अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019. International Yoga Day 2019.

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019. International Yoga Day 2019.



भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019.(International Yoga Day 2019.), प्रत्येक वर्ष 21 जून को मनाने का फैसला लिया गया। जो मानव जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।


आज योग का नया अविष्कार नहीं हुआ है। यह प्राचीन काल से ही ऋषि मुनि, साधु, महात्मा आदि। योग अभ्यास किया करते थे। उनके जीवन में शारीरिक कष्ट नहीं हुआ। वे लोग जीवन भर स्वस्थ रहते थे। बहुत से महात्माओं ने योगाभ्यास के बारे में बताया है, जो लोग योग अभ्यास किया उनका जीवन खुशहाल बना रहा।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) मनाने का कारण-: 


मानव जीवन में इतनी व्यस्तता बढ़ गई है कि अपने शरीर पर ध्यान देने का समय नहीं मिल रहा है। जिस कारण उनका शरीर स्वस्थ नहीं रह पाता, तब मनुष्य को योग अभ्यास करना अति आवश्यक हो गया।


योग को नियमित करने से कोई भी बीमारी नहीं होता या अगर हुआ भी है तो जड़ से खत्म हो जाता है। नियमित योगाभ्यास करने से बहुत लोगों को लाभ हुआ है।


योग क्या है-: 


योग एक ऐसा कला है जिसे सीख कर अपने जीवन में आने वाला कोई भी रोग या बीमारी नहीं होने देगा तथा असाध्य रोगों को भी ठीक करते देखा गया है।


हमारे जीवन के लिए योग महत्वपूर्ण है, यानी योग से हम सभी जीवन भर रोग मुक्त रहेंगे, तो हमें योग हर हाल में प्रतिदिन करना चाहिए। जिससे हमारा जीवन खुशहाल एवं आनंदित रहे।


योग क्यों जरूरी-: आजकल इस प्रतियोगी संसार में कितना भाग दौड़ का जीवन है कि हमारे जीवन में किसी प्रकार का कोई कठिनाइयां नहीं होगा यानी रोग मुक्त रहेंगें। इसलिए योग अत्यंत जरूरी है। जीवन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए योग जरूरी एवं अनिवार्य है। योग को जीवन का अभिन्न अंग बनाना होगा।


योग से लाभ-: नियमित योग करने से तन, मन, धन सभी का बचत होगा। क्योंकि योगाभ्यास करने से कोई रोग नहीं होगा। रोग नहीं होगा तो पैसा, यानी धन का बचत होगा जब धन का बचत, तब तन एवं मन भी ठीक-ठाक रहेेगा।


योग करने का स्थान-: योग करने के लिए स्थान का चुनाव करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। योग करने के लिए एक खुला, शांत वातावरण की जरूरत होता है। ऐसे हम छत,बालकोनी, पार्क, या एक खुला स्थान आदि होना चाहिए। जो योग करने के लिए अच्छा होता है।


योग करने का समय क्या-: योग करने का सही समय सूर्योदय से पहले का योगाभ्यास बहुत लाभदायक रहता है। ऐसे जब समय मिले तब किया जा सकता है। लेकिन एक बात का ध्यान रहे कि खाना खाने के करीब तीन घंटे बाद ही योग करना चाहिए। यानी नहीं खाली पेट होना चाहिए।


योग नियमित करना-: ऐसे तो कहा गया है कि किसी भी काम को नियमित करने से अधिक लाभ एवं उस काम में सफलता प्राप्त होता है। ऐसेे कहा भी गया है कि काम ही काम को सीखता है। उसी तरह योग को भी नियमित करने से अनेकों प्रकार का लाभ होता है। जैसे मन में शांति, शरीर के अंदर की शक्ति, रोग से लड़ने के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है।


योग करने का सही तरीका-: योग करने का सही तरीका होना अति आवश्यक है। योग की स्थिति या उसके बारे में जानने के लिए बाबा रामदेव का योगाभ्यास के किताब जरूर देखें।


योग कितनी बार करें-: ऐसे योग को 24 घंंटे में 2 बार करना चाहिए। वैसे आप अपने समय के अनुसार इसे एक या दो बार कर सकते हैं।



Father's day (पिता दिवस)

Father's day (पिता दिवस)

पिता के लिए एक पिता दिवस 2019/ father's day 2019  के रूप में मनाये जाते हैं। " जिस प्रकार डॉक्टर्स डे और मदर्स डे मनाते हैं, उसी प्रकार पिता दिवस या फादर्स डे मनाते है। "

father's day 2019 in india
Father's day


Father's day kab manaya jata   



प्रत्येक वर्ष जून के तीसरे सप्ताह के रविवार को father's day मनाया जाता है। 2019 में father's day 16 जून को मनाया जाएगा।


वैसे तो प्राचीन काल सेेेे ही पिता का सम्मान होता रहा है, चाहें वह जो भी काल रहा हो। इसलिए मानव समाज ने संसार के सभी पिता को सम्मान देने के लिए एक दिन चुना गया, जिसे father's day कहते हैं।


इस दिन सभी लोग अपने पिता को सम्मान, आदर, इज्जत, प्यार करते हैं, और पुरानी बातो को याद कर बहुत खुश होते, एक दूसरे से विशेष बातें किया करते हैं। फिर पुत्र, पिता को  उपहार देते हैं, और उनसे आशीर्वाद एवं प्यार लिया करते हैं।   

father's day in india, 2019 अब भारत में भी धीरे धीरे father's day प्रचलित होने लगा है। भारतीय लोग भी father's day पर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगे हैं। तथा अपने पिता को आदर्श मान कर उनका सम्मान एवं आदर करते हैं।


आमतौर पर देखा जाता है कि लोग अपने पिता के सम्मान  में खुलकर बातें नहीं कर पाते हैं। लेकिन अब father's day के दिन, पुत्र अपने पिता से दिल खोलकर बातें करेंगें।


father's day सबसे पहले 1908 में मनाया गया। विश्व के कुछ देशों में अलग अलग दिन फादर्स डे मनाते हैं। लेकिन 1910 से father's day को नियमित रूप से प्रत्येक वर्ष मनाने का निर्णय लिया गया है।


अमेरिका एवं कई ऐसे देशो में father's day के अवसर पर अधिकारीक अवकाश की घोषणा की गई हैं।


जून के तीसरे सप्ताह के रविवार के दिन पूरा विश्व 16 जून को father's day मनाएगा।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day)
























बच्चें परीक्षा में कैसे अच्छे अंक प्राप्त करें।How to get good marks in children's examination.)

बच्चें परीक्षा में कैसे अच्छे अंक प्राप्त करें। How to get good marks in children's examination.

वैसे तो प्रत्येक छात्रों के मन में ख्वाहिश होता है कि परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करें। भले वह कम या अधिक पढ़ाई करता हो। फिर भी परीक्षा के समय वे चाहते हैं कि उनका भी अच्छा अंक प्राप्त हो।

बच्चें परीक्षा में कैसे अच्छे अंक प्राप्त करें। How to get good marks in children's  इसके बारे में, मैं इस आर्टिकल में चर्चा या बताने जा रहा हूँँ। यह छोटा सा टिप्स है, जो आप लोग को परीक्षा में सफलता पाने के अचूक मंत्र या अच्छा अंक लाने में,यह पोस्ट मददगार साबित होगा।

लेकिन एक बात मैं बताना चाहूँँगा कि परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना, कोई एक दिन का बात नहीं है, इसके लिए रेगुलर पढ़ाई करना अति आवश्यक है। तब आप परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। यह पोस्ट उन लोगों के लिए बिल्कुल नहीं है जो परीक्षा के समय ही पढ़ाई या किताबे उठाते हो। वैसे विद्यार्थी हमारे पोस्ट को न पढ़े हैं।


अगर आप चाहते हैं कि परीक्षा में अच्छे अंक कैसे लाएं तो प्रतिदिन किसी भी समय चार सेे पाँँच घंंटे कठिन परिश्रम के साथ पढ़ाई करने चाहिए।



छात्रों को सभी विषयों पर ध्यान देना आवश्यक है, अगर किसी एक विषय में अधिक अंक और किसी में कम अंक तो ठीक नहीं है। इसलिए सामान्य रुप से सभी विषयों पर ध्यान देना चाहिए। ताकि सभी विषयों में अच्छे अंक ला सके।


परीक्षा में कैसे अच्छे अंक प्राप्त करें। How to get good marks in the exam.



