दिमाग को कैसे तेजी से बढ़ाएं। How to speed up a child's brain?

दिमाग को कैसे तेजी से बढ़ाएं। How to speed up a child's brain?

दोस्तों, आज हम लोग बच्चों के दिमाग को कैसे तेजी से बढ़ाएं। How to speed up a child's brain?  विषय पर चर्चा करने वाले हैं। बच्चों के मस्तिष्क यानी दिमाग को लेकर बहुत से अभिभावक परेशान रहा करते हैं। कुछ माता-पिता अपने बच्चों के लिए दवाई भी खिलाया  करते हैं।

अगर आप भी अपने बच्चों के दिमाग को कैसे तेजी से बढ़ाएं। How to speed up a child's brain? से परेशान हैं। तो आप सही जगह पर आए हुए हैं।

सभी बच्चों के दिमाग एक खाली डिब्बे की तरह होता है। बच्चे जैसे जैसे शिशु से आगे की अवस्था में आता है। जब बच्चे 1 या 2 साल के हो जाते हैं तब उनसे ऐसे सवालों को पूछा करते हैं। जो कभी किसी ने बताया नहीं, और वह तुरंत ही बता देते हैं जैसे- बाबू गेंद लाओ,मम्मी किधर हैं। भैया किधर है। अपना कान बताओ, नाक बताओ आदि। इससे यह साबित होता है कि बच्चे अपने दिमाग का प्रयोग करते हैं। वो जैसे भी करते हों।

वैसे 2 से 5 वर्ष के बच्चें बहुत सारे  क्रिएटिविटी करने लगते हैं। धीरे-धीरे वे अपने दिमाग का प्रयोग करने लगते हैं। हम लोग अपने आसपास कई  बच्चों को क्रिएटिविटी करते देखा होगा।

ऐसे सभी बच्चों का दिमाग एक समान नहीं होते हैं। माता-पिता, या अभिभावक को किसी बच्चे की तुलना अपने बच्चों से नहीं करनी चाहिए।

वैसे तो बच्चों के दिमाग को कैसे तेजी से बढ़ाएं। How to speed up a child's brain? के निम्न तरीकों के साथ हम लोग आगे बढ़ते हैं।

दिमाग तेज करने के लिए बच्चों को क्या खिलाएं?

हरेदार सब्जियां-: माता पिता अपने बच्चे को छोटी उम्र से ही हरेदार सब्जियां अत्यंत लाभकारी होता है। पालक, लौकी , गाजर, मूली, present of mind को बेहतर करता है। 🥦🥕🥒

मछली-: मछली खाने से आंखों की रोशनी बढ़ने के साथ-साथ दिमाग में बहुत तेज होता है, इसलिए अपने बच्चे को सप्ताह में एक बार मछली जरूर खिलाएं।
🐬🐟🐠

अंकुरित अनाज-: अपने बच्चे को सुबह में मूंग, चना, सोयाबीन दाना आदि, फुलाकर उसे अंकुरित होने के बाद गुड़ के साथ सेवन करने से दिमाग तेज हो जाता है। उससे  मस्तिष्क के साथ साथ शरीर के भी वृद्धि हो जाता है।

सुखा मेवा (ड्राई फ्रूट्स)-: अखरोट की बनावट मस्तिष्क से मिलता-जुलता होता है। प्रत्येक दिन सुबह में अखरोट खाने के बाद एक गिलास गाय के दूध का सेवन करें। अखरोट खाने से दिमाग बहुत ही तेज होता है। जिससे प्रजेंट ऑफ माइंड बेहतर हो जाता है। इसके अलावा कागजी बादाम almonds किसमिस, छुहारा इत्यादि खाने से भी हमारे दिमाग तेज होते हैं।

योगाभ्यास-: अपने बच्चे को नियमित योगाभ्यास कराने चाहिए। इससे शरीर और मस्तिष्क दोनों ही स्वस्थ रहेंगे। तब बच्चे का दिमाग तेज एवं विकसित होगा। अपने बच्चे को मेडिटेशन जरूर कराएं।

