सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking)

सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking)

आज सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking) से संसार में बहुत से लोगो के विचारों में शुद्धता और कार्य में निष्ठा वाले मनुष्य जीवन में सफल हुए। उस सफलता का मूल मंत्र मनुष्य अपने सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking) या सकारात्मक सोच की शक्ति से जीवन को बेहतर बनाया।

सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking)
सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking) 

सकारात्मक सोच -: सकरात्मक सोच में इंसान अच्छाई, भलाई, सहायता करना या हमेशा बढ़ियां कार्य सोचते रहते हैं। जो इंसान सकारात्मक सोचते हैं। वह बहुत आगे बढ़ते हैं। और जो इंसान नेगेटिव सोचते हैं। वह कभी आगे नहीं बढ़ते हैं। यानी बुराई, ईर्ष्या एवं जलनशीलता के कारण वह इंसान कभी आगे नहीं बढ़ते हैं।

सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking)


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आज से ही अपने विचारों में शुद्धता, कार्य में निष्ठा एवं  सकारात्मक सोच वाले इंसान बनने के प्रयास करे। ताकि आपको भी सफलता यथा शीघ्र प्राप्त हो सके।


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जो मनुष्य अच्छा सोच यानी सकारात्मक सोच की अद्भुत शक्ति को पहचान लिए हैं। वह इंसान सब कुछ प्राप्त कर सकता है। जो इंसान सकारात्मक सोच वालेे होते हैं। वह जो भी इक्क्षा की कामना करते हैं। तो उस इच्छा को पूरी करने के लिए आसपास के लोग, आकाश-पाताल, वातावरण, यहां तक कि ब्रह्मांड भी उस सकारात्मक सोच या अच्छे विचारों वाले 
व्यक्ति की इक्क्षा पूरी करने के लिए, यह सारी ताकते इक्क्षा को पूरी करने में लगा देते हैं।


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सकारात्मक सोच के फायदे


जिस इंसान ने विचारों में शुद्धता और कार्य में निष्ठा रखते हो उस इंसान को अपने जीवनकाल में कभी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता है। अपने जीवन काल में कैसा भी परिस्थिति हो वह अपने आप को बेहतर रखते हैं।

सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking)

सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking)




सकारात्मक सोच की कला  


यह एक कला है। बखूबी सकारात्मक सोच की कला सभी इंसान को समझने की जरूरत है। जो इस कला को समझ गया। वह काफी खुशहाल और अच्छा व्यक्तित्व का इंसान बन चुका है। यह कला सीखना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप मोटिवेशन बुक पढ़ सकते हैं।


विचारों में शुद्धता क्या है ? 


विचारों में शुद्धता को हम सीधे और आसान शब्दों में हम कह सकते हैं। अच्छा सोच वाले व्यक्ति हमेशा अपने जीवन में दूसरों के प्रति भलाई, सहायता या सहानुभूति रखते हैं। इस विचार वाले व्यक्ति जीवन में सफल होते हैं।


कार्य में निष्ठा क्या है ?


व्यक्ति अपने कर्मों पर विश्वास करते हैं। कर्मो पर विश्वास करने वाले, व्यक्ति ही जीवन में सफलता के सीढ़ियां चढ़ना आसान कर देते और एक अच्छे जीवन का शुरूआत करते हैं।


सकारात्मक सोच की कहानी


एक मित्र के जन्म दिन कुछ दिनों के बाद था। फिर एक दूसरे मित्र ने सोचा कि उसके जन्मदिन के अवसर पर, मैं सबसे बढ़िया उपहार दूंगा। लेकिन उसके पास पैसा नहीं था। फिर भी उसका सोच सकारात्मक था। जन्म दिन आते-आते उसके पास पैसा आ गया। और वह जन्म दिन के अवसर पर बहुत बढ़िया उपहार दिया। यह उसका सकारात्मक सोच का ही प्रभाव था कि उस लड़का के पैसा न रहते हुए, भी उसे पैसा कहीं ना कहीं से प्राप्त हो गया। उस पैसे को प्राप्त करने के लिए उसका सोच सकारात्मक था। यह सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking) था। 

