मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program)

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program) 

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम (Chief Minister School Safety Program) के अंतर्गत मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए समाज सेवा के प्रति समर्पण एवं सर्वांगीण विकास ही शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्धेश्य है। विद्यालय की शिक्षा से ही देश के जिम्मेदार नागरिकों का निर्माण होता है। केवल देश सुरक्षित करना ही समाज सेवा नहीं है, अपितु जन सुरक्षा अति महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program)

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program) 


इसके लिए मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम (Chief Minister School Safety Program) प्रत्येक शनिवार को शुरुआत की गई है। जिसे मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम सुरक्षित शनिवार नाम दिया गया है। जिसमें अनेक प्राकृतिक एवं मानव जनित आपदाएं हैं। जिससे हमें अपने समाज, गांव, राज्य एवं देश को बचाने की आवश्यकता है। इसके लिए विद्यालय के छात्र-छात्राओं को उपयुक्त वातावरण तैयार कर के ही मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम (Chief Minister School Safety Program) को सहायक सिद्ध करना होगा।


मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program) में विद्यालयी बच्चों को आपदाओं के प्रति सजग एवं जागरूक करके न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है, बल्कि उन के माध्यम से परिवार एवं समाज तक पहुंचाया जा सकता है। बच्चों की शिक्षा में ही आपदाओं से संबंधित जागरूकता एवं आपदाओं का सामना करने के लिए विद्यालय के छात्र-छात्राओं को तैयार करना होगा।


बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा शिक्षा विभाग, बिहार सरकार एवं बिहार शिक्षा परियोजना के तहत विद्यालय सुरक्षा की व्यापक कार्यक्रम तैयार किया गया है।

इसके अंतर्गत प्रत्येक शनिवार को प्रत्येक विद्यालय में प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित एवं मानव जनित आपदाओ के बारे में क्या करें, क्या ना करें की जानकारी प्रदान करते हुए। बच्चों,अध्यापक एवं अभिभावकों को किसी भी प्रकार का कोई आपदा हो उससे लड़ने के लिए तैयार किया जाए।

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम (Chief Minister School Safety Program) के  अंतर्गत  प्राकृतिक एवं मानव जनित आपदाएं निम्न है

प्राकृतिक आपदाओं - बाढ़, भूकम्प, आग- लगी, ठनका/ वज्रपात, चक्रवाती तूफान/ तेज आंधी, लू/ गर्म हवाएं, शीतलहर, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन आदि प्रमुख है।

मानव जनित आपदाओं- सड़क/रेल दुर्घटना, नाव  दुर्घटना,भगदड़,बिजली से घात आदि।

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम (Chief Minister School Safety Program) के तहत प्राकृतिक आपदाओं एवं मानव जनित आपदाओं में क्या करें? क्या न करें?

भूकंप के दौरान-

घर से बाहर किसी खुले मैदान या खुली जगह हो तो वहां पर जाना चाहिए।

अगर घर में से निकल नहीं पायें, तो किसी मजबूत फर्नीचर जैसे- मजबूत टेबल, चौकी या बेंच डेस्क के नीचे छुप जायें। अगर टेबल, चौकी, बेंच डेस्क न हो तो कमरे के किसी ऐसे कोने में जाकर बैठ जाएं। जहां पिलर हो।

बिजली से जुड़ी उपकरणों से दूर रहें, यथा संभव हो तो बिजली आपूर्ति को शीघ्र ही बंद कर दें।

ऐसा पूरा प्रयास करें कि घर से बाहर निकल जाएं। बाहर भी ऐसे जगह न खड़े हो, जहां बिजली के खंभे या तार हो।

चलते हुए वाहन में हैं तो यथासंभव जल्द से जल्द रुक जाय एवं वाहन में बैठे रहे। किसी मकान,पेड़, रास्ते पार करने वाले जगह, बिजली के तार के नजदीक या उसके नीचे रुकने से बचें।

बाढ़ के दौरान- 

एक लम्बी लाठी एवं मजबूत रस्सी हमेशा साथ रखें।

मकान हमेशा ऊंची जगह, ऊंंची पिलिन्थ पर ही बनवाएं।

बाढ़ के दौरान खाना ढक कर रखें। हल्का भोजन करें एवं उबला हुआ पानी पियें।

बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री बांटने में मदद करें।

वाटरप्रूफ बैग या आपातकालीन कीट हमेशा अपने पास रखें, जिसमें एक छोटा रेडियो, टॉर्च, बैटरी, मजबूत रस्सी, माचिस, मोमबत्ती, पानी, सुखा भोजन एवं अन्य जरूरी कागजात, महंगे समान, जरूरी दस्तावेज, चीनी और नमक अपने साथ रखें।

ठनका/ वज्रपात से बचाव के उपाय 

यदि आप खुले में हैं तो शीघ्र ही मकान में ही आश्रय लें।

ऊंचे वृक्ष या ऊंचे टॉवर आदि के नीचे न खड़े रहें।

सफर के दौरान गाड़ी में ही रहें।

अगर खुले स्थान पर हैं और आसपास घर नहीं है तो जमीन पर दोनों पैरों को आपस में सटा लें और दोनों हाथों को घुटने पर रखकर अपने सिर को जमीन के तरफ यथासंभव झुका लें। तथा सिर को जमीन से न सटाएंं।

लू एवं गर्म हवाएंँ से बचने के उपाय

गर्मी के दिनों में पानी भरपूर पीयें। अगर प्यास नहीं भी लगा है तब भी पानी अवश्य पीयें। इससे लू लगने की संभावना नहीं होता है।

हल्के रंग के कपड़े पहने चाहिए।

हल्के भोजन करना चाहिए।

कठिन कार्यों से बचें।

विद्यालय के बच्चों को 11:30 में छुट्टी हो जाना चाहिए। ताकि 12:00 बजे तक बच्चे अपने घर पहुंच जाएं।

आगलगी से बचाव हेतु उपाय

आग लगने पर ग्रामीण समाज के लोगों का सहयोग से आग बुझाने का प्रयास करना चाहिए।

आग बुझाने के लिए दो बोरी बालू या सुखी मिटटी बोरे में भरकर विद्यालय के किचन के बाहर रखा रहना चाहिए।

गैस में आग लगा है तो सर्फ के पानी आग लगे गैस पर फेंकने से बुझ जाता है।

शीतलहर/ ठंड से बचाव के उपाय 

विद्यालय के सभी बच्चों को गर्म कपड़े पहन कर आने के लिए कहा जाना चाहिए।

लंच के समय बच्चे को अधिक समय तक बाहर खेलने के लिए अनुमति नहीं देना चाहिए।

शरीर में ऊष्मा के प्रवाह को बनाए रखने के लिए पौष्टिक आहार एवं गर्म पेय पदार्थों का सेवन करें।

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program) 


स्त्रोत- बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के द्वारा मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program) 
(सुरक्षित शनिवार)



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