बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना 10th रिजल्ट 2018

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना 10th रिजल्ट 2018

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति, पटना 10th रिजल्ट 2018 (10th result 2018) बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की आधिकारिक सूचना के अनुसार दिनांक 20/06/18 को परिणाम आने की सूचना प्राप्त हुआ। इस सूचना के आधार पर लाखों छात्र छात्राओं की खुशी की लहर उमड़ पड़ी।


                            "भयंकर गर्मी के बाद पानी की बूंदे सुहावनी लगती है, उसी तरह सालों के परिश्रम के बाद 10 th रिजल्ट आने से छात्रों के मन में खुशी की लहर एवं हर्षोल्लास देखने को मिलता है।"

इंटरमीडिएट के खराब रिजल्ट के बाद मैट्रिक रिजल्ट आने की घोषणा से छात्रों में कहीं खुशी तो कहीं गम के नजारे देखने को मिल रहे हैं। बच्चे हर्ष उल्लास के साथ रिजल्ट की परिणाम का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लेकिन कुछ छात्र सशंकित भी नजर आए। क्योंकि इंटर के खराब रिजल्ट के बाद मैट्रिक का रिजल्ट का परिणम क्या होगा। 
                             इस बार बिहार विद्यालय परीक्षा समिति परिणमों की तैयारी पूरी हो चुकी है। 25 मेधावी छात्रों का वेरिफिकेशन कर लिया गया है।
                             बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की आधिकारिक वेबसाइट पर परिणाम देखे जा सकते हैं।


बिहार विद्यालय परीक्षा समिति 10th रिजल्ट 2018 ऊपर के इन सभी साइटों पर 10th रिजल्ट 2018 चेक कर सकते हैं।

अध्ययन के लिए सबसे उत्तम समय(Best time to study)

              अध्ययन के लिए सबसे उत्तम समय (Best time to study)

अध्ययन के लिए उत्तम समय का चुनाव करना बहुत  मुश्किल है। सभी मनुष्य के मस्तिष्क अलग अलग होता है। उनके सोचने और समझने की क्षमता अलग-अलग होते हैं। ऐसे तो अध्ययन के लिए उत्तम समय (Best time to study) यह है कि जब " इच्छा" करे तब अध्ययन करें। इससे अधिक  gain कर सकते हैं। gain अधिक तो सफलता जल्दी प्राप्त होता है।

                     इच्छा के विपरीत हम अध्ययन करते हैं तो कुछ भी कारगर नहीं होता। कुछ बच्चे अधिक अध्ययन करते हैं, और कम गेन करते हैं। लेकिन कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जो कम अध्ययन करके बहुत अधिक गेन करते हैं। सारा खेल मस्तिष्क का होता है।

                    कहने का मतलब यह है कि जो बच्चे कम अध्ययन करके अधिक gain करते हैं। उस बच्चे के लिए अध्ययन का समय सबसे उत्तम है। जिस समय में वह अध्ययन कर रहा है। यह जरूरी नहीं है कि उसी समय दूसरे दिन  अध्ययन करें, तो अधिक gain कर सकते हैं। 

                   अध्ययन के लिए ऐसा स्थान जहां शोरगुल न हो। उस शांत वातावरण में अध्ययन करना काफी महत्वपूर्ण होता है। और वह महौल सुबह का हो, दोपहर का, या रात्रि का समय हो, अध्ययन के लिए बिल्कुल सही समय है।

                  ऐसे प्राचीन मान्यता यह थी कि अध्ययन के लिए सबसे उत्तम समय (Best time to study) ब्रह्म मुहूर्त का समय यानी सुबह 4:00 बजे से 7:00 बजे तक के समय को चुना गया था।

                 अधिकांशतः सुबह का समय महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि उस समय का वातावरण शांतपूर्ण होता है। उस समय की गई अध्ययन काफी महत्वपूर्ण होता है। उस समय जो भी पढ़ते हैं। वह सारा ज्ञान कुछ दिनों या हमेशा के लिए याद हो जाता है। क्योंकि रात्रि में सो कर उठने के बाद सुबह का समय माइंड शार्प एवं थकान नहीं रहता है। इस कारण हमारे मस्तिष्क कुछ भी प्राप्त करने के लिए तैयार रहता है। इसलिए सुबह का समय अध्ययन के लिए सबसे सर्वोत्तम माना गया है।

               ऐसे पढ़ने वाले व्यक्ति कभी भी पढ़े तो यह ध्यान रहे कि उस समय का माहौल शांतिपूर्ण हो। उस शांतिपूर्ण माहौल में अध्ययन करना महत्वपूर्ण होता है।

