पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण संरक्षण
आज पर्यावरण संरक्षण विषय के लिए समस्या का कारण बना हुआ है। इसके लिए संसार के प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना पड़ेगा। अगर प्रत्येक व्यक्ति जागरूक नहीं होते हैं, तो उनका भयंकर परिणामों का सामना कुछ ही सालों में करना पड़ेगा। सभी देशो के लोगों को प्रभावित कर करेगा। ये अमीर या गरीब की  पहचान नहीं करता। ये सभी व्यक्तियों को प्रभावित करेगा। तो ऐसा भूल करना गलत होगा। 
पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण संरक्षण

                     आज से ही सभी देशो को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा। सभी देशों के प्रतिनिधि मंडल के लोग इस समस्या का हल यथाशीघ्र निकालने का प्रयास करें। साथ साथ जनमानस को जागरुक बनाना अति आवश्यक है, क्योंकि जनमानस का साथ रहा तो इस समस्या का निदान तो नहीं लेकिन कुछ राहत अवश्य हो जाएगा।

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                     5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। आजकल केवल WhatsApp, Facebook पर लोग मैसेज कर देते रहे हैं। यह मैसेज का खेल खेलना बंद करें और धरातल पर उतर कर पेड़ पौधे पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है।
                      सरकार भी केवल सांस्कृतिक कार्यक्रम करा कर हाथ साफ कर रही है। 5 जून के दिन कम से कम एक करोड़ पेड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखें। ताकि पृथ्वी हरा भरा रहे और आने वाले भविष्य की  पीढ़ियों को ऑक्सीजन के लिए तरसना न पड़े।
                     ऐसा देखा जाता है कि पर्यावरण का संबंध सीधे प्राकृतिक से होता है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ करना अत्यंत विनाशकारी होता है। पृथ्वी के तापमान को संतुलन में बनाए रखने के लिए, एक निश्चित भू भाग पर वन होना चाहिए। जिससे पृथ्वी का तापमान संतुलन में रहे।

" घर में बच्चों से खुशियांं मिलती है, उसी प्रकार धरती को पेड़ पौधे से खुशियां मिलती है।"

              पर्यावरण संरक्षण का महत्व

➡️अधिक से अधिक पेड़ लगाना-: हमारे जीवन के लिए पेड़ अनमोल है। इसके लिए हमें अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ों को लगाना चाहिए। जिससे पृथ्वी हरा भरा रहे और हमारा जीवन भी खुशहाल रहें। क्योंकि पेड़ पौधे हमें ऑक्सीजन, वर्षा एवं प्रदूषण को भी रोकता है।

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 नारी शिक्षा के प्रति जागरूपता 

  • पृथ्वी के तापमान सामान्य।
  • समय पर वर्षा होगा।
  • ऑक्सीजन की प्राप्ति।
  • प्राकृतिक सौंदर्य बरकरार।
  • गर्मी से राहत।
  • गर्मी के दिनों में आसानी से पानी मिलना।
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कारक

➡️प्रदूषण-: जिस वातावरण में हम सहजता के साथ रहते हैं। उस वातावरण में अन्य गैस या तत्वों का समावेश के साथ वातावरण को असंतुलित की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। उसे प्रदूषण कहते हैं।
                    प्रदूषण को दूसरे शब्दों में इस तरह व्यक्त कर सकते हैं। संतुलन में असंतुलन की स्थिति पैदा करना ही प्रदूषण है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले मुख्य कारक प्रदूषण ही है।

 प्रदूषण को तीन भागों में विभाजित किया गया है।

                        वायु प्रदूषण
                        जल प्रदूषण
                        ध्वनि प्रदूषण

➡️वायु प्रदूषण -: हमारे वायुमंडल में एक निश्चित मात्रा में गैस विद्यमान होते हैं। उस गैस में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि,उस गैस में मिश्रित हो जाते हैं। जिससे वायु अशुद्ध हो जाता है। उसे वायु प्रदूषण करते हैं।
                       ये अधिकांश कल कारखाने मोटर वाहन, प्लास्टिक जलाने, कोयले पर खाना बनाने वाले धुऐ आदि वायु को प्रदूषित करते हैं।

➡️जल प्रदूषण-: कल कारखाने के गंदे पानी, घरों में कपड़े साफ की गई पानी, मलमूत्र आदि नालियों द्वारा नदी में या समुद्रों में जोड़ दिया जाता है। जिससे समुंद्र या नदियों के पानी दूषित हो जाते है। जिससे इस में रहने वाले जीवों की मृत्यु हो जाती है। उसे जल प्रदूषण कहते हैं। 

➡️ध्वनि प्रदूषण-: ध्वनि प्रदूषण मुख्यतः तेज आवाज से होता है। जैसे-: DJ का प्रयोग, तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाना, कल कारखाने में तेज आवाज से ध्वनि उत्पन्न करना ही ध्वनि प्रदूषण होता है।

➡️ बढ़ती जनसंख्या -: आज जिस गति से जनसंख्या बढ़ रहा है पृथ्वी के लिए खतरा बनते जा रहा है। क्योंकि जनसंख्या बढ़ेगा तो जाहिर सी बात है कि मानवीय संसाधन की जरूरत होगी। माननीय संसाधन को पूरा करने के लिए वनों का अंधाधुंध कटाई किया जा रहा है। ये तो केवल एक महज उदाहरण है। पेड़ो के लकड़ियों के प्रयोग कर कई वस्तुओं के उत्पादन होता है। 