1) आत्म विश्वास-: परीक्षा के दौरान विद्यार्थी को खुद पर यकीन करना चाहिए और बिल्कुल आत्मविश्वास के साथ परीक्षा केंद्र पर जाना चाहिए। अपनी क्षमता पर विश्वास कर के परीक्षा दे।


2) कठिन परिश्रम करे-: विद्यार्थी को हमेशा मन,लगन,उत्साह एवं कठिन परिश्रम के साथ पढ़ाई करना चाहिए। कठिन परिश्रम करने से परीक्षा में अच्छे अंक या परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते है।


3) पहले से याद किया गया, उसको दुहरा ले-: पहले से पढ़ा या याद किया हुआ, एक बार जरूर दोहरा लें। ताकि परीक्षा में अधिक अंक लाने की संभावना रहता है।


4) प्रतिदिन सुबह योग एवं meditation करने चाहिए-: विद्यार्थी जीवन हो या गृहस्थ जीवन योग और मेडिटेशन अवश्य करना चाहिए। जिसे स्मरण शक्ति एवं दिमाग तेज होता है। जिस करण हम परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को योग और मेडिटेशन प्रतिदिन करना चाहिए।


5)निरंतरता-: किसी भी छात्र को निरंतर अध्ययन करना अति आवश्यक है क्योंकि निरंतर अध्ययन करने से एकाग्रता एवं यादस्थ बनी रहती है। प्रतिदिन चैप्टरवाइज पढ़ाई होते रहता है। उससे याद करने या समझने में बहुत लाभ मिलता है। इसलिए छात्रों से अनुरोध है कि निरंतर अध्ययन करते रहें ताकि परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकें   



परीक्षा में जाने से पहले क्या करें-:

परीक्षा के समय बच्चे को सामान्य अवस्था में रहना चाहिए।

परीक्षा के एक दिन पहले किताब नहीं पढे़। Notes, सुत्र
आदि, हल्का फूल्का देख ले।

परीक्षार्थी को जहां शोरगुल या हल्ला हो वहां न जाय ।

अधिक बोल- बोल कर बातचीत न करे,कम बोले।

परीक्षा के समय से 30 मीनट पहले परीक्षाकेन्द्र पर पहुचें।

Answer sheet पर साफ सुथरा क्रमांक कोड़, क्रमांक, पंजीयन संख्या आदि लिखे।

Question को ध्यानपूर्वक एक या दो बार पढ़े और तब Answer दे।

सफलता आपके कदम चूमेगी 

A man prefect A more then practice






ख़तरनाक रेडिएशन से कैसे बचें। HOW TO AVOID DANGEROUS RADIATION.

ख़तरनाक रेडिएशन से कैसे बचें How to Avoid Dangerous Radiation.

आज के इस संसार में हर इंसान खतरनाक रेडिएशन के शिकार होते जा रहे हैं। लोगो के मानसिक तनाव, बहरापन एवं अन्य कई खतरनाक मस्तिष्क रोग भी उत्पन्न होता है। इस मानसिक तनाव एवं खतरनाक रेडिएशन का कारण मोबाइल फोन है।

आज के युग में युवा, वृद्ध तथा छोटे बच्चे भी मोबाइल फोन रखना एक अभिन्न अंग बन चुका है। लेकिन बहुत लोगों को यह पता नहीं है कि मोबाइल से खतरनाक रेडिएशन निकलता है।

रेडिएशन क्या है?

रेडिएशन एक प्रकार का किरण है, जो मोबाइल के द्वारा हम सभी के पास आसानी से पहुंच पाता है। हमारे मस्तिष्क एवं अन्य खतरनाक बीमारियों का कारण होता है।

तो आज हम लोग इस आर्टिकल में जानेंगे कि खतरनाक रेडिएशन से कैसे बचें? HOW TO AVOID DANGEROUS RADIATION.

▶️अधिकांश व्यक्ति रात्रि में सोते समय मोबाइल को अपने पास या सिर के तरफ रखते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। रात्रि में सोते समय मोबाइल को कम से कम 4 से 5 फीट की दूरी पर रखें। ताकि खतरनाक रेडिएशन से बचा जा सके।

▶️मोबाइल का टावर या सिगनल न मिलने पर बातें नहीं करना चाहिए। क्योंकि मोबाइल का सिगनल न मिलने के समय अधिक मात्रा में रेडिएशन उत्पन्न होता है।

▶️कम से कम मोबाइल का प्रयोग करना उचित होगा। आज कल के युवा अधिक से अधिक फेसबुक, व्हाट्सएप एवं अन्य सोशल मीडिया पर समय बिताते रहते हैं। इस कारण रेडिएशन के खतरा बना रहता है।

▶️सुबह में मोबाइल का प्रयोग न करें। जब हम लोग रात में सो कर सुबह उठते हैं तो हमें कम से कम दो-तीन घंटा मोबाइल से दूर रहना चाहिए।

▶️ 90% लोग मोबाइल में गेम खेलते हैं। वह जाने और अनजाने में रेडिएशन के शिकार हो रहे हैं। इसलिए मोबाइल में गेम नहीं खेलना चाहिए। मोबाइल में गेम खेलने से हानिकारक रेडिएशन निकलते रहता हैं। जिस कारण हमें कई रोगों का सामना करना पड़ता है।

निष्कर्ष-: आज की युवा पीढ़ी मोबाइल पर गेम खेलते, सोशल मीडिया एवं व्हाट्सएप पर घंटो समय बिताते रहते हैं। आज हर इंसान रेडिएशन से घिर चुके है। मोबाइल रेडिएशन चेक नंबर,मोबाइल रेडिएशन चिप,मोबाइल रेडिएशन क्या है,मोबाइल रेडिएशन के दुष्प्रभाव,मोबाइल रेडिएशन कितना होना चाहिए,एंटी रेडिएशन चिप क्या है,मोबाइल से होने वाली बीमारी,रेडिएशन के साइड इफ़ेक्ट आदि।

















शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)

शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)

आज इस आर्टिकल में शिक्षक के कर्तव्य (Teacher's duty) के बारे में हम लोग जानेंगे।

बात उन दिनों की है, जब मेरी बेटी नौवीं की छात्रा थी। पढ़ाई का दबाव उसे अंदर ही अंदर कमजोर कर रहा था जबकि वह पढ़ने में बहुत तेज है। परिणाम यह हुआ कि वह बीमार हो गई। आठवीं कक्षा में उसने 90.2 प्रतिशत अंक हासिल किए थे।
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)


आज के समय में पढ़ाई का दबाव बच्चों को मानसिक और शारीरिक तौर पर तेजी से बीमार बना रहा है और ज्यादातर अभिभावक इस बात से अनजान हैं। यह बात मुझे तब मालूम हुई, जब एक दिन स्कूल से वापस आने के बाद मेरी बेटी ने कमजोरी और थकान की बात की वह कितनी बीमार थी। इसका अनुमान मुझे तब लगा जब चिकित्सक ने उसका ब्लड प्रेशर लो होने की बात बताई।


मैंने उसे कई चिकित्सकों से जांच कराया पर कोई सुधार नहीं हुआ। इस बात को लेकर मैं हमेशा तनाव में रहा करता था। मुझे महसूस हुआ कि प्रतियोगिता की अंधी दौड़ में आज के बच्चे कितना अधिक सामाजिक और मानसिक दबाव का दंश झेल रहे हैं। पिता होने के नाते बेटी के कष्ट को किस तरह मैं सहन कर रहा था यह बता पाना मुश्किल है। मैं पेशे से स्कूल अध्यापक हूंँ।
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)


स्कूल से आने के बाद मेरा ज्यादातर समय बेटी को पढ़ाने में बीतता था। जिस चिकित्सक के बारे में बताते मैं उसके पास दौड़ा चला जाता। जब आप बहुत कष्ट में होते हैं तो ईश्वर ही कोई रास्ता बनाता है।


मेरे मन में विचार आया कि मैं तो शिक्षक हूं क्यों न कुछ ऐसा किया जाए कि मेरी बेटी के तरह किसी अन्य विद्यार्थी को यह परेशानी न झेलनी पड़े।


मैंने छात्रों के लिए मैथ एंड साइंस के अंतर्गत पाठ्यक्रम में शामिल पुस्तकों की विषयवस्तु को सहज भाषा में (हिंदी व अंग्रेजी) क्रमबद्ध तरीके से तैयार किया। अथक प्रयास के बाद लगभग आठ महीनों की मेहनत में मैं यह कार्य पूर्ण कर सका।
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)

