स्वच्छ भारत अभियान को कैसे सफल बनायें (7 प्रभावी तरीके ) How To Make A Clean India Campaign Successful ( 7 Effective Ways)

स्वच्छ भारत अभियान को कैसे सफल बनायें (7 प्रभावी तरीके ) How To Make A Clean India Campaign Successful ( 7 Effective Ways)


भारत सरकार के द्वारा 2 अक्टूबर 2014 के महात्मा गांधी के 145 वी जन्मदिवस के अवसर पर स्वच्छ भारत अभियान को कैसे सफल बनायें ( 7 प्रभावी तरीके) की शुरुआत। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कर कमलों द्वारा प्रतिपादित किया गया। उन्होंने भारत को स्वच्छ बनाने के लिए देशवासियों को संबोधित किया। इस अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौच एवं साफ सफाई पर ध्यान देने के लिए कहा गया।
स्वच्छ भारत अभियान को कैसे सफल बनायें (7 प्रभावी तरीके )
स्वच्छ भारत अभियान को कैसे सफल बनायें (7 प्रभावी तरीके )

ऐसे मुख्य रूप से खुले में शौच मुक्त भारत बनाने का सपना महात्मा गांधी ने देखा था। महात्मा गांधी जी के द्वारा खुले में शौच एवं साफ-सफाई को देखकर हमेशा चिंतित रहते थे। और उन्होंने अपनी कार्यक्रम में हमेशा खुले में शौच एवं साफ-सफाई के महत्वों के बारे में बताया करते थे। वह हमेशा स्वच्छता के प्रति तत्पर रहते थे। वह स्वयं साफ-सफाई करते रहते थे।  इस अभियान को  2 अक्टूबर 2019 तक महात्मा गांधी की 150 वी जयंती के अवसर पर खुले में शौच मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इसमें कई करोड़ रुपए की लागत से शौचालय का निर्माण कराया गया।

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कहा जाता है कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। यह तब होगा जब आप स्वस्थ रहेंगे। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छ रहना होगा। स्वच्छता संबंधी कार्य के लिए कर्मचारी एवं शिक्षकों को स्वच्छ भारत बनाने के उद्देश्य के लिए कार्यो में लगाया गया था। swachh bharat mission gramin के लिए प्रत्येक पंचायत के गांव  में सामुदायिक शौचालय निर्माण कराया गया। इसके अलावा गरीबों के लिए के घर-घर शौचालय का निर्माण कराया गया।

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स्वच्छ भारत अभियान को कैसे सफल बनायें ( 7 प्रभावी तरीके)  निम्न है -:


➡️बीमारियों को दूर करना-:  जहां गंदगी रहता है, वहां अनेकों बीमारियां होती हैं। इसलिए स्वच्छता एवं साफ सफाई पर हमेशा ध्यान देना चाहिए। अपने घर को साफ रखें। अपने बाहर अगल बगल साफ सुथरा रखें। जिससे कि जल्दी कोई बीमार न पड़े। अगर आप स्वस्थ हैं, तब तो सब ठीक है। अन्यथा बीमार पड़ने पर सब बेकार है।

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➡️स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत पर भाषण-: अगर समाज , राज्य एवं देश को विकसित करना चाहते हैं, तो स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत का निर्माण करना अति आवश्यक होगा। केवल भाषणबाजी पर काम नहीं चलेगा। स्वच्छ भारत का निर्माण करने का सपना अगर देखा गया है तो उसको पूरा करने के लिए प्रत्येक जनता को जागरूक होना अति आवश्यक होगा। जब तक जनता जागरूक नहीं होगा। तब तक कुछ नहीं होगा। क्योंकि अकेले चना भाड़ नहीं फोड़ता। इसलिए हमारे समाज को हमेशा तत्पर रहना होगा।

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➡️ओलंपिक एवं अन्य खेल में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन -: भारतीय खिलाड़ी अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं। उन खिलाड़ियों की आदत खुले में शौच करने का होता है। ओलंपिक खेल या अन्य खेल विदेशों में होता है।
खुले में शौच नहीं जा पाने के कारण उनका शौच ठीक ढंग से नहीं हो पाता है। इस कारण भारतीय खिलाड़ी पिछड़ जाते हैं। इसका मूल कारण यही है। इसलिए शौचालय निर्माण करके, बचपन से ही आदत लगाएं, शौचालय में जाने के लिए, इससे बहुत लाभ होगा।

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➡️ लड़कियों एवं महिलाओं का सम्मान -: अधिकांंश ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों एवं महिलाएं खुले में शौच जाने के लिए मजबूर थी। जिन महिलाओं को सुबह या किसी समय शौच जाना हो, तो वह अंधेरे का इंतजार करना पड़ता था। इस तरह अधिक देर तक शौच को रोकने से कई तरह की बीमारियां उत्पन्न हो जाता। जब से खुले में शौच मुक्त भारत बनाने के लिए कहा गया है। उस समय से अधिकांश महिलाएं एवं लड़कियां खुश नजर आती हैं। अब उनका भी सम्मान मिल गया।

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➡️लड़कियों को बीच में पढ़ाई छोड़ देना-:  स्कूल में शौचालय का व्यवस्था नहीं रहने के कारण छात्राएं  विद्यालय आना छोड़ देंगी। जिस कारण उनका पढ़ाई बीच में ही छोड़ना पड़ेगा। प्रत्येक विद्यालय में लड़को और लड़कियों के  लिए अलग-अलग शौचालय होना चाहिए। जिस कारण छात्राएं अपनी पूरी पढ़ाई आजादी से कर सकें।


➡️विद्यालय में साफ-सफाई-: विद्यालय में के मैदानों की साफ सफाई,पेड़ पौधों की देखभाल, प्रयोगशाला की साफ-सफाई, कमरों, पुस्तकालय एवं शौचालय की साफ सफाई पर ध्यान देना अति आवश्यक है। इसके लिए शिक्षक एवं बच्चे का योगदान सुनिश्चित होना चाहिए।


➡️स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (swachh bharat mission gramin) -:  गांव हो या शहर अधिकतर लोग अपने घरों को तो साफ सुथरा रखते हैं। लेकिन साफ सुथरा करने के बाद कचरा कहीं भी फेंक देते हैं। जिससे गंदगी फैलता है। गंदगी से बीमारी फैलता है।
                    ऐसे निर्मल भारत अभियान कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में चलाया जाता था। अब वह स्वच्छ भारत अभियान में जोड़ दिया गया है। इन अभियान का लक्ष्य शौचालय निर्माण करना है।


निष्कर्ष -:  स्वच्छ भारत अभियान एक राष्ट्रीय स्तर का अभियान है। इस अभियान में ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय निर्माण, सड़कों की साफ-सफाई तथा अपने आसपास गंदगी न फैलाने देने के लिए कई कार्यक्रम को चलाया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से जनता को जागृत कर सरकार का साथ देना अति महत्वपूर्ण है। ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय निर्माण से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को भारत के करोड़ो महिलाओं एवं लड़कियों की दुआएं एवं प्रसंशा मिला होगा। महिलाओं का स्वास्थ्य खराब हो जाता और वह अपनी जिंदगी अच्छी तरह से व्यतीत कर सकती हैं। महिलाओं को सम्मान मिलना, यह एक जरूरी कदम था।