खेल कूद-: आमतौर पर देखा गया है कि जो बच्चे खेलकूद हैं। उनका दिमाग काफी तेज एवं  सृजनात्मक होता है। जैसे-: कबड्डी, फुटबॉल, हॉकी आदि। कुछ खेल वैसे होते हैं जैसे पजल, शब्दों का खेल, स्पेलिंग टेस्ट, पहेली, मैथमेटिक्स आदि। इस टाइप के खेल से बच्चे का दिमाग काफी विकसित होता है।

टीसी लेने के लिए आवेदन पत्र (Application form for taking T.C)

टी सी लेने के लिए आवेदन पत्र (Application form for  taking T.C)

दोस्तों, 

आज हम लोग अपने प्रधानाध्यापक के पास कैसे आवेदन पत्र लिखें।आवेदन पत्र पर हम लोग चर्चा करेंगे। आवेदन पत्र कैसे लिखा जाता है।

 

सेवा में, 
         श्रीमान्   प्रधानाध्यापक, महोदय 
         मध्य विद्यालय टंडवा,  पटना
विषय-विद्यालय परित्याग पत्र/टीसी लेने के संबंध में।
महाशय,
         उपर्युक्त विषय के संदर्भ में कहना है कि मैं मनीष कुमार, पिता- जितेंद्र कुमार, कक्षा -8 रौल न - 45, सत्र - 2014 -2015 में, मैं विद्यालय का नियमित छात्र था।मुझे विद्यालय परित्याग पत्र की आवश्यकता है।
                                        अतः श्रीमान् से नम्र निवेदन है कि‌ मुझे विद्यालय परित्याग पत्र देने की कृपा की जाय।

                                            ‌विश्वासभाजन
                                      नाम- मनीष कुमार
                                                कक्षा-      8 
                                                          सत्र-2014-2015 
                                                दिनांक

इस प्रकार विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, में टीसी लेने के लिए आवेदन पत्र लिखा जाता है।







 

 

बच्चों के स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाए (How to increase children's memory)

दोस्तों आज हम इस आर्टिकल में बच्चों के स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाएं How to increase children's memory  पर हम लोग चर्चा करेंगे और इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दे रहे हैं।

 

बच्चों के स्मरण शक्ति बढ़ाए Increase children's memor

आजकल अधिकांशतः देखा जा रहा है कि बच्चों के स्मरण शक्ति (Memory of children) में कमी होते जा रहा है। बच्चों के साथ उनके माता-पिता भाई-बहन एवं अन्य सभी सदस्यों को यह समस्या है।

आमतौर पर देखा गया है कि पहले की अपेक्षा स्मरण शक्ति में बहुत कमी आई है। जिसका एक ही कारण है, टेक्नोलॉजी यानी मोबाइल। जब से मोबाइल आया तब से बहुतों का स्मरण शक्ति में कमी होने लगा।

तो आज हम लोग खेल-खेल में बच्चों के स्मरण शक्ति बढ़ाने के तरीकों के बारे में जानेंगे। एक बात ध्यान देने योग्य है कि कोई भी काम आत्मविश्वास के साथ करने पर वह काम अवश्य होता है।

स्मरण शक्ति बढ़ाने के निम्न तरीके ―: Following ways to increase memory 


➡️सुबह उठने के बाद एवं रात्रि में सोने से पहले सकारात्मक सोच के साथ ये वाक्य बोलें। 


मैं अपने स्मरण शक्ति पर विश्वास करता हूँ।                     
मेरा स्मरण शक्ति बहुत अच्छा है।


➡️अपने बच्चे को कागजी बदाम की दो कलियों को रात के समय पानी में फूलने के लिए डाल दें। सुबह के समय ब्रश करने के बाद एक पत्थर पर रगड़ कर प्रतिदिन दूध के साथ दे।


