कन्या भ्रुण हत्या(female foeticide)

कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide)     

भारत के अधिकांश हिस्सों में पढ़े लिखे लोगों की संख्या अधिक होने के बावजूद भी कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) क्यों ? इस विषय में सोचना अति आवश्यक है। हमारे समाज में बहुत सी कुरीतियां हैं इन कुरीतियों को दूर करने की जरूरत है। 

कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) अधिकांश हर वर्ग या समाज में हो रहे हैं। इसके लिए लोगों को जागरुक करना अति आवश्यक है, आज हम लोग कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) के बारे में जानेंगे।

कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) के कारण -:

लड़की के जन्म लेते ही माता-पिता पर बोझ हो जाती है। क्योंकि दहेज के रूप में उन्हें बहुत बड़ी रकम देना पड़ता है। इसकी वजह से वह कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) जैसे अपराध करने के लिए तैयार हो जाते हैं। इसके अलावा हमारे समाज के कुछ व्यभिचारी व्यक्ति अपने गंदे मनसे के साथ लड़कियों को हवस का शिकार बनाते हैं। जिस दिन यह दो सामाजिक बुराइयां खत्म हो जाएगा। फिर कोई कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) नहीं होगा।
                      
                      1) दहेज प्रथा
                      2)लड़कियों का सुरक्षा    

 कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) क्या है ? 

आज के इस महान वैज्ञानिकरण के तकनीक के कारण जन्म से पहले यह जान लेते हैं कि हमारे जीवन में आने वाला बच्चा लड़का या लड़की है। अब क्या होता है। यदि पेट में पल रहे बच्चा लड़की हुई, तो तुरंत ही कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) , गर्भपात या अन्य कारण से नष्ट करना निश्चित करते हैं। अगर लड़का हुआ तो खुशी से झूम कर मिठाइयां और पैसे बांटते हैं। 

यह लड़के और लड़कियों में अंतर करते हैं। अनपढ़ माता-पिता अधिकतर लड़के और लड़कियों में भेदभाव करते हैं। लेकिन कहीं-कहीं देखा जा रहा है कि पढ़े लिखे लोग भी लड़के और लड़कियों में भेदभाव करते रहते हैं।

एक ग्रामीण गांव में जब हम घूमने गए थे। तब वहां हमें पता चला कि लड़कों को प्राइवेट विद्यालय में पढ़ाते हैं। और लड़कियों को सरकारी स्कूलों में। क्योंकि उनका यह मानना है कि लड़का प्राइवेट में पढ़ेगा तो कुछ आगे बन जाएगा। लेकिन अधिकांश लड़कियां पढ़ने में बहुत तेज होती हैं। यहां हमारे समाज लड़का और लड़की में यह अंतर करते हैं।

भारत तकनीक क्षेत्रों में काफी तीव्र गति से प्रगति कर रहा है। बहुत से टेक्नोलॉजी का विकास हुआ। लेकिन आज भी बेटियों को लेकर हमारी सोच अब तक नहीं बदली। उस विकास के प्रयोग से हमें हमेशा सहायता ही मिला है। लेकिन इसका प्रयोग हम गर्भ में पल रही बेटी की हत्या के लिए इस विकास का उपयोग करना बेहतर समझा। यदि केवल बेटा ही बेटा यानि पुरुषों का समाज वहां महिला एक भी नहीं होंगी, तो हम अपने जीवन को आगे नहीं बढ़ा सकते।  क्योंकि जीवन  को आगे बढ़ाने के लिए स्त्री और पुरुष दोनों का होना अनिवार्य है। अगर केवल पुरुष ही समाज में रहेगा तो परिवार नहीं बन पाएगा। क्योंकि हमारे समाज में कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) बहुत तेजी से हो रहा है।

