गरीबी एवं भुखमरी के रोकथाम के उपाय(Poverty and hunger prevention measures)

गरीबी एवं भुखमरी के रोकथाम के उपाय (Poverty and hunger prevention measures)


हमारे देश के गरीब जनता 19.4 करोड़ लोग आज भी भुखमरी के शिकार हैं। वह प्रतिदिन भूखे सोते हैं। ऐसे भी भूखे सोना उनकी आदत नहीं, मजबूरी है। क्योंकि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या काफी मात्रा में हैं।

ऐसे उन गरीबोंं पर न सरकार और न उन अमीर का ही ध्यान है। ऐसे उन गरीबों के लिए कई योजनाओं की शुरुआत तो किया गया। लेकिन इन योजनाएं में कुछ योजनाएं चल रही है। और कुछ योजनाएं बंद हो गई। फिर भी जो योजना चल रहीं है, उससे कोई लाभ नहीं है। सारी योजनाएं फेल साबित हुई। यह कह लीजिए कि गरीबों तक इन योजना का लाभ पहुंचना मुश्किल है।


इन गरीब एवं भूखे व्यक्तियों के लिए एक ठोस कदम उठाना होगा। ऐसे एक संस्था का निर्माण किया जाना चाहिए जिसमें 19.4 करोड़ गरीबों में से 10 करोड़ गरीबों को कोई ना कोई काम दिया जाना चाहिए। उनसे मेहनत का काम करना चाहिए। जो जैसा हो उस प्रकार का काम करना चाहिए। तब तो उसे दो वक्त की रोटी मिल सकता है। ऐसे भी बहुत सारे काम है। जैसे रस्सी बनाना, दूध उत्पादन, कृषि कार्य आदि बहुत सारा काम है।


जो करके उन के लिए दो वक्त के खाने का इंतजाम करना  सरकार के लिए कोई मुश्किल का काम नहीं है। उन गरीबों के लिए सरकार के साथ-साथ प्रत्येक जनता को भी चाहिए कि उन गरीबों के लिए कुछ सहयोग करें। ताकि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले को कुछ सहायता प्राप्त हो सके।


गरीबी एवं भुखमरी के रोकथाम के उपाय (Poverty and hunger prevention measures) के ठोस कदम



शादी विवाह एवं अन्य कई समारोह या पार्टियां मनाया जाता है:-



शादी विवाह में बहुत सारे लोगो के लिए खाना बनता है। उन खाना में से बहुत से खाने बच जाता है। जो बर्बाद हो जाता है।ऐसे कई संस्थाएं हैं। जो गरीबों के लिए काम करते हैं उन संस्थाओं वालों को बुलाकर, जो खाना बच जाए। तो उन्हें दे देना चाहिए। ताकि भूखे एवं गरीबों में बांट दे। जिसे खाना बर्बाद भी नहीं होगा। गरीब एवं भूखे लोगो की मदद भी हो जाएगा।


ऐसे भी बहुत सारे पार्टियां मनाया जाता है। जिसमेें बहुत सा खाना बर्बाद होता है। इससे खाना भी बर्बाद नहीं होगा। और गरीबों एवं भूखे व्यक्तियों के लिए कुछ सहायता भी हो जाएगा।


 ऐसे बहुत सारे अमीर लोग बड़े बड़े होटलों में खाना खाने जाते हैं। और किसी कारण से खाना नहीं खा पाते है। तो उन खाने को फेकने से अच्छा है कि पैक करवा कर गरीबों में बांट देना चाहिए। ताकि गरीबों को खाना मिल सके।


प्रत्येक घर से केवल प्रतिदिन एक मुट्ठी अनाज देने का निर्णय स्वयं करना चाहिए। जिससे कि गरीबों के कुछ सहायता हो सके।


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हवा को स्वच्छ कैसे करें,7 प्रभावी तरीके।(How to Clean the Air, 7 Effective Methods)

हवा को स्वच्छ कैसे करें,7 प्रभावी तरीके (How to Clean the Air,7 Effective Method)