निष्कर्ष -: पढ़ाई के लिए सबसे उत्तम समय(Best time to study) जब इच्छा तब पढ़े। ऐसे पढ़ने वाले छात्र अधिक ज्ञान अर्जित करते हैं। ऐसे हमारे पिताजी अक्सर कहा करते थे कि ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह 4:00 बजे से 7:00 बजे तक का समय अध्ययन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।

बच्चे गर्मी के छुट्टी का बेहतर उपयोग कैसे करें

    बच्चे गर्मी के छुट्टी का बेहतर उपयोग कैसे करें How To Make Better Use Of Children's Summer Vacation 

विद्यालयों में गर्मी के छुट्टी के लिए लड़के पहले से पूछने लगते हैं कि गर्मी के छुट्टी कब से होगा। यह सवाल मैं भी बचपन में अक्सर पूछा करता था। वह खुशी एवं आनंदित पल आज भी मैं महसूस करता हूं। खैर आज के बच्चे भी बहुत खुश एवं हर्षोल्लास के साथ आनंदित होते हैं। क्योंकि बच्चे तो बच्चे होते हैं। अब बच्चे गर्मी के छुट्टी का बेहतर उपयोग कैसे करें। How To Make Better Use Of Children's Summer Vacation इसके बारे में हम लोग जानेंगे।

निम्न तरीकों से बच्चे गर्मी की छुट्टी का बेहतर उपयोग Better use of child's summer vacation कर सकते हैं।

➡️छुटा हुआ विषय पढ़ना-: बच्चे वार्षिक परीक्षा देने के बाद इधर-उधर घूमने चले जाते हैं। जिस कारण उनकी पढ़ाई
छूट जाता है। और छुटा हुआ कोर्स को पूरा करने के लिए गर्मी की छुट्टी का उपयोग, उन विषयों को अच्छी तरह से पढ़ कर, अपना छुटा हुआ कोर्स को पूरा कर सकते हैं। गर्मी की छुट्टी का उपयोग का सही तरीका कर सकते हैं।

➡️ विषयों को आगे पढ़ना-: कुछ बच्चे अपने विषय को पूरा किए रहते हैं। अब वह सभी विषय को आगे पढ़कर समझ सकते हैं। जिस समय स्कूल खुलेगा, तब बच्चे विद्यालय के शिक्षक द्वारा पढ़ेगें। बच्चे को बहुत आसानी से समझ में आने लगता है। इससे हमें फायदा यह होता है कि एक ही विषय वस्तु को तीन बार पढ़ने का मौका मिल जाता है। एक बार स्वयं पढ़ते, उसके बाद शिक्षक पढ़ाते हैं, फिर स्वयं पढ़ते हैं। इससे हमें आसानी से उस विषय वस्तु को समझ सकते है।

➡️पुस्तकालय का उपयोग-: कुछ बच्चे अपने ज्ञान को विस्तार करने के लिए नियमित रूप से पुस्तकालय का उपयोग करते हैं। पुस्तकालय का उपयोग से बच्चे की ज्ञान में वृद्धि हो जाता है। इसके उपयोग से ज्ञान में विस्तार के साथ-साथ बच्चों में प्रतियोगिता परीक्षाओं को भी बेहतर समझ रखने लगते हैं। क्योंकि वहां पर सभी बच्चे पढ़ने वाले आते हैं। और अपने अपने हुनर को प्रदर्शित करते हैं। और उस हुनर को एक दूसरे बच्चे को देखकर सीखते हैं।

➡️ प्रोजेक्ट पूरा करना-: कुछ बच्चे गर्मी के छुट्टी होने के पहले ही अपना एक प्रोजेक्ट बनाने के लिए सोच कर रखते हैं। गर्मी के छुट्टी होते ही अपने प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर देते हैं। इसे प्रोजेक्ट पर अधिक से अधिक समय दे कर। अपने प्रोजेक्ट को पूरा करते हैं। बच्चे गर्मी की छुट्टी का बेहतर उपयोग Better use of child's summer vacation कर सकते हैं।

➡️ पर्वतीय क्षेत्रों में  या अन्य जगहों पर घूमने जाना-: कुछ बच्चे अपने अभिभावक सेे पर्वतीय क्षेत्रो में घूमने जाने केेेे लिए कहा करते हैं।  कुछ बच्चेेेे अपने दोस्तों ने के साथ कहीं घूमने जाया करते हैं।इस तरीके से गर्मी का छुट्टी का उपयोग करते हैं।
बच्चे गर्मी के छुट्टी का बेहतर उपयोग कैसे करें
बच्चे गर्मी के छुट्टी का बेहतर उपयोग कैसे करें