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निष्कर्ष -: सकारात्मक सोच का जादू (Magic of positive thinking) हमारे जीवन के लिए बहुत उपयोगी है। प्रत्येक मनुष्य को सकारात्मक सोच के महत्व केेे बारे में जानकारी होनी चाहिए। तथा सकारात्मक सोच के लाभ से प्रत्येक नागरिक को एक अच्छा इंसान बन सकते हैं।


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कन्या भ्रुण हत्या(female foeticide)

कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide)     

भारत के अधिकांश हिस्सों में पढ़े लिखे लोगों की संख्या अधिक होने के बावजूद भी कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) क्यों ? इस विषय में सोचना अति आवश्यक है। हमारे समाज में बहुत सी कुरीतियां हैं इन कुरीतियों को दूर करने की जरूरत है। 

कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) अधिकांश हर वर्ग या समाज में हो रहे हैं। इसके लिए लोगों को जागरुक करना अति आवश्यक है, आज हम लोग कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) के बारे में जानेंगे।

कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) के कारण -:

लड़की के जन्म लेते ही माता-पिता पर बोझ हो जाती है। क्योंकि दहेज के रूप में उन्हें बहुत बड़ी रकम देना पड़ता है। इसकी वजह से वह कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) जैसे अपराध करने के लिए तैयार हो जाते हैं। इसके अलावा हमारे समाज के कुछ व्यभिचारी व्यक्ति अपने गंदे मनसे के साथ लड़कियों को हवस का शिकार बनाते हैं। जिस दिन यह दो सामाजिक बुराइयां खत्म हो जाएगा। फिर कोई कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) नहीं होगा।
                      
                      1) दहेज प्रथा
                      2)लड़कियों का सुरक्षा    

 कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) क्या है ? 

आज के इस महान वैज्ञानिकरण के तकनीक के कारण जन्म से पहले यह जान लेते हैं कि हमारे जीवन में आने वाला बच्चा लड़का या लड़की है। अब क्या होता है। यदि पेट में पल रहे बच्चा लड़की हुई, तो तुरंत ही कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) , गर्भपात या अन्य कारण से नष्ट करना निश्चित करते हैं। अगर लड़का हुआ तो खुशी से झूम कर मिठाइयां और पैसे बांटते हैं। 

यह लड़के और लड़कियों में अंतर करते हैं। अनपढ़ माता-पिता अधिकतर लड़के और लड़कियों में भेदभाव करते हैं। लेकिन कहीं-कहीं देखा जा रहा है कि पढ़े लिखे लोग भी लड़के और लड़कियों में भेदभाव करते रहते हैं।

एक ग्रामीण गांव में जब हम घूमने गए थे। तब वहां हमें पता चला कि लड़कों को प्राइवेट विद्यालय में पढ़ाते हैं। और लड़कियों को सरकारी स्कूलों में। क्योंकि उनका यह मानना है कि लड़का प्राइवेट में पढ़ेगा तो कुछ आगे बन जाएगा। लेकिन अधिकांश लड़कियां पढ़ने में बहुत तेज होती हैं। यहां हमारे समाज लड़का और लड़की में यह अंतर करते हैं।

भारत तकनीक क्षेत्रों में काफी तीव्र गति से प्रगति कर रहा है। बहुत से टेक्नोलॉजी का विकास हुआ। लेकिन आज भी बेटियों को लेकर हमारी सोच अब तक नहीं बदली। उस विकास के प्रयोग से हमें हमेशा सहायता ही मिला है। लेकिन इसका प्रयोग हम गर्भ में पल रही बेटी की हत्या के लिए इस विकास का उपयोग करना बेहतर समझा। यदि केवल बेटा ही बेटा यानि पुरुषों का समाज वहां महिला एक भी नहीं होंगी, तो हम अपने जीवन को आगे नहीं बढ़ा सकते।  क्योंकि जीवन  को आगे बढ़ाने के लिए स्त्री और पुरुष दोनों का होना अनिवार्य है। अगर केवल पुरुष ही समाज में रहेगा तो परिवार नहीं बन पाएगा। क्योंकि हमारे समाज में कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) बहुत तेजी से हो रहा है।