प्रदूषित हवा को स्वच्छ करना नितांत आवश्यक है। क्योंकि मानव के लिए प्रदूषित हवा हानिकारक होता, और शुद्ध हवा लाभदायक होता है। हमारे जीवन को खुशहाल एवं स्वस्थ रहने के लिए, हवा को स्वच्छ रखना होगा। हवा स्वच्छ नहीं होगा, तो मानवीय जीवन पर संकट हमेशा बना रहेगा। अगर
मानव जीवन पर खतरा तो, सब बेकार है। इसलिए हमें हवा को स्वच्छ करने पर ध्यान आकृष्ट करना होगा।

अगर हवा को स्वच्छ बनाना है, तो हमें मिल जुलकर एक दूसरे के सहयोग के साथ, हवा को स्वच्छ बना सकते हैं। इसके लिए हमें कुछ ठोस कदम उठाने होंगेंं।

हवा को स्वच्छ कैसे करें,7 प्रभावी तरीके। (How to Clean the Air, 7 Effective Methods)
हवा को स्वच्छ कैसे करें,7 प्रभावी तरीके। (How to Clean the Air, 7 Effective Methods)


अधिकांशतः देखा जाता है कि हर बात पर रोड जाम, भारत बंद, बिहार बंद, जिला बंद, आदि। की स्थिति में टायर जलाना यह एक आम बात हो गया है। लेकिन टायर जलाने से हवा प्रदूषित हो जाता है। प्रायः खेती करने के बाद खेतों को जलाना एक परंपरा सा हो गया है। इसे भी हवा प्रदूषित होता है। कचरा जलाना, पानी की बर्बादी, मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआँ,  लकड़ी या कोयला से खाना बनाना,चीमनी, ice mil इससे भी हवा प्रदूषित होता है।


हवा को स्वच्छ कैसे करें,7 प्रभावी तरीके। (How to Clean the Air, 7 Effective Methods)


➡️अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं।

➡️पानी बचाएं।

➡️कागज की बर्बादी न करें।

➡️पॉलिथीन का प्रयोग न करें।

➡️कचरा न जलाएं।

➡️विद्युत उत्पन्न करना।

अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं -: हवा एवं पर्यावरण को स्वच्छ रहने के लिए, हमें अधिक से अधिक मात्रा में वृक्षारोपण करना होगा। ताकि पृथ्वी हरा भरा एवं पृथ्वी का ताप नियंत्रित रहें। इसके लिए हमें पेड़ों की देखभाल करना होगा। तब हमें स्वच्छ हवा मिल पाएगा।

पानी बचाएं- पानी की बर्बादी को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगें। अगर पेड़ों की कटाई नहीं हो, और अधिक मात्रा में पेड़ों को लगाया जाए, तो बरसा अधिक होगा। तो पानी की समस्या कुछ हद तक ठीक हो जाएगा। 

कागज की बर्बादी- कागज बनाने के लिए पेड़ों की कटाई करना आवश्यक हो जाता है। इसलिए कागज की बर्बादी को रोकना अति आवश्यक है। क्योंकि कागज का कम से कम प्रयोग करें। ताकि पेड़ो को कटने से बचाया जा सके। हमेें स्वच्छ हवा मिले।

पॉलिथीन का प्रयोग न करें -: यदि प्रदूषित हवा को स्वच्छ रखने के लिए, हमें पॉलिथीन का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए। हम आज से ही शपथ ले की हम कभी भी पॉलिथीन का प्रयोग नहीं करेंगें। क्योंकि सबसे अधिक नुकसान दायक  हैै पॉलिथीन। पॉलिथीन का प्रयोग कर के लोग फेक देते या जला देते हैं। दोनों ही सूरत में हानिकारक है। फेकने के बाद  खेतों को बंजर, नाली को जाम और जलाने के बाद हानिकारक गैस निकलता है। जिसे हवा को प्रदूषित कर देता है।

कचड़ा न जलाएं -: गीला कचड़ा एवं सूूूखा कचड़ा को अलग-अलग रखें। सूूूखा कचड़ा को मिट्टी के गड्डे करके उसमें सूखा कचड़ा डाल कर ऊपर से मिट्टी से भर दे। कचड़े को जलाएँ नहीं। इससे भी हवा स्वच्छ रहता हैं।