➡️20 से 25 ग्राम मूंग को रात में फूलने के लिए डाल दें। सुबह के समय ब्रश करने के बाद प्रतिदिन मूंग के साथ गुड़ का सेवन करें।


➡️सुबह ब्रश करने के बाद खाली पेट मात्र एक कच्चा आंवला प्रतिदिन खाने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होता है।

 
➡️अपने बच्चे को सुबह सुबह प्रतिदिन एक सेव(apple) खिलाने के 10 मिनट बाद एक कप दूध पिला दे। 

➡️प्रात: कालीन सूर्योदय से पहले हरे - हरे घासों पर खाली पैर (बिना चपल्ल) 10 से 20 मिनट तक टहलें।

➡️प्रातः कालीन सूर्योदय से पहले प्रतिदिन मात्र 10 मिनट हिंदी या इंग्लिश का सस्वर वाचन या मौन वाचन। उसमें 1 मिनट में अधिक से अधिक शब्द पढ़ने का प्रयास करें । जैसे 1 मिनट में 250 / 300 से ऊपर शब्द पढ़ने का प्रयास करे।

➡️प्रतिदिन सुबह में योग - अभ्यास और मेडिटेशन करें।

➡️बच्चों के स्मरण शक्ति बढ़ाने के सबसे अच्छा तरीका एक हल्का बैट और टेनिस गेंद लें। बैट को अपने हाथों से उठाकर अपने छाती के सामने रखें , उस पर गेंद को रख कर धीरे-धीरे गेंद को उछालें।गेंद को गिरने न दें। यह प्रक्रिया अपने समयानुसार  प्रतिदिन 10 से 15 मिनट तक करें।

➡️याद करने से पहले एक बार देख कर लिखिए, फिर उसके बाद याद कर के दो बार बिना देख कर लिखें।

➡️एक टेबल पर बहुत सारे वस्तु रखा हुआ है, तब मात्र 1 मिनट के लिए टेबल पर रखा सभी वस्तुओं को ध्यान से देख ले ।उसके बाद टेबल के सभी वस्तुओं को बिना देखे कॉपी पर लिखने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।

➡️आप सभी से नम्र निवेदन है कि उपरोक्त दी गई जानकारी जो आप पर लागू हो या जो संभव हो उसे करें। 




    व्यक्तित्व के निर्माण में विद्यालय का योगदान।School's contribution in building personality


    व्यक्तित्व के निर्माण में विद्यालय का योगदान।School's contribution in building personality.


    प्रत्येक व्यक्ति में अपनी एक अलग पहचान या गुण होता है। एक दूसरे व्यक्ति के वह गुण या पहचान, किसी दूसरे व्यक्ति में नहीं होता है। प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न होता है। हर इंसान का अपना अलग-अलग विशिष्ट पहचान होता है। इसी पहचान या गुण के कारण उस व्यक्ति का व्यक्तित्व होता है। हर इंसान अलग-अलग कद काठी रंग एक दूसरे से भिन्न होते है। इसके स्वभाव संस्कार आदि में भिन्नता होता है। 

    एक बालक के व्यक्तित्व के निर्माण में परिवार से कहीं अधिक समाज के वातावरण का प्रभाव पड़ता है। बच्चे के गुणों के निर्माण में परिवार की भूमिका अहम होता है। बच्चों के प्रथम पाठशाला परिवार होता है। उस परिवार के प्रथम शिक्षक मां होती हैं। मां ही बच्चों के व्यक्तित्व के को निखारती हैं। मां घर में ऐसा वातावरण का निर्माण करती है कि बच्चे के व्यक्तित्व सृजनात्मक एवं गुणात्मक होता है। उसी समय से बच्चों में अनेकों ऐसे गुणों का विकास होता है। अगर यही गुण रह जाए तो निश्चित ही बच्चे अपने जीवन में व्यक्तित्व के धनी, आत्मविश्वासी, दृढ़ पराक्रमी हो जायेंगें। लेकिन बच्चे बड़े होते ही समाज से बहुत कुछ सीखने लगते हैं।  

    बच्चों के व्यक्तित्व के निर्माण में विद्यालय के शिक्षा अति आवश्यक है। विद्यालय के वातावरण से बच्चों के व्यक्तित्व के निर्माण में अधिक प्रभावशाली होता है। यदि बच्चे को विद्यालय में अनुकूल वातावरण प्राप्त हो तो वे सही दिशा में कदम रख सकते हैं। या वह अपने को प्रगति के पथ पर अग्रसर होते जाते हैं। 

    व्यक्तित्व के निर्माण में विद्यालय का योगदान।School's contribution in building personality.


    व्यक्तित्व के निर्माण में विद्यालय का योगदान।School's contribution in building personality.





    यदि विद्यालय का अनुकूल वातावरण न रहा तो योग्य एवं होनहार बच्चे का व्यक्तित्व से वंचित हो जाते हैं। यदि बच्चे निम्न स्तर की योग्यता  रखने वाले बच्चों को अच्छे वातावरण के अनुसार योग बनाया जा सकता है। विद्यालय के वातावरण के अनुसार बच्चों को योग एवं गुणकारी बनाया जा सकता है। बच्चे की योग्यता एवं क्षमता कैसा भी हो, वह विद्यालय के अच्छे वातावरण जैसा ही होगा।

    विद्यालय के अच्छे वातावरण में बच्चों की अच्छी आदतों का विकास  भी होता है। जिससे विद्यालय बच्चों को प्रभावित भी करता है। उनके व्यक्तित्व के निर्माण में परिवर्तन लाता है। विद्यालय के वातावरण से बच्चों में नैतिक विकास, शारीरिक विकास, मानसिक विकास, सामाजिक विकास के स्तर को ऊंचा उठाता है, ताकि वे परिवार समाज एवं विद्यालय में अपने आपको समायोजित कर सके।

    विद्यालय में वातावरण को अच्छी तरीके से प्रभावित करने में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होता है। जिससे बच्चों में सही मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन मिलता है। जिससे बच्चों में व्यक्तित्व का निर्माण होता है।

    इसके फलस्वरूप कुछ बच्चों में कुंठा से ग्रसित होते हैं। शिक्षक के अच्छे आत्मीय व्यवहार के कारण धीरे-धीरे उन बच्चों को जो कुंठित के शिकार होते हैं। उनको उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन के कारण  बच्चे अच्छे कर पाते हैं। बच्चें शिक्षक के प्रति स्नेह, आदर का भाव अपने दिल में रखने लगते हैं। इससे बच्चों में व्यक्तित्व एवं चरित्र का निर्माण होता है। 

    विद्यालय में मानसिक स्वास्थ्य एवं शारीरिक स्वास्थ्य होना बहुत ही जरूरी होता है। विद्यालय के व्यक्तित्व में ज्ञान, कौशल एवं दृष्टिकोण का होना अति आवश्यक है। जिससे बच्चों में अनुशासन विकसित होता है। 

    बच्चों में आत्म संयम, सहयोग, आपसी विचार एवं भाव आदि के गुणों को विकसित करने में सहायक होते हैं। विद्यालय को उत्तम स्वरूप देने के लिए बाल केंद्रित मनोविज्ञान की अवधारणा होना चाहिए। जिससे बच्चे विद्यालय की ओर आकृष्ट होते और सीखने में उनकी प्रेरणा मिलता है। 

    विद्यालय का वातावरण स्वच्छ होना अति आवश्यक है। तभी बच्चों का मन प्रसन्न होता है। शिक्षक को विद्यालय के वातावरण को आनंददायक और कक्षा कक्ष को भी आनंदित बनाने अति आवश्यक होता है। ताकि व्यक्तित्व के निर्माण में विद्यालय का योगदान महत्वपूर्ण है।
    School's contribution in building personality.





