स्वच्छ भारत अभियान को कैसे सफल बनायें (7 प्रभावी तरीके )
speech on swachh bharat abhiyan in hindi





बाल मजदूरी रोकने के उपाय(Measures to prevent child labor)

बाल मजदूरी रोकने के उपाय (Measures to prevent child labor)

हमारे समाज में 14 वर्ष की कम उम्र वाले बच्चों को स्कूली जीवन से अलग करके कपड़े की दुकान, चाय या मिठाई की दुकान, कल-कारखानों, बारूद फैक्ट्री एवं अन्य तमाम छोटे बड़े उद्योगों में उन बच्चों से बाल मजदूरी कराया जा रहा है। जिससे उन गरीब बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। ऐसे बाल मजदूरी रोकने के उपाय (Measures to prevent child labor) को लेकर हमारे माननीय प्रधानमंत्री एवं तमाम जनता से अनुरोध करते है कि उन गरीब अभिभावकों के गरीब बच्चों पर भी ध्यान देने की जरूरत है।

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                           वैसे हमारे भारतीय संविधान में अनुच्छेद 24 में साफ-साफ लिखा हुआ है कि बालकों के नियोजन का प्रतिषेध है। 14 वर्ष से कम उम्र वाले किसी बच्चे को कल करखानों, खानो, किसी भी जोखिम भरा काम या अन्य प्रकार का कोई ऐसे कामों पर नियुक्ति नहीं किया जा सकता है।लेकिन हम लोग आए दिन देखते हैं कि बाल-मजदूरी अपनी स्थिति कायम की हुई है।


                           यूंँ कहा जाए कि उन बच्चों में कौन बच्चा कल का महान वैज्ञानिक या देश के कुछ गणमान्य व्यक्ति बन सकता है। इसलिए बाल मजदूरी रोकने के उपाय (Measures to prevent child labor) को दूर करते हुए। उन बच्चों का कल के भविष्य बेहतर करने का उपाय हमें करना चाहिए।

                     
                              विश्व में कई ऐसे देश हैं। जहां बाल मजदूरी अपनी चरम पर है। बाल मजदूरी में भारत भी अछूता नहीं है। भारत के अनेक ऐसे राज्य हैं। जो बाल मजदूरी के लिए अग्रणी जाने जाते हैं। यह एक राष्ट्रीय समस्या बन गया है। इस समस्या का समाधान सरकार एवं जनता दोनों मिलकर करने की आवश्यकता है।

                          ऐसे में कई सरकारी योजना शुरू की गई है। जिसे इन सारे बच्चों की सुविधाएं उपलब्ध हो। यहीं नहीं कई ऐसे बाल मजदूरी पर संस्थाएं चलाई जा रही है। जो बाल मजदूरी पर कार्य करते रहते है।

बाल मजदूरी के कारण 



आर्थिक स्थिति -: इतनी महंगाई होने के कारण गरीब परिवार के लोगो को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। वह अपनी परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाते हैं। जिसके कारण बच्चों को बाल मजदूरी करने के लिए भेजना पड़ता है। इस वजह से बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाता है।


अशिक्षा -: आज भी हमारे समाज में बहुत सारे लोग अशिक्षित हैं। अशिक्षा के कारण ही वह अपने बच्चे को बाल मजदूरी करने के लिए इधर-उधर भेजते हैं। और उनका भविष्य और बचपन दोनों बर्बाद करते हैं।


जनसंख्या वृद्धि -: लगातार जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण रोजगारो का मिल पाना संभव नहीं है। और कोई भी मनुष्य कृषि कार्य तो करना ही नहीं चहता है। जनसंख्या अधिक और रोजगार कम, इस वजह से बाल मजदूरी में लिप्त होते चले जाते हैं।


मादक पदार्थों का सेवन-: बच्चों के पिता या अभिभावक      में मादक पदार्थों का सेवन करने की आदत होने के कारण वह जान बूझकर, अपने बच्चे को बाल मजदूरी के तरफ ढ़केेलते
हैं। नशे के कारण वह काम करने नहीं जाते अगर जाते भी हैं, तो सारे पैसा नशे में ही चला जाता है। जिस वजह से बच्चे को घर पर कमा कर लाना पड़ता है।


बेरोजगारी-: दिन प्रतिदिन बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है। क्योंकि पढ़े लिखे लोगों की संख्या अधिक होते जा रहे है। सरकार वैकेंसी भी नहीं निकाल रही है। और न ही प्रत्येक 5 जिला के अंतर पर एक फैक्ट्री का निर्माण करा रही है। जिससे रोजगार का सृजन होता। जिसके कारण बाल श्रम से मुक्ति मिल सके।


अन्य कारण-: कुछ बच्चों के पिता या अभिभावक की लंबी बीमारी होने के कारण बाल मजदूरी करने के लिए विवश हो जाते हैं।  क्योंकि घर में कमाने वाला कोई नहीं होता है। इस कारण अपना बचपन को बर्बाद करके अपने परिवर के लिए सहारा बन जाते हैं।

बाल मजदूरी रोकने के उपाय (Measures to prevent child labor)



 गरीबी -: बाल श्रम होने का कारण ही है, कि वहां गरीबी है और उस गरीबी को मिटाना ही अति आवश्यक होगा। इसके लिए सरकार को चाहिए कि रोजगार या उधोग धंधे के लिए ऋण लेने की व्यवस्था सरल करें।


रोजगार का सृजन -: किसी भी देश को विकसित करने के लिए वहां की शिक्षा व्यवस्था एवं रोजगार पर ध्यान देना अति आवश्यक होता है। जिससे सभी को सामान्य रूप से रोज़गार मिलते रहें। इससेे बाल मजदूरी कम होगा।


शिक्षा -: बाल मजदूरी को कम करने का रामबाण तरीका है, शिक्षा। शिक्षा नहीं तो कुछ भी नहीं, इसलिए शिक्षा अति आवश्यक है। अगर किसी बच्चे का माता-पिता शिक्षित होंगे।
तो वे अपने बच्चे को कभी भी बाल मजदूरी के लिए विवश नहीं करेंगे।


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जनसंख्या नियंत्रण-: किसी भी देश के विकास के लिए जनसंख्या वृद्धि बाधक बन सकता है। इसलिए जनसंख्या पर नियंत्रण करना अति आवश्यक है। जनसंख्या पर नियंत्रण हो हो जाए, तो बाल मजदूूरी  में अपने आप कमी होते जाएगा।