             How To Make Better Use Of                         Children's Summer Vacation



➡️ अतिरिक्त नॉलेज प्राप्त करना-: कुछ बच्चे गर्मी की छुट्टी में अतिरिक्त क्लास करते हैं। जैसे-: समर वेकेशन कैंप में नामांकन कराते हैं। उसमें कुछ अतिरिक्त नॉलेज लेने के लिए बच्चे नामांकन कराते हैं उसमें अलग-अलग कोर्स के अलग-अलग   fee structure होते हैं। जैसे चित्रकला, संगीत, मेहंदी डिजाइन, ब्यूटीशियन कोर्स, जूडो कराटे, स्पोकन इंग्लिश, ओलिंपियाड की तैयारी, आदि बहुत सारे कोर्सेज होते हैं। जो गर्मी की छुट्टी मेंं सीख सकते हैं। बच्चे गर्मी की छुट्टी का बेहतर उपयोग Better use of child's summer vacation कर सकते हैं।

➡️कामों को सीखना-: कुछ बच्चे गर्मी की छुट्टी में, दिन में तीन से चार घंटे कुछ काम भी सीख सकते हैं। जैसे - मोबाइल बनाना, खेती-बाड़ी करना, रेडियो-टीवी,कूलर,आदि बनाने का काम सीख सकते हैं। लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ना है, यह केवल गर्मी की छुट्टी के दिनों में कला सीख सकते हैं। और कोई भी कला सीखना एक बहुत बढिया आदत है।

➡️निष्कर्ष -: बच्चों को गर्मी के छुट्टी का सही उपयोग कराने की अच्छी आदत को विकसित करना ही सही है। गर्मी के छुट्टी के दिनों मेें extra knowledge  प्राप्त कर सकतेे हैं। जिससे उनके बेहतर जीवन में हमेशा मददगार साबित होगा।बच्चे गर्मी की छुट्टी का बेहतर उपयोग कर Better use of child's summer vacation सकते हैं।

लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं

                  लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं

कुछ छात्र छात्राओं की लिखावट सुंदर एवं आकर्षक होता है। उस बढ़िया लिखावट के वजह से कक्षा में शिक्षक के द्वारा उसे सम्मान मिलता है। इससे कुछ बच्चों के मन में यह सवाल आता है कि मेरा भी लिखावट अच्छा होता तो हमें भी सम्मान मिलता। लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं। इसके लिए उन छात्र - छात्राओं को घबराने की जरूरत नहीं है।

                  वह अपना लिखावट मात्र 30 दिनों में बहुत सुंदर एवं आकर्षक बना सकते हैं। लेकिन उसके लिए प्रतिदिन अभ्यास की जरूरत होगा। उस अभ्यास के माध्यम से ही किसी भी बच्चे एवं व्यक्ति के लिखावट सुंदर एवं आकर्षक हो सकता है।

                 कुछ छात्र छात्राओं की लिखावट बहुत सुंदर एवं आकर्षक होता है, लेकिन उनकी ,अक्षर एक दुसरे अक्षर से सटा हुआ होने के कारण बहुत ही अशुद्ध होते हैं। लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं।  हिंदी की लिखावट को (राइटिंग स्किल) सुधार करने के लिए  दो लाइन वाली कॉपी, मैथ वाली सदा कॉपी, पेंसिल, रबड़, आदि।

                सबसे पहले यह अभ्यास प्रतिदिन करना अनिवार्य है। इसके बाद कलम कैसे पकडे नीचे इमेज में दिया गया है।
लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं
लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं

 ऐसे पेंसिल या कलम को अपने सहुलियत के अनुसार से भी पकड़कर सुंदर लिखावट लिखी जा सकती है। दो लाईन वाली कॉपी पर सुंदर लिखावट वाली अक्षर का अनुकरण करें।

अच्छी लिखावट का महत्व

एक सुंदर एवं आकर्षक लिखावट किसी भी बच्चे व्यक्ति को स्कूल, कॉलेज, ऑफिस अपने अपने फील्ड में इंप्रेशन बढा़ देता है। उनकी एक अलग छवि एवं पहचान बन जाता है। किसी भी विषय वस्तु पर लिखा हुआ हो तो उस विषय वस्तु को पढ़ना एवं समझना आसान हो जाता है।

                  प्राचीन काल में लिखावट अत्यंत महत्वपूर्ण था। क्योंकि उस समय कंप्यूटर एवं टाइपराइटर नहीं था। जो कुछ लिखना होता, वह हाथो से ही लिखा जाता था। जिस व्यक्ति का लिखावट सुंदर एवं आकर्षक होता था, उस व्यक्ति का बहुत धाक होता था।

                 खैर आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना बरसों पहले था।

लिखावट को बेहतर कैसे बनाएं  के निम्न तरीके

 

➡️ आकारों पर ध्यान-: सबसे पहले लिखावट आकर्षक एवं सुंदर बनानेेे के लिए अक्षरों पर ध्यान देना जरूरी है। एक-एक अक्षर को सुंदर लिखने का अभ्यास करें। कुछ बच्चे अक्षरों को छोटा या बड़ा लिखते हैं। सभी अक्षरों में एकरूपता होनी चाहिए। सभी अक्षर एक बराबर होने चाहिए। अक्षरों के बीच के अंतर पर भी ध्यान देना चाहिए। ताकि देखने में सुंदर एवं साफ लगे।

➡️शब्दों के बीच अंतर-: अधिकांश देखा जाता है कि बच्चे एक शब्दों के बीच के या तो अधिक या कम अंतर रखते हैं। जिस कारण उनका लिखावट अच्छा नहीं होता है। अगर शब्दों के बीच का अंतर पर ध्यान दिया जाए। तो छात्र छात्राओं की लिखावट सुंदर एवं आकर्षक हो जाएगा।

➡️ सुंदर लिखावट की आदत-: सुंदर लिखने के लिए प्रतिदिन कुछ न कुछ लिखें। किसी किताब में से जैसा लिखा गया है, उसको देख कर हू बहू अनुकरण करें। जब तक उस तरीके के न लिखने लगे। तब तक अभ्यास करते रहें। यह प्रयास निरंतर चलता रहेगा। कुछ ही दिनों के बाद आप सुंदर सुस्पष्ट लिख सकते हैं। लेकिन  ईमानदारी से प्रतिदिन यह अभ्यास करना होगा।

➡️ खेल या अन्य कारण-: बच्चों का मन हमेशा से ही खेलने में लगा रहता है। इस कारण बच्चे सुंदर लिखने के बजाए जल्दी-जल्दी जैसे तैसे लिखकर अपनी आदत को बिगाड़ लेते हैं। इससे बच्चे सुंदर नहीं लिख पाते हैं। इसके लिए बच्चों को सुंदर और स्पष्ट लिखने के लिए बच्चों को प्रेरित करें।

➡️ अभ्यास कैसे करें-: दो लाइन वाली हिंदी की कॉपी पर सुंदर अक्षर धीरे- धीरे लिख कर अभ्यास करें। कुछ दिनों के बाद मैथ वाली सादी कॉपी पर नियमित अक्षर के बाद शब्दों या वाक्यों को प्रयोग कर सुंदर लिखावट की आदत विकसित करनी चाहिए।
               अंग्रेजी के लिए चार लाइन वाला कॉपी पर धीरे-धीरे सुंदर a b c d................ लिखा जाए। यह नियमित  अभ्यास करते रहें। उसके बाद मैथ वाली  कॉपी पर सीधा लिखने का प्रयास करें। आपकी राइटिंग स्किल बहुत अच्छा हो जाएगा।

Note -: एक बात ध्यान देेना अति आवश्यक है जब भी या जहां भी लिखें, प्रयास यही रहे कि जैसे हम अभ्यास केेेे दौरान लिखते हैं उसी प्रकार से लिखें। इससे लिखावट सुंदर और सुस्पष्ट हो जाएगा।














पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण संरक्षण
आज पर्यावरण संरक्षण विषय के लिए समस्या का कारण बना हुआ है। इसके लिए संसार के प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना पड़ेगा। अगर प्रत्येक व्यक्ति जागरूक नहीं होते हैं, तो उनका भयंकर परिणामों का सामना कुछ ही सालों में करना पड़ेगा। सभी देशो के लोगों को प्रभावित कर करेगा। ये अमीर या गरीब की  पहचान नहीं करता। ये सभी व्यक्तियों को प्रभावित करेगा। तो ऐसा भूल करना गलत होगा। 
पर्यावरण संरक्षण
पर्यावरण संरक्षण

