयारी कैसे करें(How to Prepare Bank Probationary Officer.)

बैंक प्रोबेशनरी ऑफिसर की तैयारी कैसे करें (How to Prepare Bank Probationary Officer.)


बैंक प्रोबेशनरी ऑफिसर की तैयारी कैसे करें(How to Prepare Bank Probationary Officer.) उन सभी बेरोजगारों के मन में बैंक पी ओ के पदों को प्राप्त करना चाहते हैैं। जो भारत के राष्ट्रीयकृत बैंकों में पी ओ के पदों में रुतबा एवं सम्मान है।


बैंक पी ओ की नौकरी प्राप्त करने के लिए समय-समय पर रोजगार समाचार एवं समाचार पत्रों में विज्ञापन आते रहता है।


बैंक प्रोबेशनरी ऑफिसर की तैयारी कैसे करें(How to Prepare Bank Probationary Officer.) 


बैंक पी ओ के लिए योग्यता -: बैंक पी ओ के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता, किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री या उसके समकक्ष डिग्रियां होना चाहिए।


बैंक पीओ के लिए उम्र सीमा -: कोई राष्ट्रीयकृत बैंक हो या कोई प्राइवेट बैंक हो उम्र सीमा 21 वर्षों से 30 वर्ष तक निर्धारित की गई है। इसमें कुछ खास लोग जो आरक्षण में आते हैं। उन्हें कुछ उम्र सीमा में छूट भी रहता है। 


बैंक पी ओ की परीक्षा -: बैंक पी ओ की परीक्षा तीन चरणों में होता है। 


प्रारंभिक परीक्षा 

मुख्य परीक्षा 

इंटरव्यू


प्रारंभिक परीक्षा -: इस परीक्षा में मैथ, रिजनिंग, इंग्लिश, के वस्तुनिष्ठ (ऑब्जेक्टिव) टाइप के प्रश्न होते हैं। प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नों का माध्यम हिंदी एवं इंग्लिश में होता है। इन प्रश्नों को हल करने के लिए 60 मिनट का समय निर्धारित श हैं। इस परीक्षा में केवल कॉलिंफाइ होना होता है। इसमें नकारात्मक अंक का प्रावधान होते हैं।



मुख्य परीक्षा-:  बैंक पी ओ की मुख्य परीक्षा में वस्तुनिष्ठ प्रश्न होते हैं। इसमें रिजनिंग, कंप्यूटर, डाटा एनालिसिस, जनरल अर्थशास्त्र, बैंकिंग, अंग्रेजी लैंग्वेज से संबंधित प्रश्न पूूछे जाते हैं। इन प्रश्नों को हल करने के लिए 3 घंटे का समय निर्धारित रहता है। इसमें भी नकारात्मक प्रश्न का प्रावधान होते हैं।


वर्णनात्मक परीक्षा -: वर्णनात्मक परीक्षा में अंग्रेजी लैंग्वेज, इंग्लिश ग्रामर, लेटर राइटिंग, एस्से, से प्रश्न होते हैं। जो विषयनिष्ठ लिखना होता है। इसके लिए 60 मिनट का समय निर्धारित होता है।


इंटरव्यू -: इंटरव्यू 30 अंको का होता है। जिसमें आंकड़ों से संबंधित प्रश्न होते हैं।



तैयारी की रणनीति -: किसी भी बैंक पी ओ की परीक्षा के लिए हमें प्रतिदिन एक या दो सेट का अध्ययन कर। उसका मूल्यांकन करना चाहिए। जो भी गलत या कठिन हो उसको नोटबुक (कॉपी) पर लिखें। परीक्षा के समय नोटबुक (कॉपी) पर लिखेे हुए प्रश्नों को निरंतर पढ़ते रहें।


➡️रिजनिंग के प्रत्येक पाठों को ध्यानपूर्वक अभ्यास एवं आत्मसात करना चाहिए।


➡️अंग्रेजी वर्णमाला के कौन से वर्ण का कौन सा अंक होता है। उसको आत्मसात करें। जैसे  A- 1, B-2, C-3, D-4, ....... आदि।


➡️अपने दाएं एवं बाएं वाले रिजनिंग को अभ्यास करें।


➡️दिशानिर्देश का कंसेप्ट क्लियर करें।


➡️पिछले कुछ सालों के क्वेश्चन बैंक को हल करें। कठिन या नहीं आ रहे प्रश्नो को कॉपी पर लिखने के बाद निरंतर अभ्यास करते रहें।


➡️प्रश्नों को हल करने से पहले बढ़िया से समझना चाहिए।


➡️आसान प्रश्नों का हल सावधानी पूर्वक पहले करें।


➡️कठिन प्रश्नों का उत्तर बाद में देने का प्रयत्न करें।


➡️परीक्षा में कम प्रश्नों का उत्तर दें। लेकिन जो भी बनाए सही बनाएं। परीक्षा में कठिन प्रश्नों में ज्यादा समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। 


➡️पिछले कुछ सालों का क्वेश्चन बैंक बनाने से आत्मविश्वास बढ़ता है। उसे जरूर बनाएं।


➡️बैंक पी ओ की सफलता के लिए स्पीड बहुत मायने रखता है। बैंक पी ओ की परीक्षा की तैयारी शुरू करते समय ही मेंस और इंटरव्यू पर भी ध्यान देना जरुरी होता है।


➡️प्रतिदिन एक प्रश्न सेट अवश्य बनाएं। सेट बनाने से स्पीड बढ़ता है। 


➡️इस परीक्षा की तैयारी की बेहतर रणनीति हो सकता है।स्वयं अध्धयन करना।


➡️टेस्ट सीरीज हमेशा बनाते रहना चाहिए।


बैंक प्रोबेशनरी ऑफिसर की तैयारी कैसे करें(How to Prepare Bank Probationary Officer.)

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध ( Independence Day.)

स्वतंत्रता दिवस  Independence Day.

प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता दिवस Independence Day मनाया जाता है। इसी दिन ब्रिटिश शासन के 200 वर्षों के गुलामी के बाद भारतीय नागरिक को स्वतंत्रता( Independence) यानी आजादी मिली।

सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव(Impact on social media society)

उसी दिन से प्रत्येक वर्ष भारत के प्रधानमंत्री लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र के नाम संबोधन करते हैं। झांकियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। उस दिन से प्रत्येक भारतीय सरकारी दफ्तर, विद्यालय, निजी भवन आदि पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।

स्वतंत्रता दिवस ( Independence Day.)
स्वतंत्रता दिवस ( Independence Day.)


सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव(Impact on social media society)

यह एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। उस दिन प्रत्येक व्यक्ति देशभक्ति गीत या देशभक्ति फिल्म देखते हैं। यहीं नहीं देशभक्ति कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। और उस दिन भारत का राष्ट्रीय मिठाई जलेबी खाया जाता है।

महिला सशक्तिकरण

इस दिन प्रत्येक व्यक्तियों के लिए खुशी के दिन होते हैं। क्योंकि बहुत ही कड़े संघर्ष और बलिदान के बाद हमें स्वतंत्रता Independence मिली। आज जो हम आजादी में सांस ले रहे हैं। उन सभी क्रांतिकारी बंधुओं को शत शत नमन, जो हमारे देश को आजादी दिलाने में उनका एक छोटा सा भी योगदान रहा हो।

ऐसे हमारे क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, आदि। स्वतंत्रता (Independence) दिलाने में इन पुरुषों का योगदान महत्वपूर्ण था। ऐसे बहुत से क्रांतिकारी जिनका नाम हम लोग नहीं जानते हैं। उन सभी क्रांतिकारियों भाइयों को दिल से नमन करता हूँँ।

आज पूरे हिंदुस्तान को आजादी/ स्वतंत्रता (Independence) के लिए एक नारा भारत छोड़ो आंदोलन के आह्वान पर पूरे देश की जनता ने भाग लिया। इसमें छात्र, नौजवान, किसान, मजदूर एवं नौकरी पेशे आदि हर एक वर्ग के लोग शामिल हुए हैं। आजादी/स्वतंत्रता (Independence) की चाह ने एकजुटता के साथ संघर्ष किए हैं।

भारत को आजादी की चाह क्यों

हमारे देश की जनता को ब्रिटिश शासन के द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल किया जाने से भारतीय जनता काफी नाराज थे। और भारतीय जनता युद्ध में भाग लेना नहीं चाहते थे। इसके बावजूद भी ब्रिटिश शासन काल के प्रशासन के द्वारा जोर जबरदस्ती करके द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय जनता को शामिल किया। इस वजह से भारतीय लोगो को  स्वतंत्रता  (Independence) मन में खलने लगा।

पहले से ही किसान, मजदूर, छात्र, नौजवान, बिट्रिश प्रशासन से त्रस्त थी। उसके बाद भारत को द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल करने से पूरे भारतीय जनता त्रस्त होने लगी। जिस कारण से भारत को आजादी की चाहत सन 1947 में बहुत जोरदार संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को आजादी/स्वतंत्रता (Independence) मिली। और 15 अगस्त का दिन ऐतिहासिक हो गया।

सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव(Impact on social media society)

सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव (Impact on social media society)

आज विश्व में सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव (Impact on social media society) की एक अलग पहचान बन गया है। जो किसी भी प्रकार का कोई भी वीडियो, ऑडियो, फोटो या लिखा हुआ मैसेज आदि। सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल किया जा सकता है।

 इस वायरल का मतलब क्या है?


इस वायरल का मतलब यह है कि प्रत्येक मैसेज को प्रत्येक व्यक्ति के पास पहुंचाना ही सोशल मीडिया है।

आज सोशल मीडिया का लिंक बहुत सारे हैं। इसमें Facebook, WhatsApp, Twitter आदि प्रमुख लिंक हैं।

सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव(Impact on social media society) सोशल मीडिया पर पहले केवल युवा पीढ़ी को ही देखा जाता था। लेकिन आज की स्थिति ऐसा है कि इसमें बड़े, बुजुर्ग भी सोशल मीडिया पर देखे जा रहे हैं।


आज सोशल मीडिया समाज को पूरी तरह जकड़ लिया है
आज विश्व के अधिकांश भाग में सोशल मीडिया अपना आधिपत्य जमा लिया है। जैसे - ऑफिस, स्कूल, घर, कॉलेज या अन्य किसी भी सरकारी ऑफिस सोशल मीडिया ने घेर लिया है।

सोशल मीडिया के लाभ -:  

आज विश्व में आप किसी भी स्थान पर हैं। तो एक दूसरे से अकेला या सामूहिक रूप से बात कर सकते हैं। यही नहीं आजकल ऑफिस के कोई भी पत्र निकलता है, तो तुरंत ही सोशल मीडिया पर डाल दिया जाता है। जिससे हमें लाभ होता है। कोई भी राजकीय पत्र या अन्य किसी भी प्रकार के कोई लेटर आदि की जानकारी हमें तुरंत ही प्राप्त हो जाता है।

सोशल मीडिया से हानि-:

सोशल मीडिया पर आज बहुत से लोग अपना कीमती समय को बर्बाद कर रहे हैं। जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अधिकतर लोग एक दूसरे के घर जाना पसंद नहीं कर रहे हैं। क्योंकि सोशल मीडिया के माध्यम से केवल मैसेज कर देते हैं। वह अपने समय को घर बैठ कर ही बर्बाद करते रहते हैं। और केवल मैसेज भेजते रहते हैं।

सोशल मीडिया के कारण व्यक्ति का मस्तिष्क क्षण क्षण बदलते रहता है। इस कारण व्यक्ति के मस्तिष्क धीरे-धीरे सोचने की क्षमता में कमी आने लगता है। फिर वह ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है। व्यक्ति का मस्तिष्क सुषुप्तावस्था में चला जाता है। मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है।

सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव(Impact on social media society)

जिस कारण लोगों को यह सलाह दिया जाता है कि सोशल मीडिया नेटवर्क पर अधिक समय बर्बाद न करें। वास्तविकता की ओर हमेशा ध्यान रखे। किसी भी काम को न अधिक, न कम करने चाहिए। हमेेेशा बीच का मार्ग अपनाना चाहिए।


सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking)

सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking)

आज सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking) से संसार में बहुत से लोगो के विचारों में शुद्धता और कार्य में निष्ठा वाले मनुष्य जीवन में सफल हुए। उस सफलता का मूल मंत्र मनुष्य अपने सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking) या सकारात्मक सोच की शक्ति से जीवन को बेहतर बनाया।

सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking)
सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking) 

सकारात्मक सोच -: सकरात्मक सोच में इंसान अच्छाई, भलाई, सहायता करना या हमेशा बढ़ियां कार्य सोचते रहते हैं। जो इंसान सकारात्मक सोचते हैं। वह बहुत आगे बढ़ते हैं। और जो इंसान नेगेटिव सोचते हैं। वह कभी आगे नहीं बढ़ते हैं। यानी बुराई, ईर्ष्या एवं जलनशीलता के कारण वह इंसान कभी आगे नहीं बढ़ते हैं।

सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking)


बाल मजदूरी रोकने के उपाय
 पानी को कैसे बचाएं
 पर्यावरण संरक्षण 


आज से ही अपने विचारों में शुद्धता, कार्य में निष्ठा एवं  सकारात्मक सोच वाले इंसान बनने के प्रयास करे। ताकि आपको भी सफलता यथा शीघ्र प्राप्त हो सके।


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जो मनुष्य अच्छा सोच यानी सकारात्मक सोच की अद्भुत शक्ति को पहचान लिए हैं। वह इंसान सब कुछ प्राप्त कर सकता है। जो इंसान सकारात्मक सोच वालेे होते हैं। वह जो भी इक्क्षा की कामना करते हैं। तो उस इच्छा को पूरी करने के लिए आसपास के लोग, आकाश-पाताल, वातावरण, यहां तक कि ब्रह्मांड भी उस सकारात्मक सोच या अच्छे विचारों वाले 
व्यक्ति की इक्क्षा पूरी करने के लिए, यह सारी ताकते इक्क्षा को पूरी करने में लगा देते हैं।


स्वच्छ भारत अभियान को कैसे सफल बनायें (7 प्रभावी तरीके ) कन्या भ्रुण हत्या(female foeticide) जनसंख्या को कैसे नियंत्रण करें ( How to control population.)


सकारात्मक सोच के फायदे


जिस इंसान ने विचारों में शुद्धता और कार्य में निष्ठा रखते हो उस इंसान को अपने जीवनकाल में कभी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता है। अपने जीवन काल में कैसा भी परिस्थिति हो वह अपने आप को बेहतर रखते हैं।

सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking)

सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking)




सकारात्मक सोच की कला  


यह एक कला है। बखूबी सकारात्मक सोच की कला सभी इंसान को समझने की जरूरत है। जो इस कला को समझ गया। वह काफी खुशहाल और अच्छा व्यक्तित्व का इंसान बन चुका है। यह कला सीखना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप मोटिवेशन बुक पढ़ सकते हैं।


विचारों में शुद्धता क्या है ? 


विचारों में शुद्धता को हम सीधे और आसान शब्दों में हम कह सकते हैं। अच्छा सोच वाले व्यक्ति हमेशा अपने जीवन में दूसरों के प्रति भलाई, सहायता या सहानुभूति रखते हैं। इस विचार वाले व्यक्ति जीवन में सफल होते हैं।


कार्य में निष्ठा क्या है ?


व्यक्ति अपने कर्मों पर विश्वास करते हैं। कर्मो पर विश्वास करने वाले, व्यक्ति ही जीवन में सफलता के सीढ़ियां चढ़ना आसान कर देते और एक अच्छे जीवन का शुरूआत करते हैं।


सकारात्मक सोच की कहानी


एक मित्र के जन्म दिन कुछ दिनों के बाद था। फिर एक दूसरे मित्र ने सोचा कि उसके जन्मदिन के अवसर पर, मैं सबसे बढ़िया उपहार दूंगा। लेकिन उसके पास पैसा नहीं था। फिर भी उसका सोच सकारात्मक था। जन्म दिन आते-आते उसके पास पैसा आ गया। और वह जन्म दिन के अवसर पर बहुत बढ़िया उपहार दिया। यह उसका सकारात्मक सोच का ही प्रभाव था कि उस लड़का के पैसा न रहते हुए, भी उसे पैसा कहीं ना कहीं से प्राप्त हो गया। उस पैसे को प्राप्त करने के लिए उसका सोच सकारात्मक था। यह सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking) था। 

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निष्कर्ष -: सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking) हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी है। प्रत्येक मनुष्य को सकारात्मक सोच के महत्व केेे बारे में जानकारी होनी चाहिए। तथा सकारात्मक सोच के लाभ से प्रत्येक नागरिक को एक अच्छा इंसान बन सकते हैं।


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कन्या भ्रुण हत्या(female foeticide)

कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide)     

भारत के अधिकांश हिस्सों में पढ़े लिखे लोगों की संख्या अधिक होने के बावजूद भी कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) क्यों ? इस विषय में सोचना अति आवश्यक है। हमारे समाज में बहुत सी कुरीतियां हैं इन कुरीतियों को दूर करने की जरूरत है। 

कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) अधिकांश हर वर्ग या समाज में हो रहे हैं। इसके लिए लोगों को जागरुक करना अति आवश्यक है, आज हम लोग कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) के बारे में जानेंगे।

कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) के कारण -:

लड़की के जन्म लेते ही माता-पिता पर बोझ हो जाती है। क्योंकि दहेज के रूप में उन्हें बहुत बड़ी रकम देना पड़ता है। इसकी वजह से वह कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) जैसे अपराध करने के लिए तैयार हो जाते हैं। इसके अलावा हमारे समाज के कुछ व्यभिचारी व्यक्ति अपने गंदे मनसे के साथ लड़कियों को हवस का शिकार बनाते हैं। जिस दिन यह दो सामाजिक बुराइयां खत्म हो जाएगा। फिर कोई कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) नहीं होगा।
                      
                      1) दहेज प्रथा
                      2)लड़कियों का सुरक्षा    

 कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) क्या है ? 

आज के इस महान वैज्ञानिकरण के तकनीक के कारण जन्म से पहले यह जान लेते हैं कि हमारे जीवन में आने वाला बच्चा लड़का या लड़की है। अब क्या होता है। यदि पेट में पल रहे बच्चा लड़की हुई, तो तुरंत ही कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) , गर्भपात या अन्य कारण से नष्ट करना निश्चित करते हैं। अगर लड़का हुआ तो खुशी से झूम कर मिठाइयां और पैसे बांटते हैं। 

यह लड़के और लड़कियों में अंतर करते हैं। अनपढ़ माता-पिता अधिकतर लड़के और लड़कियों में भेदभाव करते हैं। लेकिन कहीं-कहीं देखा जा रहा है कि पढ़े लिखे लोग भी लड़के और लड़कियों में भेदभाव करते रहते हैं।

एक ग्रामीण गांव में जब हम घूमने गए थे। तब वहां हमें पता चला कि लड़कों को प्राइवेट विद्यालय में पढ़ाते हैं। और लड़कियों को सरकारी स्कूलों में। क्योंकि उनका यह मानना है कि लड़का प्राइवेट में पढ़ेगा तो कुछ आगे बन जाएगा। लेकिन अधिकांश लड़कियां पढ़ने में बहुत तेज होती हैं। यहां हमारे समाज लड़का और लड़की में यह अंतर करते हैं।

