परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं(How to get diagnosed with fear of exam.)

परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं (How to get diagnosed with fear of exam.)


परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं (How to get diagnosed with fear of exam.) इसके लिए कुछ बिन्दुओं पर विचार करना अति आवश्यक है।

परीक्षा का अर्थ "दूसरों की इच्छा " उसे कहते हैं, परीक्षा । अर्थात् जब कोई व्यक्ति या संस्था परीक्षा लेता है, तब एक दूसरे व्यक्ति के द्वारा प्रश्न पत्र तैयार होता है। अधिकांश बच्चे, बड़े या अच्छे जानकार व्यक्ति परीक्षा के नाम से भागते या डरते हैं। 

परीक्षा के समय बच्चों में तनाव अधिक हो जाता है। बच्चें एक वर्ष कठिन परिश्रम करते हैं। और मात्र दो घंटे के परीक्षा में उसका मूल्यांकन किया जाता है। कुछ बच्चे को मूल्यांकन का भय अधिक होता है। वे दिन-रात परिश्रम करते हैं। कुछ बच्चे अधिक तनाव महसूस करते हैं। परीक्षा के समय में तनाव में नहीं रहना चाहिए। तनाव के कारण मस्तिष्क से स्मरण शक्ति कम होने लगता है। आप जो भी पढ़ते हैं, वे भूल जाएंगे।

 "परीक्षा से तुम डरो ना भाई ,अपने पढ़ाई में ध्यान लगाई।" 

एक कहावत है जो डर गया सो मर गया। यानी परीक्षा का भय नहीं होना चाहिए। कुछ बच्चों के माता-पिता का दबाव अधिक रहता है। जिस कारण सेे बच्चों में तनाव उत्पन हो जाते हैं।

    परीक्षा संबंधी डर को निम्न तरीकों से जानेंगे।

➡️आत्म - विश्वास की कमी -: कुछ  बच्चेे पढ़ाई में मेहनत बहुत करते हैं। रात दिन मेहनत करने के बाद भी अपने पर विश्वास नहीं करते है। बच्चे मेें परीक्षा का भय रहता है।

➡️नकारात्मक सोच -: कुछ बच्चे परिश्रम करते हैं। पढ़ाई में भी बहुत अच्छे होते हैं, परन्तु उनका सोच नकारात्मक होता है। वैसे बच्चे को परीक्षा में भय बना रहता है। वह यह सोचता है कि इस क्वेश्चन को याद करने से फायदा होगा या नहीं। इसी सोच के कारण बच्चे आगे नहीं बढ़ पाते है।

➡️लक्ष्य बनाकर पढ़ना -: कुुुछ बच्चें लक्ष्य बनाकर पढ़ते हैं। रात दिन परिश्रम करके पढ़ाई करते हैं कि परीक्षा में अच्छे अंक लाए। यानी हंड्रेड परसेंट। उनका परीक्षा भी बहुत अच्छा जाता है। अगर एक क्वेश्चन का आंसर नहीं दें पाय, तो परीक्षा में कम अंक का डर बना रहता है।

➡️सिलेबस पूरा न होना -:  कुछ बच्चे मौज मस्ती में अपना समय बर्बाद कर देते हैं। परीक्षा के समय तनाव में हो जाते हैं। उनका तनाव धीरे - धीरे बढ़ता जाता है। एक वर्ष का कोर्स  कुछ दिनों में खत्म करने के चक्कर में रहते हैं। जिससे मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है।

➡️वर्ग कक्ष में छात्रों द्वारा लापरवाही-: जब वर्ग कक्ष में शिक्षक द्वारा अधिगम कराया जाता है, तो कुछ बच्चे बातें ध्यान से नहीं सुनते हैं। न गृह कार्य और न याद करते है। जिस कारण परीक्षा में डर बना रहता है।

 ➡️विषयबार डर-: कुछ बच्चे को कुछ विषयो में रुचि रहता है। जिस विषय में रुचि रहता है। उस विषय को अधिक पढ़ते हैं। जिस कारण अन्य विषय छुट जाते हैं। परीक्षा के समय अधिक भय बना रहता है।

➡️परीक्षा कक्ष में जाने से पहले भूल जाना-: बच्चे परीक्षा केंद्र पर उत्साह के साथ जाते हैं। वहां जाने के बाद लगता है कि सारी पढ़ाई भूल गए हैं। उस समय बच्चे तनाव में हो जाते हैं। तनाव के कारण परीक्षा अच्छा नहीं जाएगा।

➡️परीक्षा संबंधित अन्य भय-:
▶️ याद कर के जाने के बाद वह प्रश्न ना आना।
▶️ प्रश्नों का उत्तर गलत हो जाना
▶️ परीक्षा केंद्र पर जाने के क्रम में आंखों में धूल पड़ना बस,  ट्रेन छूट जाना या लेट हो जाना। इस से भी परीक्षा का भय बना रहता है।

परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं (How to get diagnosed with fear of exam.) उनके कुछ महत्वपूर्ण तरीके।

  आत्मविश्वास।

  सकरात्मक सोच।

  लक्ष्य बनाकर पढ़ना।

  सिलेबस पूरा करना।

  वर्ग कक्ष में ध्यान देना।

  सभी विषयों को बराबर ध्यान देना।


परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं (How to get diagnosed with fear of exam.)


निष्कर्ष-: परीक्षा के नियत समय से पहले से ही बच्चे तैयारी करते हैं। प्रतिदिन अभ्यास करके परीक्षा की तैयारी करते हैं। परीक्षा के दिनों में सभी बच्चों को तनाव हो जाते हैं। परीक्षा का भय से तनाव बना रहता है। कुछ बच्चे जीवन के प्रति तत्परता दिखाते हैं। इस कारण परीक्षा में सफल हो जाते हैं।बच्चे को परीक्षा देने से जीवन में कठिनाइयों का सामना करना आसान हो जाता है।


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