विद्युत उत्पन्न करना -: अधिकांश विद्युत उत्पन्न कोयले से ही किया जाता है। जिसे तापिय विद्युुुत कहतेे हैं। इससे भी
हवा प्रदूषित होता है। इसके लिए पनबिजली, सौर विद्युत पवन विद्युत, यूरेनियम विद्युत का प्रयोग किया जाए। ताकि हवा को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।

निष्कर्ष -: प्रदूषित हवा को स्वच्छ करने के लिए उपरोक्त बातों पर ध्यान देना होगा। इसके लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण, पानी बचाएं, कागज की बर्बादी, विद्युत उत्पन्न करने के लिए पवन विद्युत, पनबिजली, यूरेनियम विद्युत, कचड़ा न जलाएँ, पॉलिथीन का प्रयोग न करें। तब हम प्रदूषित हवा को स्वच्छ कर सकते है।

हवा को स्वच्छ कैसे करें,7 प्रभावी तरीके। (How to Clean the Air, 7 Effective Methods)





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धन्यवाद।

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program)

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program) 

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम (Chief Minister School Safety Program) के अंतर्गत मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए समाज सेवा के प्रति समर्पण एवं सर्वांगीण विकास ही शिक्षा का महत्वपूर्ण उद्धेश्य है। विद्यालय की शिक्षा से ही देश के जिम्मेदार नागरिकों का निर्माण होता है। केवल देश सुरक्षित करना ही समाज सेवा नहीं है, अपितु जन सुरक्षा अति महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program)

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program) 


इसके लिए मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम (Chief Minister School Safety Program) प्रत्येक शनिवार को शुरुआत की गई है। जिसे मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम सुरक्षित शनिवार नाम दिया गया है। जिसमें अनेक प्राकृतिक एवं मानव जनित आपदाएं हैं। जिससे हमें अपने समाज, गांव, राज्य एवं देश को बचाने की आवश्यकता है। इसके लिए विद्यालय के छात्र-छात्राओं को उपयुक्त वातावरण तैयार कर के ही मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम (Chief Minister School Safety Program) को सहायक सिद्ध करना होगा।


मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program) में विद्यालयी बच्चों को आपदाओं के प्रति सजग एवं जागरूक करके न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है, बल्कि उन के माध्यम से परिवार एवं समाज तक पहुंचाया जा सकता है। बच्चों की शिक्षा में ही आपदाओं से संबंधित जागरूकता एवं आपदाओं का सामना करने के लिए विद्यालय के छात्र-छात्राओं को तैयार करना होगा।


बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा शिक्षा विभाग, बिहार सरकार एवं बिहार शिक्षा परियोजना के तहत विद्यालय सुरक्षा की व्यापक कार्यक्रम तैयार किया गया है।

इसके अंतर्गत प्रत्येक शनिवार को प्रत्येक विद्यालय में प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित एवं मानव जनित आपदाओ के बारे में क्या करें, क्या ना करें की जानकारी प्रदान करते हुए। बच्चों,अध्यापक एवं अभिभावकों को किसी भी प्रकार का कोई आपदा हो उससे लड़ने के लिए तैयार किया जाए।

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम (Chief Minister School Safety Program) के  अंतर्गत  प्राकृतिक एवं मानव जनित आपदाएं निम्न है

प्राकृतिक आपदाओं - बाढ़, भूकम्प, आग- लगी, ठनका/ वज्रपात, चक्रवाती तूफान/ तेज आंधी, लू/ गर्म हवाएं, शीतलहर, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन आदि प्रमुख है।

मानव जनित आपदाओं- सड़क/रेल दुर्घटना, नाव  दुर्घटना,भगदड़,बिजली से घात आदि।

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम (Chief Minister School Safety Program) के तहत प्राकृतिक आपदाओं एवं मानव जनित आपदाओं में क्या करें? क्या न करें?