भारत तकनीक क्षेत्रों में काफी तीव्र गति से प्रगति कर रहा है। बहुत से टेक्नोलॉजी का विकास हुआ। लेकिन आज भी बेटियों को लेकर हमारी सोच अब तक नहीं बदली। उस विकास के प्रयोग से हमें हमेशा सहायता ही मिला है। लेकिन इसका प्रयोग हम गर्भ में पल रही बेटी की हत्या के लिए इस विकास का उपयोग करना बेहतर समझा। यदि केवल बेटा ही बेटा यानि पुरुषों का समाज वहां महिला एक भी नहीं होंगी, तो हम अपने जीवन को आगे नहीं बढ़ा सकते।  क्योंकि जीवन  को आगे बढ़ाने के लिए स्त्री और पुरुष दोनों का होना अनिवार्य है। अगर केवल पुरुष ही समाज में रहेगा तो परिवार नहीं बन पाएगा। क्योंकि हमारे समाज में कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) बहुत तेजी से हो रहा है।

आज भी यहां के लोगों का विचार रुढ़िवादी है। सोच रुढ़ीवादी और कल्पना करते हैं। भारत एक विकसित देशों के श्रेणी में आए। यह तभी होगा जब सोच अच्छा होगा। हमारे समाज में आज भी लड़का और लड़की में भेदभाव किया जाता है। बहुत से माता-पिता भी लड़को और लड़कियों में अंतर करते हैं।

सामाजिक भेदभाव -: आज भी भारतीय समाज में एक गंदी सोच के कारण कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) निसंकोच ही कराते हैं। भारतीय समाज में औरतों को दबाव बनाकर उन महिलाओं से गर्भपात कराने के लिए मजबूर कराते हैं। कुछ महिलाएं स्वयं से भी गर्भपात कराने के लिए तैयार हो जाती हैं।


भारत में कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) के परिणाम -:

आज भारत में कन्या भ्रुण हत्या (femalefoeticide)
के कारण लिंगानुपात में बहुत कमी आई है। जिसके कारण भारत में 1000 पुरुष पर 940 महिलाओं की संख्या है। अगर राज्यो का निर्धारण करें, तो हरियाणा, पंजाब, गुजरात, बिहार आदि। राज्यों में लिंगानुपात में काफी कमी आई है।

कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) के परिणाम निम्न है।

लड़कियों की संख्या में कमी-: समाज से लड़कियों की संख्या में लगातार कमी दिख रही है। शादी के लिए लड़कियों की संख्या में काफी कमी है। हरियाणा के लिंगानुपात 1000 पूरुष पर 798 महिला है। बहुत लड़को की शादी नहीं हो पाएगा। कन्या भ्रुण हत्या(female foeticide) का परिणाम है।

महिलाओं में अनेकों रोग का कारण -: यदि एक महिला गर्भपात कराती है, तो उसका शरीर कमजोर हो जाता है। कमजोरी के कारण अनेकों रोग पकड़ लेता है। जिस कारण अधिकांश कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) के दौरान ही उनकी मृत्यु हो जाती है।

कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) पर कानून -:

भारत सरकार के द्वारा लाख कोशिश करने के बाद भी कन्या भ्रूण हत्या में कमी नहीं आई। कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) एक दंडनीय अपराध है। भारत सरकार द्वारा कानून बनाया गया है कि गर्भ में लिंग का पता लगाना एक कानूनी रूप से दंडनीय अपराध है। यदि किसी महिला को गर्भ जांच ने के लिए मजबूर किया गया तो उस महिला को सजा नहीं दिया जाएगा। लेकिन जो व्यक्ति मजबूर करते हैं। उन्हें सरकार द्वारा तीन साल की सजा और ₹10000 जुर्माना देना पड़ता है। डॉक्टर के क्लीनिक में किसी महिला को गर्भपात कराते पकड़े जाने पर उनका लाईसेंस खत्म ,जुर्मना और कड़ी सजा हो सकता है।

निष्कर्ष -: भारतीय समाज में कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) अपने चरम पर है। जिस कारण लड़की की संख्या में कमी होना निश्चित है। एक ऐसा समाज का निर्माण होगा कि केवल लड़कों की संख्या में वृद्धि होते जाऐगा। और नारी विहीन समाज की स्थापना हो जाएगा। ऐसे बहुत विडंबना है कि हमारे समाज में स्त्रियों को देवी के रूप में पूजा जाता है। लेकिन वहीं समाज कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) करके लोग अपराध भी कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए समाज की दो गंंदे कुरीतियों को दूर करना होगा।

                      1) दहेज प्रथा
                      2)लड़कियों का सुरक्षा 

जिस दिन समाज में दहेज प्रथा और लड़कियों का सुरक्षा के लिए समाज और जन मानस तैयार हो जाता है। उस दिन से कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) खत्म होना निश्चित है।

जनसंख्या को कैसे नियंत्रण करें ( How to control population.)

     जनसंख्या को कैसे नियंत्रण करें।
 ( How to control population.)

आज विश्व के सामने अगर सबसे बड़ी चुनौती है, तो वह है जनसंख्या को कैसे नियंत्रण करें। ( How to control population.) यदि जनसंख्या पर नियंत्रण हो जाए तो वह सारी सुविधाएं हमें प्राप्त होने लगेंगे। जो हमें नहीं प्राप्त हो रहे हैं। जैसे -: नौकरी, उद्योग, कृषि एवं बेरोजगारी आदि। यही नहीं कृषि उत्पाद खाने से अधिक होने लगे तो बाहर के देशों में बेचा भी जा सकता है। जिससे देश आर्थिक रुप से संपन्न हो सकता है। और विकसित देशों की श्रेणी में आ सकता है।

जनसंख्या वृद्धि क्या है ?

एक निश्चित भू भाग पर रहने वाले मनुष्यों में अधिक मनुष्य हो जाना ही जनसंख्या वृद्धि कहलाता है। जिस कारण निश्चित भू भाग निश्चित ही रहेगा। जन मानस की संख्या बढ़ेगा, तो निश्चित भूभाग नहीं बढ़ेगा। क्योंकि जनसंख्या बढ़ने का मतलब उस निश्चित भू भाग में कमी, उस कमी को पूरा करने के लिए इंसान खेती योग्य भूमि पर निवास करना अनिवार्य हो जाता है। अब खेती योग्य भूमि की कमी होना स्वभाविक है। यदि खेती न होने पर मानव के लिए गेहूं, चावल और अनाज की कमी हो जाना निश्चित है। इसलिए जनसंख्या को कैसे  नियंत्रण करें।

जनसंख्या वृद्धि के कारण-:

शिक्षा के अभाव -: अधिकांश लोग शिक्षा के अभाव में ही जनसंख्या में वृद्धि करते हैं। क्योंकि शिक्षा नहीं होने के कारण व्यक्ति को समझ नहीं होता है। यदि वह शिक्षित है तो इस बात पर बहुत गंभीरता से सोचता है, कि अधिक जनसंख्या या अधिक बच्चे को जन्म देने से बढ़िया है, कि एक या दो बच्चे को पालन पोषण सही ढंग से किया जाए। क्योंकि इतनी महंगाई में अधिक जनसंख्या बढ़ाना मूर्खता है।

बेरोज़गारी -: जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण बेरोजगारी है। क्योंकि बेरोजगार व्यक्ति का कोई काम धंधा नहीं होने के कारण अधिकांश समय इधर-उधर घूमते या घर में ही रहते हैं। घर में रहने के कारण अधिकांश समय वे अपनी परिवार के साथ रहते हैं। जिस कारण जनसंख्या में वृद्धि हो जाता है। क्योंकि उनके पास मनोरंजन का कोई साधन नहीं है। ऐसा अधिकतर गरीब परिवार में ही देखने को मिलता है।

समझदारी की कमी -: कुछ ऐसे महानुभाव होते हैं। जिनके पास शिक्षा और रोजगार होने के बाद भी लगातार जनसंख्या में वृद्धि करते रहते हैं। क्योंकि वह बच्चे को जन्म देते रहते हैं। और कहते हैं, कि वह अपने भाग्य लेकर आया है। भगवान की देन या अल्लाह की देन भी कहा करते हैं। जिस कारण जनसंख्या में वृद्धि होना लाजमी है। इसमें मनुष्य को अपनी समझदारी का प्रयोग करना चाहिए।

जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम -: 

जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम बहुत ही भयानक है। इसे अनेकों समस्याएं उत्पन्न होती है। वैसे आज कोई ऐसा शहर नहीं जहां की सड़कों पर जाम न लगता हो। प्रतिदिन सड़कों पर जाम मिलता है। आवागमन में घंटों जाम में फंसा रहना। जनसंख्या वृद्धि के कारण मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए खेती योग्य भूमि की कमी होना, पर्यावरण को हानि पहुंचाना, पानी की कमी, ऊर्जा की कमी, पृथ्वी के ताप में वृद्धि आदि प्रमुख दुष्परिणाम है।

 मनुष्य की आवश्यकताएं-: जैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि हो रहा है। वैसे-वैसे मनुष्य की आवश्यकताएं भी बढ़ रहा है। मनुष्य की आवश्यकताओं के लिए जंगलों को काट कर घर बनाना, ऊर्जा की खपत, खेती योग्य भूमि पर भवन निर्माण
के कारण उत्पादन में कमी, कोयले से तापीय विद्युत उत्पन्न करना, रोजगार एवं नए अवसर आदि की आवश्यकता, मनुष्यों के लिए बहुत जरूरी है।

पर्यावरण पर प्रभाव -: जनसंख्या वृद्धि के कारण पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी के ताप को बनाए रखने के लिए एक निश्चित क्षेत्र में वनों का होना आवश्यक है। क्योंकि पेड़ों की कटाई आना धुन, दिन-प्रतिदिन होते जा रहा है।और
कल कारखाने, मोटरसाइकिल, चिमनी एवं गाड़ीयों आदि से हानिकारक गैसे निकल रहा है। जिससे कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, क्लोरो फ्लोरो कार्बन आदि के कारण पृथ्वी के ताप में लगातार वृद्धि होते जा रहा है।

 वैमनस्य की प्रवृति-: जनसंख्या वृद्धि के कारण रोजगार या नौकरी के अवसर न होने से लोगो में वैमनस्य की प्रवृति या अपराध ज्यादा बढ़ गया है। अधिकतर रात या सुनसान जगहों पर छीन झपट होते रह रहा है। यह सब जनसंख्या वृद्धि के कारण ही हो रहा है।

 जनसंख्या नियंत्रण कानून -:

किसी भी देश के लिए जनसंख्या वृद्धि कानून बनाना अति महत्वपूर्ण है। क्योंकि सीमित संसाधन है, तो सीमित संख्या भी होना चाहिए। सरकार को इसके लिए एक बहुत ही कठोर कानून व्यवस्था लागू करना चाहिए। जिससे आम नागरिकों एवम खास नागरिकों को डर बना रहे।

जनसंख्या को कैसे नियंत्रण करें ( How to control population.)-:


जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण करने की उपाय निम्न है -: 


गर्भ निरोधक

शिशु मृत्यु दर में कमी

बंध्याकरण

संभोग स्थगन

गर्भपात

एक शिशु पद्धति अपनाना

छोटा परिवार खुशहाल परिवार

निष्कर्ष-: आज भारत की जनसंख्या विश्व में दूसरे नंबर पर है। यह कुछ ही वर्षों के बाद यह विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से एक नंबर पर हो जाएगा। आज भारतीय सरकार एवं जनता  को जागरुक होना अति आवश्यक है। क्योंकि जब तक भारतीय लोग को समझ में आएगा कि जनसंख्या वृद्धि खतरनाक है। तब तक बहुत देर हो जाएगा। इसके लिए कठोर कानून एवं अनेक कार्यक्रम के तहत जनता को प्रोत्साहित करना चाहिए। ऐसे कोई भी सरकार हो जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देने ही चाहिए। उसके साथ साथ जनता को भी जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देना अति आवश्यक है।

तो इस लेख में जनसंख्या को कैसे नियंत्रण करें ( How to control population.) के बारेे जानकारी मिली।


बाल मजदूरी रोकने के उपाय
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पर्यावरण संरक्षण
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शिक्षा
नारी शिक्षा के प्रति जागरूपता
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स्वच्छ भारत अभियान को कैसे सफल बनायें (7 प्रभावी तरीके ) How To Make A Clean India Campaign Successful ( 7 Effective Ways)

स्वच्छ भारत अभियान को कैसे सफल बनायें (7 प्रभावी तरीके ) How To Make A Clean India Campaign Successful ( 7 Effective Ways)


भारत सरकार के द्वारा 2 अक्टूबर 2014 के महात्मा गांधी के 145 वी जन्मदिवस के अवसर पर स्वच्छ भारत अभियान को कैसे सफल बनायें ( 7 प्रभावी तरीके) की शुरुआत। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कर कमलों द्वारा प्रतिपादित किया गया। उन्होंने भारत को स्वच्छ बनाने के लिए देशवासियों को संबोधित किया। इस अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच एवं साफ सफाई पर ध्यान देने के लिए कहा गया।
स्वच्छ भारत अभियान को कैसे सफल बनायें (7 प्रभावी तरीके )
स्वच्छ भारत अभियान को कैसे सफल बनायें (7 प्रभावी तरीके )