➡️प्लास्टिक के उत्पाद-: आज दुनिया भर में जितने  प्लास्टिक का प्रयोग होता है, उतना किसी भी पदार्थ का प्रयोग नहीं होता है। पर्यावरण संरक्षण के लिए प्लास्टिक नुकसानदेय है। हम अक्सर देखते हैं कि किसी भी घर में 8 या 10 व्यक्ति आ जाते हैं, तो प्लास्टिक वाला यूज एंड थ्रो गिलास,प्लेट लाते हैं। ऐसे शादी विवाह में अक्सर गिलास, प्लेट, कटोरी, चम्मच आता है। ये सब उपयोग करने के बाद फेंक दिये जाते है। खेतों में जाकर खेतो को बंजर बनाता है। प्लास्टिक कई वर्षों तक मिट्टी में गड़े रहने के बाद भी न गलता और न नष्ट होता। इस कचरे को जलाते हैं तो हानिकारक गैसों का स्राव होता है। जिसे वायु को प्रदूषित कर देता है।

➡️ एयर कंडीशन एवं  रेफ्रिजरेटर-: ये भी पर्यावरण के संरक्षण में नुकसान पहुंचाते हैं। इन से हानिकारक गैस निकलता है। जिसे वायु में फैल जाता है और ओजोन परत को नष्ट करता है। यही नहीं दाढ़ी बनाने वाले झाग एवं अन्य पदार्थ ओजोन परत को नुकसान पहुंचाता है।                                               
              सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को ओजोन परत के द्वारा छनकर पृथ्वी पर किरणें आता है। जिससे हमारा जीवन खुशहाल होता है।

जन जन में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का एक कदम।

पर्यावरण संरक्षण को जनमानस तक पहुंचना अति आवश्यक है। ग्रामीण समाज में कुछ लोग खेती बाड़ी करते हैं। जो पेड़-पौधे आदि पर ध्यान देते हैं। लेकिन शहरों में रहने वाले को पर्यावरण संरक्षण के विषय में बताना होगा कि वे अपना कुछ समय निकालकर पेड़ पौधे लगाएं। 
             सरकार को ध्यान देना होगा कि सप्ताह में एक दिन कम दूरी वाले जगहों पर केवल साइकिल का ही प्रयोग करें। या 5 किलोमीटर के एरिया में सभी लोग साइकिल से ऑफिस या कहीं भी जाना हो तो साइकिल का प्रयोग अनिवार्य करे। इसके लिए ठोस बनाना होगा अगर देश में सप्ताह में 1 दिन साइकिल का प्रयोग करें तो कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में कुछ कमी होगा।

पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुक करने का तरीका

 ➡️कार्टून नेटवर्क-: बच्चों को कार्टून देखना बहुत अच्छा लगता है कार्टून के माध्यम से बच्चों को पर्यावरण संरक्षण का महत्व, लाभ, हानि, पेड़ पौधे, प्रदूषण संबंधित जानकारी दी जाए। जिससे बच्चे को बचपन से ही इन सब बातों की जानकारी होते रहे।

➡️ प्राथमिक विद्यालय-: विद्यालय एक ऐसा साधन है जहां बच्चे को बहुमुखी विकास एवं व्यक्तित्व का निर्माण कराए जाते हैं। विद्यालय में चेतना सत्र या एक कालांश (घंटी) केवल पर्यावरण संरक्षण पेड़-पौधे संबंधित बच्चों से स्वयं प्रयोग कराकर शिक्षक महोदय जानकारी दें। यह कार्य विद्यालय में प्रतिदिन होने चाहिए इसके अलावा शिक्षक के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के बारे में बताना या क्रियात्मक प्रयोग करके दिखाना अति आवश्यक है।

➡️कॉमिक्स कहानी के किताब-:  बच्चे कहानी के किताबों को खूब पढ़ते हैं। जैसे नंदन, बालहंस, कॉमिक बुक, आदि कहानी की किताब पढ़ते रहते हैं।कहानी के माध्यम से ही पर्यावरण प्रदूषण आदि की जानकारी बच्चों को दी जाए। जिससे आने वाले दिनों में पर्यावरण संरक्षण समान रूप से बना रहे हैं।

 ➡️Google या अन्य सर्च इंजन-: Google या अन्य सर्च इंजन के द्वारा एक ऐसा सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जाय कि सर्च इंजन में कुछ भी सर्च करें तो पहले मात्र 30 सेकेन्ड़ या 1 मिनट का वीडियो पर्यावरण संरक्षण संबंधी जानकारी देता हो। इससे संसार में एक ही साथ लाखों व्यक्ति इस वीडियो को देख सकते हैं। और इस गंभीर मुद्दा पर ध्यान से समझें और शोध करें। ताकि इस समस्या से निपटा जा सके।

पर्यावरण संरक्षण के प्रति सुझाव एवं उपाय।

➡️पेड़ लगाना। 
➡️प्लास्टिक उत्पाद पर रोक।
➡️मोटर वाहन कल कारखानों के अधिक मात्रा में उपयोग ना हो। 
➡️प्रदूषण पर नियंत्रण।
➡️वैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद् को प्रोत्साहित करना।
➡️पानी की बचत एवं उसके मोल को पहचान ना।
➡️ प्राकृतिक संपत्तियों को नष्ट न करना।

 निष्कर्ष-: पर्यावरण संरक्षण का संबंध सीधेेेे मानव जाति से है। इसमें प्रकृति के साथ संबंध स्थापित होता है मानव एवं प्राकृतिक का अन्योन्याश्रय संबंध है। एक दूसरे के बिना जीवन बेकार है।



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