    उचित मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रतिभा को निखारता है।Proper guidance and encouragement enhances talent.

    उचित मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रतिभा को निखारता है।(Proper guidance and encouragement enhances talent.)


    जब विद्यार्थी सफलता का मुकाम हासिल करना चाहता है, या अपने जीवन को सफल करने के लिए जो उड़ान भरना चाहता है। उससे पूर्व अभिभावक व शिक्षक उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन उसके प्रतिभा को अवश्य ही निखारता है। 

    अभिभावक व शिक्षक छात्रों के सुनहरे भविष्य के लिए उचित मार्गदर्शन दे सकते हैं। जिससे छात्रों के शरीर के अंदर, ऊर्जा उत्साह, जोश, एवं जुनून का संचार उत्पन्न होता है। जिससे विद्यार्थी जीवन में सफलता प्राप्त होता है।

    हमेशा से ही देखा गया है कि छात्रों को विषय का चुनाव सही ढंग से नहीं कर पाते। कई छात्र-छात्राओं को देखा गया है कि बिना सोचे समझे विषय का चुनाव कर लेते हैं। बहुत सारे विद्यार्थी अपने दोस्तों, रिश्तेदार, भाई बहन को देखकर विषयों का चुनाव करते हैं। फिर बाद में उनको समझ आता है कि विषय का चुनाव गलत हो गया। बहुत से छात्र अपने अभिभावक या माता-पिता के दबाव में आकर विषय का चुनाव करते हैं। जिसके फलस्वरूप छात्रों को आगे चलकर वह विषय बोझिल  या उबाऊ लगने लगता है। कई छात्र-छात्राओं एक दूसरे के देखा देखी में विषयों का चुनाव करते हैं। जिस कारण उनको आगे समझ में नहीं आता या समझना मुश्किल हो जाता है।

    जिस विद्यार्थी ने अपने विषय का चुनाव सोच समझ कर लिया है या उस विषय में वह ज्ञान या रूचि रखता है, तो वह विद्यार्थी हमेशा ही सफल होगा।

    अभिभावक एवं शिक्षक को छात्रों एवं विद्यार्थियों को बीच-बीच में उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन देते रहें, ताकि अभिभावक
    एवं शिक्षक को यह पता चलता रहे, कि विद्यार्थी लक्ष्य प्राप्त करने में सक्षम है या नहीं। अगर नहीं, तो विद्यार्थी को उचित मार्गदर्शन करने की जरूरत होता है। ताकि उचित मार्गदर्शन से छात्र अपने जीवन में लक्ष्य की प्राप्ति कर सके।

    हमारे समझ से उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन अपने बच्चों को शुरुआती दिनों यानी 3 से 5 वर्ष के उम्र में ही शुरू करना चाहिए ताकि आगे अपने जीवन में हमेशा ही सफलता के मुकाम को हासिल कर सके।

    लेकिन एक और बात यह है कि कोई जरूरी नहीं है कि 3 से 5 वर्ष के उम्र ही हो। आप जब चाहे तब से ही अपने बच्चों या छात्रों को उचित मार्गदर्शन कर सकते हैं। वहां मैं कम उम्र इसलिए कहा कि बच्चें को शुरुआत से ही उचित मार्गदर्शन देते रहे तो अपने जीवन में हर समय क्रियाशील रहेंगे।

    अधिकांशतः विद्यार्थी 10वीं परीक्षा के बाद ही अपने लक्ष्य या सफलता को लेकर चिंतित रहते हैं। इस समय अभिभावक एवं शिक्षक को मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन नितांत ही आवश्यक है और समय उचित सलाह देना जरूरी होता है, क्योंकि बहुत सारे विद्यार्थी को उचित मार्गदर्शन प्राप्त न होने के बावजूद वह गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं तथा विद्यार्थी अपने नैतिक पतन की ओर चल देते हैं। वे अपने जीवन जीने के लिए गलत तरीकों को अपनाते चले जाते हैं। इससे अपना जीवन बर्बाद कर लेते हैं। इसलिए ऐसे समय में हर अभिभावक एवं शिक्षक को बच्चों एवं छात्रों को उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन देना अति आवश्यक है। 
    निष्कर्ष :-  उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन प्रतिभा को निखारता है। हमें अपने बच्चे एवं विद्यार्थी को बचपन से ही उचित मार्गदर्शन देना चाहिए। ताकि भविष्य में अपने जीवन को उस ऊंचाई पर ले जा सके। जहां से पीछे दिखने पर सभी छोटे या बौने रूपी दिखें। शिक्षक का कार्य केवल यह नहीं है कि शिक्षा देना, अपितु विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो। अगर विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास होगा। तब विद्यार्थी का जीवन सफल होता है। उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन प्रतिभा को निखारता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि उचित मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन प्रतिभा को निखारता है। यह निश्चित तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

    अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019. International Yoga Day 2019.

    अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019. International Yoga Day 2019.



    भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2019.(International Yoga Day 2019.), प्रत्येक वर्ष 21 जून को मनाने का फैसला लिया गया। जो मानव जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।


    आज योग का नया अविष्कार नहीं हुआ है। यह प्राचीन काल से ही ऋषि मुनि, साधु, महात्मा आदि। योग अभ्यास किया करते थे। उनके जीवन में शारीरिक कष्ट नहीं हुआ। वे लोग जीवन भर स्वस्थ रहते थे। बहुत से महात्माओं ने योगाभ्यास के बारे में बताया है, जो लोग योग अभ्यास किया उनका जीवन खुशहाल बना रहा।

    अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) मनाने का कारण-: 


    मानव जीवन में इतनी व्यस्तता बढ़ गई है कि अपने शरीर पर ध्यान देने का समय नहीं मिल रहा है। जिस कारण उनका शरीर स्वस्थ नहीं रह पाता, तब मनुष्य को योग अभ्यास करना अति आवश्यक हो गया।


    योग को नियमित करने से कोई भी बीमारी नहीं होता या अगर हुआ भी है तो जड़ से खत्म हो जाता है। नियमित योगाभ्यास करने से बहुत लोगों को लाभ हुआ है।


    योग क्या है-: 


    योग एक ऐसा कला है जिसे सीख कर अपने जीवन में आने वाला कोई भी रोग या बीमारी नहीं होने देगा तथा असाध्य रोगों को भी ठीक करते देखा गया है।


    हमारे जीवन के लिए योग महत्वपूर्ण है, यानी योग से हम सभी जीवन भर रोग मुक्त रहेंगे, तो हमें योग हर हाल में प्रतिदिन करना चाहिए। जिससे हमारा जीवन खुशहाल एवं आनंदित रहे।


    योग क्यों जरूरी-: आजकल इस प्रतियोगी संसार में कितना भाग दौड़ का जीवन है कि हमारे जीवन में किसी प्रकार का कोई कठिनाइयां नहीं होगा यानी रोग मुक्त रहेंगें। इसलिए योग अत्यंत जरूरी है। जीवन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए योग जरूरी एवं अनिवार्य है। योग को जीवन का अभिन्न अंग बनाना होगा।


    योग से लाभ-: नियमित योग करने से तन, मन, धन सभी का बचत होगा। क्योंकि योगाभ्यास करने से कोई रोग नहीं होगा। रोग नहीं होगा तो पैसा, यानी धन का बचत होगा जब धन का बचत, तब तन एवं मन भी ठीक-ठाक रहेेगा।


    योग करने का स्थान-: योग करने के लिए स्थान का चुनाव करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। योग करने के लिए एक खुला, शांत वातावरण की जरूरत होता है। ऐसे हम छत,बालकोनी, पार्क, या एक खुला स्थान आदि होना चाहिए। जो योग करने के लिए अच्छा होता है।