ऐसे मुख्य रूप से खुले में शौच मुक्त भारत बनाने का सपना महात्मा गांधी ने देखा था। महात्मा गांधी जी के द्वारा खुले में शौच एवं साफ-सफाई को देखकर हमेशा चिंतित रहते थे। और उन्होंने अपनी कार्यक्रम में हमेशा खुले में शौच एवं साफ-सफाई के महत्वों के बारे में बताया करते थे। वह हमेशा स्वच्छता के प्रति तत्पर रहते थे। वह स्वयं साफ-सफाई करते रहते थे।  इस अभियान को  2 अक्टूबर 2019 तक महात्मा गांधी की 150 वी जयंती के अवसर पर खुले में शौच मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इसमें कई करोड़ रुपए की लागत से शौचालय का निर्माण कराया गया।

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शिक्षक कक्षा कक्ष का संचालन कैसे करें।

कहा जाता है कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। यह तब होगा जब आप स्वस्थ रहेंगे। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ रहना होगा। स्वच्छता संबंधी कार्य के लिए कर्मचारी एवं शिक्षकों को स्वच्छ भारत बनाने के उद्देश्य के लिए कार्यो में लगाया गया था। swachh bharat mission gramin के लिए प्रत्येक पंचायत के गांव  में सामुदायिक शौचालय निर्माण कराया गया। इसके अलावा गरीबों के लिए के घर-घर शौचालय का निर्माण कराया गया।

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स्वच्छ भारत अभियान को कैसे सफल बनायें ( 7 प्रभावी तरीके)  निम्न है -:


➡️बीमारियों को दूर करना-:  जहां गंदगी रहता है, वहां अनेकों बीमारियां होती हैं। इसलिए स्वच्छता एवं साफ सफाई पर हमेशा ध्यान देना चाहिए। अपने घर को साफ रखें। अपने बाहर अगल बगल साफ सुथरा रखें। जिससे कि जल्दी कोई बीमार न पड़े। अगर आप स्वस्थ हैं, तब तो सब ठीक है। अन्यथा बीमार पड़ने पर सब बेकार है।

जीवन के सक्सेज मंत्र ।
विद्यालय के छात्र छात्राओं को कक्षा कक्ष में कैसे बैठना चाहिए। 

➡️स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत पर भाषण-: अगर समाज , राज्य एवं देश को विकसित करना चाहते हैं, तो स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत का निर्माण करना अति आवश्यक होगा। केवल भाषणबाजी पर काम नहीं चलेगा। स्वच्छ भारत का निर्माण करने का सपना अगर देखा गया है तो उसको पूरा करने के लिए प्रत्येक जनता को जागरूक होना अति आवश्यक होगा। जब तक जनता जागरूक नहीं होगा। तब तक कुछ नहीं होगा। क्योंकि अकेले चना भाड़ नहीं फोड़ता। इसलिए हमारे समाज को हमेशा तत्पर रहना होगा।

शिक्षा 
नारी शिक्षा के प्रति जागरूपता

➡️ओलंपिक एवं अन्य खेल में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन -: भारतीय खिलाड़ी अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं। उन खिलाड़ियों की आदत खुले में शौच करने का होता है। ओलंपिक खेल या अन्य खेल विदेशों में होता है।
खुले में शौच नहीं जा पाने के कारण उनका शौच ठीक ढंग से नहीं हो पाता है। इस कारण भारतीय खिलाड़ी पिछड़ जाते हैं। इसका मूल कारण यही है। इसलिए शौचालय निर्माण करके, बचपन से ही आदत लगाएं, शौचालय में जाने के लिए, इससे बहुत लाभ होगा।

लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं.
 हिन्दी के गद्य भाग का पाठ योजना कैसे तैयार करें

➡️ लड़कियों एवं महिलाओं का सम्मान -: अधिकांंश ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों एवं महिलाएं खुले में शौच जाने के लिए मजबूर थी। जिन महिलाओं को सुबह या किसी समय शौच जाना हो, तो वह अंधेरे का इंतजार करना पड़ता था। इस तरह अधिक देर तक शौच को रोकने से कई तरह की बीमारियां उत्पन्न हो जाता। जब से खुले में शौच मुक्त भारत बनाने के लिए कहा गया है। उस समय से अधिकांश महिलाएं एवं लड़कियां खुश नजर आती हैं। अब उनका भी सम्मान मिल गया।

पर्यावरण संरक्षण 
अध्ययन के लिए सबसे उत्तम समय


➡️लड़कियों को बीच में पढ़ाई छोड़ देना-:  स्कूल में शौचालय का व्यवस्था नहीं रहने के कारण छात्राएं  विद्यालय आना छोड़ देंगी। जिस कारण उनका पढ़ाई बीच में ही छोड़ना पड़ेगा। प्रत्येक विद्यालय में लड़को और लड़कियों के  लिए अलग-अलग शौचालय होना चाहिए। जिस कारण छात्राएं अपनी पूरी पढ़ाई आजादी से कर सकें।


➡️विद्यालय में साफ-सफाई-: विद्यालय में के मैदानों की साफ सफाई,पेड़ पौधों की देखभाल, प्रयोगशाला की साफ-सफाई, कमरों, पुस्तकालय एवं शौचालय की साफ सफाई पर ध्यान देना अति आवश्यक है। इसके लिए शिक्षक एवं बच्चे का योगदान सुनिश्चित होना चाहिए।


➡️स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (swachh bharat mission gramin) -:  गांव हो या शहर अधिकतर लोग अपने घरों को तो साफ सुथरा रखते हैं। लेकिन साफ सुथरा करने के बाद कचरा कहीं भी फेंक देते हैं। जिससे गंदगी फैलता है। गंदगी से बीमारी फैलता है।
                    ऐसे निर्मल भारत अभियान कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में चलाया जाता था। अब वह स्वच्छ भारत अभियान में जोड़ दिया गया है। इन अभियान का लक्ष्य शौचालय निर्माण करना है।


निष्कर्ष -:  स्वच्छ भारत अभियान एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान है। इस अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय निर्माण, सड़कों की साफ-सफाई तथा अपने आसपास गंदगी न फैलाने देने के लिए कई कार्यक्रम को चलाया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से जनता को जागृत कर सरकार का साथ देना अति महत्वपूर्ण है। ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय निर्माण से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को भारत के करोड़ो महिलाओं एवं लड़कियों की दुआएं एवं प्रसंशा मिला होगा। महिलाओं का स्वास्थ्य खराब हो जाता और वह अपनी जिंदगी अच्छी तरह से व्यतीत कर सकती हैं। महिलाओं को सम्मान मिलना, यह एक जरूरी कदम था।

स्वच्छ भारत अभियान को कैसे सफल बनायें (7 प्रभावी तरीके )
speech on swachh bharat abhiyan in hindi