निष्कर्ष -: बाल मजदूरों को जब भी हम देखते हैं। उनके प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। बाल अधिकारों के प्रति ध्यान चला जाता है। गरीबी के कारण उनके बचपन के दिनों में बड़ों की तरह सोचने एवं समझने के लिए विवश हो जाते हैं। भारत की अधिकांश जनता गरीब है। अगर बाल मजदूरी को सचमुच हटाने की जरूरत है, तो पहले उनकी गरीबी को हटाने की जरूरत है। अगर उनके परिवार वाले को सही शिक्षा एवं रोजगार मिलेगा, तो उनके बच्चे बाल मजदूरी में लिप्त नहीं होंगे। इसके लिए सरकार एवं जनता को मिलकर एक अभियान चलाया जाना चाहिए। सरकार को हर राज्य में फैक्टरी, उद्योग-धंधों और अन्य कई कार्यक्रम चलाना अति आवश्यक है। जिसे हम बाल मजदूरी को रोकने (Measures to prevent child labor) में सक्षम हो सकते हैं।




पानी को कैसे बचाएं How to save water

पानी को कैसे बचाए 

How to save water

 जीवन में हर एक काम बिना पानी के संभव नहीं है। हमें पानी पीने के लिए, कपड़ों की सफाई, घर की सफाई, कल कारखानों में पानी का उपयोग एवं हमारे दैनिक जीवन में अनेकों प्रकार से पानी का उपयोग होता है। लेकिन पानी को कैसे बचाएं। इस पर ध्यान आकृष्ट करना अति आवश्यक है।

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पानी को कैसे बचाएं
पानी को कैसे बचाएं

                    जिस प्रकार पेट्रोल, डीजल एवं किरासन आदि को हम खरीद रहे हैं, उसी प्रकार कुछ वर्षों बाद पानी को भी खरीदकर सारे काम करने पड़ेंगे। इसलिए जरूरी है कि जल का बचाव करना। "जिस तरीके से जीवन में रुपए बचाना जरूरी है, उसी तरीके से हमारे जीवन के लिए पानी भी बचाना जरूरी है।" ऐसे पृथ्वी पर पानी की कमी नहीं है। पूरे पृथ्वी पर जल की मात्रा 71% है, लेकिन पानी पीने योग्य पानी कितना है। इस बात पर निर्भर है।

                     ऐसे भारत में पीने योग्य पानी महज 1% ही है। अगर आप अपने  जीवनकाल में दो काम नहीं किए, तो आपका जीवन निरर्थक है।

1) पानी बचाना।
2)अधिक से अधिक वृक्ष लगाना।

पानी का महत्व -: पानी के महत्व के बारे में हमें बताने की जरूरत नहीं है। "जल ही जीवन है।"मनुष्य पानी के बिना जीवित नहीं रह सकता है। ऐसे मानव जीवन का उत्पत्ति जल से ही हुआ है। वैसे तो हमारे शरीर में 80% से अधिक पानी है।

अब आपको मैं बता दूं कि पानी को कैसे बचाएं या पानी को बर्बाद न होने दें।

👉 ऐसे नल जहां लगातार पानी को गिरने से रोक कर।

👉ढ़ाढ़ी बनाने के समय नल को बंद करके।

👉अधिक तेजी से गिरने वाले नल को धीमी गति प्रदान करके।

 👉घर, गाड़ी या जानवर को धोते समय बाल्टी और मग का इस्तेमाल करके ।

👉उपयोग किया गया पानी को रीसाइक्लिंग कर के बगीचे एवं खेतों में सिंचाई के लिए उपयोग करके।

👉वर्षा के पानी का उपयोग करना।

👉बरसात के समय हम छत के नाली से पानी बर्बाद होने से रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम कराएं।

👉अपने अपने घर में 60 से 70 फीट बोरवेल कराकर केवल बरसात एवं घर का साफ पानी उस बोरवेल में जोड़ें। ताकि फिर से वो पानी धरती में जाएं और वहां का वाटर लेवल ठीक  रहे।
                       

प्रत्येक वर्ष अपनी जन्म दिन के अवसर पर या किसी यादगार दिन को एक-एक पेड़ लगाए। उस पेड़ की देखभाल करें। अब आप पूछेंगे। पेड़ लगाने से पानी को कैसे बचाएं, अधिक से अधिक पेड़ लगाने से वर्षा होगा। क्योंकि वर्षा के लिए पेड़ होना अति आवश्यक होता है। वर्षा हुआ तो पानी धरती पर आएगा। फिर धीरे-धीरे जमीन के अंदर पानी सूखता है। कुछ पानी वाष्पीकरण विधि द्वारा वह आकाश में चला जाता है वही पानी फिर हम लोगों नल, चापाकल या समरसेबल के माध्यम से पानी को खींचकर ऊपर निकालते और फिर उसका उपयोग करते है। इसलिए पेड़ लगाना बहुत जरूरी है।

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 विद्यालय के छात्र छात्राओं को कक्षा कक्ष में कैसे बैठना चाहिए। 
नारी शिक्षा के प्रति जागरूपता

           
एक व्यक्ति हजारों लीटर पानी बचा सकता है। यह काम अकेला व्यक्ति भी कर सकता हैं। अगर पानी बचाओ अभियान में समाज के कुछ व्यक्तियों ने भी इस का साथ दिया तो लाखो लीटर पानी बचाया जा सकता है।   


आप सोच रहे हैं कि मैं पानी बचाने के लिए आप सभी से क्यों कह रहा हूं। क्योंकि आज हम पानी नहीं बचाएंगे तो आने वाले दिनों में पानी की किल्लत हो सकती है। गर्मी के दिनों में अक्सर देखा जा रहा है, कि चापाकल का पानी सूख गया। यानी पानी का लेवल नीचे चला गया। अब आप सोच सकते हैं कि क्या स्थिति होता होगा। अब आप किसी के घर पानी के लिए जाते हैं। तो वह क्या कहेगा। आप समझदार हैं।
                             

निष्कर्ष-: पानी बचाओ अभियान को सफल बनाने के लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना अति आवश्यक है। इस अभियान का नारा

                       धन बचाया तो भविष्य सुरक्षित,
                       पानी बचाया तो जीवन सुरक्षित।

जल ही जीवन है। हमारे जीवन के लिए  महत्वपूर्ण संसाधन है। इसे बचाना अति आवश्यक है। यह एक सार्वजनिक संसाधन है। इसे मिलकर बचाना ही हमारा कर्तव्य है। इससे समाज का विकास होगा। और समाज का विकास होगा तो हमारा विकास संभव है। तब हम खुशहाल रह पाएंगे।

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बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना 10th रिजल्ट 2018

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना 10th रिजल्ट 2018

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति, पटना 10th रिजल्ट 2018 (10th result 2018) बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की आधिकारिक सूचना के अनुसार दिनांक 20/06/18 को परिणाम आने की सूचना प्राप्त हुआ। इस सूचना के आधार पर लाखों छात्र छात्राओं की खुशी की लहर उमड़ पड़ी।