आज भी यहां के लोगों का विचार रुढ़िवादी है। सोच रुढ़ीवादी और कल्पना करते हैं। भारत एक विकसित देशों के श्रेणी में आए। यह तभी होगा जब सोच अच्छा होगा। हमारे समाज में आज भी लड़का और लड़की में भेदभाव किया जाता है। बहुत से माता-पिता भी लड़को और लड़कियों में अंतर करते हैं।

सामाजिक भेदभाव -: आज भी भारतीय समाज में एक गंदी सोच के कारण कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) निसंकोच ही कराते हैं। भारतीय समाज में औरतों को दबाव बनाकर उन महिलाओं से गर्भपात कराने के लिए मजबूर कराते हैं। कुछ महिलाएं स्वयं से भी गर्भपात कराने के लिए तैयार हो जाती हैं।


भारत में कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) के परिणाम -:

आज भारत में कन्या भ्रुण हत्या (femalefoeticide)
के कारण लिंगानुपात में बहुत कमी आई है। जिसके कारण भारत में 1000 पुरुष पर 940 महिलाओं की संख्या है। अगर राज्यो का निर्धारण करें, तो हरियाणा, पंजाब, गुजरात, बिहार आदि। राज्यों में लिंगानुपात में काफी कमी आई है।

कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) के परिणाम निम्न है।

लड़कियों की संख्या में कमी-: समाज से लड़कियों की संख्या में लगातार कमी दिख रही है। शादी के लिए लड़कियों की संख्या में काफी कमी है। हरियाणा के लिंगानुपात 1000 पूरुष पर 798 महिला है। बहुत लड़को की शादी नहीं हो पाएगा। कन्या भ्रुण हत्या(female foeticide) का परिणाम है।

महिलाओं में अनेकों रोग का कारण -: यदि एक महिला गर्भपात कराती है, तो उसका शरीर कमजोर हो जाता है। कमजोरी के कारण अनेकों रोग पकड़ लेता है। जिस कारण अधिकांश कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) के दौरान ही उनकी मृत्यु हो जाती है।

कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) पर कानून -:

भारत सरकार के द्वारा लाख कोशिश करने के बाद भी कन्या भ्रूण हत्या में कमी नहीं आई। कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) एक दंडनीय अपराध है। भारत सरकार द्वारा कानून बनाया गया है कि गर्भ में लिंग का पता लगाना एक कानूनी रूप से दंडनीय अपराध है। यदि किसी महिला को गर्भ जांच ने के लिए मजबूर किया गया तो उस महिला को सजा नहीं दिया जाएगा। लेकिन जो व्यक्ति मजबूर करते हैं। उन्हें सरकार द्वारा तीन साल की सजा और ₹10000 जुर्माना देना पड़ता है। डॉक्टर के क्लीनिक में किसी महिला को गर्भपात कराते पकड़े जाने पर उनका लाईसेंस खत्म ,जुर्मना और कड़ी सजा हो सकता है।

निष्कर्ष -: भारतीय समाज में कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) अपने चरम पर है। जिस कारण लड़की की संख्या में कमी होना निश्चित है। एक ऐसा समाज का निर्माण होगा कि केवल लड़कों की संख्या में वृद्धि होते जाऐगा। और नारी विहीन समाज की स्थापना हो जाएगा। ऐसे बहुत विडंबना है कि हमारे समाज में स्त्रियों को देवी के रूप में पूजा जाता है। लेकिन वहीं समाज कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) करके लोग अपराध भी कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए समाज की दो गंंदे कुरीतियों को दूर करना होगा।

                      1) दहेज प्रथा
                      2)लड़कियों का सुरक्षा 

जिस दिन समाज में दहेज प्रथा और लड़कियों का सुरक्षा के लिए समाज और जन मानस तैयार हो जाता है। उस दिन से कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) खत्म होना निश्चित है।

जनसंख्या को कैसे नियंत्रण करें ( How to control population.)