                     आज से ही सभी देशो को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा। सभी देशों के प्रतिनिधि मंडल के लोग इस समस्या का हल यथाशीघ्र निकालने का प्रयास करें। साथ साथ जनमानस को जागरुक बनाना अति आवश्यक है, क्योंकि जनमानस का साथ रहा तो इस समस्या का निदान तो नहीं लेकिन कुछ राहत अवश्य हो जाएगा।

महिला सशक्तिकरण के बारे में पढ़े ।
 शिक्षक कक्षा कक्ष का संचालन कैसे करें। 
शिक्षा के क्षेत्र में इंटरनेट का महत्व।

                     5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। आजकल केवल WhatsApp, Facebook पर लोग मैसेज कर देते रहे हैं। यह मैसेज का खेल खेलना बंद करें और धरातल पर उतर कर पेड़ पौधे पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है।
                      सरकार भी केवल सांस्कृतिक कार्यक्रम करा कर हाथ साफ कर रही है। 5 जून के दिन कम से कम एक करोड़ पेड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखें। ताकि पृथ्वी हरा भरा रहे और आने वाले भविष्य की  पीढ़ियों को ऑक्सीजन के लिए तरसना न पड़े।
                     ऐसा देखा जाता है कि पर्यावरण का संबंध सीधे प्राकृतिक से होता है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ करना अत्यंत विनाशकारी होता है। पृथ्वी के तापमान को संतुलन में बनाए रखने के लिए, एक निश्चित भू भाग पर वन होना चाहिए। जिससे पृथ्वी का तापमान संतुलन में रहे।

" घर में बच्चों से खुशियांं मिलती है, उसी प्रकार धरती को पेड़ पौधे से खुशियां मिलती है।"

              पर्यावरण संरक्षण का महत्व

➡️अधिक से अधिक पेड़ लगाना-: हमारे जीवन के लिए पेड़ अनमोल है। इसके लिए हमें अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ों को लगाना चाहिए। जिससे पृथ्वी हरा भरा रहे और हमारा जीवन भी खुशहाल रहें। क्योंकि पेड़ पौधे हमें ऑक्सीजन, वर्षा एवं प्रदूषण को भी रोकता है।

जीवन के सक्सेज मंत्र ।
 विद्यालय के छात्र छात्राओं को कक्षा कक्ष में कैसे बैठना चाहिए।
 नारी शिक्षा के प्रति जागरूपता 

  • पृथ्वी के तापमान सामान्य।
  • समय पर वर्षा होगा।
  • ऑक्सीजन की प्राप्ति।
  • प्राकृतिक सौंदर्य बरकरार।
  • गर्मी से राहत।
  • गर्मी के दिनों में आसानी से पानी मिलना।
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कारक

➡️प्रदूषण-: जिस वातावरण में हम सहजता के साथ रहते हैं। उस वातावरण में अन्य गैस या तत्वों का समावेश के साथ वातावरण को असंतुलित की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। उसे प्रदूषण कहते हैं।
                    प्रदूषण को दूसरे शब्दों में इस तरह व्यक्त कर सकते हैं। संतुलन में असंतुलन की स्थिति पैदा करना ही प्रदूषण है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले मुख्य कारक प्रदूषण ही है।

 प्रदूषण को तीन भागों में विभाजित किया गया है।

                        वायु प्रदूषण
                        जल प्रदूषण
                        ध्वनि प्रदूषण

➡️वायु प्रदूषण -: हमारे वायुमंडल में एक निश्चित मात्रा में गैस विद्यमान होते हैं। उस गैस में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि,उस गैस में मिश्रित हो जाते हैं। जिससे वायु अशुद्ध हो जाता है। उसे वायु प्रदूषण करते हैं।
                       ये अधिकांश कल कारखाने मोटर वाहन, प्लास्टिक जलाने, कोयले पर खाना बनाने वाले धुऐ आदि वायु को प्रदूषित करते हैं।

➡️जल प्रदूषण-: कल कारखाने के गंदे पानी, घरों में कपड़े साफ की गई पानी, मलमूत्र आदि नालियों द्वारा नदी में या समुद्रों में जोड़ दिया जाता है। जिससे समुंद्र या नदियों के पानी दूषित हो जाते है। जिससे इस में रहने वाले जीवों की मृत्यु हो जाती है। उसे जल प्रदूषण कहते हैं। 

➡️ध्वनि प्रदूषण-: ध्वनि प्रदूषण मुख्यतः तेज आवाज से होता है। जैसे-: DJ का प्रयोग, तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाना, कल कारखाने में तेज आवाज से ध्वनि उत्पन्न करना ही ध्वनि प्रदूषण होता है।

