ख़तरनाक रेडिएशन से कैसे बचें। HOW TO AVOID DANGEROUS RADIATION.

ख़तरनाक रेडिएशन से कैसे बचें How to Avoid Dangerous Radiation.

आज के इस संसार में हर इंसान खतरनाक रेडिएशन के शिकार होते जा रहे हैं। लोगो के मानसिक तनाव, बहरापन एवं अन्य कई खतरनाक मस्तिष्क रोग भी उत्पन्न होता है। इस मानसिक तनाव एवं खतरनाक रेडिएशन का कारण मोबाइल फोन है।

आज के युग में युवा, वृद्ध तथा छोटे बच्चे भी मोबाइल फोन रखना एक अभिन्न अंग बन चुका है। लेकिन बहुत लोगों को यह पता नहीं है कि मोबाइल से खतरनाक रेडिएशन निकलता है।

रेडिएशन क्या है?

रेडिएशन एक प्रकार का किरण है, जो मोबाइल के द्वारा हम सभी के पास आसानी से पहुंच पाता है। हमारे मस्तिष्क एवं अन्य खतरनाक बीमारियों का कारण होता है।

तो आज हम लोग इस आर्टिकल में जानेंगे कि खतरनाक रेडिएशन से कैसे बचें? HOW TO AVOID DANGEROUS RADIATION.

▶️अधिकांश व्यक्ति रात्रि में सोते समय मोबाइल को अपने पास या सिर के तरफ रखते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। रात्रि में सोते समय मोबाइल को कम से कम 4 से 5 फीट की दूरी पर रखें। ताकि खतरनाक रेडिएशन से बचा जा सके।

▶️मोबाइल का टावर या सिगनल न मिलने पर बातें नहीं करना चाहिए। क्योंकि मोबाइल का सिगनल न मिलने के समय अधिक मात्रा में रेडिएशन उत्पन्न होता है।

▶️कम से कम मोबाइल का प्रयोग करना उचित होगा। आज कल के युवा अधिक से अधिक फेसबुक, व्हाट्सएप एवं अन्य सोशल मीडिया पर समय बिताते रहते हैं। इस कारण रेडिएशन के खतरा बना रहता है।

▶️सुबह में मोबाइल का प्रयोग न करें। जब हम लोग रात में सो कर सुबह उठते हैं तो हमें कम से कम दो-तीन घंटा मोबाइल से दूर रहना चाहिए।

▶️ 90% लोग मोबाइल में गेम खेलते हैं। वह जाने और अनजाने में रेडिएशन के शिकार हो रहे हैं। इसलिए मोबाइल में गेम नहीं खेलना चाहिए। मोबाइल में गेम खेलने से हानिकारक रेडिएशन निकलते रहता हैं। जिस कारण हमें कई रोगों का सामना करना पड़ता है।

निष्कर्ष-: आज की युवा पीढ़ी मोबाइल पर गेम खेलते, सोशल मीडिया एवं व्हाट्सएप पर घंटो समय बिताते रहते हैं। आज हर इंसान रेडिएशन से घिर चुके है। मोबाइल रेडिएशन चेक नंबर,मोबाइल रेडिएशन चिप,मोबाइल रेडिएशन क्या है,मोबाइल रेडिएशन के दुष्प्रभाव,मोबाइल रेडिएशन कितना होना चाहिए,एंटी रेडिएशन चिप क्या है,मोबाइल से होने वाली बीमारी,रेडिएशन के साइड इफ़ेक्ट आदि।

















शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)

शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)

आज इस आर्टिकल में शिक्षक के कर्तव्य (Teacher's duty) के बारे में हम लोग जानेंगे।

बात उन दिनों की है, जब मेरी बेटी नौवीं की छात्रा थी। पढ़ाई का दबाव उसे अंदर ही अंदर कमजोर कर रहा था जबकि वह पढ़ने में बहुत तेज है। परिणाम यह हुआ कि वह बीमार हो गई। आठवीं कक्षा में उसने 90.2 प्रतिशत अंक हासिल किए थे।
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)


आज के समय में पढ़ाई का दबाव बच्चों को मानसिक और शारीरिक तौर पर तेजी से बीमार बना रहा है और ज्यादातर अभिभावक इस बात से अनजान हैं। यह बात मुझे तब मालूम हुई, जब एक दिन स्कूल से वापस आने के बाद मेरी बेटी ने कमजोरी और थकान की बात की वह कितनी बीमार थी। इसका अनुमान मुझे तब लगा जब चिकित्सक ने उसका ब्लड प्रेशर लो होने की बात बताई।