विषय वस्तु को सरल,रोचक,बोधगम्य बनाने और छात्रों को स्वयं मूल्यांकन करने के लिए 150 प्रश्नों की एक क्वेश्चन बैंक तैयार की।


मेरे द्वारा विद्यार्थियों के लिए किये गये, इस काम से मुझे खूब सराहना मिली। यह बात अलग है कि बाजार में हर विषय की ढेरों किताबें, गाइड, क्वेश्चन बैंक आदि उपलब्ध है, लेकिन इसके लिए बच्चों को काफी कीमत भी चुकानी पड़ती है और इतनी अधिक पठन सामग्री होती है कि बच्चे असमंजस की स्थिति में रहते हैं।


जब वही पाठ्यक्रम सहज और रोचक ढंग से संक्षिप्त भाषा में समझाया जाता है तो बच्चों को संबंधित विषय से डर नहीं लगता है।

यह सब करने का मेरा उद्देश्य था कि बच्चे पढ़ाई को मनोरंजक अंदाज में समझें और उन्हें किसी तरह का मानसिक दबाव न झेलना पड़े, क्योंकि मैंने अपनी बेटी के परीक्षा के तनाव और उससे उत्पन्न कष्ट को देखा था।


वास्तव में यह काम मेरे लिए कड़ी चुनौती था, क्योंकि मेरी बेटी पढ़ाई के तनाव के चलते ही बीमार हुई थी, पर भगवान ने मेरा साथ दिया और मैं अपने मिशन में कामयाब रहा।


मैं संक्षेप में सिर्फ इतना ही कहूंगा कि शिक्षा जरूरी है लेकिन बच्चों पर इतना प्रेशर न बनाए कि वे मानसिक रूप से कमजोर हो जाए या किसी बीमारी का शिकार हो जाए। मेरे इस प्रयास में कई शिक्षकों ने अपने विषय को सहज ढंग से लिखने का वादा किया।


इस कहानी के माध्यम से मैं सभी शिक्षकों और अभिभावकों से कहना चाहता हूं कि जीवन में किया गया छोटा सा प्रयास सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काफी होता है।


"हम भले ही सूरज न बन सकें तो क्या हुआ, एक दीपक बन कर मार्ग दिखाने का माध्यम जरूर बन सकते हैं।" 


शिक्षक का दायित्व एवं कर्तव्य बहुत जिम्मेदारी वाला होता है। इसलिए उन्हें ऐसे काम करने चाहिए, जो विद्यार्थियों का भविष्य संवारने में सहायक हो।

पढ़ाई के दौरान विद्यार्थी अनावश्यक सोचना बंद कैसे करें। How do the students stop thinking unnecessary during their studies?

पढ़ाई के दौरान विद्यार्थी अनावश्यक सोचना बंद कैसे करें। How do the students stop thinking unnecessary during their studies?


90% छात्र पढ़ाई के दौरान अनावश्यक रूप से सोचते रहते हैं। अभिभावक, माता-पिता सोचते हैं कि हमारे बच्चे पढ़ रहे हैं। लेकिन अधिकांश बच्चे पढ़ाई के दौरान अनावश्यक सोचते हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।

यह केवल एक विद्यार्थी या एक छात्र की बात नहीं हो रहा है। ऐसे हजारों विद्यार्थियों के साथ होता है।

तो आज मैं पढ़ाई के दौरान विद्यार्थी अनावश्यक सोचना बंद कैसे करें। How do the students stop thinking unnecessary during their studies? इसके बारे में जानने का प्रयास करेंगे।

हमारे मस्तिष्क में मन दो प्रकार के होते हैं। 


1) चेतन। 
2) अवचेतन। 

चेतन या अवचेतन पर निर्भर करता है। 

उम्र दोष

बैठकर न पढ़ना।

हाथ पैर न धोकर पढ़ाई के लिए बैठना। 

गलत तरीकों से बैठकर पढ़ना। 

गाल या सिर पर हाथ रख कर पढ़ना।

लेट कर पढ़ाई करना।

मानसिक दोष। 

अनुवांशिक दोष।

अधिक बोलने वाला हो।

झगड़ालू प्रवृत्ति के होना।

किसी की बातें न सुनना। 

पढ़ाई के दौरान विद्यार्थी अनावश्यक सोचना बंद कैसे करें। How do the students stop thinking unnecessary during their studies?



ध्यान केंद्रित करना-: छात्रों को ध्यान केंद्रित करके पढ़ाई करना चाहिए। ताकि उनको बहुत बढ़ियाँ से समझ में आने लगे। छात्रों के पढ़ाई के दौरान अनावश्यक सोच न उत्पन्न हो। इसके लिए ध्यान केंद्रित करके पढ़ाई करना अति आवश्यक है।


हाथ पैर धोकर पढ़ना-: कभी भी पढ़ाई करने से पहले हाथ पैर को धोकर पढ़ाई करने के लिए बैठना चाहिए। इससे मन एकाग्र होता है। अनावश्यक सोच नहीं उत्पन्न होता है


योग अभ्यास करना-: छात्रों को नियमित योग अभ्यास करना चाहिए। इससे मन एकाग्र एवं अनावश्यक सोचे में वृद्धि नहीं होता है।


पढ़ाई का सही तरीका अपनाना-: छात्रों को पढ़ाई के लिए सही तरीका अपनाना चाहिए। जैसे-: टेबल कुर्सी पर पढ़ना तथा सीधे बैैठकर पढ़ाई करना चाहिए।

आत्मविश्वास की जरूरत-: छात्रों को आत्मविश्वास के साथ पढ़ाई करना चाहिए। ताकि छात्रों के मन में अनावश्यक सोच कभी भी उत्पन्न न हो।


पॉजिटिव सोच होना-: पढ़ाई के दौरान पॉजिटिव सोच के होना अति  महत्वपूर्ण होता है। पॉजिटिव सोच के साथ हम लोग अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं। जीवन की हर कठिन से कठिन काम पॉजिटिव सोच से आसानी से समाधान किया जा सकता है।


कठिन परिश्रम करना -: पढ़ाई के दौरान कठिन परिश्रम करने से सफलता अति शीघ्र प्राप्त होता है। पढ़ाई के दौरान अनावश्यक सोच बिल्कुल नहीं होता है।


सृजनात्मक गुण होना-: जो छात्र सृजनात्मक होते हैं, वह कभी भी अनावश्यक रूप से नहीं सोचते हैं। वे पढ़ाई बहुत  अच्छे तरीको से करते हैं, ताकि वे जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें। वे अपने कर्मों पर हमेशा यकीन करते हैं, तथा स्वयं निर्णय लेने की क्षमता उनमें रहता है।


छोटी-छोटी गलतियों को सुधार करना-: पढ़ाई के दौरान छोटी-छोटी गलतियों को सुधार करना अति आवश्यक होता है। जिससे कि पढ़ाई में अनावश्यक सोच नहीं उत्पन्न होता है।


गंभीर मुद्रा में रहना-: गंभीर मुद्रा में पढ़ाई करने से समझदारी एवंं सफलता प्राप्त होता है। गंभीर मुद्रा में पढ़ाई करने सेे अनावश्यक सोच उत्पन्न नहीं होता।


निष्कर्ष -: पढ़ाई के दौरान विद्यार्थी अनावश्यक सोचना बंद कैसे करें। How do the students stop thinking unnecessary during their studies? इसके लिए उपर्युक्त बातों को ध्यान
देने योग है।

तनाव या टेंशन को दूर करने का 7 महत्वपूर्ण उपाय। 7 important ways to overcome stress or tension

तनाव या टेंशन को दूर करने का 7 महत्वपूर्ण उपाय। 7 important ways to overcome stress or tension

जब एक बार मैं अपने वरीय शिक्षक श्री कुमार सिंह से पूछा कि सर आप प्रधानाध्यापक के पद क्यों नहीं ले रहे हैं? तब वरीय शिक्षक, प्रखर अनुभवी, आदरणीय, परम मित्र, बड़े भाई या fourth eye of A.K.S बाबा ने तार्किक उत्तर दिये मुझे टेंशन नहीं पेंशन चाहिए। प्रधानाध्यापक का पद नहीं "आ बैल मुझे मार" है।


पहले की अपेक्षा इस पद में अधिक समस्या उत्पन्न होने लगा हैं। मैं बिल्कुल तनाव मेें नहीं रहना चाहता हूँँ। वरीय शिक्षक के कथनानुसार अगर जीवन का आनंद लेना है, तो टेंशन मुक्त रहने का प्रयास करें। टेंशन खत्म तो नहीं किया जा सकता है, लेकिन टेंशन को कम जरूर किया जा सकता है।

टेंशन का नाम हम लोग अक्सर लिया करते हैं। शायद आपने भी टेंशन नामक प्राणी का नाम सुना या महसूस किया होगा। टेंशन से स्वास्थ्य खराब होने का भय बना रहता है।

इस संसार में जो मानव या प्राणी हैं उनको जरूर कम या अधिक टेंशन होगा। क्योंकि टेंशन मानव के जिंदगी का अभिन्न अंग बन चुका है।

टेंशन क्या है ?