➡️ बढ़ती जनसंख्या -: आज जिस गति से जनसंख्या बढ़ रहा है पृथ्वी के लिए खतरा बनते जा रहा है। क्योंकि जनसंख्या बढ़ेगा तो जाहिर सी बात है कि मानवीय संसाधन की जरूरत होगी। माननीय संसाधन को पूरा करने के लिए वनों का अंधाधुंध कटाई किया जा रहा है। ये तो केवल एक महज उदाहरण है। पेड़ो के लकड़ियों के प्रयोग कर कई वस्तुओं के उत्पादन होता है। 

➡️प्लास्टिक के उत्पाद-: आज दुनिया भर में जितने  प्लास्टिक का प्रयोग होता है, उतना किसी भी पदार्थ का प्रयोग नहीं होता है। पर्यावरण संरक्षण के लिए प्लास्टिक नुकसानदेय है। हम अक्सर देखते हैं कि किसी भी घर में 8 या 10 व्यक्ति आ जाते हैं, तो प्लास्टिक वाला यूज एंड थ्रो गिलास,प्लेट लाते हैं। ऐसे शादी विवाह में अक्सर गिलास, प्लेट, कटोरी, चम्मच आता है। ये सब उपयोग करने के बाद फेंक दिये जाते है। खेतों में जाकर खेतो को बंजर बनाता है। प्लास्टिक कई वर्षों तक मिट्टी में गड़े रहने के बाद भी न गलता और न नष्ट होता। इस कचरे को जलाते हैं तो हानिकारक गैसों का स्राव होता है। जिसे वायु को प्रदूषित कर देता है।

➡️ एयर कंडीशन एवं  रेफ्रिजरेटर-: ये भी पर्यावरण के संरक्षण में नुकसान पहुंचाते हैं। इन से हानिकारक गैस निकलता है। जिसे वायु में फैल जाता है और ओजोन परत को नष्ट करता है। यही नहीं दाढ़ी बनाने वाले झाग एवं अन्य पदार्थ ओजोन परत को नुकसान पहुंचाता है।                                               
              सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को ओजोन परत के द्वारा छनकर पृथ्वी पर किरणें आता है। जिससे हमारा जीवन खुशहाल होता है।

जन जन में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का एक कदम।

पर्यावरण संरक्षण को जनमानस तक पहुंचना अति आवश्यक है। ग्रामीण समाज में कुछ लोग खेती बाड़ी करते हैं। जो पेड़-पौधे आदि पर ध्यान देते हैं। लेकिन शहरों में रहने वाले को पर्यावरण संरक्षण के विषय में बताना होगा कि वे अपना कुछ समय निकालकर पेड़ पौधे लगाएं। 
             सरकार को ध्यान देना होगा कि सप्ताह में एक दिन कम दूरी वाले जगहों पर केवल साइकिल का ही प्रयोग करें। या 5 किलोमीटर के एरिया में सभी लोग साइकिल से ऑफिस या कहीं भी जाना हो तो साइकिल का प्रयोग अनिवार्य करे। इसके लिए ठोस बनाना होगा अगर देश में सप्ताह में 1 दिन साइकिल का प्रयोग करें तो कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में कुछ कमी होगा।

पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुक करने का तरीका

 ➡️कार्टून नेटवर्क-: बच्चों को कार्टून देखना बहुत अच्छा लगता है कार्टून के माध्यम से बच्चों को पर्यावरण संरक्षण का महत्व, लाभ, हानि, पेड़ पौधे, प्रदूषण संबंधित जानकारी दी जाए। जिससे बच्चे को बचपन से ही इन सब बातों की जानकारी होते रहे।

➡️ प्राथमिक विद्यालय-: विद्यालय एक ऐसा साधन है जहां बच्चे को बहुमुखी विकास एवं व्यक्तित्व का निर्माण कराए जाते हैं। विद्यालय में चेतना सत्र या एक कालांश (घंटी) केवल पर्यावरण संरक्षण पेड़-पौधे संबंधित बच्चों से स्वयं प्रयोग कराकर शिक्षक महोदय जानकारी दें। यह कार्य विद्यालय में प्रतिदिन होने चाहिए इसके अलावा शिक्षक के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के बारे में बताना या क्रियात्मक प्रयोग करके दिखाना अति आवश्यक है।

➡️कॉमिक्स कहानी के किताब-:  बच्चे कहानी के किताबों को खूब पढ़ते हैं। जैसे नंदन, बालहंस, कॉमिक बुक, आदि कहानी की किताब पढ़ते रहते हैं।कहानी के माध्यम से ही पर्यावरण प्रदूषण आदि की जानकारी बच्चों को दी जाए। जिससे आने वाले दिनों में पर्यावरण संरक्षण समान रूप से बना रहे हैं।

 ➡️Google या अन्य सर्च इंजन-: Google या अन्य सर्च इंजन के द्वारा एक ऐसा सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जाय कि सर्च इंजन में कुछ भी सर्च करें तो पहले मात्र 30 सेकेन्ड़ या 1 मिनट का वीडियो पर्यावरण संरक्षण संबंधी जानकारी देता हो। इससे संसार में एक ही साथ लाखों व्यक्ति इस वीडियो को देख सकते हैं। और इस गंभीर मुद्दा पर ध्यान से समझें और शोध करें। ताकि इस समस्या से निपटा जा सके।

पर्यावरण संरक्षण के प्रति सुझाव एवं उपाय।

➡️पेड़ लगाना। 
➡️प्लास्टिक उत्पाद पर रोक।
➡️मोटर वाहन कल कारखानों के अधिक मात्रा में उपयोग ना हो। 
➡️प्रदूषण पर नियंत्रण।
➡️वैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद् को प्रोत्साहित करना।
➡️पानी की बचत एवं उसके मोल को पहचान ना।
➡️ प्राकृतिक संपत्तियों को नष्ट न करना।

 निष्कर्ष-: पर्यावरण संरक्षण का संबंध सीधेेेे मानव जाति से है। इसमें प्रकृति के साथ संबंध स्थापित होता है मानव एवं प्राकृतिक का अन्योन्याश्रय संबंध है। एक दूसरे के बिना जीवन बेकार है।



हिन्दी के गद्य भाग का पाठ योजना कैसे तैयार करें

हिन्दी के गद्य भाग का पाठ योजना कैसे तैयार करें

 शिक्षक द्वारा कक्षा कक्ष में पढ़ाने के तरीका को सरल एवं आसान बनाता है, उसे पाठ योजना कहते हैं। "जिस तरह हम  अपने जीवन में योजनाबद्ध तरीको का प्रयोग करके, जीवन में कठिनाइयों को दूर करते हैं। उसी प्रकार पाठ योजना बनाकर हम कक्षा कक्ष में आसानी से कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं।" हिन्दी के गद्य भाग का पाठ योजना कैसे तैयार करें।
महिला सशक्तिकरण के बारे में पढ़े ।
 शिक्षक कक्षा कक्ष का संचालन कैसे करें।
 शिक्षा के क्षेत्र में इंटरनेट का महत्व।

                   शिक्षक कक्षा कक्ष में जाने से पूर्व पाठ को अच्छी तरह से पढ़कर कठिनाइयों को दूर करते हैं। समय के अनुसार पाठ को चरणबद्ध तरीकों से 45 मिनट की अवधि में आसानी से पढ़ा लेते हैं।
जीवन के सक्सेज मंत्र । 
विद्यालय के छात्र छात्राओं को कक्षा कक्ष में कैसे बैठना चाहिए। 
नारी शिक्षा के प्रति जागरूपता
                    पाठ योजना की उपयोगिता
➡️लक्ष्यों की प्राप्ति।
➡️समय एवं परिश्रम की बचत।
➡️शिक्षक में आत्मविश्वास।
➡️कार्यकुशलता।
➡️कार्य का मूल्यांकन।
पाठ योजना बनाते समय निम्न बातों पर ध्यान दें।


इस तरीका से पाठ योजना का बनायें।

शिक्षा(Education)

शिक्षा

Education

इस ब्रह्मांड में मानव का जीवन अनमोल है। मानव जीवन में शिक्षा प्राप्त करना, व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखार लाने के समान है। मनुष्य के जीवन में अनेकों समस्याएं रहते हैं। जो अपने-अपने तरीकों से जीवन में उतार चढ़ाव का हल निकालते रहते हैं।
शिक्षा

             मनुष्य के जीवन के दो पहलू होते हैं। दोनों पहलू बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। उनके जीवन को आगे बढ़ाने में यह काम करते हैं। 

➡️शरीर के अंदर का भाग 
➡️पर्यावरण विकास(बाहरी भाग)