     जनसंख्या को कैसे नियंत्रण करें।
 ( How to control population.)

आज विश्व के सामने अगर सबसे बड़ी चुनौती है, तो वह है जनसंख्या को कैसे नियंत्रण करें। ( How to control population.) यदि जनसंख्या पर नियंत्रण हो जाए तो वह सारी सुविधाएं हमें प्राप्त होने लगेंगे। जो हमें नहीं प्राप्त हो रहे हैं। जैसे -: नौकरी, उद्योग, कृषि एवं बेरोजगारी आदि। यही नहीं कृषि उत्पाद खाने से अधिक होने लगे तो बाहर के देशों में बेचा भी जा सकता है। जिससे देश आर्थिक रुप से संपन्न हो सकता है। और विकसित देशों की श्रेणी में आ सकता है।

जनसंख्या वृद्धि क्या है ?

एक निश्चित भू भाग पर रहने वाले मनुष्यों में अधिक मनुष्य हो जाना ही जनसंख्या वृद्धि कहलाता है। जिस कारण निश्चित भू भाग निश्चित ही रहेगा। जन मानस की संख्या बढ़ेगा, तो निश्चित भूभाग नहीं बढ़ेगा। क्योंकि जनसंख्या बढ़ने का मतलब उस निश्चित भू भाग में कमी, उस कमी को पूरा करने के लिए इंसान खेती योग्य भूमि पर निवास करना अनिवार्य हो जाता है। अब खेती योग्य भूमि की कमी होना स्वभाविक है। यदि खेती न होने पर मानव के लिए गेहूं, चावल और अनाज की कमी हो जाना निश्चित है। इसलिए जनसंख्या को कैसे  नियंत्रण करें।

जनसंख्या वृद्धि के कारण-:

शिक्षा के अभाव -: अधिकांश लोग शिक्षा के अभाव में ही जनसंख्या में वृद्धि करते हैं। क्योंकि शिक्षा नहीं होने के कारण व्यक्ति को समझ नहीं होता है। यदि वह शिक्षित है तो इस बात पर बहुत गंभीरता से सोचता है, कि अधिक जनसंख्या या अधिक बच्चे को जन्म देने से बढ़िया है, कि एक या दो बच्चे को पालन पोषण सही ढंग से किया जाए। क्योंकि इतनी महंगाई में अधिक जनसंख्या बढ़ाना मूर्खता है।

बेरोज़गारी -: जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण बेरोजगारी है। क्योंकि बेरोजगार व्यक्ति का कोई काम धंधा नहीं होने के कारण अधिकांश समय इधर-उधर घूमते या घर में ही रहते हैं। घर में रहने के कारण अधिकांश समय वे अपनी परिवार के साथ रहते हैं। जिस कारण जनसंख्या में वृद्धि हो जाता है। क्योंकि उनके पास मनोरंजन का कोई साधन नहीं है। ऐसा अधिकतर गरीब परिवार में ही देखने को मिलता है।

समझदारी की कमी -: कुछ ऐसे महानुभाव होते हैं। जिनके पास शिक्षा और रोजगार होने के बाद भी लगातार जनसंख्या में वृद्धि करते रहते हैं। क्योंकि वह बच्चे को जन्म देते रहते हैं। और कहते हैं, कि वह अपने भाग्य लेकर आया है। भगवान की देन या अल्लाह की देन भी कहा करते हैं। जिस कारण जनसंख्या में वृद्धि होना लाजमी है। इसमें मनुष्य को अपनी समझदारी का प्रयोग करना चाहिए।

जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम -: 

जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम बहुत ही भयानक है। इसे अनेकों समस्याएं उत्पन्न होती है। वैसे आज कोई ऐसा शहर नहीं जहां की सड़कों पर जाम न लगता हो। प्रतिदिन सड़कों पर जाम मिलता है। आवागमन में घंटों जाम में फंसा रहना। जनसंख्या वृद्धि के कारण मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए खेती योग्य भूमि की कमी होना, पर्यावरण को हानि पहुंचाना, पानी की कमी, ऊर्जा की कमी, पृथ्वी के ताप में वृद्धि आदि प्रमुख दुष्परिणाम है।