                            "भयंकर गर्मी के बाद पानी की बूंदे सुहावनी लगती है, उसी तरह सालों के परिश्रम के बाद 10 th रिजल्ट आने से छात्रों के मन में खुशी की लहर एवं हर्षोल्लास देखने को मिलता है।"

इंटरमीडिएट के खराब रिजल्ट के बाद मैट्रिक रिजल्ट आने की घोषणा से छात्रों में कहीं खुशी तो कहीं गम के नजारे देखने को मिल रहे हैं। बच्चे हर्ष उल्लास के साथ रिजल्ट की परिणाम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन कुछ छात्र सशंकित भी नजर आए। क्योंकि इंटर के खराब रिजल्ट के बाद मैट्रिक का रिजल्ट का परिणम क्या होगा। 
                             इस बार बिहार विद्यालय परीक्षा समिति परिणमों की तैयारी पूरी हो चुकी है। 25 मेधावी छात्रों का वेरिफिकेशन कर लिया गया है।
                             बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की आधिकारिक वेबसाइट पर परिणाम देखे जा सकते हैं।


बिहार विद्यालय परीक्षा समिति 10th रिजल्ट 2018 ऊपर के इन सभी साइटों पर 10th रिजल्ट 2018 चेक कर सकते हैं।

अध्ययन के लिए सबसे उत्तम समय(Best time to study)

              अध्ययन के लिए सबसे उत्तम समय (Best time to study)

अध्ययन के लिए उत्तम समय का चुनाव करना बहुत  मुश्किल है। सभी मनुष्य के मस्तिष्क अलग अलग होता है। उनके सोचने और समझने की क्षमता अलग-अलग होते हैं। ऐसे तो अध्ययन के लिए उत्तम समय (Best time to study) यह है कि जब " इच्छा" करे तब अध्ययन करें। इससे अधिक  gain कर सकते हैं। gain अधिक तो सफलता जल्दी प्राप्त होता है।

                     इच्छा के विपरीत हम अध्ययन करते हैं तो कुछ भी कारगर नहीं होता। कुछ बच्चे अधिक अध्ययन करते हैं, और कम गेन करते हैं। लेकिन कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जो कम अध्ययन करके बहुत अधिक गेन करते हैं। सारा खेल मस्तिष्क का होता है।

                    कहने का मतलब यह है कि जो बच्चे कम अध्ययन करके अधिक gain करते हैं। उस बच्चे के लिए अध्ययन का समय सबसे उत्तम है। जिस समय में वह अध्ययन कर रहा है। यह जरूरी नहीं है कि उसी समय दूसरे दिन  अध्ययन करें, तो अधिक gain कर सकते हैं। 

                   अध्ययन के लिए ऐसा स्थान जहां शोरगुल न हो। उस शांत वातावरण में अध्ययन करना काफी महत्वपूर्ण होता है। और वह महौल सुबह का हो, दोपहर का, या रात्रि का समय हो, अध्ययन के लिए बिल्कुल सही समय है।

                  ऐसे प्राचीन मान्यता यह थी कि अध्ययन के लिए सबसे उत्तम समय (Best time to study) ब्रह्म मुहूर्त का समय यानी सुबह 4:00 बजे से 7:00 बजे तक के समय को चुना गया था।

                 अधिकांशतः सुबह का समय महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि उस समय का वातावरण शांतपूर्ण होता है। उस समय की गई अध्ययन काफी महत्वपूर्ण होता है। उस समय जो भी पढ़ते हैं। वह सारा ज्ञान कुछ दिनों या हमेशा के लिए याद हो जाता है। क्योंकि रात्रि में सो कर उठने के बाद सुबह का समय माइंड शार्प एवं थकान नहीं रहता है। इस कारण हमारे मस्तिष्क कुछ भी प्राप्त करने के लिए तैयार रहता है। इसलिए सुबह का समय अध्ययन के लिए सबसे सर्वोत्तम माना गया है।

               ऐसे पढ़ने वाले व्यक्ति कभी भी पढ़े तो यह ध्यान रहे कि उस समय का माहौल शांतिपूर्ण हो। उस शांतिपूर्ण माहौल में अध्ययन करना महत्वपूर्ण होता है।

निष्कर्ष -: पढ़ाई के लिए सबसे उत्तम समय(Best time to study) जब इच्छा तब पढ़े। ऐसे पढ़ने वाले छात्र अधिक ज्ञान अर्जित करते हैं। ऐसे हमारे पिताजी अक्सर कहा करते थे कि ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह 4:00 बजे से 7:00 बजे तक का समय अध्ययन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।

बच्चे गर्मी के छुट्टी का बेहतर उपयोग कैसे करें

    बच्चे गर्मी के छुट्टी का बेहतर उपयोग कैसे करें How To Make Better Use Of Children's Summer Vacation 

विद्यालयों में गर्मी के छुट्टी के लिए लड़के पहले से पूछने लगते हैं कि गर्मी के छुट्टी कब से होगा। यह सवाल मैं भी बचपन में अक्सर पूछा करता था। वह खुशी एवं आनंदित पल आज भी मैं महसूस करता हूं। खैर आज के बच्चे भी बहुत खुश एवं हर्षोल्लास के साथ आनंदित होते हैं। क्योंकि बच्चे तो बच्चे होते हैं। अब बच्चे गर्मी के छुट्टी का बेहतर उपयोग कैसे करें। How To Make Better Use Of Children's Summer Vacation इसके बारे में हम लोग जानेंगे।

निम्न तरीकों से बच्चे गर्मी की छुट्टी का बेहतर उपयोग Better use of child's summer vacation कर सकते हैं।

➡️छुटा हुआ विषय पढ़ना-: बच्चे वार्षिक परीक्षा देने के बाद इधर-उधर घूमने चले जाते हैं। जिस कारण उनकी पढ़ाई
छूट जाता है। और छुटा हुआ कोर्स को पूरा करने के लिए गर्मी की छुट्टी का उपयोग, उन विषयों को अच्छी तरह से पढ़ कर, अपना छुटा हुआ कोर्स को पूरा कर सकते हैं। गर्मी की छुट्टी का उपयोग का सही तरीका कर सकते हैं।

➡️ विषयों को आगे पढ़ना-: कुछ बच्चे अपने विषय को पूरा किए रहते हैं। अब वह सभी विषय को आगे पढ़कर समझ सकते हैं। जिस समय स्कूल खुलेगा, तब बच्चे विद्यालय के शिक्षक द्वारा पढ़ेगें। बच्चे को बहुत आसानी से समझ में आने लगता है। इससे हमें फायदा यह होता है कि एक ही विषय वस्तु को तीन बार पढ़ने का मौका मिल जाता है। एक बार स्वयं पढ़ते, उसके बाद शिक्षक पढ़ाते हैं, फिर स्वयं पढ़ते हैं। इससे हमें आसानी से उस विषय वस्तु को समझ सकते है।

