व्यक्तित्व के निर्माण में विद्यालय का योगदान।School's contribution in building personality


व्यक्तित्व के निर्माण में विद्यालय का योगदान।School's contribution in building personality.


प्रत्येक व्यक्ति में अपनी एक अलग पहचान या गुण होता है। एक दूसरे व्यक्ति के वह गुण या पहचान, किसी दूसरे व्यक्ति में नहीं होता है। प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न होता है। हर इंसान का अपना अलग-अलग विशिष्ट पहचान होता है। इसी पहचान या गुण के कारण उस व्यक्ति का व्यक्तित्व होता है। हर इंसान अलग-अलग कद काठी रंग एक दूसरे से भिन्न होते है। इसके स्वभाव संस्कार आदि में भिन्नता होता है। 

एक बालक के व्यक्तित्व के निर्माण में परिवार से कहीं अधिक समाज के वातावरण का प्रभाव पड़ता है। बच्चे के गुणों के निर्माण में परिवार की भूमिका अहम होता है। बच्चों के प्रथम पाठशाला परिवार होता है। उस परिवार के प्रथम शिक्षक मां होती हैं। मां ही बच्चों के व्यक्तित्व के को निखारती हैं। मां घर में ऐसा वातावरण का निर्माण करती है कि बच्चे के व्यक्तित्व सृजनात्मक एवं गुणात्मक होता है। उसी समय से बच्चों में अनेकों ऐसे गुणों का विकास होता है। अगर यही गुण रह जाए तो निश्चित ही बच्चे अपने जीवन में व्यक्तित्व के धनी, आत्मविश्वासी, दृढ़ पराक्रमी हो जायेंगें। लेकिन बच्चे बड़े होते ही समाज से बहुत कुछ सीखने लगते हैं।  

बच्चों के व्यक्तित्व के निर्माण में विद्यालय के शिक्षा अति आवश्यक है। विद्यालय के वातावरण से बच्चों के व्यक्तित्व के निर्माण में अधिक प्रभावशाली होता है। यदि बच्चे को विद्यालय में अनुकूल वातावरण प्राप्त हो तो वे सही दिशा में कदम रख सकते हैं। या वह अपने को प्रगति के पथ पर अग्रसर होते जाते हैं। 

व्यक्तित्व के निर्माण में विद्यालय का योगदान।School's contribution in building personality.


व्यक्तित्व के निर्माण में विद्यालय का योगदान।School's contribution in building personality.





यदि विद्यालय का अनुकूल वातावरण न रहा तो योग्य एवं होनहार बच्चे का व्यक्तित्व से वंचित हो जाते हैं। यदि बच्चे निम्न स्तर की योग्यता  रखने वाले बच्चों को अच्छे वातावरण के अनुसार योग बनाया जा सकता है। विद्यालय के वातावरण के अनुसार बच्चों को योग एवं गुणकारी बनाया जा सकता है। बच्चे की योग्यता एवं क्षमता कैसा भी हो, वह विद्यालय के अच्छे वातावरण जैसा ही होगा।

विद्यालय के अच्छे वातावरण में बच्चों की अच्छी आदतों का विकास  भी होता है। जिससे विद्यालय बच्चों को प्रभावित भी करता है। उनके व्यक्तित्व के निर्माण में परिवर्तन लाता है। विद्यालय के वातावरण से बच्चों में नैतिक विकास, शारीरिक विकास, मानसिक विकास, सामाजिक विकास के स्तर को ऊंचा उठाता है, ताकि वे परिवार समाज एवं विद्यालय में अपने आपको समायोजित कर सके।

विद्यालय में वातावरण को अच्छी तरीके से प्रभावित करने में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होता है। जिससे बच्चों में सही मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन मिलता है। जिससे बच्चों में व्यक्तित्व का निर्माण होता है।

इसके फलस्वरूप कुछ बच्चों में कुंठा से ग्रसित होते हैं। शिक्षक के अच्छे आत्मीय व्यवहार के कारण धीरे-धीरे उन बच्चों को जो कुंठित के शिकार होते हैं। उनको उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन के कारण  बच्चे अच्छे कर पाते हैं। बच्चें शिक्षक के प्रति स्नेह, आदर का भाव अपने दिल में रखने लगते हैं। इससे बच्चों में व्यक्तित्व एवं चरित्र का निर्माण होता है। 