बाल मजदूरी रोकने के उपाय(Measures to prevent child labor)

बाल मजदूरी रोकने के उपाय (Measures to prevent child labor)

हमारे समाज में 14 वर्ष की कम उम्र वाले बच्चों को स्कूली जीवन से अलग करके कपड़े की दुकान, चाय या मिठाई की दुकान, कल-कारखानों, बारूद फैक्ट्री एवं अन्य तमाम छोटे बड़े उद्योगों में उन बच्चों से बाल मजदूरी कराया जा रहा है। जिससे उन गरीब बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। ऐसे बाल मजदूरी रोकने के उपाय (Measures to prevent child labor) को लेकर हमारे माननीय प्रधानमंत्री एवं तमाम जनता से अनुरोध करते है कि उन गरीब अभिभावकों के गरीब बच्चों पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

पर्यावरण संरक्षण 
पानी को कैसे बचाएं

                           वैसे हमारे भारतीय संविधान में अनुच्छेद 24 में साफ-साफ लिखा हुआ है कि बालकों के नियोजन का प्रतिषेध है। 14 वर्ष से कम उम्र वाले किसी बच्चे को कल करखानों, खानो, किसी भी जोखिम भरा काम या अन्य प्रकार का कोई ऐसे कामों पर नियुक्ति नहीं किया जा सकता है।लेकिन हम लोग आए दिन देखते हैं कि बाल-मजदूरी अपनी स्थिति कायम की हुई है।


                           यूंँ कहा जाए कि उन बच्चों में कौन बच्चा कल का महान वैज्ञानिक या देश के कुछ गणमान्य व्यक्ति बन सकता है। इसलिए बाल मजदूरी रोकने के उपाय (Measures to prevent child labor) को दूर करते हुए। उन बच्चों का कल के भविष्य बेहतर करने का उपाय हमें करना चाहिए।

                     
                              विश्व में कई ऐसे देश हैं। जहां बाल मजदूरी अपनी चरम पर है। बाल मजदूरी में भारत भी अछूता नहीं है। भारत के अनेक ऐसे राज्य हैं। जो बाल मजदूरी के लिए अग्रणी जाने जाते हैं। यह एक राष्ट्रीय समस्या बन गया है। इस समस्या का समाधान सरकार एवं जनता दोनों मिलकर करने की आवश्यकता है।

                          ऐसे में कई सरकारी योजना शुरू की गई है। जिसे इन सारे बच्चों की सुविधाएं उपलब्ध हो। यहीं नहीं कई ऐसे बाल मजदूरी पर संस्थाएं चलाई जा रही है। जो बाल मजदूरी पर कार्य करते रहते है।

बाल मजदूरी के कारण 



आर्थिक स्थिति -: इतनी महंगाई होने के कारण गरीब परिवार के लोगो को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। वह अपनी परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण बच्चों को बाल मजदूरी करने के लिए भेजना पड़ता है। इस वजह से बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाता है।


अशिक्षा -: आज भी हमारे समाज में बहुत सारे लोग अशिक्षित हैं। अशिक्षा के कारण ही वह अपने बच्चे को बाल मजदूरी करने के लिए इधर-उधर भेजते हैं। और उनका भविष्य और बचपन दोनों बर्बाद करते हैं।


जनसंख्या वृद्धि -: लगातार जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण रोजगारो का मिल पाना संभव नहीं है। और कोई भी मनुष्य कृषि कार्य तो करना ही नहीं चहता है। जनसंख्या अधिक और रोजगार कम, इस वजह से बाल मजदूरी में लिप्त होते चले जाते हैं।


मादक पदार्थों का सेवन-: बच्चों के पिता या अभिभावक      में मादक पदार्थों का सेवन करने की आदत होने के कारण वह जान बूझकर, अपने बच्चे को बाल मजदूरी के तरफ ढ़केेलते
हैं। नशे के कारण वह काम करने नहीं जाते अगर जाते भी हैं, तो सारे पैसा नशे में ही चला जाता है। जिस वजह से बच्चे को घर पर कमा कर लाना पड़ता है।


बेरोजगारी-: दिन प्रतिदिन बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है। क्योंकि पढ़े लिखे लोगों की संख्या अधिक होते जा रहे है। सरकार वैकेंसी भी नहीं निकाल रही है। और न ही प्रत्येक 5 जिला के अंतर पर एक फैक्ट्री का निर्माण करा रही है। जिससे रोजगार का सृजन होता। जिसके कारण बाल श्रम से मुक्ति मिल सके।


अन्य कारण-: कुछ बच्चों के पिता या अभिभावक की लंबी बीमारी होने के कारण बाल मजदूरी करने के लिए विवश हो जाते हैं।  क्योंकि घर में कमाने वाला कोई नहीं होता है। इस कारण अपना बचपन को बर्बाद करके अपने परिवर के लिए सहारा बन जाते हैं।

बाल मजदूरी रोकने के उपाय (Measures to prevent child labor)



 गरीबी -: बाल श्रम होने का कारण ही है, कि वहां गरीबी है और उस गरीबी को मिटाना ही अति आवश्यक होगा। इसके लिए सरकार को चाहिए कि रोजगार या उधोग धंधे के लिए ऋण लेने की व्यवस्था सरल करें।


रोजगार का सृजन -: किसी भी देश को विकसित करने के लिए वहां की शिक्षा व्यवस्था एवं रोजगार पर ध्यान देना अति आवश्यक होता है। जिससे सभी को सामान्य रूप से रोज़गार मिलते रहें। इससेे बाल मजदूरी कम होगा।


शिक्षा -: बाल मजदूरी को कम करने का रामबाण तरीका है, शिक्षा। शिक्षा नहीं तो कुछ भी नहीं, इसलिए शिक्षा अति आवश्यक है। अगर किसी बच्चे का माता-पिता शिक्षित होंगे।
तो वे अपने बच्चे को कभी भी बाल मजदूरी के लिए विवश नहीं करेंगे।


शिक्षा केे बार में पढेे़।


जनसंख्या नियंत्रण-: किसी भी देश के विकास के लिए जनसंख्या वृद्धि बाधक बन सकता है। इसलिए जनसंख्या पर नियंत्रण करना अति आवश्यक है। जनसंख्या पर नियंत्रण हो हो जाए, तो बाल मजदूूरी  में अपने आप कमी होते जाएगा।