भूकंप के दौरान-

घर से बाहर किसी खुले मैदान या खुली जगह हो तो वहां पर जाना चाहिए।

अगर घर में से निकल नहीं पायें, तो किसी मजबूत फर्नीचर जैसे- मजबूत टेबल, चौकी या बेंच डेस्क के नीचे छुप जायें। अगर टेबल, चौकी, बेंच डेस्क न हो तो कमरे के किसी ऐसे कोने में जाकर बैठ जाएं। जहां पिलर हो।

बिजली से जुड़ी उपकरणों से दूर रहें, यथा संभव हो तो बिजली आपूर्ति को शीघ्र ही बंद कर दें।

ऐसा पूरा प्रयास करें कि घर से बाहर निकल जाएं। बाहर भी ऐसे जगह न खड़े हो, जहां बिजली के खंभे या तार हो।

चलते हुए वाहन में हैं तो यथासंभव जल्द से जल्द रुक जाय एवं वाहन में बैठे रहे। किसी मकान,पेड़, रास्ते पार करने वाले जगह, बिजली के तार के नजदीक या उसके नीचे रुकने से बचें।

बाढ़ के दौरान- 

एक लम्बी लाठी एवं मजबूत रस्सी हमेशा साथ रखें।

मकान हमेशा ऊंची जगह, ऊंंची पिलिन्थ पर ही बनवाएं।

बाढ़ के दौरान खाना ढक कर रखें। हल्का भोजन करें एवं उबला हुआ पानी पियें।

बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री बांटने में मदद करें।

वाटरप्रूफ बैग या आपातकालीन कीट हमेशा अपने पास रखें, जिसमें एक छोटा रेडियो, टॉर्च, बैटरी, मजबूत रस्सी, माचिस, मोमबत्ती, पानी, सुखा भोजन एवं अन्य जरूरी कागजात, महंगे समान, जरूरी दस्तावेज, चीनी और नमक अपने साथ रखें।

ठनका/ वज्रपात से बचाव के उपाय 

यदि आप खुले में हैं तो शीघ्र ही मकान में ही आश्रय लें।

ऊंचे वृक्ष या ऊंचे टॉवर आदि के नीचे न खड़े रहें।

सफर के दौरान गाड़ी में ही रहें।

अगर खुले स्थान पर हैं और आसपास घर नहीं है तो जमीन पर दोनों पैरों को आपस में सटा लें और दोनों हाथों को घुटने पर रखकर अपने सिर को जमीन के तरफ यथासंभव झुका लें। तथा सिर को जमीन से न सटाएंं।

लू एवं गर्म हवाएंँ से बचने के उपाय

गर्मी के दिनों में पानी भरपूर पीयें। अगर प्यास नहीं भी लगा है तब भी पानी अवश्य पीयें। इससे लू लगने की संभावना नहीं होता है।

हल्के रंग के कपड़े पहने चाहिए।

हल्के भोजन करना चाहिए।

कठिन कार्यों से बचें।

विद्यालय के बच्चों को 11:30 में छुट्टी हो जाना चाहिए। ताकि 12:00 बजे तक बच्चे अपने घर पहुंच जाएं।

आगलगी से बचाव हेतु उपाय

आग लगने पर ग्रामीण समाज के लोगों का सहयोग से आग बुझाने का प्रयास करना चाहिए।

आग बुझाने के लिए दो बोरी बालू या सुखी मिटटी बोरे में भरकर विद्यालय के किचन के बाहर रखा रहना चाहिए।

गैस में आग लगा है तो सर्फ के पानी आग लगे गैस पर फेंकने से बुझ जाता है।

शीतलहर/ ठंड से बचाव के उपाय 

विद्यालय के सभी बच्चों को गर्म कपड़े पहन कर आने के लिए कहा जाना चाहिए।

लंच के समय बच्चे को अधिक समय तक बाहर खेलने के लिए अनुमति नहीं देना चाहिए।

शरीर में ऊष्मा के प्रवाह को बनाए रखने के लिए पौष्टिक आहार एवं गर्म पेय पदार्थों का सेवन करें।

मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program) 


स्त्रोत- बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के द्वारा मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम(Chief Minister School Safety Program) 
(सुरक्षित शनिवार)



बैंक प्रोबेशनरी ऑफिसर की तैयारी कैसे करें(How to Prepare Bank Probationary Officer.)

बैंक प्रोबेशनरी ऑफिसर की तैयारी कैसे करें (How to Prepare Bank Probationary Officer.)