विद्यालय में मानसिक स्वास्थ्य एवं शारीरिक स्वास्थ्य होना बहुत ही जरूरी होता है। विद्यालय के व्यक्तित्व में ज्ञान, कौशल एवं दृष्टिकोण का होना अति आवश्यक है। जिससे बच्चों में अनुशासन विकसित होता है। 

बच्चों में आत्म संयम, सहयोग, आपसी विचार एवं भाव आदि के गुणों को विकसित करने में सहायक होते हैं। विद्यालय को उत्तम स्वरूप देने के लिए बाल केंद्रित मनोविज्ञान की अवधारणा होना चाहिए। जिससे बच्चे विद्यालय की ओर आकृष्ट होते और सीखने में उनकी प्रेरणा मिलता है। 

विद्यालय का वातावरण स्वच्छ होना अति आवश्यक है। तभी बच्चों का मन प्रसन्न होता है। शिक्षक को विद्यालय के वातावरण को आनंददायक और कक्षा कक्ष को भी आनंदित बनाने अति आवश्यक होता है। ताकि व्यक्तित्व के निर्माण में विद्यालय का योगदान महत्वपूर्ण है।
School's contribution in building personality.





















उचित मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रतिभा को निखारता है।Proper guidance and encouragement enhances talent.

उचित मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रतिभा को निखारता है।(Proper guidance and encouragement enhances talent.)


जब विद्यार्थी सफलता का मुकाम हासिल करना चाहता है, या अपने जीवन को सफल करने के लिए जो उड़ान भरना चाहता है। उससे पूर्व अभिभावक व शिक्षक उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन उसके प्रतिभा को अवश्य ही निखारता है। 

अभिभावक व शिक्षक छात्रों के सुनहरे भविष्य के लिए उचित मार्गदर्शन दे सकते हैं। जिससे छात्रों के शरीर के अंदर, ऊर्जा उत्साह, जोश, एवं जुनून का संचार उत्पन्न होता है। जिससे विद्यार्थी जीवन में सफलता प्राप्त होता है।

हमेशा से ही देखा गया है कि छात्रों को विषय का चुनाव सही ढंग से नहीं कर पाते। कई छात्र-छात्राओं को देखा गया है कि बिना सोचे समझे विषय का चुनाव कर लेते हैं। बहुत सारे विद्यार्थी अपने दोस्तों, रिश्तेदार, भाई बहन को देखकर विषयों का चुनाव करते हैं। फिर बाद में उनको समझ आता है कि विषय का चुनाव गलत हो गया। बहुत से छात्र अपने अभिभावक या माता-पिता के दबाव में आकर विषय का चुनाव करते हैं। जिसके फलस्वरूप छात्रों को आगे चलकर वह विषय बोझिल  या उबाऊ लगने लगता है। कई छात्र-छात्राओं एक दूसरे के देखा देखी में विषयों का चुनाव करते हैं। जिस कारण उनको आगे समझ में नहीं आता या समझना मुश्किल हो जाता है।

जिस विद्यार्थी ने अपने विषय का चुनाव सोच समझ कर लिया है या उस विषय में वह ज्ञान या रूचि रखता है, तो वह विद्यार्थी हमेशा ही सफल होगा।

अभिभावक एवं शिक्षक को छात्रों एवं विद्यार्थियों को बीच-बीच में उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन देते रहें, ताकि अभिभावक
एवं शिक्षक को यह पता चलता रहे, कि विद्यार्थी लक्ष्य प्राप्त करने में सक्षम है या नहीं। अगर नहीं, तो विद्यार्थी को उचित मार्गदर्शन करने की जरूरत होता है। ताकि उचित मार्गदर्शन से छात्र अपने जीवन में लक्ष्य की प्राप्ति कर सके।

हमारे समझ से उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन अपने बच्चों को शुरुआती दिनों यानी 3 से 5 वर्ष के उम्र में ही शुरू करना चाहिए ताकि आगे अपने जीवन में हमेशा ही सफलता के मुकाम को हासिल कर सके।

लेकिन एक और बात यह है कि कोई जरूरी नहीं है कि 3 से 5 वर्ष के उम्र ही हो। आप जब चाहे तब से ही अपने बच्चों या छात्रों को उचित मार्गदर्शन कर सकते हैं। वहां मैं कम उम्र इसलिए कहा कि बच्चें को शुरुआत से ही उचित मार्गदर्शन देते रहे तो अपने जीवन में हर समय क्रियाशील रहेंगे।

अधिकांशतः विद्यार्थी 10वीं परीक्षा के बाद ही अपने लक्ष्य या सफलता को लेकर चिंतित रहते हैं। इस समय अभिभावक एवं शिक्षक को मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन नितांत ही आवश्यक है और समय उचित सलाह देना जरूरी होता है, क्योंकि बहुत सारे विद्यार्थी को उचित मार्गदर्शन प्राप्त न होने के बावजूद वह गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं तथा विद्यार्थी अपने नैतिक पतन की ओर चल देते हैं। वे अपने जीवन जीने के लिए गलत तरीकों को अपनाते चले जाते हैं। इससे अपना जीवन बर्बाद कर लेते हैं। इसलिए ऐसे समय में हर अभिभावक एवं शिक्षक को बच्चों एवं छात्रों को उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन देना अति आवश्यक है। 
निष्कर्ष :-  उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन प्रतिभा को निखारता है। हमें अपने बच्चे एवं विद्यार्थी को बचपन से ही उचित मार्गदर्शन देना चाहिए। ताकि भविष्य में अपने जीवन को उस ऊंचाई पर ले जा सके। जहां से पीछे दिखने पर सभी छोटे या बौने रूपी दिखें। शिक्षक का कार्य केवल यह नहीं है कि शिक्षा देना, अपितु विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो। अगर विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास होगा। तब विद्यार्थी का जीवन सफल होता है। उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन प्रतिभा को निखारता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन प्रतिभा को निखारता है। यह निश्चित तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019. International Yoga Day 2019.

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019. International Yoga Day 2019.



भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019.(International Yoga Day 2019.), प्रत्येक वर्ष 21 जून को मनाने का फैसला लिया गया। जो मानव जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।


आज योग का नया अविष्कार नहीं हुआ है। यह प्राचीन काल से ही ऋषि मुनि, साधु, महात्मा आदि। योग अभ्यास किया करते थे। उनके जीवन में शारीरिक कष्ट नहीं हुआ। वे लोग जीवन भर स्वस्थ रहते थे। बहुत से महात्माओं ने योगाभ्यास के बारे में बताया है, जो लोग योग अभ्यास किया उनका जीवन खुशहाल बना रहा।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) मनाने का कारण-: 


मानव जीवन में इतनी व्यस्तता बढ़ गई है कि अपने शरीर पर ध्यान देने का समय नहीं मिल रहा है। जिस कारण उनका शरीर स्वस्थ नहीं रह पाता, तब मनुष्य को योग अभ्यास करना अति आवश्यक हो गया।


योग को नियमित करने से कोई भी बीमारी नहीं होता या अगर हुआ भी है तो जड़ से खत्म हो जाता है। नियमित योगाभ्यास करने से बहुत लोगों को लाभ हुआ है।


योग क्या है-: 


योग एक ऐसा कला है जिसे सीख कर अपने जीवन में आने वाला कोई भी रोग या बीमारी नहीं होने देगा तथा असाध्य रोगों को भी ठीक करते देखा गया है।


हमारे जीवन के लिए योग महत्वपूर्ण है, यानी योग से हम सभी जीवन भर रोग मुक्त रहेंगे, तो हमें योग हर हाल में प्रतिदिन करना चाहिए। जिससे हमारा जीवन खुशहाल एवं आनंदित रहे।


योग क्यों जरूरी-: आजकल इस प्रतियोगी संसार में कितना भाग दौड़ का जीवन है कि हमारे जीवन में किसी प्रकार का कोई कठिनाइयां नहीं होगा यानी रोग मुक्त रहेंगें। इसलिए योग अत्यंत जरूरी है। जीवन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए योग जरूरी एवं अनिवार्य है। योग को जीवन का अभिन्न अंग बनाना होगा।


योग से लाभ-: नियमित योग करने से तन, मन, धन सभी का बचत होगा। क्योंकि योगाभ्यास करने से कोई रोग नहीं होगा। रोग नहीं होगा तो पैसा, यानी धन का बचत होगा जब धन का बचत, तब तन एवं मन भी ठीक-ठाक रहेेगा।


योग करने का स्थान-: योग करने के लिए स्थान का चुनाव करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। योग करने के लिए एक खुला, शांत वातावरण की जरूरत होता है। ऐसे हम छत,बालकोनी, पार्क, या एक खुला स्थान आदि होना चाहिए। जो योग करने के लिए अच्छा होता है।


योग करने का समय क्या-: योग करने का सही समय सूर्योदय से पहले का योगाभ्यास बहुत लाभदायक रहता है। ऐसे जब समय मिले तब किया जा सकता है। लेकिन एक बात का ध्यान रहे कि खाना खाने के करीब तीन घंटे बाद ही योग करना चाहिए। यानी नहीं खाली पेट होना चाहिए।


योग नियमित करना-: ऐसे तो कहा गया है कि किसी भी काम को नियमित करने से अधिक लाभ एवं उस काम में सफलता प्राप्त होता है। ऐसेे कहा भी गया है कि काम ही काम को सीखता है। उसी तरह योग को भी नियमित करने से अनेकों प्रकार का लाभ होता है। जैसे मन में शांति, शरीर के अंदर की शक्ति, रोग से लड़ने के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है।


योग करने का सही तरीका-: योग करने का सही तरीका होना अति आवश्यक है। योग की स्थिति या उसके बारे में जानने के लिए बाबा रामदेव का योगाभ्यास के किताब जरूर देखें।


योग कितनी बार करें-: ऐसे योग को 24 घंंटे में 2 बार करना चाहिए। वैसे आप अपने समय के अनुसार इसे एक या दो बार कर सकते हैं।



Father's day (पिता दिवस)

Father's day (पिता दिवस)

पिता के लिए एक पिता दिवस 2019/ father's day 2019  के रूप में मनाये जाते हैं। " जिस प्रकार डॉक्टर्स डे और मदर्स डे मनाते हैं, उसी प्रकार पिता दिवस या फादर्स डे मनाते है। "

father's day 2019 in india
Father's day


Father's day kab manaya jata   



प्रत्येक वर्ष जून के तीसरे सप्ताह के रविवार को father's day मनाया जाता है। 2019 में father's day 16 जून को मनाया जाएगा।


वैसे तो प्राचीन काल सेेेे ही पिता का सम्मान होता रहा है, चाहें वह जो भी काल रहा हो। इसलिए मानव समाज ने संसार के सभी पिता को सम्मान देने के लिए एक दिन चुना गया, जिसे father's day कहते हैं।


इस दिन सभी लोग अपने पिता को सम्मान, आदर, इज्जत, प्यार करते हैं, और पुरानी बातो को याद कर बहुत खुश होते, एक दूसरे से विशेष बातें किया करते हैं। फिर पुत्र, पिता को  उपहार देते हैं, और उनसे आशीर्वाद एवं प्यार लिया करते हैं।   

father's day in india, 2019 अब भारत में भी धीरे धीरे father's day प्रचलित होने लगा है। भारतीय लोग भी father's day पर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगे हैं। तथा अपने पिता को आदर्श मान कर उनका सम्मान एवं आदर करते हैं।


आमतौर पर देखा जाता है कि लोग अपने पिता के सम्मान  में खुलकर बातें नहीं कर पाते हैं। लेकिन अब father's day के दिन, पुत्र अपने पिता से दिल खोलकर बातें करेंगें।


father's day सबसे पहले 1908 में मनाया गया। विश्व के कुछ देशों में अलग अलग दिन फादर्स डे मनाते हैं। लेकिन 1910 से father's day को नियमित रूप से प्रत्येक वर्ष मनाने का निर्णय लिया गया है।


अमेरिका एवं कई ऐसे देशो में father's day के अवसर पर अधिकारीक अवकाश की घोषणा की गई हैं।


जून के तीसरे सप्ताह के रविवार के दिन पूरा विश्व 16 जून को father's day मनाएगा।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day)
























बच्चें परीक्षा में कैसे अच्छे अंक प्राप्त करें।How to get good marks in children's examination.)

बच्चें परीक्षा में कैसे अच्छे अंक प्राप्त करें। How to get good marks in children's examination.

वैसे तो प्रत्येक छात्रों के मन में ख्वाहिश होता है कि परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करें। भले वह कम या अधिक पढ़ाई करता हो। फिर भी परीक्षा के समय वे चाहते हैं कि उनका भी अच्छा अंक प्राप्त हो।

बच्चें परीक्षा में कैसे अच्छे अंक प्राप्त करें। How to get good marks in children's  इसके बारे में, मैं इस आर्टिकल में चर्चा या बताने जा रहा हूँँ। यह छोटा सा टिप्स है, जो आप लोग को परीक्षा में सफलता पाने के अचूक मंत्र या अच्छा अंक लाने में,यह पोस्ट मददगार साबित होगा।

लेकिन एक बात मैं बताना चाहूँँगा कि परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करना, कोई एक दिन का बात नहीं है, इसके लिए रेगुलर पढ़ाई करना अति आवश्यक है। तब आप परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। यह पोस्ट उन लोगों के लिए बिल्कुल नहीं है जो परीक्षा के समय ही पढ़ाई या किताबे उठाते हो। वैसे विद्यार्थी हमारे पोस्ट को न पढ़े हैं।


अगर आप चाहते हैं कि परीक्षा में अच्छे अंक कैसे लाएं तो प्रतिदिन किसी भी समय चार सेे पाँँच घंंटे कठिन परिश्रम के साथ पढ़ाई करने चाहिए।



छात्रों को सभी विषयों पर ध्यान देना आवश्यक है, अगर किसी एक विषय में अधिक अंक और किसी में कम अंक तो ठीक नहीं है। इसलिए सामान्य रुप से सभी विषयों पर ध्यान देना चाहिए। ताकि सभी विषयों में अच्छे अंक ला सके।


परीक्षा में कैसे अच्छे अंक प्राप्त करें। How to get good marks in the exam.



1) आत्म विश्वास-: परीक्षा के दौरान विद्यार्थी को खुद पर यकीन करना चाहिए और बिल्कुल आत्मविश्वास के साथ परीक्षा केंद्र पर जाना चाहिए। अपनी क्षमता पर विश्वास कर के परीक्षा दे।


2) कठिन परिश्रम करे-: विद्यार्थी को हमेशा मन,लगन,उत्साह एवं कठिन परिश्रम के साथ पढ़ाई करना चाहिए। कठिन परिश्रम करने से परीक्षा में अच्छे अंक या परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते है।


3) पहले से याद किया गया, उसको दुहरा ले-: पहले से पढ़ा या याद किया हुआ, एक बार जरूर दोहरा लें। ताकि परीक्षा में अधिक अंक लाने की संभावना रहता है।


4) प्रतिदिन सुबह योग एवं meditation करने चाहिए-: विद्यार्थी जीवन हो या गृहस्थ जीवन योग और मेडिटेशन अवश्य करना चाहिए। जिसे स्मरण शक्ति एवं दिमाग तेज होता है। जिस करण हम परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को योग और मेडिटेशन प्रतिदिन करना चाहिए।


5)निरंतरता-: किसी भी छात्र को निरंतर अध्ययन करना अति आवश्यक है क्योंकि निरंतर अध्ययन करने से एकाग्रता एवं यादस्थ बनी रहती है। प्रतिदिन चैप्टरवाइज पढ़ाई होते रहता है। उससे याद करने या समझने में बहुत लाभ मिलता है। इसलिए छात्रों से अनुरोध है कि निरंतर अध्ययन करते रहें ताकि परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकें   



परीक्षा में जाने से पहले क्या करें-:

परीक्षा के समय बच्चे को सामान्य अवस्था में रहना चाहिए।

परीक्षा के एक दिन पहले किताब नहीं पढे़। Notes, सुत्र
आदि, हल्का फूल्का देख ले।

परीक्षार्थी को जहां शोरगुल या हल्ला हो वहां न जाय ।

अधिक बोल- बोल कर बातचीत न करे,कम बोले।

परीक्षा के समय से 30 मीनट पहले परीक्षाकेन्द्र पर पहुचें।

Answer sheet पर साफ सुथरा क्रमांक कोड़, क्रमांक, पंजीयन संख्या आदि लिखे।

Question को ध्यानपूर्वक एक या दो बार पढ़े और तब Answer दे।

सफलता आपके कदम चूमेगी 

A man prefect A more then practice






ख़तरनाक रेडिएशन से कैसे बचें। HOW TO AVOID DANGEROUS RADIATION.

ख़तरनाक रेडिएशन से कैसे बचें How to Avoid Dangerous Radiation.

आज के इस संसार में हर इंसान खतरनाक रेडिएशन के शिकार होते जा रहे हैं। लोगो के मानसिक तनाव, बहरापन एवं अन्य कई खतरनाक मस्तिष्क रोग भी उत्पन्न होता है। इस मानसिक तनाव एवं खतरनाक रेडिएशन का कारण मोबाइल फोन है।

आज के युग में युवा, वृद्ध तथा छोटे बच्चे भी मोबाइल फोन रखना एक अभिन्न अंग बन चुका है। लेकिन बहुत लोगों को यह पता नहीं है कि मोबाइल से खतरनाक रेडिएशन निकलता है।

रेडिएशन क्या है?

रेडिएशन एक प्रकार का किरण है, जो मोबाइल के द्वारा हम सभी के पास आसानी से पहुंच पाता है। हमारे मस्तिष्क एवं अन्य खतरनाक बीमारियों का कारण होता है।

तो आज हम लोग इस आर्टिकल में जानेंगे कि खतरनाक रेडिएशन से कैसे बचें? HOW TO AVOID DANGEROUS RADIATION.

▶️अधिकांश व्यक्ति रात्रि में सोते समय मोबाइल को अपने पास या सिर के तरफ रखते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। रात्रि में सोते समय मोबाइल को कम से कम 4 से 5 फीट की दूरी पर रखें। ताकि खतरनाक रेडिएशन से बचा जा सके।

▶️मोबाइल का टावर या सिगनल न मिलने पर बातें नहीं करना चाहिए। क्योंकि मोबाइल का सिगनल न मिलने के समय अधिक मात्रा में रेडिएशन उत्पन्न होता है।

▶️कम से कम मोबाइल का प्रयोग करना उचित होगा। आज कल के युवा अधिक से अधिक फेसबुक, व्हाट्सएप एवं अन्य सोशल मीडिया पर समय बिताते रहते हैं। इस कारण रेडिएशन के खतरा बना रहता है।

▶️सुबह में मोबाइल का प्रयोग न करें। जब हम लोग रात में सो कर सुबह उठते हैं तो हमें कम से कम दो-तीन घंटा मोबाइल से दूर रहना चाहिए।

▶️ 90% लोग मोबाइल में गेम खेलते हैं। वह जाने और अनजाने में रेडिएशन के शिकार हो रहे हैं। इसलिए मोबाइल में गेम नहीं खेलना चाहिए। मोबाइल में गेम खेलने से हानिकारक रेडिएशन निकलते रहता हैं। जिस कारण हमें कई रोगों का सामना करना पड़ता है।

निष्कर्ष-: आज की युवा पीढ़ी मोबाइल पर गेम खेलते, सोशल मीडिया एवं व्हाट्सएप पर घंटो समय बिताते रहते हैं। आज हर इंसान रेडिएशन से घिर चुके है। मोबाइल रेडिएशन चेक नंबर,मोबाइल रेडिएशन चिप,मोबाइल रेडिएशन क्या है,मोबाइल रेडिएशन के दुष्प्रभाव,मोबाइल रेडिएशन कितना होना चाहिए,एंटी रेडिएशन चिप क्या है,मोबाइल से होने वाली बीमारी,रेडिएशन के साइड इफ़ेक्ट आदि।

















शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)

शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)

आज इस आर्टिकल में शिक्षक के कर्तव्य (Teacher's duty) के बारे में हम लोग जानेंगे।

बात उन दिनों की है, जब मेरी बेटी नौवीं की छात्रा थी। पढ़ाई का दबाव उसे अंदर ही अंदर कमजोर कर रहा था जबकि वह पढ़ने में बहुत तेज है। परिणाम यह हुआ कि वह बीमार हो गई। आठवीं कक्षा में उसने 90.2 प्रतिशत अंक हासिल किए थे।
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)


आज के समय में पढ़ाई का दबाव बच्चों को मानसिक और शारीरिक तौर पर तेजी से बीमार बना रहा है और ज्यादातर अभिभावक इस बात से अनजान हैं। यह बात मुझे तब मालूम हुई, जब एक दिन स्कूल से वापस आने के बाद मेरी बेटी ने कमजोरी और थकान की बात की वह कितनी बीमार थी। इसका अनुमान मुझे तब लगा जब चिकित्सक ने उसका ब्लड प्रेशर लो होने की बात बताई।


मैंने उसे कई चिकित्सकों से जांच कराया पर कोई सुधार नहीं हुआ। इस बात को लेकर मैं हमेशा तनाव में रहा करता था। मुझे महसूस हुआ कि प्रतियोगिता की अंधी दौड़ में आज के बच्चे कितना अधिक सामाजिक और मानसिक दबाव का दंश झेल रहे हैं। पिता होने के नाते बेटी के कष्ट को किस तरह मैं सहन कर रहा था यह बता पाना मुश्किल है। मैं पेशे से स्कूल अध्यापक हूंँ।
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)


स्कूल से आने के बाद मेरा ज्यादातर समय बेटी को पढ़ाने में बीतता था। जिस चिकित्सक के बारे में बताते मैं उसके पास दौड़ा चला जाता। जब आप बहुत कष्ट में होते हैं तो ईश्वर ही कोई रास्ता बनाता है।


मेरे मन में विचार आया कि मैं तो शिक्षक हूं क्यों न कुछ ऐसा किया जाए कि मेरी बेटी के तरह किसी अन्य विद्यार्थी को यह परेशानी न झेलनी पड़े।


मैंने छात्रों के लिए मैथ एंड साइंस के अंतर्गत पाठ्यक्रम में शामिल पुस्तकों की विषयवस्तु को सहज भाषा में (हिंदी व अंग्रेजी) क्रमबद्ध तरीके से तैयार किया। अथक प्रयास के बाद लगभग आठ महीनों की मेहनत में मैं यह कार्य पूर्ण कर सका।
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)
शिक्षक का कर्तव्य (Teacher's duty)

विषय वस्तु को सरल,रोचक,बोधगम्य बनाने और छात्रों को स्वयं मूल्यांकन करने के लिए 150 प्रश्नों की एक क्वेश्चन बैंक तैयार की।


मेरे द्वारा विद्यार्थियों के लिए किये गये, इस काम से मुझे खूब सराहना मिली। यह बात अलग है कि बाजार में हर विषय की ढेरों किताबें, गाइड, क्वेश्चन बैंक आदि उपलब्ध है, लेकिन इसके लिए बच्चों को काफी कीमत भी चुकानी पड़ती है और इतनी अधिक पठन सामग्री होती है कि बच्चे असमंजस की स्थिति में रहते हैं।


जब वही पाठ्यक्रम सहज और रोचक ढंग से संक्षिप्त भाषा में समझाया जाता है तो बच्चों को संबंधित विषय से डर नहीं लगता है।

यह सब करने का मेरा उद्देश्य था कि बच्चे पढ़ाई को मनोरंजक अंदाज में समझें और उन्हें किसी तरह का मानसिक दबाव न झेलना पड़े, क्योंकि मैंने अपनी बेटी के परीक्षा के तनाव और उससे उत्पन्न कष्ट को देखा था।


वास्तव में यह काम मेरे लिए कड़ी चुनौती था, क्योंकि मेरी बेटी पढ़ाई के तनाव के चलते ही बीमार हुई थी, पर भगवान ने मेरा साथ दिया और मैं अपने मिशन में कामयाब रहा।


मैं संक्षेप में सिर्फ इतना ही कहूंगा कि शिक्षा जरूरी है लेकिन बच्चों पर इतना प्रेशर न बनाए कि वे मानसिक रूप से कमजोर हो जाए या किसी बीमारी का शिकार हो जाए। मेरे इस प्रयास में कई शिक्षकों ने अपने विषय को सहज ढंग से लिखने का वादा किया।


इस कहानी के माध्यम से मैं सभी शिक्षकों और अभिभावकों से कहना चाहता हूं कि जीवन में किया गया छोटा सा प्रयास सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काफी होता है।


"हम भले ही सूरज न बन सकें तो क्या हुआ, एक दीपक बन कर मार्ग दिखाने का माध्यम जरूर बन सकते हैं।" 


शिक्षक का दायित्व एवं कर्तव्य बहुत जिम्मेदारी वाला होता है। इसलिए उन्हें ऐसे काम करने चाहिए, जो विद्यार्थियों का भविष्य संवारने में सहायक हो।

दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र

   👇👇       दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र      👇👇                        वीडियो को देख लीजिए।             Link- https://youtu.be/gAz...

आवेदन पत्र कैसे लिखें