विद्यालय के छात्र छात्राओं को कक्षा कक्ष में कैसे बैठना चाहिए

विद्यालय के छात्र छात्राओं को कक्षा कक्ष में कैसे बैठना                                      चाहिए

विद्यालय के छात्र छात्राओं को कक्षा कक्ष में कैसे बैठना चाहिए। जिससे शिक्षक द्वारा पर पाठ योजना के अनुसार पढ़ाया गया ज्ञान अधिक से अधिक छात्र-छात्राओं को दिमाग में बैैैठ जाए।

              बचपन में जो जैसा देखता या सुना करता उसी के अनुसार छात्रों के मन में कलाकार उत्पन्न होने लगता है। जैसे कि कोई क्रांतिकारी फिल्म देखा तो क्रांतिकारी बनने की इच्छा उत्पन्न होने लगता। जब कभी विद्यालय के शिक्षक तेज बच्चों को सम्मान करते, तो मन करता कि मैं भी तेज रहता।
 विद्यालय के छात्र छात्राओं को कक्षा कक्ष में कैसे बैठना चाहिए
 विद्यालय के छात्र छात्राओं को कक्षा कक्ष में कैसे बैठना चाहिए

आज मैं विद्यालय की कक्षा कक्ष में छात्र-छात्राओं को कैसे बैठना चाहिए। इस विषय में इस ब्लॉग पोस्ट में चर्चा कर रहा हूं। आज छात्र-छात्रों को देखा जाता है कि विद्यालय के शिक्षक द्वारा पढ़ाया गया ज्ञान समझ में नहीं आ रहा है। इससे बच्चों की कक्षा कक्ष में बैठने की स्थिति से है।

               छात्र-छात्राओं को जीवन बेहतर हो सके, इसके लिए कुछ बातों पर ध्यान रखना होगा। जिससे छात्र-छात्राओं को कक्षा कक्ष में पढ़ाया गया ज्ञान एवं ध्यान रख सके। इसके लिए छात्रों को भी ध्यान देना होगा।

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               सबसे पहले मैं आपको यह जानकारी देना चाहता हूं कि यह एक दिन में संभव नहीं होगा। लेकिन कुछ दिनों में ही आपको अंतर समझ में आने लगेगा। इसको हम इस प्रकार समझ सकते हैं कि अगर एक दिन में तीन प्रश्नों का उत्तर हल करते हैं इसे प्रतिदिन करने में महीना में 90 प्रश्नों का हल कर लिया जाएगा। इस प्रकार प्रतिदिन कक्षा कक्ष में बैठने की स्थिति पर ध्यान दिया जाए, तो कुछ ही दिनों में आपको अंतर महसूस होने लगेगा।

कक्षा कक्ष में बैठने की स्थिति -:

1) गालों या सर पर हाथ न रखें-: शिक्षक द्वारा कक्षा कक्ष में पढ़ाने के क्रम में देखा जाता है कि कई छात्र कक्षा कक्ष में गाल या सर पर हाथ रखकर बैठे रहते हैं। जिसके कारण शिक्षक द्वारा सिखाया गया ज्ञान अर्जित नहीं कर पाते हैं। इसलिए बच्चों से हमेशा कहा करते हैं कि गाल या सर पर हाथ रखकर नहीं बैठना चाहिए।

2)शिक्षक के मुख पर देखें-: शिक्षक द्वारा कक्षा में जो भी पढ़ाया या सिखाया जाता है, तो उस समय छात्रों को शिक्षक के आंखों या मुंह पर देखने से सीखा गया ज्ञान शीघ्र प्राप्त होता है।

3)दोनों हाथों को डेस्क पर रखे-:छात्रों को यह समझना चाहिए कि शिक्षक हमें जो ज्ञानप्रद बातें बताते हैं। उसे बच्चे अच्छी तरह से समझ ले। छात्रों को पाठ की व्याख्या विधि से शिक्षण करा रहे हैं, तो दोनों हाथों को डेस्क पर रखना चाहिए। तथा सीधे शिक्षक के तरफ देखना चाहिए। ताकि सीखा गया ज्ञान अति शीघ्र मस्तिक में प्रवेश कर सके।

4)कक्षा कक्ष में आत्मविश्वास के साथ बैठे-:  छात्रों को यह चाहिए कि शिक्षक के आगमन के साथ ही वह अपने आप को आत्मविश्वास के साथ बैठ जाय। जो शिक्षक पढ़ा रहे हैं उसे ध्यान पूर्वक सुनकर सीखे।

5)छात्र उत्साहपूर्वक सीखने का प्रयास करें-: अधिकांश देखा जाता है कि बच्चे को उत्साहपूर्वक नहीं सीख पाते हैं। पहले अपने शरीर एवं दिमाग को सीखने के लिए तैयार करे।
 ताकि जो ज्ञान प्राप्त हो, वह अस्थाई ज्ञान हो।

 6)कक्षा में शांति बनाए रखें-: कक्षा का माहौल ऐसा होना चाहिए कि जो भी शिक्षक कक्षा में पाठ को पढा़ये।वह आसानी से ग्रहण हो सके।

 निष्कर्ष-: अगर विद्यालय के बच्चों के बेहतर जीवन एवं भविष्य के लिए छात्र छात्राओं को विद्यालय के कक्षा कक्ष में कैसे बैठना चाहिए। इसके निम्न उपाय हैं।मन को शांत ,गाल या सर पर हाथ न रखें, उत्साहपूर्वक सीखने का प्रयास, आत्मविश्वास, डेस्क पर हाथों को रखें, आंखें शिक्षक के मुख पर हो। इस तरीका से बैठने पर ज्ञान अधिक अर्जित कर सकते हैं।

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