बैंक प्रोबेशनरी ऑफिसर की तैयारी कैसे करें(How to Prepare Bank Probationary Officer.) उन सभी बेरोजगारों के मन में बैंक पी ओ के पदों को प्राप्त करना चाहते हैैं। जो भारत के राष्ट्रीयकृत बैंकों में पी ओ के पदों में रुतबा एवं सम्मान है।


बैंक पी ओ की नौकरी प्राप्त करने के लिए समय-समय पर रोजगार समाचार एवं समाचार पत्रों में विज्ञापन आते रहता है।


बैंक प्रोबेशनरी ऑफिसर की तैयारी कैसे करें(How to Prepare Bank Probationary Officer.) 


बैंक पी ओ के लिए योग्यता -: बैंक पी ओ के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता, किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री या उसके समकक्ष डिग्रियां होना चाहिए।


बैंक पीओ के लिए उम्र सीमा -: कोई राष्ट्रीयकृत बैंक हो या कोई प्राइवेट बैंक हो उम्र सीमा 21 वर्षों से 30 वर्ष तक निर्धारित की गई है। इसमें कुछ खास लोग जो आरक्षण में आते हैं। उन्हें कुछ उम्र सीमा में छूट भी रहता है। 


बैंक पी ओ की परीक्षा -: बैंक पी ओ की परीक्षा तीन चरणों में होता है। 


प्रारंभिक परीक्षा 

मुख्य परीक्षा 

इंटरव्यू


प्रारंभिक परीक्षा -: इस परीक्षा में मैथ, रिजनिंग, इंग्लिश, के वस्तुनिष्ठ (ऑब्जेक्टिव) टाइप के प्रश्न होते हैं। प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नों का माध्यम हिंदी एवं इंग्लिश में होता है। इन प्रश्नों को हल करने के लिए 60 मिनट का समय निर्धारित श हैं। इस परीक्षा में केवल कॉलिंफाइ होना होता है। इसमें नकारात्मक अंक का प्रावधान होते हैं।



मुख्य परीक्षा-:  बैंक पी ओ की मुख्य परीक्षा में वस्तुनिष्ठ प्रश्न होते हैं। इसमें रिजनिंग, कंप्यूटर, डाटा एनालिसिस, जनरल अर्थशास्त्र, बैंकिंग, अंग्रेजी लैंग्वेज से संबंधित प्रश्न पूूछे जाते हैं। इन प्रश्नों को हल करने के लिए 3 घंटे का समय निर्धारित रहता है। इसमें भी नकारात्मक प्रश्न का प्रावधान होते हैं।


वर्णनात्मक परीक्षा -: वर्णनात्मक परीक्षा में अंग्रेजी लैंग्वेज, इंग्लिश ग्रामर, लेटर राइटिंग, एस्से, से प्रश्न होते हैं। जो विषयनिष्ठ लिखना होता है। इसके लिए 60 मिनट का समय निर्धारित होता है।


इंटरव्यू -: इंटरव्यू 30 अंको का होता है। जिसमें आंकड़ों से संबंधित प्रश्न होते हैं।



तैयारी की रणनीति -: किसी भी बैंक पी ओ की परीक्षा के लिए हमें प्रतिदिन एक या दो सेट का अध्ययन कर। उसका मूल्यांकन करना चाहिए। जो भी गलत या कठिन हो उसको नोटबुक (कॉपी) पर लिखें। परीक्षा के समय नोटबुक (कॉपी) पर लिखेे हुए प्रश्नों को निरंतर पढ़ते रहें।


➡️रिजनिंग के प्रत्येक पाठों को ध्यानपूर्वक अभ्यास एवं आत्मसात करना चाहिए।


➡️अंग्रेजी वर्णमाला के कौन से वर्ण का कौन सा अंक होता है। उसको आत्मसात करें। जैसे  A- 1, B-2, C-3, D-4, ....... आदि।


➡️अपने दाएं एवं बाएं वाले रिजनिंग को अभ्यास करें।


➡️दिशानिर्देश का कंसेप्ट क्लियर करें।


➡️पिछले कुछ सालों के क्वेश्चन बैंक को हल करें। कठिन या नहीं आ रहे प्रश्नो को कॉपी पर लिखने के बाद निरंतर अभ्यास करते रहें।