➡️पुस्तकालय का उपयोग-: कुछ बच्चे अपने ज्ञान को विस्तार करने के लिए नियमित रूप से पुस्तकालय का उपयोग करते हैं। पुस्तकालय का उपयोग से बच्चे की ज्ञान में वृद्धि हो जाता है। इसके उपयोग से ज्ञान में विस्तार के साथ-साथ बच्चों में प्रतियोगिता परीक्षाओं को भी बेहतर समझ रखने लगते हैं। क्योंकि वहां पर सभी बच्चे पढ़ने वाले आते हैं। और अपने अपने हुनर को प्रदर्शित करते हैं। और उस हुनर को एक दूसरे बच्चे को देखकर सीखते हैं।

➡️ प्रोजेक्ट पूरा करना-: कुछ बच्चे गर्मी के छुट्टी होने के पहले ही अपना एक प्रोजेक्ट बनाने के लिए सोच कर रखते हैं। गर्मी के छुट्टी होते ही अपने प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर देते हैं। इसे प्रोजेक्ट पर अधिक से अधिक समय दे कर। अपने प्रोजेक्ट को पूरा करते हैं। बच्चे गर्मी की छुट्टी का बेहतर उपयोग Better use of child's summer vacation कर सकते हैं।

➡️ पर्वतीय क्षेत्रों में  या अन्य जगहों पर घूमने जाना-: कुछ बच्चे अपने अभिभावक सेे पर्वतीय क्षेत्रो में घूमने जाने केेेे लिए कहा करते हैं।  कुछ बच्चेेेे अपने दोस्तों ने के साथ कहीं घूमने जाया करते हैं।इस तरीके से गर्मी का छुट्टी का उपयोग करते हैं।
बच्चे गर्मी के छुट्टी का बेहतर उपयोग कैसे करें
बच्चे गर्मी के छुट्टी का बेहतर उपयोग कैसे करें

             How To Make Better Use Of                         Children's Summer Vacation



➡️ अतिरिक्त नॉलेज प्राप्त करना-: कुछ बच्चे गर्मी की छुट्टी में अतिरिक्त क्लास करते हैं। जैसे-: समर वेकेशन कैंप में नामांकन कराते हैं। उसमें कुछ अतिरिक्त नॉलेज लेने के लिए बच्चे नामांकन कराते हैं उसमें अलग-अलग कोर्स के अलग-अलग   fee structure होते हैं। जैसे चित्रकला, संगीत, मेहंदी डिजाइन, ब्यूटीशियन कोर्स, जूडो कराटे, स्पोकन इंग्लिश, ओलिंपियाड की तैयारी, आदि बहुत सारे कोर्सेज होते हैं। जो गर्मी की छुट्टी मेंं सीख सकते हैं। बच्चे गर्मी की छुट्टी का बेहतर उपयोग Better use of child's summer vacation कर सकते हैं।

➡️कामों को सीखना-: कुछ बच्चे गर्मी की छुट्टी में, दिन में तीन से चार घंटे कुछ काम भी सीख सकते हैं। जैसे - मोबाइल बनाना, खेती-बाड़ी करना, रेडियो-टीवी,कूलर,आदि बनाने का काम सीख सकते हैं। लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ना है, यह केवल गर्मी की छुट्टी के दिनों में कला सीख सकते हैं। और कोई भी कला सीखना एक बहुत बढिया आदत है।

➡️निष्कर्ष -: बच्चों को गर्मी के छुट्टी का सही उपयोग कराने की अच्छी आदत को विकसित करना ही सही है। गर्मी के छुट्टी के दिनों मेें extra knowledge  प्राप्त कर सकतेे हैं। जिससे उनके बेहतर जीवन में हमेशा मददगार साबित होगा।बच्चे गर्मी की छुट्टी का बेहतर उपयोग कर Better use of child's summer vacation सकते हैं।

लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं

                  लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं

कुछ छात्र छात्राओं की लिखावट सुंदर एवं आकर्षक होता है। उस बढ़िया लिखावट के वजह से कक्षा में शिक्षक के द्वारा उसे सम्मान मिलता है। इससे कुछ बच्चों के मन में यह सवाल आता है कि मेरा भी लिखावट अच्छा होता तो हमें भी सम्मान मिलता। लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं। इसके लिए उन छात्र - छात्राओं को घबराने की जरूरत नहीं है।

                  वह अपना लिखावट मात्र 30 दिनों में बहुत सुंदर एवं आकर्षक बना सकते हैं। लेकिन उसके लिए प्रतिदिन अभ्यास की जरूरत होगा। उस अभ्यास के माध्यम से ही किसी भी बच्चे एवं व्यक्ति के लिखावट सुंदर एवं आकर्षक हो सकता है।

                 कुछ छात्र छात्राओं की लिखावट बहुत सुंदर एवं आकर्षक होता है, लेकिन उनकी ,अक्षर एक दुसरे अक्षर से सटा हुआ होने के कारण बहुत ही अशुद्ध होते हैं। लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं।  हिंदी की लिखावट को (राइटिंग स्किल) सुधार करने के लिए  दो लाइन वाली कॉपी, मैथ वाली सदा कॉपी, पेंसिल, रबड़, आदि।

                सबसे पहले यह अभ्यास प्रतिदिन करना अनिवार्य है। इसके बाद कलम कैसे पकडे नीचे इमेज में दिया गया है।
लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं
लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं

 ऐसे पेंसिल या कलम को अपने सहुलियत के अनुसार से भी पकड़कर सुंदर लिखावट लिखी जा सकती है। दो लाईन वाली कॉपी पर सुंदर लिखावट वाली अक्षर का अनुकरण करें।

अच्छी लिखावट का महत्व

एक सुंदर एवं आकर्षक लिखावट किसी भी बच्चे व्यक्ति को स्कूल, कॉलेज, ऑफिस अपने अपने फील्ड में इंप्रेशन बढा़ देता है। उनकी एक अलग छवि एवं पहचान बन जाता है। किसी भी विषय वस्तु पर लिखा हुआ हो तो उस विषय वस्तु को पढ़ना एवं समझना आसान हो जाता है।

                  प्राचीन काल में लिखावट अत्यंत महत्वपूर्ण था। क्योंकि उस समय कंप्यूटर एवं टाइपराइटर नहीं था। जो कुछ लिखना होता, वह हाथो से ही लिखा जाता था। जिस व्यक्ति का लिखावट सुंदर एवं आकर्षक होता था, उस व्यक्ति का बहुत धाक होता था।

                 खैर आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना बरसों पहले था।

लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं  के निम्न तरीके

 

➡️ आकारों पर ध्यान-: सबसे पहले लिखावट आकर्षक एवं सुंदर बनानेेे के लिए अक्षरों पर ध्यान देना जरूरी है। एक-एक अक्षर को सुंदर लिखने का अभ्यास करें। कुछ बच्चे अक्षरों को छोटा या बड़ा लिखते हैं। सभी अक्षरों में एकरूपता होनी चाहिए। सभी अक्षर एक बराबर होने चाहिए। अक्षरों के बीच के अंतर पर भी ध्यान देना चाहिए। ताकि देखने में सुंदर एवं साफ लगे।