आज भी यहां के लोगों का विचार रुढ़िवादी है। सोच रुढ़ीवादी और कल्पना करते हैं। भारत एक विकसित देशों के श्रेणी में आए। यह तभी होगा जब सोच अच्छा होगा। हमारे समाज में आज भी लड़का और लड़की में भेदभाव किया जाता है। बहुत से माता-पिता भी लड़को और लड़कियों में अंतर करते हैं।

सामाजिक भेदभाव -: आज भी भारतीय समाज में एक गंदी सोच के कारण कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) निसंकोच ही कराते हैं। भारतीय समाज में औरतों को दबाव बनाकर उन महिलाओं से गर्भपात कराने के लिए मजबूर कराते हैं। कुछ महिलाएं स्वयं से भी गर्भपात कराने के लिए तैयार हो जाती हैं।


भारत में कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) के परिणाम -:

आज भारत में कन्या भ्रुण हत्या (femalefoeticide)
के कारण लिंगानुपात में बहुत कमी आई है। जिसके कारण भारत में 1000 पुरुष पर 940 महिलाओं की संख्या है। अगर राज्यो का निर्धारण करें, तो हरियाणा, पंजाब, गुजरात, बिहार आदि। राज्यों में लिंगानुपात में काफी कमी आई है।

कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) के परिणाम निम्न है।

लड़कियों की संख्या में कमी-: समाज से लड़कियों की संख्या में लगातार कमी दिख रही है। शादी के लिए लड़कियों की संख्या में काफी कमी है। हरियाणा के लिंगानुपात 1000 पूरुष पर 798 महिला है। बहुत लड़को की शादी नहीं हो पाएगा। कन्या भ्रुण हत्या(female foeticide) का परिणाम है।

महिलाओं में अनेकों रोग का कारण -: यदि एक महिला गर्भपात कराती है, तो उसका शरीर कमजोर हो जाता है। कमजोरी के कारण अनेकों रोग पकड़ लेता है। जिस कारण अधिकांश कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) के दौरान ही उनकी मृत्यु हो जाती है।

कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) पर कानून -:

भारत सरकार के द्वारा लाख कोशिश करने के बाद भी कन्या भ्रूण हत्या में कमी नहीं आई। कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) एक दंडनीय अपराध है। भारत सरकार द्वारा कानून बनाया गया है कि गर्भ में लिंग का पता लगाना एक कानूनी रूप से दंडनीय अपराध है। यदि किसी महिला को गर्भ जांच ने के लिए मजबूर किया गया तो उस महिला को सजा नहीं दिया जाएगा। लेकिन जो व्यक्ति मजबूर करते हैं। उन्हें सरकार द्वारा तीन साल की सजा और ₹10000 जुर्माना देना पड़ता है। डॉक्टर के क्लीनिक में किसी महिला को गर्भपात कराते पकड़े जाने पर उनका लाईसेंस खत्म ,जुर्मना और कड़ी सजा हो सकता है।

निष्कर्ष -: भारतीय समाज में कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) अपने चरम पर है। जिस कारण लड़की की संख्या में कमी होना निश्चित है। एक ऐसा समाज का निर्माण होगा कि केवल लड़कों की संख्या में वृद्धि होते जाऐगा। और नारी विहीन समाज की स्थापना हो जाएगा। ऐसे बहुत विडंबना है कि हमारे समाज में स्त्रियों को देवी के रूप में पूजा जाता है। लेकिन वहीं समाज कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) करके लोग अपराध भी कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए समाज की दो गंंदे कुरीतियों को दूर करना होगा।

                      1) दहेज प्रथा
                      2)लड़कियों का सुरक्षा 

जिस दिन समाज में दहेज प्रथा और लड़कियों का सुरक्षा के लिए समाज और जन मानस तैयार हो जाता है। उस दिन से कन्या भ्रुण हत्या (female foeticide) खत्म होना निश्चित है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र

   👇👇       दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र      👇👇                        वीडियो को देख लीजिए।             Link- https://youtu.be/gAz...

आवेदन पत्र कैसे लिखें