➡️प्रश्नों को हल करने से पहले बढ़िया से समझना चाहिए।


➡️आसान प्रश्नों का हल सावधानी पूर्वक पहले करें।


➡️कठिन प्रश्नों का उत्तर बाद में देने का प्रयत्न करें।


➡️परीक्षा में कम प्रश्नों का उत्तर दें। लेकिन जो भी बनाए सही बनाएं। परीक्षा में कठिन प्रश्नों में ज्यादा समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। 


➡️पिछले कुछ सालों का क्वेश्चन बैंक बनाने से आत्मविश्वास बढ़ता है। उसे जरूर बनाएं।


➡️बैंक पी ओ की सफलता के लिए स्पीड बहुत मायने रखता है। बैंक पी ओ की परीक्षा की तैयारी शुरू करते समय ही मेंस और इंटरव्यू पर भी ध्यान देना जरुरी होता है।


➡️प्रतिदिन एक प्रश्न सेट अवश्य बनाएं। सेट बनाने से स्पीड बढ़ता है। 


➡️इस परीक्षा की तैयारी की बेहतर रणनीति हो सकता है।स्वयं अध्धयन करना।


➡️टेस्ट सीरीज हमेशा बनाते रहना चाहिए।


बैंक प्रोबेशनरी ऑफिसर की तैयारी कैसे करें(How to Prepare Bank Probationary Officer.)

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध ( Independence Day.)

स्वतंत्रता दिवस  Independence Day.

प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता दिवस Independence Day मनाया जाता है। इसी दिन ब्रिटिश शासन के 200 वर्षों के गुलामी के बाद भारतीय नागरिक को स्वतंत्रता( Independence) यानी आजादी मिली।

सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव(Impact on social media society)

उसी दिन से प्रत्येक वर्ष भारत के प्रधानमंत्री लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र के नाम संबोधन करते हैं। झांकियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। उस दिन से प्रत्येक भारतीय सरकारी दफ्तर, विद्यालय, निजी भवन आदि पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।

स्वतंत्रता दिवस ( Independence Day.)
स्वतंत्रता दिवस ( Independence Day.)


सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव(Impact on social media society)

यह एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। उस दिन प्रत्येक व्यक्ति देशभक्ति गीत या देशभक्ति फिल्म देखते हैं। यहीं नहीं देशभक्ति कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। और उस दिन भारत का राष्ट्रीय मिठाई जलेबी खाया जाता है।

महिला सशक्तिकरण

इस दिन प्रत्येक व्यक्तियों के लिए खुशी के दिन होते हैं। क्योंकि बहुत ही कड़े संघर्ष और बलिदान के बाद हमें स्वतंत्रता Independence मिली। आज जो हम आजादी में सांस ले रहे हैं। उन सभी क्रांतिकारी बंधुओं को शत शत नमन, जो हमारे देश को आजादी दिलाने में उनका एक छोटा सा भी योगदान रहा हो।

ऐसे हमारे क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, आदि। स्वतंत्रता (Independence) दिलाने में इन पुरुषों का योगदान महत्वपूर्ण था। ऐसे बहुत से क्रांतिकारी जिनका नाम हम लोग नहीं जानते हैं। उन सभी क्रांतिकारियों भाइयों को दिल से नमन करता हूँँ।

आज पूरे हिंदुस्तान को आजादी/ स्वतंत्रता (Independence) के लिए एक नारा भारत छोड़ो आंदोलन के आह्वान पर पूरे देश की जनता ने भाग लिया। इसमें छात्र, नौजवान, किसान, मजदूर एवं नौकरी पेशे आदि हर एक वर्ग के लोग शामिल हुए हैं। आजादी/स्वतंत्रता (Independence) की चाह ने एकजुटता के साथ संघर्ष किए हैं।