➡️शब्दों के बीच अंतर-: अधिकांश देखा जाता है कि बच्चे एक शब्दों के बीच के या तो अधिक या कम अंतर रखते हैं। जिस कारण उनका लिखावट अच्छा नहीं होता है। अगर शब्दों के बीच का अंतर पर ध्यान दिया जाए। तो छात्र छात्राओं की लिखावट सुंदर एवं आकर्षक हो जाएगा।

➡️ सुंदर लिखावट की आदत-: सुंदर लिखने के लिए प्रतिदिन कुछ न कुछ लिखें। किसी किताब में से जैसा लिखा गया है, उसको देख कर हू बहू अनुकरण करें। जब तक उस तरीके के न लिखने लगे। तब तक अभ्यास करते रहें। यह प्रयास निरंतर चलता रहेगा। कुछ ही दिनों के बाद आप सुंदर सुस्पष्ट लिख सकते हैं। लेकिन  ईमानदारी से प्रतिदिन यह अभ्यास करना होगा।

➡️ खेल या अन्य कारण-: बच्चों का मन हमेशा से ही खेलने में लगा रहता है। इस कारण बच्चे सुंदर लिखने के बजाए जल्दी-जल्दी जैसे तैसे लिखकर अपनी आदत को बिगाड़ लेते हैं। इससे बच्चे सुंदर नहीं लिख पाते हैं। इसके लिए बच्चों को सुंदर और स्पष्ट लिखने के लिए बच्चों को प्रेरित करें।

➡️ अभ्यास कैसे करें-: दो लाइन वाली हिंदी की कॉपी पर सुंदर अक्षर धीरे- धीरे लिख कर अभ्यास करें। कुछ दिनों के बाद मैथ वाली सादी कॉपी पर नियमित अक्षर के बाद शब्दों या वाक्यों को प्रयोग कर सुंदर लिखावट की आदत विकसित करनी चाहिए।
               अंग्रेजी के लिए चार लाइन वाला कॉपी पर धीरे-धीरे सुंदर a b c d................ लिखा जाए। यह नियमित  अभ्यास करते रहें। उसके बाद मैथ वाली  कॉपी पर सीधा लिखने का प्रयास करें। आपकी राइटिंग स्किल बहुत अच्छा हो जाएगा।

Note -: एक बात ध्यान देेना अति आवश्यक है जब भी या जहां भी लिखें, प्रयास यही रहे कि जैसे हम अभ्यास केेेे दौरान लिखते हैं उसी प्रकार से लिखें। इससे लिखावट सुंदर और सुस्पष्ट हो जाएगा।














पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण संरक्षण
आज पर्यावरण संरक्षण विषय के लिए समस्या का कारण बना हुआ है। इसके लिए संसार के प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना पड़ेगा। अगर प्रत्येक व्यक्ति जागरूक नहीं होते हैं, तो उनका भयंकर परिणामों का सामना कुछ ही सालों में करना पड़ेगा। सभी देशो के लोगों को प्रभावित कर करेगा। ये अमीर या गरीब की  पहचान नहीं करता। ये सभी व्यक्तियों को प्रभावित करेगा। तो ऐसा भूल करना गलत होगा। 
पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण संरक्षण

                     आज से ही सभी देशो को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा। सभी देशों के प्रतिनिधि मंडल के लोग इस समस्या का हल यथाशीघ्र निकालने का प्रयास करें। साथ साथ जनमानस को जागरुक बनाना अति आवश्यक है, क्योंकि जनमानस का साथ रहा तो इस समस्या का निदान तो नहीं लेकिन कुछ राहत अवश्य हो जाएगा।

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                     5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। आजकल केवल WhatsApp, Facebook पर लोग मैसेज कर देते रहे हैं। यह मैसेज का खेल खेलना बंद करें और धरातल पर उतर कर पेड़ पौधे पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है।
                      सरकार भी केवल सांस्कृतिक कार्यक्रम करा कर हाथ साफ कर रही है। 5 जून के दिन कम से कम एक करोड़ पेड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखें। ताकि पृथ्वी हरा भरा रहे और आने वाले भविष्य की  पीढ़ियों को ऑक्सीजन के लिए तरसना न पड़े।
                     ऐसा देखा जाता है कि पर्यावरण का संबंध सीधे प्राकृतिक से होता है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ करना अत्यंत विनाशकारी होता है। पृथ्वी के तापमान को संतुलन में बनाए रखने के लिए, एक निश्चित भू भाग पर वन होना चाहिए। जिससे पृथ्वी का तापमान संतुलन में रहे।

" घर में बच्चों से खुशियांं मिलती है, उसी प्रकार धरती को पेड़ पौधे से खुशियां मिलती है।"

              पर्यावरण संरक्षण का महत्व

➡️अधिक से अधिक पेड़ लगाना-: हमारे जीवन के लिए पेड़ अनमोल है। इसके लिए हमें अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ों को लगाना चाहिए। जिससे पृथ्वी हरा भरा रहे और हमारा जीवन भी खुशहाल रहें। क्योंकि पेड़ पौधे हमें ऑक्सीजन, वर्षा एवं प्रदूषण को भी रोकता है।

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 नारी शिक्षा के प्रति जागरूपता 

  • पृथ्वी के तापमान सामान्य।
  • समय पर वर्षा होगा।
  • ऑक्सीजन की प्राप्ति।
  • प्राकृतिक सौंदर्य बरकरार।
  • गर्मी से राहत।
  • गर्मी के दिनों में आसानी से पानी मिलना।
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कारक

➡️प्रदूषण-: जिस वातावरण में हम सहजता के साथ रहते हैं। उस वातावरण में अन्य गैस या तत्वों का समावेश के साथ वातावरण को असंतुलित की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। उसे प्रदूषण कहते हैं।
                    प्रदूषण को दूसरे शब्दों में इस तरह व्यक्त कर सकते हैं। संतुलन में असंतुलन की स्थिति पैदा करना ही प्रदूषण है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले मुख्य कारक प्रदूषण ही है।

 प्रदूषण को तीन भागों में विभाजित किया गया है।

                        वायु प्रदूषण
                        जल प्रदूषण
                        ध्वनि प्रदूषण

➡️वायु प्रदूषण -: हमारे वायुमंडल में एक निश्चित मात्रा में गैस विद्यमान होते हैं। उस गैस में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि,उस गैस में मिश्रित हो जाते हैं। जिससे वायु अशुद्ध हो जाता है। उसे वायु प्रदूषण करते हैं।
                       ये अधिकांश कल कारखाने मोटर वाहन, प्लास्टिक जलाने, कोयले पर खाना बनाने वाले धुऐ आदि वायु को प्रदूषित करते हैं।