किसी समस्या पर अधिक देर तक चिंतापूर्वक सोचते रहना ही तनाव या टेंशन है। लेकिन उस तनाव को अधिक बढ़ने न दें।

हमारे तेजस्वी शिक्षक, महानुभाव ने कहा है कि इस प्रतियोगी संसार में आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमेशा ही टेंशन में रहा करते हैं। टेंशन का अन्य नाम चिंता या तनाव है। अगर अपने लक्ष्य को प्राप्त करना है तो टेंशन का मुख्य भूमिका होता है।

तनाव या टेंशन को दूर करने का 7 महत्वपूर्ण उपाय। 7 important ways to overcome stress or tension.

पढ़ाई का टेंशन-: अगर पढ़ाई का टेंशन नहीं लिया तो परीक्षा वाले दिन अधिक टेंशन होगा कि काश मैं पहले से पढ़ाई किया होता तो परीक्षा वाले दिन हमारे शरीर में हलचल हंगामा खलबली आफत नहीं आता। किसी कार्य को प्रतिदिन किया जाए तो टेंशन कम होता है।

टेंशन को सकारात्मक बनाएँ-: टेंशन को ही सकारात्मक सोच बना ले यदि किसी भी छात्र को गणित विषय में टेंशन है तो गणित विषय को लेकर छात्र अधिक मेहनत करेेेगा। साथ
ही साथ सकारात्मक सोच में भी बदल जाएगा। गणित विषय अच्छा हो जाएगा।

संगीत सुनना-: किसी व्यक्ति को बहुत अधिक टेंशन है तो उन्हें संगीत सुनना या गुनगुनाने से भी तनाव कम होता है। तनाव वाले व्यक्ति को तुरंंत राहत महसूस होता है।

खेल खेलना-: अगर मोबाइल में गेम खेल रहे हैं तो टेंशन कम तो जरूर होगा। लेकिन खुले स्थानों पर जहां स्वच्छ हवाएं चलती हो, वहां खेल खेलने से अधिक आनंद आएगा। उस समय तनाव से बहुत राहत मिलेगा।

परिवारिक माहौल -: यदि अधिक तनाव महसूस कर रहे हैं, तो अपने परिवार के साथ यानी बच्चों के साथ घूमने या खेल खेलने से भी तनाव में राहत मिलता है।

मित्रों से मिलना-: किसी ऐसे बात से आप तनाव में हैं जो अपने दोस्तों,मां,पिता,पत्नी आदि से मिलकर भी समस्या  यानी तनाव को दूर किया जा सकता है।

ध्यान एवं योग -: अगर प्रातःकाल प्रतिदिन खुले स्थान पर जहां स्वच्छ हवाएं बहती हो,उस स्थान पर प्रतिदिन 10:00 मिनट योगाभ्यास एवं ध्यान केंद्रित करने से कभी भी तनाव में नहीं रह सकते हैं। ध्यान एवंं योग नियमित करना होगा।

निष्कर्ष-: जब किसी भी व्यक्ति को तनाव अधिक होने या बढ़ने लगे तब ऊपर दिए गए कार्यों को करें। जो आपको पसंद हो इसके बाद आपका सारा तनाव बिल्कुल ही गायब हो जाएगा।

तनाव या टेंशन को दूर करने का 7 महत्वपूर्ण उपाय। 7 important ways to overcome stress or tension

शिक्षक या अन्य कर्मचारी के सेवानिवृत्ति पर सम्मान पत्र कैसे लिखें How to write a Respect for the retirement of teachers or other employees.

शिक्षक या अन्य कर्मचारी के सेवानिवृत्ति पर सम्मान पत्र कैसे लिखें How to write a Respect for the retirement of teachers or other employees.

यदि आप सभी लोग ऐसे ही सम्मान पत्र, विदाई समारोह पत्र,सेवानिवृत्ति पर अभिनंदन पत्र, सेवानिवृत्ति पर प्रशस्ति पत्र,सम्मान पत्र, सम्मान पत्र का प्रारूप,सम्मान पत्र का नमूना, सम्मान पत्र फॉर्मेट इन हिंदी,विदाई पत्र इन हिंदी, पढ़ना चाहते हैं,तो आप सही साइट पर हैं।

शिक्षक या अन्य कर्मचारी के सेवानिवृत्ति पर सम्मान पत्र-:

!! परम श्रद्धेय !!
 श्री बबन राम
 प्रधान शिक्षक सह संरक्षक, संकुल संसाधन केंद्र, 
प्राथमिक विद्यालय पीताम्बरपुर
प्रखंड - डिहरी
 के पावन कर कमलों में सादर सप्रेम समर्पित -:
 सम्मान पत्र 
हमारे तन नीड़ के नेह रमण मंदिर के मणि दीप, शरदा के शारदीय स्पंदन के भास्वर प्रतीक एवं वसुमती की पलकों की पालकी में मुस्कान की मोती लुटाने वाले परम आदरणीय,

अश्रुपूरित नेत्रों से यह सम्मान पत्र आपके चरणों में अर्पित

हे प्रज्ञा के प्रखर महानुभाव!

आपके सेवानिवृति से हम भावुक हैं,भावनाओं की प्रबलता होने से वाणी मूक सी हो गई है और दुर्ग भीगकर सूज गए हैं, फिर भी वाणी हमें संबल प्रदान कर रही है।

"मद मुरीद संसार है, गुरु मुरीद कोई साध।
जो माने गुरु वचन को ताका मता अगाध।।"

हे श्वेतांगना सरस्वती के अनन्य उपासक! 

आप शैक्षणिक मधुवन के प्राणों के प्राण हैं। आपकी पारदर्शी मेधा का मणिदीप इस विद्यालय एवं संकुल संसाधन केंद्र के ज्ञान गगन का श्रृंगार हैं। आपके मानस मंदार से फूटने वाली प्रतिभा की निर्झरणी की रागिनी शरदा वीणा की मधुर झंकार हैं।

उम्र के जिस पड़ाव पर शिक्षित बेरोजगार निराशा के गर्त में हिचकोले खाने को मजबूर हो जाते हैं। उस समय में 36 वर्ष की आयु में आपने-अपने जुझारूपन एवं लगनशीलता का परिचय देकर बीपीएससी जैसी उच्च संस्था द्वारा आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा में परचम लहराते हुए। 22 सितंबर 1994 को प्राथमिक विद्यालय पीताम्बरपुर में शिक्षक पद को सुशोभित किया। कैमूर पहाड़ी के प्रांगण एवं महादेव तिलेश्वर नाथ जी की गोद में अवस्थित इस विद्यालय में पूरी तन्मयता से अपने कर्तव्यों का निर्वहन सेवानिवृति तिथि 30 नवंबर 2018 तक किया।

हे विनीत,विनम्र कुल क्षेष्ठ गुरू

आप हैं कला के कलाधर, विद्या के वारिद और रेणु की मणि माला में मेरू के मन का गूँथनेवाले कुशल कलावंत। आपकी समयनिष्ठता, कर्तव्यनिष्ठता, अनुशासन प्रियता एवं " सदा जीवन उच्च विचार" ने यहां के बच्चों रूपी शुष्क पौधों को भी सींच सींचकर उसे पुष्पित पल्लवित कर दिया। आप सदा निर्भीक निर्विवाद, निष्कलंक, निश्छल और निस्पृह रहे।

 "दीपक सा जलता है गुरु, फैलाने ज्ञान का प्रकाश !
 न भूख उसे किसी दौलत की,न लालच न आश !!"

हे स्नेह के सलिल के सरस सरसिज! 