            शरीर के अंदर का भाग के लिए हमें ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। जिससे हमें प्रतिदिन भोजन से प्राप्त होता है। इसके लिए हमें परिश्रम करना होता है। परिश्रम के कारण आर्थिक स्थितियां ठीक होता है। आर्थिक स्थिति ठीक तो सब ठीक हो जाता है।


            बाहरी भाग पर्यावरण(सामाजिक)परिवेश सामाजिक परिवेश के लिए शिक्षा आवश्यक है। शिक्षा के बिना बाहरी सामाजिक-सांस्कृतिक तौर-तरीके हम नहीं सीख पाएंगें। इसलिए यह दोनों पहलू महत्वपूर्ण हैं।

 शिक्षा का अर्थ -:

            ऐसे शिक्षा का अर्थ व्यापक है, इसे एक परिभाषा में समेटना अत्यंत मुश्किल है। फिर भी बहुत से विद्वानों, दर्शनीको एवं विचारको अपने अपने मंतव्य दिये हैं। प्राचीन काल से ही शिक्षा के बारे में बहुत से विद्वान अपना मंतव्य दिये।  जितने विद्वान एवं विचारक मत दिये सभी मत को देखा जाए एवं अर्थ निकाला जाए, तो बहुत अंतर या एक दूसरे से अन्योन्याश्रय संबंध रखते हैं। आज शिक्षा के बारे में जितने मत प्राप्त हैं, सब अधूरे हैं।

            जब एक बच्चा शिक्षा ग्रहण करता है, तो उसे दिमागी ज्ञान एवं बाहरी ज्ञान दोनों को विकसित होना होता है। दिमागी ज्ञान से अपने अंदर का ज्ञान को बढ़ाता है तथा बाहरी ज्ञान से अपने अनुभव प्रदान करता है। इस कारण बच्चे अपने ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर कुशल बन जाते हैं।


            ऐसे शिक्षा शब्द सुनने में आसान लगता है। हमें अपने दैनिक जीवन में शिक्षा शब्द प्रतिदिन प्रयोग करते हैं। लेकिन इसका अर्थ बहुत व्यापक एवं कठिन है। शिक्षा एक साधन है। जो बच्चे एवं व्यक्ति प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर हम समझ सकते हैं कि एक जानवर को सर्कस में ट्रेनिंग के माध्यम से सिखाया जाता है। वह भी शिक्षा ही है,तो हम कह सकते हैं कि शिक्षा का अनेक अर्थ हो सकते हैं।



आंतरिक शक्तियां -: संसार के जितने भी इंसान हैं। उनके भीतर गुप्त शक्तियां निहित होती है। कुछ बच्चे को अंतरिक शक्तियां जन्मजात प्राप्त होता है। यह ज्ञान बच्चे को स्कूली ज्ञान से अलग होता है। उस बच्चे को गॉड गिफ्टेड कहते हैं। इस तरह के बच्चे हर क्षेत्र में तेज होते हैं। उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता है। वह स्वयं निर्णय लेते हैं। उनके अंदर जिज्ञासा बहुत होता है। वह हमेशा जीत की कामना करते रहते हैं।

प्राकृतिक शक्तियां-: प्राकृतिक परिवेश में बाल्यावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक का ज्ञान एवं घटित घटनाओं का अवलोकन करके ज्ञान अर्जित करते हैं। सभी अवस्थाओं का अपना अपना  विशेष महत्व है।


निष्कर्ष-: जिस व्यक्ति के जीवन में आनंद,सुख,समृद्धि ,अच्छे विचार, रहन सहन एवं छोटी बड़ी बातें व्यवहारपूूर्ण होते हैं, तो उनका जीवन मधुरता पूर्ण बनने लगता है। यह सब शिक्षा से ही संभव हुआ है। व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास शिक्षा से संभव होता है। शिक्षा का उद्देश्य यह नहीं है कि मनुष्य अपने आर्थिक स्थितियाँँ ठीक कर ले और सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक ज्ञान न हो, तो शिक्षा का उद्देश्य पूर्ण नहीं होता। शिक्षा से ही मनुष्य सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक
ज्ञान सीख पाते है। इसलिए हम कह सकते हैं कि जीवन के हर पहलू पर शिक्षा जरूरी है। शिक्षा जीवन के आरंभ से अंत तक प्राप्त करना ही शिक्षा होता है। अतः किसी एक पहलू को पूर्ण करना शिक्षा नहीं है।

दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र

   👇👇       दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र      👇👇                        वीडियो को देख लीजिए।             Link- https://youtu.be/gAz...

आवेदन पत्र कैसे लिखें