➡️जल प्रदूषण-: कल कारखाने के गंदे पानी, घरों में कपड़े साफ की गई पानी, मलमूत्र आदि नालियों द्वारा नदी में या समुद्रों में जोड़ दिया जाता है। जिससे समुंद्र या नदियों के पानी दूषित हो जाते है। जिससे इस में रहने वाले जीवों की मृत्यु हो जाती है। उसे जल प्रदूषण कहते हैं। 

➡️ध्वनि प्रदूषण-: ध्वनि प्रदूषण मुख्यतः तेज आवाज से होता है। जैसे-: DJ का प्रयोग, तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाना, कल कारखाने में तेज आवाज से ध्वनि उत्पन्न करना ही ध्वनि प्रदूषण होता है।

➡️ बढ़ती जनसंख्या -: आज जिस गति से जनसंख्या बढ़ रहा है पृथ्वी के लिए खतरा बनते जा रहा है। क्योंकि जनसंख्या बढ़ेगा तो जाहिर सी बात है कि मानवीय संसाधन की जरूरत होगी। माननीय संसाधन को पूरा करने के लिए वनों का अंधाधुंध कटाई किया जा रहा है। ये तो केवल एक महज उदाहरण है। पेड़ो के लकड़ियों के प्रयोग कर कई वस्तुओं के उत्पादन होता है। 

➡️प्लास्टिक के उत्पाद-: आज दुनिया भर में जितने  प्लास्टिक का प्रयोग होता है, उतना किसी भी पदार्थ का प्रयोग नहीं होता है। पर्यावरण संरक्षण के लिए प्लास्टिक नुकसानदेय है। हम अक्सर देखते हैं कि किसी भी घर में 8 या 10 व्यक्ति आ जाते हैं, तो प्लास्टिक वाला यूज एंड थ्रो गिलास,प्लेट लाते हैं। ऐसे शादी विवाह में अक्सर गिलास, प्लेट, कटोरी, चम्मच आता है। ये सब उपयोग करने के बाद फेंक दिये जाते है। खेतों में जाकर खेतो को बंजर बनाता है। प्लास्टिक कई वर्षों तक मिट्टी में गड़े रहने के बाद भी न गलता और न नष्ट होता। इस कचरे को जलाते हैं तो हानिकारक गैसों का स्राव होता है। जिसे वायु को प्रदूषित कर देता है।

➡️ एयर कंडीशन एवं  रेफ्रिजरेटर-: ये भी पर्यावरण के संरक्षण में नुकसान पहुंचाते हैं। इन से हानिकारक गैस निकलता है। जिसे वायु में फैल जाता है और ओजोन परत को नष्ट करता है। यही नहीं दाढ़ी बनाने वाले झाग एवं अन्य पदार्थ ओजोन परत को नुकसान पहुंचाता है।                                               
              सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को ओजोन परत के द्वारा छनकर पृथ्वी पर किरणें आता है। जिससे हमारा जीवन खुशहाल होता है।

जन जन में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का एक कदम।

पर्यावरण संरक्षण को जनमानस तक पहुंचना अति आवश्यक है। ग्रामीण समाज में कुछ लोग खेती बाड़ी करते हैं। जो पेड़-पौधे आदि पर ध्यान देते हैं। लेकिन शहरों में रहने वाले को पर्यावरण संरक्षण के विषय में बताना होगा कि वे अपना कुछ समय निकालकर पेड़ पौधे लगाएं। 
             सरकार को ध्यान देना होगा कि सप्ताह में एक दिन कम दूरी वाले जगहों पर केवल साइकिल का ही प्रयोग करें। या 5 किलोमीटर के एरिया में सभी लोग साइकिल से ऑफिस या कहीं भी जाना हो तो साइकिल का प्रयोग अनिवार्य करे। इसके लिए ठोस बनाना होगा अगर देश में सप्ताह में 1 दिन साइकिल का प्रयोग करें तो कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में कुछ कमी होगा।

पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुक करने का तरीका

 ➡️कार्टून नेटवर्क-: बच्चों को कार्टून देखना बहुत अच्छा लगता है कार्टून के माध्यम से बच्चों को पर्यावरण संरक्षण का महत्व, लाभ, हानि, पेड़ पौधे, प्रदूषण संबंधित जानकारी दी जाए। जिससे बच्चे को बचपन से ही इन सब बातों की जानकारी होते रहे।

➡️ प्राथमिक विद्यालय-: विद्यालय एक ऐसा साधन है जहां बच्चे को बहुमुखी विकास एवं व्यक्तित्व का निर्माण कराए जाते हैं। विद्यालय में चेतना सत्र या एक कालांश (घंटी) केवल पर्यावरण संरक्षण पेड़-पौधे संबंधित बच्चों से स्वयं प्रयोग कराकर शिक्षक महोदय जानकारी दें। यह कार्य विद्यालय में प्रतिदिन होने चाहिए इसके अलावा शिक्षक के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के बारे में बताना या क्रियात्मक प्रयोग करके दिखाना अति आवश्यक है।

➡️कॉमिक्स कहानी के किताब-:  बच्चे कहानी के किताबों को खूब पढ़ते हैं। जैसे नंदन, बालहंस, कॉमिक बुक, आदि कहानी की किताब पढ़ते रहते हैं।कहानी के माध्यम से ही पर्यावरण प्रदूषण आदि की जानकारी बच्चों को दी जाए। जिससे आने वाले दिनों में पर्यावरण संरक्षण समान रूप से बना रहे हैं।

 ➡️Google या अन्य सर्च इंजन-: Google या अन्य सर्च इंजन के द्वारा एक ऐसा सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जाय कि सर्च इंजन में कुछ भी सर्च करें तो पहले मात्र 30 सेकेन्ड़ या 1 मिनट का वीडियो पर्यावरण संरक्षण संबंधी जानकारी देता हो। इससे संसार में एक ही साथ लाखों व्यक्ति इस वीडियो को देख सकते हैं। और इस गंभीर मुद्दा पर ध्यान से समझें और शोध करें। ताकि इस समस्या से निपटा जा सके।

पर्यावरण संरक्षण के प्रति सुझाव एवं उपाय।

➡️पेड़ लगाना। 
➡️प्लास्टिक उत्पाद पर रोक।
➡️मोटर वाहन कल कारखानों के अधिक मात्रा में उपयोग ना हो। 
➡️प्रदूषण पर नियंत्रण।
➡️वैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद् को प्रोत्साहित करना।
➡️पानी की बचत एवं उसके मोल को पहचान ना।
➡️ प्राकृतिक संपत्तियों को नष्ट न करना।

 निष्कर्ष-: पर्यावरण संरक्षण का संबंध सीधेेेे मानव जाति से है। इसमें प्रकृति के साथ संबंध स्थापित होता है मानव एवं प्राकृतिक का अन्योन्याश्रय संबंध है। एक दूसरे के बिना जीवन बेकार है।



हिन्दी के गद्य भाग का पाठ योजना कैसे तैयार करें

हिन्दी के गद्य भाग का पाठ योजना कैसे तैयार करें

 शिक्षक द्वारा कक्षा कक्ष में पढ़ाने के तरीका को सरल एवं आसान बनाता है, उसे पाठ योजना कहते हैं। "जिस तरह हम  अपने जीवन में योजनाबद्ध तरीको का प्रयोग करके, जीवन में कठिनाइयों को दूर करते हैं। उसी प्रकार पाठ योजना बनाकर हम कक्षा कक्ष में आसानी से कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं।" हिन्दी के गद्य भाग का पाठ योजना कैसे तैयार करें।
महिला सशक्तिकरण के बारे में पढ़े ।
 शिक्षक कक्षा कक्ष का संचालन कैसे करें।
 शिक्षा के क्षेत्र में इंटरनेट का महत्व।

                   शिक्षक कक्षा कक्ष में जाने से पूर्व पाठ को अच्छी तरह से पढ़कर कठिनाइयों को दूर करते हैं। समय के अनुसार पाठ को चरणबद्ध तरीकों से 45 मिनट की अवधि में आसानी से पढ़ा लेते हैं।
जीवन के सक्सेज मंत्र । 
विद्यालय के छात्र छात्राओं को कक्षा कक्ष में कैसे बैठना चाहिए। 
नारी शिक्षा के प्रति जागरूपता
                    पाठ योजना की उपयोगिता
➡️लक्ष्यों की प्राप्ति।
➡️समय एवं परिश्रम की बचत।
➡️शिक्षक में आत्मविश्वास।
➡️कार्यकुशलता।
➡️कार्य का मूल्यांकन।
पाठ योजना बनाते समय निम्न बातों पर ध्यान दें।


इस तरीका से पाठ योजना का बनायें।

शिक्षा(Education)

शिक्षा

Education

इस ब्रह्मांड में मानव का जीवन अनमोल है। मानव जीवन में शिक्षा प्राप्त करना, व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखार लाने के समान है। मनुष्य के जीवन में अनेकों समस्याएं रहते हैं। जो अपने-अपने तरीकों से जीवन में उतार चढ़ाव का हल निकालते रहते हैं।
शिक्षा

             मनुष्य के जीवन के दो पहलू होते हैं। दोनों पहलू बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। उनके जीवन को आगे बढ़ाने में यह काम करते हैं। 

➡️शरीर के अंदर का भाग 
➡️पर्यावरण विकास(बाहरी भाग)

            शरीर के अंदर का भाग के लिए हमें ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। जिससे हमें प्रतिदिन भोजन से प्राप्त होता है। इसके लिए हमें परिश्रम करना होता है। परिश्रम के कारण आर्थिक स्थितियां ठीक होता है। आर्थिक स्थिति ठीक तो सब ठीक हो जाता है।


            बाहरी भाग पर्यावरण(सामाजिक)परिवेश सामाजिक परिवेश के लिए शिक्षा आवश्यक है। शिक्षा के बिना बाहरी सामाजिक-सांस्कृतिक तौर-तरीके हम नहीं सीख पाएंगें। इसलिए यह दोनों पहलू महत्वपूर्ण हैं।

 शिक्षा का अर्थ -:

            ऐसे शिक्षा का अर्थ व्यापक है, इसे एक परिभाषा में समेटना अत्यंत मुश्किल है। फिर भी बहुत से विद्वानों, दर्शनीको एवं विचारको अपने अपने मंतव्य दिये हैं। प्राचीन काल से ही शिक्षा के बारे में बहुत से विद्वान अपना मंतव्य दिये।  जितने विद्वान एवं विचारक मत दिये सभी मत को देखा जाए एवं अर्थ निकाला जाए, तो बहुत अंतर या एक दूसरे से अन्योन्याश्रय संबंध रखते हैं। आज शिक्षा के बारे में जितने मत प्राप्त हैं, सब अधूरे हैं।

            जब एक बच्चा शिक्षा ग्रहण करता है, तो उसे दिमागी ज्ञान एवं बाहरी ज्ञान दोनों को विकसित होना होता है। दिमागी ज्ञान से अपने अंदर का ज्ञान को बढ़ाता है तथा बाहरी ज्ञान से अपने अनुभव प्रदान करता है। इस कारण बच्चे अपने ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर कुशल बन जाते हैं।


            ऐसे शिक्षा शब्द सुनने में आसान लगता है। हमें अपने दैनिक जीवन में शिक्षा शब्द प्रतिदिन प्रयोग करते हैं। लेकिन इसका अर्थ बहुत व्यापक एवं कठिन है। शिक्षा एक साधन है। जो बच्चे एवं व्यक्ति प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर हम समझ सकते हैं कि एक जानवर को सर्कस में ट्रेनिंग के माध्यम से सिखाया जाता है। वह भी शिक्षा ही है,तो हम कह सकते हैं कि शिक्षा का अनेक अर्थ हो सकते हैं।



आंतरिक शक्तियां -: संसार के जितने भी इंसान हैं। उनके भीतर गुप्त शक्तियां निहित होती है। कुछ बच्चे को अंतरिक शक्तियां जन्मजात प्राप्त होता है। यह ज्ञान बच्चे को स्कूली ज्ञान से अलग होता है। उस बच्चे को गॉड गिफ्टेड कहते हैं। इस तरह के बच्चे हर क्षेत्र में तेज होते हैं। उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता है। वह स्वयं निर्णय लेते हैं। उनके अंदर जिज्ञासा बहुत होता है। वह हमेशा जीत की कामना करते रहते हैं।

प्राकृतिक शक्तियां-: प्राकृतिक परिवेश में बाल्यावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक का ज्ञान एवं घटित घटनाओं का अवलोकन करके ज्ञान अर्जित करते हैं। सभी अवस्थाओं का अपना अपना  विशेष महत्व है।


निष्कर्ष-: जिस व्यक्ति के जीवन में आनंद,सुख,समृद्धि ,अच्छे विचार, रहन सहन एवं छोटी बड़ी बातें व्यवहारपूूर्ण होते हैं, तो उनका जीवन मधुरता पूर्ण बनने लगता है। यह सब शिक्षा से ही संभव हुआ है। व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास शिक्षा से संभव होता है। शिक्षा का उद्देश्य यह नहीं है कि मनुष्य अपने आर्थिक स्थितियाँँ ठीक कर ले और सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक ज्ञान न हो, तो शिक्षा का उद्देश्य पूर्ण नहीं होता। शिक्षा से ही मनुष्य सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक
ज्ञान सीख पाते है। इसलिए हम कह सकते हैं कि जीवन के हर पहलू पर शिक्षा जरूरी है। शिक्षा जीवन के आरंभ से अंत तक प्राप्त करना ही शिक्षा होता है। अतः किसी एक पहलू को पूर्ण करना शिक्षा नहीं है।

दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र

   👇👇       दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र      👇👇                        वीडियो को देख लीजिए।             Link- https://youtu.be/gAz...

आवेदन पत्र कैसे लिखें