मैंने उसे कई चिकित्सकों से जांच कराया पर कोई सुधार नहीं हुआ। इस बात को लेकर मैं हमेशा तनाव में रहा करता था। मुझे महसूस हुआ कि प्रतियोगिता की अंधी दौड़ में आज के बच्चे कितना अधिक सामाजिक और मानसिक दबाव का दंश झेल रहे हैं। पिता होने के नाते बेटी के कष्ट को किस तरह मैं सहन कर रहा था यह बता पाना मुश्किल है। मैं पेशे से स्कूल अध्यापक हूंँ।
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)


स्कूल से आने के बाद मेरा ज्यादातर समय बेटी को पढ़ाने में बीतता था। जिस चिकित्सक के बारे में बताते मैं उसके पास दौड़ा चला जाता। जब आप बहुत कष्ट में होते हैं तो ईश्वर ही कोई रास्ता बनाता है।


मेरे मन में विचार आया कि मैं तो शिक्षक हूं क्यों न कुछ ऐसा किया जाए कि मेरी बेटी के तरह किसी अन्य विद्यार्थी को यह परेशानी न झेलनी पड़े।


मैंने छात्रों के लिए मैथ एंड साइंस के अंतर्गत पाठ्यक्रम में शामिल पुस्तकों की विषयवस्तु को सहज भाषा में (हिंदी व अंग्रेजी) क्रमबद्ध तरीके से तैयार किया। अथक प्रयास के बाद लगभग आठ महीनों की मेहनत में मैं यह कार्य पूर्ण कर सका।
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)

विषय वस्तु को सरल,रोचक,बोधगम्य बनाने और छात्रों को स्वयं मूल्यांकन करने के लिए 150 प्रश्नों की एक क्वेश्चन बैंक तैयार की।


मेरे द्वारा विद्यार्थियों के लिए किये गये, इस काम से मुझे खूब सराहना मिली। यह बात अलग है कि बाजार में हर विषय की ढेरों किताबें, गाइड, क्वेश्चन बैंक आदि उपलब्ध है, लेकिन इसके लिए बच्चों को काफी कीमत भी चुकानी पड़ती है और इतनी अधिक पठन सामग्री होती है कि बच्चे असमंजस की स्थिति में रहते हैं।


जब वही पाठ्यक्रम सहज और रोचक ढंग से संक्षिप्त भाषा में समझाया जाता है तो बच्चों को संबंधित विषय से डर नहीं लगता है।

यह सब करने का मेरा उद्देश्य था कि बच्चे पढ़ाई को मनोरंजक अंदाज में समझें और उन्हें किसी तरह का मानसिक दबाव न झेलना पड़े, क्योंकि मैंने अपनी बेटी के परीक्षा के तनाव और उससे उत्पन्न कष्ट को देखा था।


वास्तव में यह काम मेरे लिए कड़ी चुनौती था, क्योंकि मेरी बेटी पढ़ाई के तनाव के चलते ही बीमार हुई थी, पर भगवान ने मेरा साथ दिया और मैं अपने मिशन में कामयाब रहा।


मैं संक्षेप में सिर्फ इतना ही कहूंगा कि शिक्षा जरूरी है लेकिन बच्चों पर इतना प्रेशर न बनाए कि वे मानसिक रूप से कमजोर हो जाए या किसी बीमारी का शिकार हो जाए। मेरे इस प्रयास में कई शिक्षकों ने अपने विषय को सहज ढंग से लिखने का वादा किया।


इस कहानी के माध्यम से मैं सभी शिक्षकों और अभिभावकों से कहना चाहता हूं कि जीवन में किया गया छोटा सा प्रयास सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काफी होता है।


"हम भले ही सूरज न बन सकें तो क्या हुआ, एक दीपक बन कर मार्ग दिखाने का माध्यम जरूर बन सकते हैं।" 


शिक्षक का दायित्व एवं कर्तव्य बहुत जिम्मेदारी वाला होता है। इसलिए उन्हें ऐसे काम करने चाहिए, जो विद्यार्थियों का भविष्य संवारने में सहायक हो।

पढ़ाई के दौरान विद्यार्थी अनावश्यक सोचना बंद कैसे करें। How do the students stop thinking unnecessary during their studies?

पढ़ाई के दौरान विद्यार्थी अनावश्यक सोचना बंद कैसे करें। How do the students stop thinking unnecessary during their studies?


