प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे करें(how to improve quality of education in primary schools)
प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार (Improve quality of education in primary schools) के लिए जरूरी है।
शिक्षक समाज के निर्माता होते हैं। समाज में विद्यालय आते हैं। विद्यालय के मुखिया शिक्षक होते हैं। वे भले ही आज पढ़ाते हैं, परंतु उनका सोच यह होता है कि आने वाले दिनों में उन बच्चों का भविष्य बेहतर हो, ऐसे भी शिक्षक समाज से जुड़े रहते हैं। इससे प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति और भी महत्वपूर्ण होते हैं। समाज में शिक्षकों का स्थान युगों युगों से सर्वोपरि होता है। कबीरदास जी कहते हैं -:
" गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पायं।
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।।"
जिस तरह हमारे जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी होते हैं, उसी तरह हमारे जीवन सुधारने के लिए विद्यालय के शिक्षक होते हैं।
प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार (Improve quality of education in primary schools) अति महत्वपूर्ण है। क्योकि शिक्षक उन बच्चों को अनुशासित एवंं अज्ञानता से ज्ञानता की ओर उन्मुख कराते हैं। विद्यालयी शिक्षा जीवन में हमेशा मददगार होता है। बच्चे बड़े होकर अपने जीवन को बेहतर ढंग से प्रारंभ कर सकते हैं।
विद्यालय को विद्या के मंदिर और उस मंदिर का पुजारी शिक्षक और बच्चे होते हैं। जिसमें बच्चों को ज्ञान का बोध कराते हैं। हालांकि स्थितियां बदल चुकी है। कुछ जगहों पर अभी भी शिक्षक की स्थिति ठीक है। लेकिन कुछ जगहों पर स्थितियां बिल्कुल बदल गई हैं। जिस प्रकार Facebook के प्रोफाइल पिक्चर बदलते हैं, उसी प्रकार शिक्षक की स्थिति दिन-प्रतिदिन बदलती चली जा रही है।
प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार (Improve quality of education in primary schools)
शिक्षक समाज पर यह आरोप लगाया जाता है कि शिक्षक छात्रों को नहीं पढ़ाते है। लेकिन कभी कोई यह नहीं कहता है कि सरकार शिक्षक को पढ़ाने नहीं देना चाहती हैं। इसमें सारे दोष सरकार का ही है, सरकार का कोई भी कार्यक्रम प्राथमिक विद्यालय से जोड़ दिया जाता है। इसमें शिक्षक शिक्षा से बिल्कुल अलग हो जाते हैं। बच्चों को भी उस कार्यक्रम के तहत विद्यालय तो आते हैं, लेकिन शिक्षक से जुड़ नहीं पाते हैं।
प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे करें(how to improve quality of education in primary schools)
प्राथमिक विद्यालय की स्थिति सरकार के द्वारा विद्यालय में छात्रवृत्ति एवं पोशाक राशि कार्यक्रम चलाये जाते हैं। वह गरीब बच्चों के लिए बहुत ही जरूरी है। इसमें बच्चे के कुल उपस्थिति के 75 % वाले छात्रो को छात्रवृत्ति एवं पोशाक राशि दी जाती है। विद्यालय में सभी जातियों के बच्चे पढ़ते हैं। सरकार की तरफ से फरमान SC,ST, BC,EBC,Gen.के सभी कोटि के बच्चे को अलग -अलग छात्र का नाम ,पिता का नाम, माता का नाम, वर्ग, वर्ग क्रमांंक,जाति ,आधार संख्या, खाता संंख्या , बैंक का नाम , Ifec code, मोबाइल नंबर एक format में अलग-अलग करके एक या 2 दिनों के अंदर दिया जाए। अब शिक्षक पढ़ाए कि छात्रों के Bio-data लिखें।
प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे करें(how to improve quality of education in primary schools) निम्न तरीके हैं-:
शिक्षक की नियुक्तियाँँ -: प्रत्येक विद्यालय में विषयवार शिक्षक की नियुक्तियाँ हो। जिसे प्राथमिक विद्यालय के बच्चे हर विषय पढ़ सकें। इसके बाद प्रत्येक विद्यालय में क्लर्क एवं चपरासी की नियुक्ति हो। जिससे शिक्षक विद्यालय में पठन पाठन का कार्य कर सकें।
शिक्षक को ससमय वेतन-: प्रत्येक शिक्षक के साथ चार से पांच लोग जुड़े रहते हैं। वेतन के अभाव में, वे अपने परिवार एवं बच्चे को सही ढंग से नहीं रख पाते हैं। जिससे सारा ध्यान पैसे पर रहता है। घर के राशन नहीं है। दुकानदार से 6 महीने से उधारी ले कर अपना खर्च चलाते है। शिक्षक को प्रत्येक महीने समय से वेतन नहीं मिलने के कारण शिक्षक अच्छे ढ़ग से नहीं पढ़ा पाते। अगर प्रत्येक महीने शिक्षक को समय पर वेतन मिले तो शिक्षक का मन इधर-उधर नहीं भटकेगा। जिस कारण विद्यालय के बच्चों को पढ़ाने में भी मन लगा रहेगा।
शिक्षक को गैर शैक्षणिक कार्य से विमुक्त करें-: विद्यालय के शिक्षकों द्वारा छात्रों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं , तो गैर शैक्षणिक कार्य शिक्षक से न करायेे । शिक्षक को अन्य कार्य में लगा दिया जाता है जिससे कि विद्यालय के बच्चे को पढ़ा नहीं पाते । इसलिए गैर शैक्षणिक कार्य नहीं कराया जाए।
शिक्षकों का मानसिक एवं आर्थिक शोषण-:
सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बिना सोचे समझे फरमान जारी कर देते हैं । जिसके कारण विद्यालय के बच्चों के पढ़ाई नहीं हो पाता।
निष्कर्ष-: