शिक्षक या अन्य कर्मचारी के सेवानिवृत्ति पर सम्मान पत्र कैसे लिखें How to write a Respect for the retirement of teachers or other employees.

शिक्षक या अन्य कर्मचारी के सेवानिवृत्ति पर सम्मान पत्र कैसे लिखें How to write a Respect for the retirement of teachers or other employees.

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शिक्षक या अन्य कर्मचारी के सेवानिवृत्ति पर सम्मान पत्र-:

!! परम श्रद्धेय !!
 श्री बबन राम
 प्रधान शिक्षक सह संरक्षक, संकुल संसाधन केंद्र, 
प्राथमिक विद्यालय पीताम्बरपुर
प्रखंड - डिहरी
 के पावन कर कमलों में सादर सप्रेम समर्पित -:
 सम्मान पत्र 
हमारे तन नीड़ के नेह रमण मंदिर के मणि दीप, शरदा के शारदीय स्पंदन के भास्वर प्रतीक एवं वसुमती की पलकों की पालकी में मुस्कान की मोती लुटाने वाले परम आदरणीय,

अश्रुपूरित नेत्रों से यह सम्मान पत्र आपके चरणों में अर्पित

हे प्रज्ञा के प्रखर महानुभाव!

आपके सेवानिवृति से हम भावुक हैं,भावनाओं की प्रबलता होने से वाणी मूक सी हो गई है और दुर्ग भीगकर सूज गए हैं, फिर भी वाणी हमें संबल प्रदान कर रही है।

"मद मुरीद संसार है, गुरु मुरीद कोई साध।
जो माने गुरु वचन को ताका मता अगाध।।"

हे श्वेतांगना सरस्वती के अनन्य उपासक! 

आप शैक्षणिक मधुवन के प्राणों के प्राण हैं। आपकी पारदर्शी मेधा का मणिदीप इस विद्यालय एवं संकुल संसाधन केंद्र के ज्ञान गगन का श्रृंगार हैं। आपके मानस मंदार से फूटने वाली प्रतिभा की निर्झरणी की रागिनी शरदा वीणा की मधुर झंकार हैं।

उम्र के जिस पड़ाव पर शिक्षित बेरोजगार निराशा के गर्त में हिचकोले खाने को मजबूर हो जाते हैं। उस समय में 36 वर्ष की आयु में आपने-अपने जुझारूपन एवं लगनशीलता का परिचय देकर बीपीएससी जैसी उच्च संस्था द्वारा आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा में परचम लहराते हुए। 22 सितंबर 1994 को प्राथमिक विद्यालय पीताम्बरपुर में शिक्षक पद को सुशोभित किया। कैमूर पहाड़ी के प्रांगण एवं महादेव तिलेश्वर नाथ जी की गोद में अवस्थित इस विद्यालय में पूरी तन्मयता से अपने कर्तव्यों का निर्वहन सेवानिवृति तिथि 30 नवंबर 2018 तक किया।

हे विनीत,विनम्र कुल क्षेष्ठ गुरू

आप हैं कला के कलाधर, विद्या के वारिद और रेणु की मणि माला में मेरू के मन का गूँथनेवाले कुशल कलावंत। आपकी समयनिष्ठता, कर्तव्यनिष्ठता, अनुशासन प्रियता एवं " सदा जीवन उच्च विचार" ने यहां के बच्चों रूपी शुष्क पौधों को भी सींच सींचकर उसे पुष्पित पल्लवित कर दिया। आप सदा निर्भीक निर्विवाद, निष्कलंक, निश्छल और निस्पृह रहे।

 "दीपक सा जलता है गुरु, फैलाने ज्ञान का प्रकाश !
 न भूख उसे किसी दौलत की,न लालच न आश !!"

हे स्नेह के सलिल के सरस सरसिज! 

आपने अपने कर्तव्यों का पालन सहृदय होकर सहज और शालीन बनकर किया और कभी भी अपने सहकर्मी से अपने को श्रेष्ठतर समझने की कोशिश नहीं की।

 " सरलतम बात सुननी हो, तो इनसे बात कर लेना,
 कोई सौगात चुननी हो, तो इनसे बात कर लेना,
 कि कैसे मुस्कुराकर जिंदगी में जितना चाहिए,
 खुशी हर बार चुननी हो, तो इनसे बात कर लेना।"

 हे अविस्मरणीय व्यक्तित्व के धनी

आपने न केवल विद्यालय अथवा संकुल को अग्रसर बनाने में बल्कि सामाजिक कार्यों में भी सदैव तत्परता दिखाई। हमें आपकी कमी सदा खलेगी

अंत में, आप अपनी धर्मपत्नी, पुत्रों, बहु - बेटियों एवं नात नातियों से भरे पूरे परिवार के साथ दीर्घायु हों,आप पूर्णतः स्वस्थ रहें, यशस्वी हो, ऐसी शुभेच्छाओं के साथ हम सब आपके जीवन की मंगल कामना करते हैं।

स्थान :- पीताम्बरपुर
तिथि :-

विद्यालय परिवार
प्राथमिक विद्यालय पीताम्बरपुर एवं संकुल संसाधन केंद्र, पीताम्बरपुर प्रखंड़-: डिहरी

शिक्षक या अन्य कर्मचारी के सेवानिवृत्ति पर सम्मान पत्र कैसे लिखें How to write a Respect for the retirement of teachers or other employees.

आवेदन पत्र कैसे लिखें(How to write application form.)

आवेदन पत्र कैसे लिखें(How to write application form.)

आज मैं आप लोगों को आवेदन पत्र कैसे लिखते हैं। उनके बारे में बता रहा हूं। जिन को आवेदन पत्र लिखने नहीं आता है। उनके लिए तो यह आर्टिकल काफी मददगार साबित होगा।लेकिन जिन को आवेदन पत्र लिखने आता होगा। उन लोगों को भी जरूर कुछ न कुछ सीखने को मिल सकता है।

विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय में प्रधानाध्यापक के पास आवेदन पत्र कैसे लिखें।

प्रधानाध्यापक के पास छुट्टी के लिए एक आवेदन पत्र लिखिए।

सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक, महोदय
हाई स्कूल, पटना
विषय-: छुट्टी लेने के संबंध में।ेे
महाशय,
          सविनय निवेदन यह है कि मेरे बड़ी दीदी की शादी होने वाली है। जिस कारण मैं दिनांक 02-03 -19 से 05-03- 19 तक विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता हूंँ।
           अतः श्रीमान् से नम्र निवेदन है कि मुझे दीदी की शादी में शामिल होने हेतु चार दिनों की छुट्टी देने का कृपा प्रदान करें। इसके लिए मैं आपका सदा आभारी रहूंँगा।
                              आपका आज्ञाकारी छात्र
                              नाम -: विवेक कुमार
                              रोल नंबर -: 03
                              कक्षा -:7
                              दिनांक-:01-03-19

प्रधानाध्यापक के पास, बैंक जाने के लिए एक आवेदन पत्र लिखिए।

सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक,महोदय
मध्य विद्यालय पटना
विषय-:  खाता रिओपन कराने हेतु, बैंक जाने के संबंध में।
महाशय,
          सविनय निवेदन यह है कि मेरा खाता बंद हो गया है। मैं उस खाता को फिर से रिओपन करना चाहता हूंँ। जिस कारण में 11:30 बजे से विद्यालय के पठन पाठन कार्य नहीं कर सकता हूं।
           अतः श्रीमान से नम्र निवेदन यह है कि मुझे बैंक जाने की अनुमति प्रदान करने की कृपा करें। ताकि विद्यालय से जो भी प्रोत्साहन राशि मिले। वह राशि मेरे खाता में जमा हो सके।
                                           आपका आज्ञाकारी छात्र                                                 नाम-: कौशल कुमार
                                           रोल नंबर-: 8
                                           वर्ग-: 8
                                           दिनांक-:02-03-19

प्रधानाध्यापक के पास एक आवेदन पत्र लिखिए। जिसमें महाविद्यालय परित्याग पत्र की मांग हो

सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक, महोदय
जैन कॉलेज, आरा
विषय-: महाविद्यालय परित्याग पत्र लेने हेतु।
महाशय,
           सविनय निवेदन यह है कि मैं आकाश कुमार कक्षा -: I.A, रोल नंबर-: 12, सत्र-: 2017-18 के छात्र हूँ। मैं अपना नामांकन पटना विश्वविद्यालय में करना चाहता हूँँ। जिस कारण मैं अपना महाविद्यालय परित्याग पत्र लेना चाहता हूँँ। ताकि आगे की पढ़ाई पूरा कर सकूं।
           अतः श्रीमान से निवेदन यह है कि मुझे महाविद्यालय परित्याग पत्र निर्गत करने का कृपा करें।
                                    आपका विश्वासी छात्र
                                     नाम -:आकाश कुमार
                                     रोल नंबर -:12
                                     कक्षा -:12
                                     सत्र-:2017-2018
                                     दिनांक: 01- 03-19

प्रधानाध्यापक के पास एक आवेदन पत्र लिखिए। जिसमें स्कूल फीस माफ करने की मांग की गई हो।

सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक, महोदय
पटना यूनिवर्सिटी, पटना
विषय-:  फीस माफ करने हेतु।
महाशय,
          उपर्युक्त विषय के संदर्भ में कहना है कि मेरे पिता का एक छोटी दुकान है। उनका आय अधिक नहीं है। और परिवार के सात व्यक्तियों का बोझ उठाते हैं। मैं आपके विश्वविद्यालय के फीस देने में असमर्थ हूँ। जिस कारण मैं आगे की पढ़ाई जारी रखने में भी असमर्थ हूँ।
          अतः श्रीमान् से नम्र निवेदन यह है कि मेरा फीस माफ करने की कृपा की जाय। ताकि मैं अपना आगे की पढ़ाई जारी रख सकूँ। इसके लिए मैं आपका सदा आभारी रहूँँगा।
                                      आपका आज्ञाकारी छात्र
                                      नाम-:विकास कुमार
                                      क्रमांक-:15
                                      कक्षा-:B.A part -1
                                      दिनांक-:02-03-19

प्रधानाध्यापक के पास एक आवेदन पत्र लिखिए।जिसमें विषय बदलने की अनुमति ली गई हो।

सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक, महोदय
जैन कॉलेज, आरा
विषय-: सहायक विषय बदलने की अनुमति हेतु।
महाशय,
           उपर्युक्त विषय के संदर्भ में कहना है कि मैं विकास कुमार, कक्षा-: B.A पार्ट-1 विषय-: इतिहास (प्रतिष्ठा) में पढ़ता हूँँ। जिसमें सहायक विषय राजनीति शास्त्र के जगह पर मनोविज्ञान विषय लेना चाहता हूँँ।
           अतः श्रीमान् से नम्र निवेदन यह है कि मैं अच्छे से उस विषय का पढ़ाई कर सकूँँ। इसके लिए मेरे सहायक विषय को बदलने की अनुमति प्रदान की जाय।
                         विश्वासभाजन
                         नाम-: विकास कुमार
                         क्रमांक -: 22
                         कक्षा -: बी ए पार्ट वन
                         सत्र-: 2017 -18

प्रधानाध्यापक के पास एक आवेदन पत्र लिखिए। जिसमें हिंदी के अध्यापक पद के बारे में नौकरी के लिए गए हो।

सेवा में,
श्रीमान प्रधानाध्यापक, महोदय
डीएवी पब्लिक स्कूल धनुपरा, आरा
विषय-: हिंदी के अध्यापक पद हेतु।
महाशय,
           उपर्युक्त विषय के संदर्भ में कहना है कि आपके विद्यालय के तरफ से दैनिक जागरण समाचार पत्र में प्रकाशित हिंदी पद के लिए अध्यापक की आवश्यकता है।
           मैं राज कुमार M.A, B.Ed हिंदी का छात्र हूँँ। मैं हिंदी अध्यापक पद के लिए सारे योग्यता रखता हूँँ।
         अतः श्रीमान् से नम्र आग्रह यह है कि मुझे हिंदी अध्यापक का पद देने की अनुमति प्रदान की जाए। ताकि मैं  सबसे अच्छा एवं बेहतर शिक्षा छात्र/छात्रा को दे सकूँँ।

संलग्नक
biodata
मैट्रिक अंक प्रमाण पत्र
मैट्रिक मूल प्रमाण पत्र
इंटर मूल प्रमाण पत्र
इंटर अंक प्रमाण पत्र
बी ए अंक प्रमाण पत्र
B.A मूल प्रमाण पत्र
B.Edअंक प्रमाण पत्र
B.Ed मूल प्रमाण पत्र
M.A अंक प्रमाण पत्र
एम ए मूल प्रमाण पत्र
                                                       विश्वासभजन
                                                   नाम-: राज कुमार
                                                 M.A,B.Ed (हिन्दी)

भारतीय स्टेट बैंक के बैंक मैनेजर के पास एक आवेदन पत्र लिखें। जिसमे पासबुक भूल जाने का जिक्र हो।

सेवा में,
शाखा प्रबंधक, महोदय
एसबीआई, पटना
विषय-: पासबुक भूल जाने के संबंध में।
महाशय,
         उपरोक्त विषय के संदर्भ में कहना है कि मैं जितेंद्र कुमार, मैं आपके बैंक का खाताधारी हूँँ। मेरा खाता संख्या-: 23×5 ×××× है। जो कि भूल गया है।
          अतः श्रीमान् से नम्र निवेदन यह है कि मेरा नया पासबुक निर्गत करने का कृपा प्रदान की जाए। जिसे कि मैं आगे भी सेवा में बना रहा हूँँ।
                                     विश्वासभाजन
                                     नाम-: जितेंद्र कुमार
                                     खाता संख्या-: ×××××××××××
                                     पता -:×××
                                     दिनांक-: 05-03-19

प्रधानाध्यापक के पास एक आवेदन पत्र लिखिए। जिसमें आकस्मिक अवकाश एवं रविवारीय छुट्टी का उपभोग किया गया हो यह अध्यापक गण के लिए है।

सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापक, महोदय
मध्य विद्यालय फुलवारी, पटना
विषय-: आकस्मिक अवकाश के संबंध में।
महाशय,
             उपरोक्त विषय के संदर्भ में कहना है कि मेरे घर पर एक अति आवश्यक कार्य है। जिस कारण मैं दिनांक 05-03-19 से 10-3-19 तक विद्यालय कार्य करने में असमर्थ हूँँ।
             अतः श्रीमान से नम्र निवेदन यह है कि यह है कि मुझे उक्त दिनों की आकस्मिक अवकाश एवं रविवारीय  अवकाश का उपभोग करते हुए।स्वीकृत करने का कृपा प्रदान करें।
                                                      विश्वासभाजन                                                               अजय कुमार
                                                       प्रखंड़ शिक्षक
                                                       मध्य विद्यालय                                                               फुलवारी,पटना
                                                      दिनांक-:02-03-19

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day)

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day)

विश्व में प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) मनाया जाता है। हमारे भारतीय समाज में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के अवसर पर महिलाओं के उनके कार्यों के लिए सम्मान एवं आदर किया जाता है।


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के अवसर पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। जिससे महिलाओं के प्रति लोगों का आदर,प्रेम, प्रशंसा एवं सम्मान करते रहे। वैसे हमारे भारतीय समाज में महिलाओं को आज भी उनका स्थान देवी माँँ या पूजनीय है। वह हर ऐसा काम करती हैं जिस पर पहले पुरुषों का अधिकार होता था। लेकिन वह काम आज महिलाएं कर रही हैं।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के अवसर पर कई महिलाओं को उनके विशेष कार्यो के लिए पुरस्कृत या सम्मानित किया जाता है।

आज से डेढ़ सौ से 200 वर्ष पहले महिलाओं को किसी भी तरह की नौकरी या कार्य नहीं करने दिया जाता था। कुछ महिलाएं मजदूरी कर अपना भरण-पोषण करती थी। वहीं महिलाओं ने धीरे-धीरे एकजुट होना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे महिलाएं अपनी ताकत को दिखाना शुरू कर दिया।

इसके बाद महिलाएं अपने मताधिकार, राजनीति,आर्थिक एवं अन्य बहुत सारे मामलों में अपना परचम लहराया। फिर क्या पूरुषो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना शुरु कर दिया।

आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day)भले ही मना लेते हैं। लेकिन आज भी महिलाओं की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। क्योंकि आज भी महिलाएं अपने को सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना आज भी करना पड़ता है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाना तो शुरू कर दिया लेकिन आज भी समाज में महिलाओं को पूरी तरह से आजादी नहीं मिल पाई।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, महिला आयोग,मातृ दिवस एवं अन्य कई सम्मान महिलाओं को प्रेरित करने के लिए ये सभी योजनाएं लागू की जाती है। विश्व में महिलाओं के प्रति सोच अच्छा हो सके। महिलाएं आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़े, सदैव ही पुरुषों के साथ या उनसे भी आगे तत्परता से निरंतर बढ़ते रहें।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सभी महिलाएं अपने सम्मान में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें। ताकि महिलाओं की ताकत का अंदाजा लग सके। सभी महिलाएं इससे प्रेरित भी होती हैं।

परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं(How to get diagnosed with fear of exam.)

परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं (How to get diagnosed with fear of exam.)


परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं (How to get diagnosed with fear of exam.) इसके लिए कुछ बिन्दुओं पर विचार करना अति आवश्यक है।

परीक्षा का अर्थ "दूसरों की इच्छा " उसे कहते हैं, परीक्षा । अर्थात् जब कोई व्यक्ति या संस्था परीक्षा लेता है, तब एक दूसरे व्यक्ति के द्वारा प्रश्न पत्र तैयार होता है। अधिकांश बच्चे, बड़े या अच्छे जानकार व्यक्ति परीक्षा के नाम से भागते या डरते हैं। 

परीक्षा के समय बच्चों में तनाव अधिक हो जाता है। बच्चें एक वर्ष कठिन परिश्रम करते हैं। और मात्र दो घंटे के परीक्षा में उसका मूल्यांकन किया जाता है। कुछ बच्चे को मूल्यांकन का भय अधिक होता है। वे दिन-रात परिश्रम करते हैं। कुछ बच्चे अधिक तनाव महसूस करते हैं। परीक्षा के समय में तनाव में नहीं रहना चाहिए। तनाव के कारण मस्तिष्क से स्मरण शक्ति कम होने लगता है। आप जो भी पढ़ते हैं, वे भूल जाएंगे।

 "परीक्षा से तुम डरो ना भाई ,अपने पढ़ाई में ध्यान लगाई।" 

एक कहावत है जो डर गया सो मर गया। यानी परीक्षा का भय नहीं होना चाहिए। कुछ बच्चों के माता-पिता का दबाव अधिक रहता है। जिस कारण सेे बच्चों में तनाव उत्पन हो जाते हैं।

    परीक्षा संबंधी डर को निम्न तरीकों से जानेंगे।

➡️आत्म - विश्वास की कमी -: कुछ  बच्चेे पढ़ाई में मेहनत बहुत करते हैं। रात दिन मेहनत करने के बाद भी अपने पर विश्वास नहीं करते है। बच्चे मेें परीक्षा का भय रहता है।

➡️नकारात्मक सोच -: कुछ बच्चे परिश्रम करते हैं। पढ़ाई में भी बहुत अच्छे होते हैं, परन्तु उनका सोच नकारात्मक होता है। वैसे बच्चे को परीक्षा में भय बना रहता है। वह यह सोचता है कि इस क्वेश्चन को याद करने से फायदा होगा या नहीं। इसी सोच के कारण बच्चे आगे नहीं बढ़ पाते है।

➡️लक्ष्य बनाकर पढ़ना -: कुुुछ बच्चें लक्ष्य बनाकर पढ़ते हैं। रात दिन परिश्रम करके पढ़ाई करते हैं कि परीक्षा में अच्छे अंक लाए। यानी हंड्रेड परसेंट। उनका परीक्षा भी बहुत अच्छा जाता है। अगर एक क्वेश्चन का आंसर नहीं दें पाय, तो परीक्षा में कम अंक का डर बना रहता है।

➡️सिलेबस पूरा न होना -:  कुछ बच्चे मौज मस्ती में अपना समय बर्बाद कर देते हैं। परीक्षा के समय तनाव में हो जाते हैं। उनका तनाव धीरे - धीरे बढ़ता जाता है। एक वर्ष का कोर्स  कुछ दिनों में खत्म करने के चक्कर में रहते हैं। जिससे मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है।

➡️वर्ग कक्ष में छात्रों द्वारा लापरवाही-: जब वर्ग कक्ष में शिक्षक द्वारा अधिगम कराया जाता है, तो कुछ बच्चे बातें ध्यान से नहीं सुनते हैं। न गृह कार्य और न याद करते है। जिस कारण परीक्षा में डर बना रहता है।

 ➡️विषयबार डर-: कुछ बच्चे को कुछ विषयो में रुचि रहता है। जिस विषय में रुचि रहता है। उस विषय को अधिक पढ़ते हैं। जिस कारण अन्य विषय छुट जाते हैं। परीक्षा के समय अधिक भय बना रहता है।

➡️परीक्षा कक्ष में जाने से पहले भूल जाना-: बच्चे परीक्षा केंद्र पर उत्साह के साथ जाते हैं। वहां जाने के बाद लगता है कि सारी पढ़ाई भूल गए हैं। उस समय बच्चे तनाव में हो जाते हैं। तनाव के कारण परीक्षा अच्छा नहीं जाएगा।

➡️परीक्षा संबंधित अन्य भय-:
▶️ याद कर के जाने के बाद वह प्रश्न ना आना।
▶️ प्रश्नों का उत्तर गलत हो जाना
▶️ परीक्षा केंद्र पर जाने के क्रम में आंखों में धूल पड़ना बस,  ट्रेन छूट जाना या लेट हो जाना। इस से भी परीक्षा का भय बना रहता है।

परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं (How to get diagnosed with fear of exam.) उनके कुछ महत्वपूर्ण तरीके।

  आत्मविश्वास।

  सकरात्मक सोच।

  लक्ष्य बनाकर पढ़ना।

  सिलेबस पूरा करना।

  वर्ग कक्ष में ध्यान देना।

  सभी विषयों को बराबर ध्यान देना।


परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं (How to get diagnosed with fear of exam.)


निष्कर्ष-: परीक्षा के नियत समय से पहले से ही बच्चे तैयारी करते हैं। प्रतिदिन अभ्यास करके परीक्षा की तैयारी करते हैं। परीक्षा के दिनों में सभी बच्चों को तनाव हो जाते हैं। परीक्षा का भय से तनाव बना रहता है। कुछ बच्चे जीवन के प्रति तत्परता दिखाते हैं। इस कारण परीक्षा में सफल हो जाते हैं।बच्चे को परीक्षा देने से जीवन में कठिनाइयों का सामना करना आसान हो जाता है।


परीक्षा का भय से कैसे निदान पाएं (How to get diagnosed with fear of exam.)

Web Hindi Duniya: आदर्श अध्यापक के कर्तव्य (Duties of the ideal teac...

Web Hindi Duniya: आदर्श अध्यापक के कर्तव्य (Duties of the ideal teac...: आदर्श अध्यापक के कर्तव्य (Duties of the ideal teacher) समाज निर्माण में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होते हैं ।क्योंकि विद्यालय समाज के ...

आदर्श अध्यापक के कर्तव्य (Duties of the ideal teacher)

आदर्श अध्यापक के कर्तव्य (Duties of the ideal teacher)

समाज निर्माण में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होते हैं ।क्योंकि विद्यालय समाज के प्रांगण में आते हैं, बच्चे उसी समाज के हिस्से होते हैं। प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक जैसा कार्य करते हैं, यानी आदर्श अध्यापक के कर्तव्य(Duties of the ideal teacher)को देखकर बच्चे सीखते हैं। अध्यापक बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ-साथ ,एक अच्छे नागरिक बनने के लिए प्रेरित करते हैं।

               आदर्श शिक्षक समय का सही सदुपयोग करते हैं। बच्चों के समय की महत्व के बारे में बताते हैं। समय के अनुसार सुनियोजित, योजनाबद्ध तरीके से विषय का पूर्ण ज्ञान कराते हैं। जिससे बच्चों को अच्छी तरह  से अधिगम करा सकें।
               आदर्श अध्यापक के कर्तव्य (Duties of the ideal teacher) है कि उनके व्यवहार में नम्रता एवं विनम्रता का भाव हो, उनमें सहजता गंभीरता एवं विद्वता झलकता हो ,उनकी वाणी ऐसी हो कि बच्चे के मन को जीत ले ।
               वैसे तो शिक्षक का पद अत्यंत गरिमा पूर्ण होता है, क्योकिं "जिस प्रकार खेती के लिए बीज, खाद एवं उपकरण के रहते हुए, अगर किसान नहीं हैं, तो सब बेकार है।उसी प्रकार विद्यालय के भवन, शिक्षण सामग्री एवं छात्रों के होते हुए, शिक्षक नहीं हैं तो सब बेकार है।" शिक्षक शब्द तीन अक्षरों के मेल सेे बना है लेकिन शिक्षक का अर्थ व्यापक है।

                        शि-सीखाने वाले।
                        क्ष-क्षमा करने वाले।
                        क- कामयाबी पर पहुंचाने ।

अर्थात् सीखाने वाले, क्षमा करने एवं कामयाबी प्रदान कराने वाले शिक्षक आत्मज्ञानी एवं महान होते हैं।

            आदर्श अध्यापक (The ideal teacher) के निम्न गुण होते हैं-:

1) समय का पालन करना।

2) नम्र भाषा का प्रयोग करना।

3) सहयोग की भावना।

4) जाति एवं धर्म की बातें ना करना।

5) विषय का पूर्ण ज्ञान।

6) इमानदारी पूर्वक कक्षा कक्ष का संचालन।

7) सृजनात्मक होना।

8) क्रियात्मक एवं रचनात्मक होना।

1)समय का पालन करना-: वो हर कामयाब इंसान जो आज सफलता  के उस मंजिल को प्राप्त किये हैं। वे समय का पालन करके ही उस मंजिल को प्राप्त किये है। जो इंसान समय का कद्र किया,समय भी उसका कद्र किया है, इसलिए समय का पालन बच्चों को सीखाना बहुत जरूरी है। ऐसे अध्यापक समय का ध्यान रखें तो बच्चे उनके अनुकरण से ही सीखते हैं।

2) नम्र भाषा का प्रयोग करना-: अध्यापक को कक्षा कक्ष में या कहीं भी नम्र भाषा का प्रयोग करना चाहिए। ऐसे भी नम्र भाषा का प्रयोग कर के कठिन से कठिन कार्य आसानी से करवाया जाता है। छात्र/ छात्रा को भी नम्र भाषा का ज्ञान कराना चाहिए।

3) सहयोग की भावना-: अगर विद्यालय को सुचारू रुप से चलाना चाहते हैं, तो सहयोग की भावना शिक्षको में होनी चाहिए। जिसे देख कर बच्चे भी आपस में  सहयोग करने की भावना सीखेगें।

4) जाति एवं धर्म की बातें ना करना-: किसी भी अध्यापक का कोई जाति नहीं होता है। उसका एक ही जात है वह शिक्षक। एसे पूरी  ईमानदारी एवं निष्ठा पूर्वक विषय के ज्ञान कराते हुए ,पढ़ाना चाहिए और कक्षा कक्ष में या कहीं भी जाति या धर्म संबंधित बातें नहीं करना चाहिए। यह शिक्षक को शोभा नहीं देता।

5) विषय का पूर्ण ज्ञान-: जो विषय पढ़ाना है, उस विषय के अध्याय को पहले से पढ़कर विद्यालय जाएं, ताकि बच्चे को उस 40 से 45 मिनट के समय अंतराल में आप अच्छे तरीके से बिना इधर-उधर बातें करते हुए प्रभावी ढंग से बच्चे को अधिगम करा सके।

6) इमानदारी पूर्वक कक्षा कक्ष का संचालन-: कक्षा का संचालन पूरे आत्मविश्वास के साथ करना चाहिए । ताकि बच्चे ध्यान पूर्वक सुने एवं पूरी निष्ठा के साथ पढ़े।

7) सृजनात्मक होना-: अगर अध्यापक सृजनशील हैं , तो बच्चे भी सृजनशील होंगे। क्योंकि अध्यापक बच्चों को सृजनशीलता के बारे में बताते रहते हैं। इससे बच्चे सृजनशील रहते हैं। बच्चों में धीरे धीरे सृजनशीलता आने लगती है।

8) क्रियात्मक एवं रचनात्मक होना-: अध्यापक कक्षा में बच्चों को क्रियात्मक एवं रचनात्मक विधि से सिखाते हैं तो सीखा गया ज्ञान हमेशा मददगार होता है। बच्चों में जरूरी है कि वह खुद से प्रयोग करके ज्ञान अर्जित करे।

निष्कर्ष-: आदर्श अध्यापक के कर्तव्य(Duties of the ideal teacher) बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। वह आत्मविश्वासी ,सृजनशील कर्मो पर विश्वास, नम्र , सरल एवं सीधा स्वभाव के होते हैं । वह सहजतापूर्ण अपने विषयों के ज्ञान छात्र-छात्रों तक आसानी से पहुंचते हैं।विद्यालय के छात्र छात्राओं के साथ खेल-खेल में अधिगम कराते हैं । वह समय पर विद्यालय आते हैं, समय पर सब काम करते हैं। वह समय के महत्व के बारे में विद्यालय के बच्चों को बताते हैं, वह कहते हैं कि एक - एक मिनट कीमती है , जितना हो सके उतना ज्ञान अर्जित कर लो।(Time is money) समय ही धन है।
                                 बच्चों के संग चेतना सत्र में भाग लेते हैं। वह अपना काम शीघ्र खत्म कर के किसी और के भी कामों में हाथ बटा देते हैं । वे हमेशा आगे की सोच रखते हैं।वह आज का काम कल पर नहीं छोड़ते हैं। वह हमेशा अपने कामों का एक सूची बनाकर रखते हैं। जो काम कर लिए ,उस सूची  में सही का निशान लगा लेते हैं। उनके व्यवहार इतने अच्छे हैं कि वह किसी भी संस्था में आसानी से अपने जगह बना लेते हैं। उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान झलकता है  वह व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति होते हैं। वे हमेशा नम्र भाषा का प्रयोग करते हैं। वह हमेशा फॉर्मल कपड़े पहनते हैं उनका पहनावा एक सीधा सदा होता है। उनसे बच्चे हमेशा खुश रहते हैं, क्योंकि विषय के ज्ञान कक्षा को देखते हुए पढ़ाते हैं।

प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे करें(how to improve quality of education in primary schools)

प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे करें(how to improve quality of education in primary schools)

प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार (Improve quality of education in primary schools) के लिए जरूरी है।

शिक्षक समाज के निर्माता होते हैं। समाज में विद्यालय आते हैं। विद्यालय के मुखिया शिक्षक होते हैं। वे भले ही आज पढ़ाते हैं, परंतु उनका सोच यह होता है कि आने वाले दिनों में उन बच्चों का भविष्य बेहतर हो, ऐसे भी शिक्षक समाज से जुड़े रहते हैं। इससे प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति और भी महत्वपूर्ण होते हैं। समाज में शिक्षकों का स्थान युगों युगों से सर्वोपरि होता है। कबीरदास जी कहते हैं -:

" गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पायं। 
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।।"
             
जिस तरह हमारे जीवन के लिए ऑक्सीजन जरूरी होते हैं, उसी तरह हमारे जीवन सुधारने के लिए विद्यालय के शिक्षक होते हैं।


प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार (Improve quality of education in primary schools) अति महत्वपूर्ण है। क्योकि शिक्षक उन बच्चों को अनुशासित एवंं अज्ञानता से ज्ञानता की ओर उन्मुख कराते हैं। विद्यालयी शिक्षा जीवन में हमेशा मददगार होता है। बच्चे बड़े होकर अपने जीवन को बेहतर ढंग से प्रारंभ कर सकते हैं।
             
विद्यालय को विद्या के मंदिर और उस मंदिर का पुजारी शिक्षक और बच्चे होते हैं। जिसमें बच्चों को ज्ञान का बोध कराते हैं। हालांकि स्थितियां बदल चुकी है। कुछ जगहों पर अभी भी शिक्षक की स्थिति ठीक है। लेकिन कुछ जगहों पर स्थितियां बिल्कुल बदल गई हैं। जिस प्रकार Facebook के प्रोफाइल पिक्चर बदलते हैं, उसी प्रकार शिक्षक की स्थिति दिन-प्रतिदिन बदलती चली जा रही है।

प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार (Improve quality of education in primary schools)        

शिक्षक समाज पर यह आरोप लगाया जाता है कि शिक्षक छात्रों को नहीं पढ़ाते है। लेकिन कभी कोई यह नहीं कहता है कि सरकार शिक्षक को पढ़ाने नहीं देना चाहती हैं। इसमें सारे दोष सरकार का ही है, सरकार का कोई भी कार्यक्रम प्राथमिक विद्यालय से जोड़ दिया जाता है। इसमें शिक्षक शिक्षा से बिल्कुल अलग हो जाते हैं। बच्चों को भी उस कार्यक्रम के तहत विद्यालय तो आते हैं, लेकिन शिक्षक से जुड़ नहीं पाते हैं।
         

प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे करें(how to improve quality of education in primary schools)


प्राथमिक विद्यालय की स्थिति सरकार के द्वारा विद्यालय में छात्रवृत्ति एवं पोशाक राशि कार्यक्रम चलाये जाते हैं। वह गरीब बच्चों के लिए बहुत ही जरूरी है। इसमें बच्चे के कुल उपस्थिति के 75 % वाले छात्रो को छात्रवृत्ति एवं पोशाक  राशि दी जाती है। विद्यालय में सभी जातियों के बच्चे पढ़ते हैं। सरकार की तरफ से फरमान SC,ST, BC,EBC,Gen.के सभी कोटि के बच्चे को अलग -अलग  छात्र का नाम ,पिता का नाम, माता का नाम, वर्ग, वर्ग क्रमांंक,जाति ,आधार संख्या, खाता संंख्या , बैंक का नाम , Ifec code, मोबाइल नंबर एक format में अलग-अलग करके एक या 2 दिनों के अंदर दिया जाए। अब शिक्षक पढ़ाए कि छात्रों के Bio-data लिखें।

प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे करें(how to improve quality of education in primary schools) निम्न तरीके हैं-:


शिक्षक की नियुक्तियाँँ -: प्रत्येक विद्यालय में विषयवार शिक्षक की नियुक्तियाँ हो। जिसे प्राथमिक विद्यालय के बच्चे हर विषय पढ़ सकें। इसके बाद प्रत्येक विद्यालय में क्लर्क एवं चपरासी की नियुक्ति हो। जिससे शिक्षक विद्यालय में पठन पाठन का कार्य कर सकें।


शिक्षक को ससमय वेतन-: प्रत्येक शिक्षक के साथ चार से पांच लोग जुड़े रहते हैं। वेतन के अभाव में, वे अपने परिवार एवं बच्चे को सही ढंग से नहीं रख पाते हैं। जिससे सारा ध्यान पैसे पर रहता है। घर के राशन नहीं है। दुकानदार से 6 महीने से उधारी ले कर अपना खर्च चलाते है। शिक्षक को प्रत्येक महीने समय से वेतन नहीं मिलने के कारण शिक्षक अच्छे ढ़ग से नहीं पढ़ा पाते। अगर प्रत्येक महीने शिक्षक को समय पर वेतन मिले तो शिक्षक का मन इधर-उधर नहीं भटकेगा। जिस कारण विद्यालय के बच्चों को पढ़ाने में भी मन लगा रहेगा।


शिक्षक को गैर शैक्षणिक कार्य से विमुक्त करें-: विद्यालय के शिक्षकों द्वारा छात्रों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं , तो गैर शैक्षणिक कार्य शिक्षक से न करायेे । शिक्षक को अन्य कार्य में लगा दिया जाता है जिससे कि विद्यालय के बच्चे को पढ़ा नहीं पाते । इसलिए गैर शैक्षणिक कार्य नहीं कराया जाए।


शिक्षकों का मानसिक एवं आर्थिक शोषण-:
सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा बिना सोचे समझे फरमान जारी कर देते हैं । जिसके कारण विद्यालय के बच्चों के पढ़ाई नहीं हो पाता।


निष्कर्ष-

प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कैसे करें(how to improve quality of education in primary schools) विद्यालयों की स्थितियाँ बिल्कुल ही बदल गया है। यह आरोप लगाया जाता है कि शिक्षक अपने कर्तव्य से हट गए हैं। गैर शैक्षणिक कार्यों के कारण शिक्षा को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। शिक्षकों को प्रतिदिन अनेकों प्रकार के कार्य दिए जाते हैं जिससे शिक्षक बच्चों को ठीक ढंग से शिक्षण नहीं करा पाते हैं।

दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र

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