भारत को आजादी की चाह क्यों

हमारे देश की जनता को ब्रिटिश शासन के द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल किया जाने से भारतीय जनता काफी नाराज थे। और भारतीय जनता युद्ध में भाग लेना नहीं चाहते थे। इसके बावजूद भी ब्रिटिश शासन काल के प्रशासन के द्वारा जोर जबरदस्ती करके द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय जनता को शामिल किया। इस वजह से भारतीय लोगो को  स्वतंत्रता  (Independence) मन में खलने लगा।

पहले से ही किसान, मजदूर, छात्र, नौजवान, बिट्रिश प्रशासन से त्रस्त थी। उसके बाद भारत को द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल करने से पूरे भारतीय जनता त्रस्त होने लगी। जिस कारण से भारत को आजादी की चाहत सन 1947 में बहुत जोरदार संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को आजादी/स्वतंत्रता (Independence) मिली। और 15 अगस्त का दिन ऐतिहासिक हो गया।

सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव(Impact on social media society)

सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव (Impact on social media society)

आज विश्व में सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव (Impact on social media society) की एक अलग पहचान बन गया है। जो किसी भी प्रकार का कोई भी वीडियो, ऑडियो, फोटो या लिखा हुआ मैसेज आदि। सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल किया जा सकता है।

 इस वायरल का मतलब क्या है?


इस वायरल का मतलब यह है कि प्रत्येक मैसेज को प्रत्येक व्यक्ति के पास पहुंचाना ही सोशल मीडिया है।

आज सोशल मीडिया का लिंक बहुत सारे हैं। इसमें Facebook, WhatsApp, Twitter आदि प्रमुख लिंक हैं।

सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव(Impact on social media society) सोशल मीडिया पर पहले केवल युवा पीढ़ी को ही देखा जाता था। लेकिन आज की स्थिति ऐसा है कि इसमें बड़े, बुजुर्ग भी सोशल मीडिया पर देखे जा रहे हैं।


आज सोशल मीडिया समाज को पूरी तरह जकड़ लिया है
आज विश्व के अधिकांश भाग में सोशल मीडिया अपना आधिपत्य जमा लिया है। जैसे - ऑफिस, स्कूल, घर, कॉलेज या अन्य किसी भी सरकारी ऑफिस सोशल मीडिया ने घेर लिया है।

सोशल मीडिया के लाभ -:  

आज विश्व में आप किसी भी स्थान पर हैं। तो एक दूसरे से अकेला या सामूहिक रूप से बात कर सकते हैं। यही नहीं आजकल ऑफिस के कोई भी पत्र निकलता है, तो तुरंत ही सोशल मीडिया पर डाल दिया जाता है। जिससे हमें लाभ होता है। कोई भी राजकीय पत्र या अन्य किसी भी प्रकार के कोई लेटर आदि की जानकारी हमें तुरंत ही प्राप्त हो जाता है।

सोशल मीडिया से हानि-:

सोशल मीडिया पर आज बहुत से लोग अपना कीमती समय को बर्बाद कर रहे हैं। जिससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अधिकतर लोग एक दूसरे के घर जाना पसंद नहीं कर रहे हैं। क्योंकि सोशल मीडिया के माध्यम से केवल मैसेज कर देते हैं। वह अपने समय को घर बैठ कर ही बर्बाद करते रहते हैं। और केवल मैसेज भेजते रहते हैं।

सोशल मीडिया के कारण व्यक्ति का मस्तिष्क क्षण क्षण बदलते रहता है। इस कारण व्यक्ति के मस्तिष्क धीरे-धीरे सोचने की क्षमता में कमी आने लगता है। फिर वह ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है। व्यक्ति का मस्तिष्क सुषुप्तावस्था में चला जाता है। मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है।

सोशल मीडिया का समाज पर प्रभाव(Impact on social media society)

जिस कारण लोगों को यह सलाह दिया जाता है कि सोशल मीडिया नेटवर्क पर अधिक समय बर्बाद न करें। वास्तविकता की ओर हमेशा ध्यान रखे। किसी भी काम को न अधिक, न कम करने चाहिए। हमेेेशा बीच का मार्ग अपनाना चाहिए।


दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र

   👇👇       दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र      👇👇                        वीडियो को देख लीजिए।             Link- https://youtu.be/gAz...

आवेदन पत्र कैसे लिखें