 मनुष्य की आवश्यकताएं-: जैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि हो रहा है। वैसे-वैसे मनुष्य की आवश्यकताएं भी बढ़ रहा है। मनुष्य की आवश्यकताओं के लिए जंगलों को काट कर घर बनाना, ऊर्जा की खपत, खेती योग्य भूमि पर भवन निर्माण
के कारण उत्पादन में कमी, कोयले से तापीय विद्युत उत्पन्न करना, रोजगार एवं नए अवसर आदि की आवश्यकता, मनुष्यों के लिए बहुत जरूरी है।

पर्यावरण पर प्रभाव -: जनसंख्या वृद्धि के कारण पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी के ताप को बनाए रखने के लिए एक निश्चित क्षेत्र में वनों का होना आवश्यक है। क्योंकि पेड़ों की कटाई आना धुन, दिन-प्रतिदिन होते जा रहा है।और
कल कारखाने, मोटरसाइकिल, चिमनी एवं गाड़ीयों आदि से हानिकारक गैसे निकल रहा है। जिससे कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, क्लोरो फ्लोरो कार्बन आदि के कारण पृथ्वी के ताप में लगातार वृद्धि होते जा रहा है।

 वैमनस्य की प्रवृति-: जनसंख्या वृद्धि के कारण रोजगार या नौकरी के अवसर न होने से लोगो में वैमनस्य की प्रवृति या अपराध ज्यादा बढ़ गया है। अधिकतर रात या सुनसान जगहों पर छीन झपट होते रह रहा है। यह सब जनसंख्या वृद्धि के कारण ही हो रहा है।

 जनसंख्या नियंत्रण कानून -:

किसी भी देश के लिए जनसंख्या वृद्धि कानून बनाना अति महत्वपूर्ण है। क्योंकि सीमित संसाधन है, तो सीमित संख्या भी होना चाहिए। सरकार को इसके लिए एक बहुत ही कठोर कानून व्यवस्था लागू करना चाहिए। जिससे आम नागरिकों एवम खास नागरिकों को डर बना रहे।

जनसंख्या को कैसे नियंत्रण करें ( How to control population.)-:


जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण करने की उपाय निम्न है -: 


गर्भ निरोधक

शिशु मृत्यु दर में कमी

बंध्याकरण

संभोग स्थगन

गर्भपात

एक शिशु पद्धति अपनाना

छोटा परिवार खुशहाल परिवार

निष्कर्ष-: आज भारत की जनसंख्या विश्व में दूसरे नंबर पर है। यह कुछ ही वर्षों के बाद यह विश्व में जनसंख्या की दृष्टि से एक नंबर पर हो जाएगा। आज भारतीय सरकार एवं जनता  को जागरुक होना अति आवश्यक है। क्योंकि जब तक भारतीय लोग को समझ में आएगा कि जनसंख्या वृद्धि खतरनाक है। तब तक बहुत देर हो जाएगा। इसके लिए कठोर कानून एवं अनेक कार्यक्रम के तहत जनता को प्रोत्साहित करना चाहिए। ऐसे कोई भी सरकार हो जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देने ही चाहिए। उसके साथ साथ जनता को भी जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देना अति आवश्यक है।

तो इस लेख में जनसंख्या को कैसे नियंत्रण करें ( How to control population.) के बारेे जानकारी मिली।


बाल मजदूरी रोकने के उपाय
पानी को कैसे बचाएं
पर्यावरण संरक्षण
अध्ययन के लिए सबसे उत्तम समय
बच्चे गर्मी के छुट्टी का बेहतर उपयोग कैसे करें
लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं
हिन्दी के गद्य भाग का पाठ योजना कैसे तैयार करें
शिक्षा
नारी शिक्षा के प्रति जागरूपता
 महिला सशक्तिकरण 

दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र

   👇👇       दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र      👇👇                        वीडियो को देख लीजिए।             Link- https://youtu.be/gAz...

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