निष्कर्ष -: बाल मजदूरों को जब भी हम देखते हैं। उनके प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। बाल अधिकारों के प्रति ध्यान चला जाता है। गरीबी के कारण उनके बचपन के दिनों में बड़ों की तरह सोचने एवं समझने के लिए विवश हो जाते हैं। भारत की अधिकांश जनता गरीब है। अगर बाल मजदूरी को सचमुच हटाने की जरूरत है, तो पहले उनकी गरीबी को हटाने की जरूरत है। अगर उनके परिवार वाले को सही शिक्षा एवं रोजगार मिलेगा, तो उनके बच्चे बाल मजदूरी में लिप्त नहीं होंगे। इसके लिए सरकार एवं जनता को मिलकर एक अभियान चलाया जाना चाहिए। सरकार को हर राज्य में फैक्टरी, उद्योग-धंधों और अन्य कई कार्यक्रम चलाना अति आवश्यक है। जिसे हम बाल मजदूरी को रोकने (Measures to prevent child labor) में सक्षम हो सकते हैं।




पानी को कैसे बचाएं How to save water

पानी को कैसे बचाए 

How to save water

 जीवन में हर एक काम बिना पानी के संभव नहीं है। हमें पानी पीने के लिए, कपड़ों की सफाई, घर की सफाई, कल कारखानों में पानी का उपयोग एवं हमारे दैनिक जीवन में अनेकों प्रकार से पानी का उपयोग होता है। लेकिन पानी को कैसे बचाएं। इस पर ध्यान आकृष्ट करना अति आवश्यक है।

पर्यावरण संरक्षण के बारे में पढे़।

पानी को कैसे बचाएं
पानी को कैसे बचाएं

                    जिस प्रकार पेट्रोल, डीजल एवं किरासन आदि को हम खरीद रहे हैं, उसी प्रकार कुछ वर्षों बाद पानी को भी खरीदकर सारे काम करने पड़ेंगे। इसलिए जरूरी है कि जल का बचाव करना। "जिस तरीके से जीवन में रुपए बचाना जरूरी है, उसी तरीके से हमारे जीवन के लिए पानी भी बचाना जरूरी है।" ऐसे पृथ्वी पर पानी की कमी नहीं है। पूरे पृथ्वी पर जल की मात्रा 71% है, लेकिन पानी पीने योग्य पानी कितना है। इस बात पर निर्भर है।

                     ऐसे भारत में पीने योग्य पानी महज 1% ही है। अगर आप अपने  जीवनकाल में दो काम नहीं किए, तो आपका जीवन निरर्थक है।

1) पानी बचाना।
2)अधिक से अधिक वृक्ष लगाना।

पानी का महत्व -: पानी के महत्व के बारे में हमें बताने की जरूरत नहीं है। "जल ही जीवन है।"मनुष्य पानी के बिना जीवित नहीं रह सकता है। ऐसे मानव जीवन का उत्पत्ति जल से ही हुआ है। वैसे तो हमारे शरीर में 80% से अधिक पानी है।

अब आपको मैं बता दूं कि पानी को कैसे बचाएं या पानी को बर्बाद न होने दें।

👉 ऐसे नल जहां लगातार पानी को गिरने से रोक कर।

👉ढ़ाढ़ी बनाने के समय नल को बंद करके।

👉अधिक तेजी से गिरने वाले नल को धीमी गति प्रदान करके।

 👉घर, गाड़ी या जानवर को धोते समय बाल्टी और मग का इस्तेमाल करके ।

👉उपयोग किया गया पानी को रीसाइक्लिंग कर के बगीचे एवं खेतों में सिंचाई के लिए उपयोग करके।

👉वर्षा के पानी का उपयोग करना।

👉बरसात के समय हम छत के नाली से पानी बर्बाद होने से रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम कराएं।

👉अपने अपने घर में 60 से 70 फीट बोरवेल कराकर केवल बरसात एवं घर का साफ पानी उस बोरवेल में जोड़ें। ताकि फिर से वो पानी धरती में जाएं और वहां का वाटर लेवल ठीक  रहे।
                       

प्रत्येक वर्ष अपनी जन्म दिन के अवसर पर या किसी यादगार दिन को एक-एक पेड़ लगाए। उस पेड़ की देखभाल करें। अब आप पूछेंगे। पेड़ लगाने से पानी को कैसे बचाएं, अधिक से अधिक पेड़ लगाने से वर्षा होगा। क्योंकि वर्षा के लिए पेड़ होना अति आवश्यक होता है। वर्षा हुआ तो पानी धरती पर आएगा। फिर धीरे-धीरे जमीन के अंदर पानी सूखता है। कुछ पानी वाष्पीकरण विधि द्वारा वह आकाश में चला जाता है वही पानी फिर हम लोगों नल, चापाकल या समरसेबल के माध्यम से पानी को खींचकर ऊपर निकालते और फिर उसका उपयोग करते है। इसलिए पेड़ लगाना बहुत जरूरी है।

जीवन के सक्सेज मंत्र ।
 विद्यालय के छात्र छात्राओं को कक्षा कक्ष में कैसे बैठना चाहिए। 
नारी शिक्षा के प्रति जागरूपता

           
एक व्यक्ति हजारों लीटर पानी बचा सकता है। यह काम अकेला व्यक्ति भी कर सकता हैं। अगर पानी बचाओ अभियान में समाज के कुछ व्यक्तियों ने भी इस का साथ दिया तो लाखो लीटर पानी बचाया जा सकता है।   


आप सोच रहे हैं कि मैं पानी बचाने के लिए आप सभी से क्यों कह रहा हूं। क्योंकि आज हम पानी नहीं बचाएंगे तो आने वाले दिनों में पानी की किल्लत हो सकती है। गर्मी के दिनों में अक्सर देखा जा रहा है, कि चापाकल का पानी सूख गया। यानी पानी का लेवल नीचे चला गया। अब आप सोच सकते हैं कि क्या स्थिति होता होगा। अब आप किसी के घर पानी के लिए जाते हैं। तो वह क्या कहेगा। आप समझदार हैं।
                             

निष्कर्ष-: पानी बचाओ अभियान को सफल बनाने के लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना अति आवश्यक है। इस अभियान का नारा

                       धन बचाया तो भविष्य सुरक्षित,
                       पानी बचाया तो जीवन सुरक्षित।

जल ही जीवन है। हमारे जीवन के लिए  महत्वपूर्ण संसाधन है। इसे बचाना अति आवश्यक है। यह एक सार्वजनिक संसाधन है। इसे मिलकर बचाना ही हमारा कर्तव्य है। इससे समाज का विकास होगा। और समाज का विकास होगा तो हमारा विकास संभव है। तब हम खुशहाल रह पाएंगे।

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दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र

   👇👇       दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र      👇👇                        वीडियो को देख लीजिए।             Link- https://youtu.be/gAz...

आवेदन पत्र कैसे लिखें