आपने अपने कर्तव्यों का पालन सहृदय होकर सहज और शालीन बनकर किया और कभी भी अपने सहकर्मी से अपने को श्रेष्ठतर समझने की कोशिश नहीं की।

 " सरलतम बात सुननी हो, तो इनसे बात कर लेना,
 कोई सौगात चुननी हो, तो इनसे बात कर लेना,
 कि कैसे मुस्कुराकर जिंदगी में जितना चाहिए,
 खुशी हर बार चुननी हो, तो इनसे बात कर लेना।"

 हे अविस्मरणीय व्यक्तित्व के धनी

आपने न केवल विद्यालय अथवा संकुल को अग्रसर बनाने में बल्कि सामाजिक कार्यों में भी सदैव तत्परता दिखाई। हमें आपकी कमी सदा खलेगी

अंत में, आप अपनी धर्मपत्नी, पुत्रों, बहु - बेटियों एवं नात नातियों से भरे पूरे परिवार के साथ दीर्घायु हों,आप पूर्णतः स्वस्थ रहें, यशस्वी हो, ऐसी शुभेच्छाओं के साथ हम सब आपके जीवन की मंगल कामना करते हैं।

स्थान :- पीताम्बरपुर
तिथि :-

विद्यालय परिवार
प्राथमिक विद्यालय पीताम्बरपुर एवं संकुल संसाधन केंद्र, पीताम्बरपुर प्रखंड़-: डिहरी

शिक्षक या अन्य कर्मचारी के सेवानिवृत्ति पर सम्मान पत्र कैसे लिखें How to write a Respect for the retirement of teachers or other employees.

आवेदन पत्र कैसे लिखें(How to write application form.)

आवेदन पत्र कैसे लिखें(How to write application form.)

आज मैं आप लोगों को आवेदन पत्र कैसे लिखते हैं। उनके बारे में बता रहा हूं। जिन को आवेदन पत्र लिखने नहीं आता है। उनके लिए तो यह आर्टिकल काफी मददगार साबित होगा।लेकिन जिन को आवेदन पत्र लिखने आता होगा। उन लोगों को भी जरूर कुछ न कुछ सीखने को मिल सकता है।

विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय में प्रधानाध्यापक के पास आवेदन पत्र कैसे लिखें।

प्रधानाध्यापक के पास छुट्टी के लिए एक आवेदन पत्र लिखिए।

सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक, महोदय
हाई स्कूल, पटना
विषय-: छुट्टी लेने के संबंध में।ेे
महाशय,
          सविनय निवेदन यह है कि मेरे बड़ी दीदी की शादी होने वाली है। जिस कारण मैं दिनांक 02-03 -19 से 05-03- 19 तक विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता हूंँ।
           अतः श्रीमान् से नम्र निवेदन है कि मुझे दीदी की शादी में शामिल होने हेतु चार दिनों की छुट्टी देने का कृपा प्रदान करें। इसके लिए मैं आपका सदा आभारी रहूंँगा।
                              आपका आज्ञाकारी छात्र
                              नाम -: विवेक कुमार
                              रोल नंबर -: 03
                              कक्षा -:7
                              दिनांक-:01-03-19

प्रधानाध्यापक के पास, बैंक जाने के लिए एक आवेदन पत्र लिखिए।

सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक,महोदय
मध्य विद्यालय पटना
विषय-:  खाता रिओपन कराने हेतु, बैंक जाने के संबंध में।
महाशय,
          सविनय निवेदन यह है कि मेरा खाता बंद हो गया है। मैं उस खाता को फिर से रिओपन करना चाहता हूंँ। जिस कारण में 11:30 बजे से विद्यालय के पठन पाठन कार्य नहीं कर सकता हूं।
           अतः श्रीमान से नम्र निवेदन यह है कि मुझे बैंक जाने की अनुमति प्रदान करने की कृपा करें। ताकि विद्यालय से जो भी प्रोत्साहन राशि मिले। वह राशि मेरे खाता में जमा हो सके।
                                           आपका आज्ञाकारी छात्र                                                 नाम-: कौशल कुमार
                                           रोल नंबर-: 8
                                           वर्ग-: 8
                                           दिनांक-:02-03-19

प्रधानाध्यापक के पास एक आवेदन पत्र लिखिए। जिसमें महाविद्यालय परित्याग पत्र की मांग हो

सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक, महोदय
जैन कॉलेज, आरा
विषय-: महाविद्यालय परित्याग पत्र लेने हेतु।
महाशय,
           सविनय निवेदन यह है कि मैं आकाश कुमार कक्षा -: I.A, रोल नंबर-: 12, सत्र-: 2017-18 के छात्र हूँ। मैं अपना नामांकन पटना विश्वविद्यालय में करना चाहता हूँँ। जिस कारण मैं अपना महाविद्यालय परित्याग पत्र लेना चाहता हूँँ। ताकि आगे की पढ़ाई पूरा कर सकूं।
           अतः श्रीमान से निवेदन यह है कि मुझे महाविद्यालय परित्याग पत्र निर्गत करने का कृपा करें।
                                    आपका विश्वासी छात्र
                                     नाम -:आकाश कुमार
                                     रोल नंबर -:12
                                     कक्षा -:12
                                     सत्र-:2017-2018
                                     दिनांक: 01- 03-19

प्रधानाध्यापक के पास एक आवेदन पत्र लिखिए। जिसमें स्कूल फीस माफ करने की मांग की गई हो।

सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक, महोदय
पटना यूनिवर्सिटी, पटना
विषय-:  फीस माफ करने हेतु।
महाशय,
          उपर्युक्त विषय के संदर्भ में कहना है कि मेरे पिता का एक छोटी दुकान है। उनका आय अधिक नहीं है। और परिवार के सात व्यक्तियों का बोझ उठाते हैं। मैं आपके विश्वविद्यालय के फीस देने में असमर्थ हूँ। जिस कारण मैं आगे की पढ़ाई जारी रखने में भी असमर्थ हूँ।
          अतः श्रीमान् से नम्र निवेदन यह है कि मेरा फीस माफ करने की कृपा की जाय। ताकि मैं अपना आगे की पढ़ाई जारी रख सकूँ। इसके लिए मैं आपका सदा आभारी रहूँँगा।
                                      आपका आज्ञाकारी छात्र
                                      नाम-:विकास कुमार
                                      क्रमांक-:15
                                      कक्षा-:B.A part -1
                                      दिनांक-:02-03-19

प्रधानाध्यापक के पास एक आवेदन पत्र लिखिए।जिसमें विषय बदलने की अनुमति ली गई हो।

सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक, महोदय
जैन कॉलेज, आरा
विषय-: सहायक विषय बदलने की अनुमति हेतु।
महाशय,
           उपर्युक्त विषय के संदर्भ में कहना है कि मैं विकास कुमार, कक्षा-: B.A पार्ट-1 विषय-: इतिहास (प्रतिष्ठा) में पढ़ता हूँँ। जिसमें सहायक विषय राजनीति शास्त्र के जगह पर मनोविज्ञान विषय लेना चाहता हूँँ।
           अतः श्रीमान् से नम्र निवेदन यह है कि मैं अच्छे से उस विषय का पढ़ाई कर सकूँँ। इसके लिए मेरे सहायक विषय को बदलने की अनुमति प्रदान की जाय।
                         विश्वासभाजन
                         नाम-: विकास कुमार
                         क्रमांक -: 22
                         कक्षा -: बी ए पार्ट वन
                         सत्र-: 2017 -18

प्रधानाध्यापक के पास एक आवेदन पत्र लिखिए। जिसमें हिंदी के अध्यापक पद के बारे में नौकरी के लिए गए हो।

सेवा में,
श्रीमान प्रधानाध्यापक, महोदय
डीएवी पब्लिक स्कूल धनुपरा, आरा
विषय-: हिंदी के अध्यापक पद हेतु।
महाशय,
           उपर्युक्त विषय के संदर्भ में कहना है कि आपके विद्यालय के तरफ से दैनिक जागरण समाचार पत्र में प्रकाशित हिंदी पद के लिए अध्यापक की आवश्यकता है।
           मैं राज कुमार M.A, B.Ed हिंदी का छात्र हूँँ। मैं हिंदी अध्यापक पद के लिए सारे योग्यता रखता हूँँ।
         अतः श्रीमान् से नम्र आग्रह यह है कि मुझे हिंदी अध्यापक का पद देने की अनुमति प्रदान की जाए। ताकि मैं  सबसे अच्छा एवं बेहतर शिक्षा छात्र/छात्रा को दे सकूँँ।

संलग्नक
biodata
मैट्रिक अंक प्रमाण पत्र
मैट्रिक मूल प्रमाण पत्र
इंटर मूल प्रमाण पत्र
इंटर अंक प्रमाण पत्र
बी ए अंक प्रमाण पत्र
B.A मूल प्रमाण पत्र
B.Edअंक प्रमाण पत्र
B.Ed मूल प्रमाण पत्र
M.A अंक प्रमाण पत्र
एम ए मूल प्रमाण पत्र
                                                       विश्वासभजन
                                                   नाम-: राज कुमार
                                                 M.A,B.Ed (हिन्दी)

भारतीय स्टेट बैंक के बैंक मैनेजर के पास एक आवेदन पत्र लिखें। जिसमे पासबुक भूल जाने का जिक्र हो।

सेवा में,
शाखा प्रबंधक, महोदय
एसबीआई, पटना
विषय-: पासबुक भूल जाने के संबंध में।
महाशय,
         उपरोक्त विषय के संदर्भ में कहना है कि मैं जितेंद्र कुमार, मैं आपके बैंक का खाताधारी हूँँ। मेरा खाता संख्या-: 23×5 ×××× है। जो कि भूल गया है।
          अतः श्रीमान् से नम्र निवेदन यह है कि मेरा नया पासबुक निर्गत करने का कृपा प्रदान की जाए। जिसे कि मैं आगे भी सेवा में बना रहा हूँँ।
                                     विश्वासभाजन
                                     नाम-: जितेंद्र कुमार
                                     खाता संख्या-: ×××××××××××
                                     पता -:×××
                                     दिनांक-: 05-03-19

प्रधानाध्यापक के पास एक आवेदन पत्र लिखिए। जिसमें आकस्मिक अवकाश एवं रविवारीय छुट्टी का उपभोग किया गया हो यह अध्यापक गण के लिए है।

सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक, महोदय
मध्य विद्यालय फुलवारी, पटना
विषय-: आकस्मिक अवकाश के संबंध में।
महाशय,
             उपरोक्त विषय के संदर्भ में कहना है कि मेरे घर पर एक अति आवश्यक कार्य है। जिस कारण मैं दिनांक 05-03-19 से 10-3-19 तक विद्यालय कार्य करने में असमर्थ हूँँ।
             अतः श्रीमान से नम्र निवेदन यह है कि यह है कि मुझे उक्त दिनों की आकस्मिक अवकाश एवं रविवारीय  अवकाश का उपभोग करते हुए।स्वीकृत करने का कृपा प्रदान करें।
                                                      विश्वासभाजन                                                               अजय कुमार
                                                       प्रखंड़ शिक्षक
                                                       मध्य विद्यालय                                                               फुलवारी,पटना
                                                      दिनांक-:02-03-19

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day)

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day)

विश्व में प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) मनाया जाता है। हमारे भारतीय समाज में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के अवसर पर महिलाओं के उनके कार्यों के लिए सम्मान एवं आदर किया जाता है।


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के अवसर पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। जिससे महिलाओं के प्रति लोगों का आदर,प्रेम, प्रशंसा एवं सम्मान करते रहे। वैसे हमारे भारतीय समाज में महिलाओं को आज भी उनका स्थान देवी माँँ या पूजनीय है। वह हर ऐसा काम करती हैं जिस पर पहले पुरुषों का अधिकार होता था। लेकिन वह काम आज महिलाएं कर रही हैं।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के अवसर पर कई महिलाओं को उनके विशेष कार्यो के लिए पुरस्कृत या सम्मानित किया जाता है।

आज से डेढ़ सौ से 200 वर्ष पहले महिलाओं को किसी भी तरह की नौकरी या कार्य नहीं करने दिया जाता था। कुछ महिलाएं मजदूरी कर अपना भरण-पोषण करती थी। वहीं महिलाओं ने धीरे-धीरे एकजुट होना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे महिलाएं अपनी ताकत को दिखाना शुरू कर दिया।

इसके बाद महिलाएं अपने मताधिकार, राजनीति,आर्थिक एवं अन्य बहुत सारे मामलों में अपना परचम लहराया। फिर क्या पूरुषो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना शुरु कर दिया।

आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day)भले ही मना लेते हैं। लेकिन आज भी महिलाओं की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। क्योंकि आज भी महिलाएं अपने को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना आज भी करना पड़ता है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाना तो शुरू कर दिया लेकिन आज भी समाज में महिलाओं को पूरी तरह से आजादी नहीं मिल पाई।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, महिला आयोग,मातृ दिवस एवं अन्य कई सम्मान महिलाओं को प्रेरित करने के लिए ये सभी योजनाएं लागू की जाती है। विश्व में महिलाओं के प्रति सोच अच्छा हो सके। महिलाएं आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़े, सदैव ही पुरुषों के साथ या उनसे भी आगे तत्परता से निरंतर बढ़ते रहें।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सभी महिलाएं अपने सम्मान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें। ताकि महिलाओं की ताकत का अंदाजा लग सके। सभी महिलाएं इससे प्रेरित भी होती हैं।

परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं(How to get diagnosed with fear of exam.)

परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं (How to get diagnosed with fear of exam.)


परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं (How to get diagnosed with fear of exam.) इसके लिए कुछ बिन्दुओं पर विचार करना अति आवश्यक है।

परीक्षा का अर्थ "दूसरों की इच्छा " उसे कहते हैं, परीक्षा । अर्थात् जब कोई व्यक्ति या संस्था परीक्षा लेता है, तब एक दूसरे व्यक्ति के द्वारा प्रश्न पत्र तैयार होता है। अधिकांश बच्चे, बड़े या अच्छे जानकार व्यक्ति परीक्षा के नाम से भागते या डरते हैं। 

परीक्षा के समय बच्चों में तनाव अधिक हो जाता है। बच्चें एक वर्ष कठिन परिश्रम करते हैं। और मात्र दो घंटे के परीक्षा में उसका मूल्यांकन किया जाता है। कुछ बच्चे को मूल्यांकन का भय अधिक होता है। वे दिन-रात परिश्रम करते हैं। कुछ बच्चे अधिक तनाव महसूस करते हैं। परीक्षा के समय में तनाव में नहीं रहना चाहिए। तनाव के कारण मस्तिष्क से स्मरण शक्ति कम होने लगता है। आप जो भी पढ़ते हैं, वे भूल जाएंगे।

 "परीक्षा से तुम डरो ना भाई ,अपने पढ़ाई में ध्यान लगाई।" 

एक कहावत है जो डर गया सो मर गया। यानी परीक्षा का भय नहीं होना चाहिए। कुछ बच्चों के माता-पिता का दबाव अधिक रहता है। जिस कारण सेे बच्चों में तनाव उत्पन हो जाते हैं।

    परीक्षा संबंधी डर को निम्न तरीकों से जानेंगे।

➡️आत्म - विश्वास की कमी -: कुछ  बच्चेे पढ़ाई में मेहनत बहुत करते हैं। रात दिन मेहनत करने के बाद भी अपने पर विश्वास नहीं करते है। बच्चे मेें परीक्षा का भय रहता है।

➡️नकारात्मक सोच -: कुछ बच्चे परिश्रम करते हैं। पढ़ाई में भी बहुत अच्छे होते हैं, परन्तु उनका सोच नकारात्मक होता है। वैसे बच्चे को परीक्षा में भय बना रहता है। वह यह सोचता है कि इस क्वेश्चन को याद करने से फायदा होगा या नहीं। इसी सोच के कारण बच्चे आगे नहीं बढ़ पाते है।

➡️लक्ष्य बनाकर पढ़ना -: कुुुछ बच्चें लक्ष्य बनाकर पढ़ते हैं। रात दिन परिश्रम करके पढ़ाई करते हैं कि परीक्षा में अच्छे अंक लाए। यानी हंड्रेड परसेंट। उनका परीक्षा भी बहुत अच्छा जाता है। अगर एक क्वेश्चन का आंसर नहीं दें पाय, तो परीक्षा में कम अंक का डर बना रहता है।

➡️सिलेबस पूरा न होना -:  कुछ बच्चे मौज मस्ती में अपना समय बर्बाद कर देते हैं। परीक्षा के समय तनाव में हो जाते हैं। उनका तनाव धीरे - धीरे बढ़ता जाता है। एक वर्ष का कोर्स  कुछ दिनों में खत्म करने के चक्कर में रहते हैं। जिससे मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है।