90% छात्र पढ़ाई के दौरान अनावश्यक रूप से सोचते रहते हैं। अभिभावक, माता-पिता सोचते हैं कि हमारे बच्चे पढ़ रहे हैं। लेकिन अधिकांश बच्चे पढ़ाई के दौरान अनावश्यक सोचते हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।

यह केवल एक विद्यार्थी या एक छात्र की बात नहीं हो रहा है। ऐसे हजारों विद्यार्थियों के साथ होता है।

तो आज मैं पढ़ाई के दौरान विद्यार्थी अनावश्यक सोचना बंद कैसे करें। How do the students stop thinking unnecessary during their studies? इसके बारे में जानने का प्रयास करेंगे।

हमारे मस्तिष्क में मन दो प्रकार के होते हैं। 


1) चेतन। 
2) अवचेतन। 

चेतन या अवचेतन पर निर्भर करता है। 

उम्र दोष

बैठकर न पढ़ना।

हाथ पैर न धोकर पढ़ाई के लिए बैठना। 

गलत तरीकों से बैठकर पढ़ना। 

गाल या सिर पर हाथ रख कर पढ़ना।

लेट कर पढ़ाई करना।

मानसिक दोष। 

अनुवांशिक दोष।

अधिक बोलने वाला हो।

झगड़ालू प्रवृत्ति के होना।

किसी की बातें न सुनना। 

पढ़ाई के दौरान विद्यार्थी अनावश्यक सोचना बंद कैसे करें। How do the students stop thinking unnecessary during their studies?



ध्यान केंद्रित करना-: छात्रों को ध्यान केंद्रित करके पढ़ाई करना चाहिए। ताकि उनको बहुत बढ़ियाँ से समझ में आने लगे। छात्रों के पढ़ाई के दौरान अनावश्यक सोच न उत्पन्न हो। इसके लिए ध्यान केंद्रित करके पढ़ाई करना अति आवश्यक है।


हाथ पैर धोकर पढ़ना-: कभी भी पढ़ाई करने से पहले हाथ पैर को धोकर पढ़ाई करने के लिए बैठना चाहिए। इससे मन एकाग्र होता है। अनावश्यक सोच नहीं उत्पन्न होता है


योग अभ्यास करना-: छात्रों को नियमित योग अभ्यास करना चाहिए। इससे मन एकाग्र एवं अनावश्यक सोचे में वृद्धि नहीं होता है।


पढ़ाई का सही तरीका अपनाना-: छात्रों को पढ़ाई के लिए सही तरीका अपनाना चाहिए। जैसे-: टेबल कुर्सी पर पढ़ना तथा सीधे बैैठकर पढ़ाई करना चाहिए।

आत्मविश्वास की जरूरत-: छात्रों को आत्मविश्वास के साथ पढ़ाई करना चाहिए। ताकि छात्रों के मन में अनावश्यक सोच कभी भी उत्पन्न न हो।


पॉजिटिव सोच होना-: पढ़ाई के दौरान पॉजिटिव सोच के होना अति  महत्वपूर्ण होता है। पॉजिटिव सोच के साथ हम लोग अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं। जीवन की हर कठिन से कठिन काम पॉजिटिव सोच से आसानी से समाधान किया जा सकता है।


कठिन परिश्रम करना -: पढ़ाई के दौरान कठिन परिश्रम करने से सफलता अति शीघ्र प्राप्त होता है। पढ़ाई के दौरान अनावश्यक सोच बिल्कुल नहीं होता है।


सृजनात्मक गुण होना-: जो छात्र सृजनात्मक होते हैं, वह कभी भी अनावश्यक रूप से नहीं सोचते हैं। वे पढ़ाई बहुत  अच्छे तरीको से करते हैं, ताकि वे जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें। वे अपने कर्मों पर हमेशा यकीन करते हैं, तथा स्वयं निर्णय लेने की क्षमता उनमें रहता है।


छोटी-छोटी गलतियों को सुधार करना-: पढ़ाई के दौरान छोटी-छोटी गलतियों को सुधार करना अति आवश्यक होता है। जिससे कि पढ़ाई में अनावश्यक सोच नहीं उत्पन्न होता है।


गंभीर मुद्रा में रहना-: गंभीर मुद्रा में पढ़ाई करने से समझदारी एवंं सफलता प्राप्त होता है। गंभीर मुद्रा में पढ़ाई करने सेे अनावश्यक सोच उत्पन्न नहीं होता।


निष्कर्ष -: पढ़ाई के दौरान विद्यार्थी अनावश्यक सोचना बंद कैसे करें। How do the students stop thinking unnecessary during their studies? इसके लिए उपर्युक्त बातों को ध्यान
देने योग है।

दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र

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