    योग करने का समय क्या-: योग करने का सही समय सूर्योदय से पहले का योगाभ्यास बहुत लाभदायक रहता है। ऐसे जब समय मिले तब किया जा सकता है। लेकिन एक बात का ध्यान रहे कि खाना खाने के करीब तीन घंटे बाद ही योग करना चाहिए। यानी नहीं खाली पेट होना चाहिए।


    योग नियमित करना-: ऐसे तो कहा गया है कि किसी भी काम को नियमित करने से अधिक लाभ एवं उस काम में सफलता प्राप्त होता है। ऐसेे कहा भी गया है कि काम ही काम को सीखता है। उसी तरह योग को भी नियमित करने से अनेकों प्रकार का लाभ होता है। जैसे मन में शांति, शरीर के अंदर की शक्ति, रोग से लड़ने के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है।


    योग करने का सही तरीका-: योग करने का सही तरीका होना अति आवश्यक है। योग की स्थिति या उसके बारे में जानने के लिए बाबा रामदेव का योगाभ्यास के किताब जरूर देखें।


    योग कितनी बार करें-: ऐसे योग को 24 घंंटे में 2 बार करना चाहिए। वैसे आप अपने समय के अनुसार इसे एक या दो बार कर सकते हैं।



    Father's day (पिता दिवस)

    Father's day (पिता दिवस)

    पिता के लिए एक पिता दिवस 2019/ father's day 2019  के रूप में मनाये जाते हैं। " जिस प्रकार डॉक्टर्स डे और मदर्स डे मनाते हैं, उसी प्रकार पिता दिवस या फादर्स डे मनाते है। "

    father's day 2019 in india
    Father's day


    Father's day kab manaya jata   



    प्रत्येक वर्ष जून के तीसरे सप्ताह के रविवार को father's day मनाया जाता है। 2019 में father's day 16 जून को मनाया जाएगा।


    वैसे तो प्राचीन काल सेेेे ही पिता का सम्मान होता रहा है, चाहें वह जो भी काल रहा हो। इसलिए मानव समाज ने संसार के सभी पिता को सम्मान देने के लिए एक दिन चुना गया, जिसे father's day कहते हैं।


    इस दिन सभी लोग अपने पिता को सम्मान, आदर, इज्जत, प्यार करते हैं, और पुरानी बातो को याद कर बहुत खुश होते, एक दूसरे से विशेष बातें किया करते हैं। फिर पुत्र, पिता को  उपहार देते हैं, और उनसे आशीर्वाद एवं प्यार लिया करते हैं।   

    father's day in india, 2019 अब भारत में भी धीरे धीरे father's day प्रचलित होने लगा है। भारतीय लोग भी father's day पर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगे हैं। तथा अपने पिता को आदर्श मान कर उनका सम्मान एवं आदर करते हैं।


    आमतौर पर देखा जाता है कि लोग अपने पिता के सम्मान  में खुलकर बातें नहीं कर पाते हैं। लेकिन अब father's day के दिन, पुत्र अपने पिता से दिल खोलकर बातें करेंगें।


    father's day सबसे पहले 1908 में मनाया गया। विश्व के कुछ देशों में अलग अलग दिन फादर्स डे मनाते हैं। लेकिन 1910 से father's day को नियमित रूप से प्रत्येक वर्ष मनाने का निर्णय लिया गया है।


    अमेरिका एवं कई ऐसे देशो में father's day के अवसर पर अधिकारीक अवकाश की घोषणा की गई हैं।


    जून के तीसरे सप्ताह के रविवार के दिन पूरा विश्व 16 जून को father's day मनाएगा।

    अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day)
























    दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र

       👇👇       दाखिल खारिज कराने हेतु आवेदन पत्र      👇👇                        वीडियो को देख लीजिए।             Link- https://youtu.be/gAz...

    आवेदन पत्र कैसे लिखें