➡️वर्ग कक्ष में छात्रों द्वारा लापरवाही-: जब वर्ग कक्ष में शिक्षक द्वारा अधिगम कराया जाता है, तो कुछ बच्चे बातें ध्यान से नहीं सुनते हैं। न गृह कार्य और न याद करते है। जिस कारण परीक्षा में डर बना रहता है।

 ➡️विषयबार डर-: कुछ बच्चे को कुछ विषयो में रुचि रहता है। जिस विषय में रुचि रहता है। उस विषय को अधिक पढ़ते हैं। जिस कारण अन्य विषय छुट जाते हैं। परीक्षा के समय अधिक भय बना रहता है।

➡️परीक्षा कक्ष में जाने से पहले भूल जाना-: बच्चे परीक्षा केंद्र पर उत्साह के साथ जाते हैं। वहां जाने के बाद लगता है कि सारी पढ़ाई भूल गए हैं। उस समय बच्चे तनाव में हो जाते हैं। तनाव के कारण परीक्षा अच्छा नहीं जाएगा।

➡️परीक्षा संबंधित अन्य भय-:
▶️ याद कर के जाने के बाद वह प्रश्न ना आना।
▶️ प्रश्नों का उत्तर गलत हो जाना
▶️ परीक्षा केंद्र पर जाने के क्रम में आंखों में धूल पड़ना बस,  ट्रेन छूट जाना या लेट हो जाना। इस से भी परीक्षा का भय बना रहता है।

परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं (How to get diagnosed with fear of exam.) उनके कुछ महत्वपूर्ण तरीके।

  आत्मविश्वास।

  सकरात्मक सोच।

  लक्ष्य बनाकर पढ़ना।

  सिलेबस पूरा करना।

  वर्ग कक्ष में ध्यान देना।

  सभी विषयों को बराबर ध्यान देना।


परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं (How to get diagnosed with fear of exam.)


निष्कर्ष-: परीक्षा के नियत समय से पहले से ही बच्चे तैयारी करते हैं। प्रतिदिन अभ्यास करके परीक्षा की तैयारी करते हैं। परीक्षा के दिनों में सभी बच्चों को तनाव हो जाते हैं। परीक्षा का भय से तनाव बना रहता है। कुछ बच्चे जीवन के प्रति तत्परता दिखाते हैं। इस कारण परीक्षा में सफल हो जाते हैं।बच्चे को परीक्षा देने से जीवन में कठिनाइयों का सामना करना आसान हो जाता है।


परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं (How to get diagnosed with fear of exam.)

Web Hindi Duniya: आदर्श अध्यापक के कर्तव्य (Duties of the ideal teac...

Web Hindi Duniya: आदर्श अध्यापक के कर्तव्य (Duties of the ideal teac...: आदर्श अध्यापक के कर्तव्य (Duties of the ideal teacher) समाज निर्माण में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होते हैं ।क्योंकि विद्यालय समाज के ...

आदर्श अध्यापक के कर्तव्य (Duties of the ideal teacher)

आदर्श अध्यापक के कर्तव्य (Duties of the ideal teacher)

समाज निर्माण में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होते हैं ।क्योंकि विद्यालय समाज के प्रांगण में आते हैं, बच्चे उसी समाज के हिस्से होते हैं। प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक जैसा कार्य करते हैं, यानी आदर्श अध्यापक के कर्तव्य(Duties of the ideal teacher)को देखकर बच्चे सीखते हैं। अध्यापक बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ ,एक अच्छे नागरिक बनने के लिए प्रेरित करते हैं।

               आदर्श शिक्षक समय का सही सदुपयोग करते हैं। बच्चों के समय की महत्व के बारे में बताते हैं। समय के अनुसार सुनियोजित, योजनाबद्ध तरीके से विषय का पूर्ण ज्ञान कराते हैं। जिससे बच्चों को अच्छी तरह  से अधिगम करा सकें।
               आदर्श अध्यापक के कर्तव्य (Duties of the ideal teacher) है कि उनके व्यवहार में नम्रता एवं विनम्रता का भाव हो, उनमें सहजता गंभीरता एवं विद्वता झलकता हो ,उनकी वाणी ऐसी हो कि बच्चे के मन को जीत ले ।
               वैसे तो शिक्षक का पद अत्यंत गरिमा पूर्ण होता है, क्योकिं "जिस प्रकार खेती के लिए बीज, खाद एवं उपकरण के रहते हुए, अगर किसान नहीं हैं, तो सब बेकार है।उसी प्रकार विद्यालय के भवन, शिक्षण सामग्री एवं छात्रों के होते हुए, शिक्षक नहीं हैं तो सब बेकार है।" शिक्षक शब्द तीन अक्षरों के मेल सेे बना है लेकिन शिक्षक का अर्थ व्यापक है।

                        शि-सीखाने वाले।
                        क्ष-क्षमा करने वाले।
                        क- कामयाबी पर पहुंचाने ।

अर्थात् सीखाने वाले, क्षमा करने एवं कामयाबी प्रदान कराने वाले शिक्षक आत्मज्ञानी एवं महान होते हैं।

            आदर्श अध्यापक (The ideal teacher) के निम्न गुण होते हैं-:

1) समय का पालन करना।

2) नम्र भाषा का प्रयोग करना।

3) सहयोग की भावना।

4) जाति एवं धर्म की बातें ना करना।

5) विषय का पूर्ण ज्ञान।

6) इमानदारी पूर्वक कक्षा कक्ष का संचालन।

7) सृजनात्मक होना।

8) क्रियात्मक एवं रचनात्मक होना।

1)समय का पालन करना-: वो हर कामयाब इंसान जो आज सफलता  के उस मंजिल को प्राप्त किये हैं। वे समय का पालन करके ही उस मंजिल को प्राप्त किये है। जो इंसान समय का कद्र किया,समय भी उसका कद्र किया है, इसलिए समय का पालन बच्चों को सीखाना बहुत जरूरी है। ऐसे अध्यापक समय का ध्यान रखें तो बच्चे उनके अनुकरण से ही सीखते हैं।

2) नम्र भाषा का प्रयोग करना-: अध्यापक को कक्षा कक्ष में या कहीं भी नम्र भाषा का प्रयोग करना चाहिए। ऐसे भी नम्र भाषा का प्रयोग कर के कठिन से कठिन कार्य आसानी से करवाया जाता है। छात्र/ छात्रा को भी नम्र भाषा का ज्ञान कराना चाहिए।

3) सहयोग की भावना-: अगर विद्यालय को सुचारू रुप से चलाना चाहते हैं, तो सहयोग की भावना शिक्षको में होनी चाहिए। जिसे देख कर बच्चे भी आपस में  सहयोग करने की भावना सीखेगें।

4) जाति एवं धर्म की बातें ना करना-: किसी भी अध्यापक का कोई जाति नहीं होता है। उसका एक ही जात है वह शिक्षक। एसे पूरी  ईमानदारी एवं निष्ठा पूर्वक विषय के ज्ञान कराते हुए ,पढ़ाना चाहिए और कक्षा कक्ष में या कहीं भी जाति या धर्म संबंधित बातें नहीं करना चाहिए। यह शिक्षक को शोभा नहीं देता।

5) विषय का पूर्ण ज्ञान-: जो विषय पढ़ाना है, उस विषय के अध्याय को पहले से पढ़कर विद्यालय जाएं, ताकि बच्चे को उस 40 से 45 मिनट के समय अंतराल में आप अच्छे तरीके से बिना इधर-उधर बातें करते हुए प्रभावी ढंग से बच्चे को अधिगम करा सके।

6) इमानदारी पूर्वक कक्षा कक्ष का संचालन-: कक्षा का संचालन पूरे आत्मविश्वास के साथ करना चाहिए । ताकि बच्चे ध्यान पूर्वक सुने एवं पूरी निष्ठा के साथ पढ़े।

7) सृजनात्मक होना-: अगर अध्यापक सृजनशील हैं , तो बच्चे भी सृजनशील होंगे। क्योंकि अध्यापक बच्चों को सृजनशीलता के बारे में बताते रहते हैं। इससे बच्चे सृजनशील रहते हैं। बच्चों में धीरे धीरे सृजनशीलता आने लगती है।

8) क्रियात्मक एवं रचनात्मक होना-: अध्यापक कक्षा में बच्चों को क्रियात्मक एवं रचनात्मक विधि से सिखाते हैं तो सीखा गया ज्ञान हमेशा मददगार होता है। बच्चों में जरूरी है कि वह खुद से प्रयोग करके ज्ञान अर्जित करे।

निष्कर्ष-: आदर्श अध्यापक के कर्तव्य(Duties of the ideal teacher) बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। वह आत्मविश्वासी ,सृजनशील कर्मो पर विश्वास, नम्र , सरल एवं सीधा स्वभाव के होते हैं । वह सहजतापूर्ण अपने विषयों के ज्ञान छात्र-छात्रों तक आसानी से पहुंचते हैं।विद्यालय के छात्र छात्राओं के साथ खेल-खेल में अधिगम कराते हैं । वह समय पर विद्यालय आते हैं, समय पर सब काम करते हैं। वह समय के महत्व के बारे में विद्यालय के बच्चों को बताते हैं, वह कहते हैं कि एक - एक मिनट कीमती है , जितना हो सके उतना ज्ञान अर्जित कर लो।(Time is money) समय ही धन है।
                                 बच्चों के संग चेतना सत्र में भाग लेते हैं। वह अपना काम शीघ्र खत्म कर के किसी और के भी कामों में हाथ बटा देते हैं । वे हमेशा आगे की सोच रखते हैं।वह आज का काम कल पर नहीं छोड़ते हैं। वह हमेशा अपने कामों का एक सूची बनाकर रखते हैं। जो काम कर लिए ,उस सूची  में सही का निशान लगा लेते हैं। उनके व्यवहार इतने अच्छे हैं कि वह किसी भी संस्था में आसानी से अपने जगह बना लेते हैं। उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान झलकता है  वह व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति होते हैं। वे हमेशा नम्र भाषा का प्रयोग करते हैं। वह हमेशा फॉर्मल कपड़े पहनते हैं उनका पहनावा एक सीधा सदा होता है। उनसे बच्चे हमेशा खुश रहते हैं, क्योंकि विषय के ज्ञान कक्षा को देखते हुए पढ़ाते हैं।

प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे करें(how to improve quality of education in primary schools)

प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे करें(how to improve quality of education in primary schools)

प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार (Improve quality of education in primary schools) के लिए जरूरी है।

शिक्षक समाज के निर्माता होते हैं। समाज में विद्यालय आते हैं। विद्यालय के मुखिया शिक्षक होते हैं। वे भले ही आज पढ़ाते हैं, परंतु उनका सोच यह होता है कि आने वाले दिनों में उन बच्चों का भविष्य बेहतर हो, ऐसे भी शिक्षक समाज से जुड़े रहते हैं। इससे प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति और भी महत्वपूर्ण होते हैं। समाज में शिक्षकों का स्थान युगों युगों से सर्वोपरि होता है। कबीरदास जी कहते हैं -:

" गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पायं। 
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।।"
             
जिस तरह हमारे जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी होते हैं, उसी तरह हमारे जीवन सुधारने के लिए विद्यालय के शिक्षक होते हैं।


प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार (Improve quality of education in primary schools) अति महत्वपूर्ण है। क्योकि शिक्षक उन बच्चों को अनुशासित एवंं अज्ञानता से ज्ञानता की ओर उन्मुख कराते हैं। विद्यालयी शिक्षा जीवन में हमेशा मददगार होता है। बच्चे बड़े होकर अपने जीवन को बेहतर ढंग से प्रारंभ कर सकते हैं।
             
विद्यालय को विद्या के मंदिर और उस मंदिर का पुजारी शिक्षक और बच्चे होते हैं। जिसमें बच्चों को ज्ञान का बोध कराते हैं। हालांकि स्थितियां बदल चुकी है। कुछ जगहों पर अभी भी शिक्षक की स्थिति ठीक है। लेकिन कुछ जगहों पर स्थितियां बिल्कुल बदल गई हैं। जिस प्रकार Facebook के प्रोफाइल पिक्चर बदलते हैं, उसी प्रकार शिक्षक की स्थिति दिन-प्रतिदिन बदलती चली जा रही है।

प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार (Improve quality of education in primary schools)        

शिक्षक समाज पर यह आरोप लगाया जाता है कि शिक्षक छात्रों को नहीं पढ़ाते है। लेकिन कभी कोई यह नहीं कहता है कि सरकार शिक्षक को पढ़ाने नहीं देना चाहती हैं। इसमें सारे दोष सरकार का ही है, सरकार का कोई भी कार्यक्रम प्राथमिक विद्यालय से जोड़ दिया जाता है। इसमें शिक्षक शिक्षा से बिल्कुल अलग हो जाते हैं। बच्चों को भी उस कार्यक्रम के तहत विद्यालय तो आते हैं, लेकिन शिक्षक से जुड़ नहीं पाते हैं।
         

प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे करें(how to improve quality of education in primary schools)


प्राथमिक विद्यालय की स्थिति सरकार के द्वारा विद्यालय में छात्रवृत्ति एवं पोशाक राशि कार्यक्रम चलाये जाते हैं। वह गरीब बच्चों के लिए बहुत ही जरूरी है। इसमें बच्चे के कुल उपस्थिति के 75 % वाले छात्रो को छात्रवृत्ति एवं पोशाक  राशि दी जाती है। विद्यालय में सभी जातियों के बच्चे पढ़ते हैं। सरकार की तरफ से फरमान SC,ST, BC,EBC,Gen.के सभी कोटि के बच्चे को अलग -अलग  छात्र का नाम ,पिता का नाम, माता का नाम, वर्ग, वर्ग क्रमांंक,जाति ,आधार संख्या, खाता संंख्या , बैंक का नाम , Ifec code, मोबाइल नंबर एक format में अलग-अलग करके एक या 2 दिनों के अंदर दिया जाए। अब शिक्षक पढ़ाए कि छात्रों के Bio-data लिखें।

प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे करें(how to improve quality of education in primary schools) निम्न तरीके हैं-:


शिक्षक की नियुक्तियाँँ -: प्रत्येक विद्यालय में विषयवार शिक्षक की नियुक्तियाँ हो। जिसे प्राथमिक विद्यालय के बच्चे हर विषय पढ़ सकें। इसके बाद प्रत्येक विद्यालय में क्लर्क एवं चपरासी की नियुक्ति हो। जिससे शिक्षक विद्यालय में पठन पाठन का कार्य कर सकें।


शिक्षक को ससमय वेतन-: प्रत्येक शिक्षक के साथ चार से पांच लोग जुड़े रहते हैं। वेतन के अभाव में, वे अपने परिवार एवं बच्चे को सही ढंग से नहीं रख पाते हैं। जिससे सारा ध्यान पैसे पर रहता है। घर के राशन नहीं है। दुकानदार से 6 महीने से उधारी ले कर अपना खर्च चलाते है। शिक्षक को प्रत्येक महीने समय से वेतन नहीं मिलने के कारण शिक्षक अच्छे ढ़ग से नहीं पढ़ा पाते। अगर प्रत्येक महीने शिक्षक को समय पर वेतन मिले तो शिक्षक का मन इधर-उधर नहीं भटकेगा। जिस कारण विद्यालय के बच्चों को पढ़ाने में भी मन लगा रहेगा।


शिक्षक को गैर शैक्षणिक कार्य से विमुक्त करें-: विद्यालय के शिक्षकों द्वारा छात्रों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं , तो गैर शैक्षणिक कार्य शिक्षक से न करायेे । शिक्षक को अन्य कार्य में लगा दिया जाता है जिससे कि विद्यालय के बच्चे को पढ़ा नहीं पाते । इसलिए गैर शैक्षणिक कार्य नहीं कराया जाए।


शिक्षकों का मानसिक एवं आर्थिक शोषण-:
सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बिना सोचे समझे फरमान जारी कर देते हैं । जिसके कारण विद्यालय के बच्चों के पढ़ाई नहीं हो पाता।


निष्कर्ष-

प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे करें(how to improve quality of education in primary schools) विद्यालयों की स्थितियाँ बिल्कुल ही बदल गया है। यह आरोप लगाया जाता है कि शिक्षक अपने कर्तव्य से हट गए हैं। गैर शैक्षणिक कार्यों के कारण शिक्षा को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। शिक्षकों को प्रतिदिन अनेकों प्रकार के कार्य दिए जाते हैं जिससे शिक्षक बच्चों को ठीक ढंग से शिक्षण नहीं करा पाते हैं।

दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र

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आवेदन पत्र कैसे लिखें